Tulsi: तुलसी एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण

Tulsi
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calendar13 Nov 2021 08:45 AM
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डॉ. नीता सक्सेना असिस्टेंट प्रोफेसर तुलसी का पौधा पूरे भारत वर्ष में पाये जाने वाला अतुलनीय एवं सुगंधित पौधा है। उत्तर भारत में वृंदा वैष्णवी, विष्णुप्रिया सुगंधा, पावनी आदि नामों से जाना जाता है, तो गुजरात में तुलसी नाम से मराठी में तुलसा, तमिल में मूलसी और मलयाली ततवु कहा जाता है। अंग्रेजी में तुलसी को होली बेसिल कहते है। वनस्पति विज्ञान में तुलसी को ओससिम सेकटम या ओसिमम् वेन फ्लोरम कहते है। तुलसी के लिए गरम शीतोष्ण जलवायु उपयुक्त रहती है। ना अधिक गर्मी ना अधिक सर्दी । तुलसी को सदैव जल की आवश्यकता होती है। सामान्यतः इसके पौधे मध्यम ऊंचाई वाले होते हैं, इसकी पत्तियां गोलाकार होती हैं। तुलसी मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं : रामा तुलसी की हरी पत्तियां चौड़ी एवं शाखाएं हरे रंग की होती हैं श्यामा तुलसी या कृष्णा तुलसी की शाखाएं एवं पत्तियां गहरे लाल रंग की होती हैं। श्यामा तुलसी में औषधीय गुण अधिक होने के कारण इसका उपयोग औषधि रूप में किया जाता है। तुलसी की अन्य प्रजातियां भी पाई जाती हैं जिसमें एक जाति है वन तुलसी जिसे कठेरख भी कहा जाता इसकी गंध घरेलू तुलसी की अपेक्षा बहुत कम होती है। यह रक्त दोष, नेत्रदोष एवं प्रसव की चिकित्सा में विशेष उपयोगी मानी जाती है। इसकी पत्तियों में विष के प्रभाव को कम करने की विशेष क्षमता होती है। दूसरी अन्य जाति की तुलसी को मरुवक कहते हैं।

राजमार्तण्ड ग्रंथ के अनुसार किसी भी प्रकार के घाव यहां तक कि हथियार से कट जाने वाले घाव में भी इसका रस बहुत लाभकारी होता है। एक अन्य प्रजाति की तुलसी को है जिसे बरबरी या बुबई तुलसी के नाम से जाना जाता है होती है जिसकी मंजरी की सुगंध बहुत तेज होती है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में इसके बीजों का तुख्म रेहां कहते हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रदेशों में अन्य प्रजातियां भी पाई जाती हैं। आदिकाल से आयुर्वेद में तुलसी को जड़ी बूटी की रानी कहा जाता है। घरेलू छोटे मोटे रोगों में मानो तुलसी उपचार की पिटारी है। कुछ रोगों में तो तुलसी रामबाण औषधि है। तुलसी का धार्मिक महत्व हिंदू पौराणिक कथाओं में तुलसी की महत्ता विस्तृत रूप से की गई है। पुराणकारों ने तुलसी में समस्त देवताओं का वास बताते हुए कहा है

तत्रे तुलसी वृक्षस्तिष्ठति द्विज सत्तमा । यत्रेव त्रिदशा सर्व ब्रह्मा विष्णु शिवादय ।।

अर्थात जिस स्थान पर तुलसी का पौधा रहता है वहां पर ब्रह्मा विष्णु और शिव आदि सभी देवता निवास करते हैं। तुलसी के साथ एक और कथा प्रचलित है विष्णु पुराण में तुलसी को मां लक्ष्मी का अवतार विष्णु प्रिया माना है।

कार्तिक माह की एकादशी जिसे देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं। देवोत्थान एकादशी को तुलसी शालोग्राम विवाह का प्रचलन है यह विवाह 5 दिनों तक चलता है। इसी दिन से हिंदू धर्म में सामाजिक विवाह का भी शुभ मुहूर्त आरंभ होता है। हमारे सनातन धर्म में यह मुहूर्त बहुत शुभ माना जाता है। कुछ लोग अंधविश्वास के चलते हजारों रुपए अकारण ही खर्च कर देते हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि इसी बहाने ही सही तुलसी के सैकड़ों पौधे अवश्य रोपित हो जाते हैं। हमारे ऋषि-मुनियों एवं वैद्य इतने ज्ञानी विद्वान थे। उन्हें इस चमत्कारिक अनुपम दिव्य पौधे के गुणों का भान था और इस पौधे को रोपित एवं सुरक्षित रखने के लिए पूजा-अर्चना, रीति रिवाजों का प्रवाधान रखा ताकि आम जनता को इसकी उपयोगिता और महत्व को समझाया जा सके तुलसी विवाह के पीछे भी यही कारण है तर्क है शनै-शनै यह औषधीय वनस्पति घर-घर म इतनी लोकप्रिय हो गई कि लोग स्वतः ही इसे देवी स्वरूपा मान कर पूजा करने लगे। प्रत्येक देवालय, तीर्थ स्थान एवं घर घर का जरूरी हिस्सा बन गई। विशेषकर हिंदू समुदाय के हर घर के आंगन में तुलसी का पौधा प्रतिष्ठित कर नियमित रूप से पूजा वंदन का चलन है। कार्तिक माह में विशेष रूप से तलसी के नीचे दिया जलाने की परंपरा बहुत पुरानी है।

हमारा देश कृषि प्रधान देश है। प्राचीन समय से वर्तमान तक चार्तुमास वर्षा ऋतु में आवागमन की समुचित व्यवस्था न होने के कारण धार्मिक एवं सामाजिक काय बाधित रहते हैं एवं वातावरण में नमी कीट पतंगा एवं कीड़ों से दूषित रहता है। 4 माह के बाद कार्तिक माह में तुलसी को रोपना उसको संरक्षित एवं सुरक्षित रखने के लिए पूजा अर्चना की परंपरा का जन्म दिया क्योंकि हम लोगों को विज्ञान की भाषा भले ही देर से समझ आती है लेकिन धर्म प्रथा से जोड़ दिया जाए तो आसानी से समझ आती है हमारे विद्वान ऋषि-मुनियों ने इसके सात्विक प्रभाव के कारण अपने अनुपम औषधीय गुणों के कारण स्वतः ही पूजनीय हो गई। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में तो तुलसी की व्याख्या मिलती तुलसी के पौधे की उपयोगिता का वर्णन रोमन ग्रीक (यूनानी चिकित्सा) में भी वर्णित है। तुलसी की पत्तियां ही नहीं अपितु उसको छाल व जड़ भी बहुत सी बीमारिया के निवारण में लाभकारी होती है। तुलसी का रस रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है साथ ही मानसिक तनाव को कम करने में कारगर है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण :- वैज्ञानिकों ने भी तुलसी को औषधीय गुणों का स्वीकारा है तुलसी एंटी ऑक्सीडेंट, न्यूरो प्रोटेक्टिव हेपाटो, सुरक्षात्मक कांडियो सुरक्षात्मक, दमा रोधक, थायराइड रोधी एवं मोतियाबिंद रोधक के रूप में अत्यंत लाभकारी माना है तुलसी का तेल भी कम उपयोगी नहीं है। यह पीले रंग का होता है इसकी सुगंध लाँग जैसी हाती है एवं औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती है तुलसी के तेल में यूजिनॉल की मात्रा थोडो अधिक पाई जाती है इसके अलावा उल्सालिक, लीनालूल, रोजमैरिनिक एसिड एक्का लाइट टौनिक्स और सोडियम, विटामिन ए और सी साइट्रिक एसिड आयरन जैसे तत्व भी तुलसी में पाए जाते हैं वैज्ञानिकों ने अपने शोध में यह पाया कि पानी में पाई जाने वाली अशुद्धियों को दूर कर पानी को शुद्ध कर पीने योग्य बनाने में भी सक्षम है निरंतर चल रही शोधों से यह भी प्रमाणित हुआ है कि तुलसी का पौधा लोहा मगनीज जैसी धातुओं को मिट्टी से अवशोषित कर लेता है जो मिट्टी प्रदूषण को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। राम तुलसी वायुमंडल से जितनी कार्बन डाइऑक्साइड सोखती है उससे कहीं अधिक मात्रा म ऑक्सीजन छोड़ती है। इस तरह तुलसी वायु प्रदूषण को कम करके वायु की गुणवत्ता बढ़ाकर उसे सांस लेन योग्य बनाने में सहायक होती है अतः तुलसी का प्रयोग वायु शोधक के रूप में भी किया जा रहा है। देश के प्रसिद्ध स्मारकों विशेष रूप से ताजमहल को प्रदूषण की मार से बचाने के लिए ताजमहल के चारों ओर हजारों की संख्या में तुलसी के पौधे रोपित कर उस इलाके को प्रदूषण मुक्त करने का अच्छा प्रयास है जो निश्चय ही प्रशंसनीय है तुलसी की सुगंध मच्छर माखियों को भगाने में भी सहायक होती है तुलसी के पौधे घर आंगन में लगाकर मच्छर जनित जैसे डेंगू चिकनगुनिया आदि बीमारियों को काफी सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है तुलसी के औषधीय एवं अन्य गुणों के कारण भारत में ही नहीं अपितु दुनिया का सर्वोत्तम पौधा माना गया है।

तुलसी के आश्चर्यजनक विशेषताओं को देखते हुए हमें धार्मिक परंपराओं एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सामाजिक विचारधारा को अपनाते हुए लोक हित के लिए मंदिरों देव स्थानों के साथ-साथ सड़कों के किनारे किनारे कल कारखानों के आसपास तुलसी को बहयात में रोपण करना ही होगा लोक कल्याण और पृथ्वी को बचाने के लिए हर एक को यह संकल्प लेना होगा कि हम तुलसी का पौधा लगाएंगे ही नहीं अपितु उसका संरक्षण करना हमारा ही दायित्व होगा बीते दिनों कोरोना के संकट काल में तुलसी की पत्तियों के अद्वितीय दिव्य गुणों से कौन परिचित नहीं है किस तरह तुलसी ने संजोवनी बूटी की तरह काम किया तुलसी को सर्वरोगहारी कहा गया है इसमें इतने औषधीय सात्विक गुण छिपे हुए हैं जिसे उजागर करन के लिए अतिरिक्त शोध की आवश्यकता है।

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इन लोगों के जीवन में नहीं रहती ऐशोआराम की कोई कमी, जानें अपने बारे में

Astro 1
locationभारत
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calendar13 Nov 2021 08:44 AM
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ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति पर उसकी राशि (Name Rashi) का असर पड़ता है। किसी भी व्यक्ति के राशि के स्वामी की प्रकृति और स्वभाव का असर उस राशि से जुड़े लोगों पर भी पड़ता है। इस लेख में उन चार राशियों के बारे में जानकारी दी जा रही है, जिनकी जिंदगी में ऐशोआराम (Luxury Life) की कोई कमी नहीं रहती है।

वृषभ राशि वृषभ राशि के जातक भाग्यशाली होने के साथ काफी मेहनती भी होते हैं। इस राशि के स्वामी शुक्र होते हैं। शुक्र को धन-दौलत और विलासिता प्रदान करने वाला ग्रह माना जाता है। इस कारण जन्म से ही इन्हें जीवन में काफी अनुकूल स्थितियां प्राप्त होती हैं। अगर इन्हें संघर्ष करना भी पड़े, तो भी आगे चलकर ये बहुत तेजी से तरक्की कर लेते हैं। इनके जीवन में ऐशोआराम की कमी नहीं रहती है। ये लोग कम उम्र में ही काफी पैसा कमा लेते हैं।

कर्क राशि कर्क राशि के जातक भी इस मामले में काफी भाग्यशाली होते हैं। इनकी कुंडली के स्वामी ग्रह चंद्रमा होते हैं। चंद्रमा मजबूत होने की वजह से जब ये किसी काम में लगते हैं तो पूरे मन से लगते हैं और खूब मेहनत करते हैं। इस राशि के लोगों का स्वभाव शांत होता है, इस कारण ये बहुत जल्दी किसी के भी प्रिय बन जाते हैं। इनकी ये क्वालिटी इन्हें तेजी से आगे बढ़ाती है। ये लोग अपने जीवन में पैसा कमाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। कर्क राशि के लोगों को कई बार पैतृक संपत्ति का भी लाभ मिलता है।

सिंह राशि सिंह राशि के जातक काफी गुणवाण माने जाते हैं। इस राशि का स्वामी सूर्य होता है, इस कारण इन्हें जीवन में अपार यश और सुख समृद्धि प्राप्त होती है। ये बहुत तेजी से सफल होते हैं और काफी धन कमाते हैं। ये लोग भीड़ में भी दूसरों से अलग नजर आ जाते हैं।

वृश्चिक राशि वृश्चिक राशि के जातक बेहद मेहनती होते हैं। ये लोग जिस मुकाम को पाना चाहते हैं, उसके लिए पूरे समर्पण से काम करते हैं। इनकी मेहनत ही इनका भाग्य बनाती है और ये जल्द ही सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ जाते हैं। इन लोगों को भौतिक सुख काफी आकर्षित करते हैं और ये अपनी मेहनत के बूते पर उन्हें प्राप्त भी कर लेते हैं।

पं. अनिल शाह, वैदिक ज्योतिषी

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इन तीन राशि वालों पर होगी जबरदस्त धन वर्षा, बन रहा है बुधादित्य योग

Budhaditya Yog
locationभारत
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calendar02 Dec 2025 02:21 AM
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ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार ग्रहों की चाल मानव की जिंदगी पर कूल और प्रतिकूल दोनों ही तरह का प्रभाव डालती है। आगामी 21 नवंबर 2021 से दो ग्रहों की आपस में युति बनने जा रही है। यह युति कई राशि वालों के लिए लाभकारी होगी।

नवग्रह के राजा सूर्य (Sun) सफलता, स्‍वास्‍थ्‍य, आत्‍मविश्‍वास के कारक हैं। वहीं बुध (mercury) ग्रह को बुद्धि, धन का कारक माना गया है। यह दोनों ही ग्रह युति बनाने जा रहे हैं। ये दोनों ग्रह वृश्चिक राशि में युति बनाएंगे। सूर्य और बुध की युति को बुधादित्‍य योग (Budhaditya Yog) कहते हैं। इस योग का सभी राशियों पर असर पड़ेगा। कुछ राशि के जातकों के लिए यह योग मालामाल करने वाला साबित होगा।

ग्रहों के राजा सूर्य 16 नवंबर 2021 को वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे और बुध ग्रह‍ 21 नवंबर 2021 को इसी राशि में आएंगे। इस तरह दोनों ग्रह 21 नवंबर को युति करके बुधादित्‍य योग बनाएंगे। यह योग 10 दिसंबर तक बना रहेगा, क्‍योंकि ये दोनों ग्रह 10 दिसंबर तक वृश्चिक राशि में रहेंगे। 20 दिन तक चलने वाला बुधादित्‍य योग 3 राशि वालों के लिए बेहद शुभ रहेगा।

सिंह सिंह राशि के जातकों को इस अवधि में जबरदस्‍त धन-लाभ होगा। कैरियर के लिए यह समय शानदार रहेगा। आत्मविश्वास बढ़ा रहेगा और नए घर व वाहन आदि का सुख मिल सकता है। स्वास्थ्य के लिहाज से भी सिंह राशि वालों के लिए यह समय अच्छा रहेगा। कुंभ इस योग के दौरान कुंभ राशि के जातकों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। पद और सम्‍मान में बढ़ोत्तरी होगी। आपके द्वारा की गई मेहनत का पूरा फल मिलेगा। इस अवधि के दौरान आप जो भी यात्रा करेंगे, उनका शुभ फल प्राप्त होगा। सरकारी क्षेत्र से जुड़े लोगों को इस अवधि में बहुत लाभ होगा।

मीन मीन राशि के जातकों के लिए भी यह समय बेहद शुभ रहेगा। यात्राएं शुभ फलदायी साबित होंगी। धन लाभ होने से आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। जो युवा नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं, उन्हें नौकरी मिलेगी। मनपसंद नौकरी या ट्रांसफर की इच्‍छा कर रहे लोगों की इच्‍छा भी इस समय पूरी हो सकती है।

यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी