Political News : अनेक निहितार्थ है ‘सेना’ नेता की गिरफ्तारी के, बागियों को संदेश

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:08 AM
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आरपी रघुवंशी Political News : कहते हैं सियासत में जो दिखता है, वह होता नहीं है। और, जो होता है, वह दिखता नहीं है। महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीति भी कुछ ऐसे ही रास्ते पर चल रही है। शिवसेना(Shiv Sena) के मुख्य प्रवक्ता और दिग्गज नेता संजय राउत (Sanjay Raut) की गिरफ्तारी के भी कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। चर्चा है कि राउत की गिरफ्तारी शिंदे गुट के उन बागी विधायकों पर दबाव बनाने के लिए की गई है, जो मंत्री पद के आकांक्षी हैं। संजय की गिरफ्तारी के पीछे ईडी (ED)जो कहानी बता रहा है, हो सकता है उसमें सच्चाई हो। लेकिन, इससे इतर भी एक कहानी है। उसे समझने के लिए कुछ पहले जाना होगा। महाराष्ट्र की राजनीति के जानकारों का कहना है कि शिवसेना में बगावत के पीछे संजय राउत एक बड़ा कारण रहे हैं। पार्टी नेताओं और विधायकों के साथ उनका बर्ताव अच्छा नहीं था। वह खुद को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से कम नहीं समझते थे। धीरे-धीरे यह चिंगारी दहक उठी और नतीजा पार्टी में टूट के रूप में सबके सामने आया। जानकार बताते हैं कि भाजपा की ओर से शिवसेना के बागी विधायकों को ‘पूरा सम्मान’ देने का भरोसा दिया गया था। लालच में आकर विधायकों ने पाला बदल लिया। अब हर बागी विधायक मंत्री बनने का ख्वाहिशमंद हैं, लेकिन यह संभव नहीं हो पा रहा है। विधायकों के दबाव के कारण ही सरकार गठन के एक माह बाद भी मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है। इस मसले को हल करने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एक माह में चार बार दिल्ली दरबार में दस्तक दे चुके हैं। लेकिन, अब तक कोई ठोस हल नहीं निकल पाया है। भाजपा के शीर्ष नेताओं को पता है कि अगर शिवसेना से रूठकर आए बागी विधायकों को दिए वादे को पूरा नहीं किया गया तो वे ‘घर वापसी’ कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो सरकार गिरने का खतरा पैदा हो जाएगा। इसलिए भाजपा और शिंदे की ओर से बहुत संभलकर कदम बढ़ाए जा रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही संजय राउत ने दावा किया था कि महाराष्ट्र में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन होगा। जानकार बताते हैं कि शिंदे गुट के 40 विधायकों में कई ऐसे हैं, जो दागी हैं। ऐसे में संजय राउत की गिरफ्तारी से महत्वाकांक्षा पाले विधायकों को कड़ा संदेश देने की कोशिश की गई है। संजय राउत की गिरफ्तारी को बागी विधायकों पर दबाव बनाने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। पहला यह कि वे अपने लिए मंत्री पद की जिद छोड़ दें। दूसरा, असंतुष्ट होकर ‘घर वापसी’ की कोशिश करने पर उनका भी हश्र संजय राउत जैसा हो सकता है। जानकारों का कहना है कि संजय राउत की गिरफ्तारी से भाजपा यदि बागियों को संदेश देने में सफल हुई तो उम्मीद है कि महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल के गठन का रास्ता अतिशीघ्र साफ हो जाएगा। बाकी तो पाठक जानते ही हैं कि राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है।
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Farmers Protest : सरकार नहीं चेती तो फिर करना होगा बड़े आंदोलन का सामना : टिकैत

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:15 AM
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Farmers Protest: केंद्र की मोदी सरकार के वादाखिलाफी से नाराज किसान एक बार बड़े आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट कर कहा कि केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण किसानों में गुस्सा है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया और भारी बारिश के बीच चार घंटे तक रेल की पटरियों पर बैठे रहे। किसान लखीमपुर हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री की बर्खास्तगी और एमएसपी के साथ न्याय की कानूनी गारंटी मांग रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने अगर अपना वादा नहीं निभाया तो उसे एक और बड़े आंदोलन का सामना करना पड़ेगा। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने कहा किसान एमएसपी की गारंटी चाहते हैं। केंद्र सरकार ने भी आंदोलन खत्म करने के लिए किसानों को लिखित तौर पर इस बात का भरोसा दिया था। लेकिन, सात माह बीत जाने के बाद बावजूद अब तक सरकार ने अपना एक भी वादा पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के साथ वादाखिलाफी की है। इससे नाराज किसान सड़कों पर उतरे। किसानों ने जालंधर, फिल्लौर, फिरोजपुर और बठिंडा सहित कई जगहों पर रेल पटरियों पर बैठे रहे। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में किसानों की मांगों में एमएसपी की गारंटी और न्याय दिलाना शामिल है। गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी में पिछले साल 3 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे किसानों पर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र ने अपने वाहन से कुचलकर चार किसानों की हत्या कर दी थी। इसके अलावा एक पत्रकार की भी हत्या हुई। उस हिंसा में कुल 8 लोग मारे गए थे। किसान केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा वे पिछले साल कृषि विरोधी कानूनों के विरोध के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवार को मुआवजा देने और रक्षा बलों के लिए अग्निपथ भर्ती योजना को वापस लेने की भी मांग कर रहे हैं।
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New Delhi: संजय अरोड़ा चार साल तक रहेंगे दिल्ली के बॉस

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:38 AM
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New Delhi: नई दिल्ली। विवादों से नाता रखने वाले राकेश अस्थाना का कार्यकाल खत्म हो गया है। सरकार ने उनके स्थान पर तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अधिकारी व आईटीबीपी के महानिदेशक संजय अरोड़ा को दिल्ली पुलिस के नए आयुक्त के पद पर तैनात किया है। वह राकेश अस्थाना की जगह लेंगे। संजय अरोड़ा 31 जुलाई, 2025 को रिटायर होंगे। गृह मंत्रालय ने 1988 बैच के आईपीएस अरोड़ा के नियुक्ति आदेश जारी किया है। अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति के तहत उनकी एएमजीयूटी कैडर में नियुक्ति की मंजूरी भी दी गई। अरोड़ा ने सीमा सुरक्षा से जुड़े कई अहम कार्यों को अंजाम दिया है। 31 अगस्त, 2021 को अरोड़ा आईटीबीपी के 31वें महानिदेशक बने थे। आईटीबीपी में रहते हुए संजय अरोड़ा ने सीमा सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम दिया। तमिलनाडु पुलिस में विभिन्न पदों पर कार्य किया और स्पेशल टास्क फोर्स के पुलिस अधीक्षक रहते हुए कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन गिरोह के खिलाफ कार्रवाई में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की थी। इस कार्रवाई के लिए उन्हें मुख्यमंत्री वीरता पदक से सम्मानित किया गया था। अरोड़ा ने 31 अगस्त, 2021 को आईटीबीपी के 31वें महानिदेशक के रूप में पदभार ग्रहण किया था। उन्हें 2004 में सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक, 2014 में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक, पुलिस विशेष कर्तव्य पदक, आंतरिक सुरक्षा पदक और संयुक्त राष्ट्र शांति पदक से सम्मानित किया जा चुका है। अरुणचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित कैडर (एजीएमयूटी) से बाहर के आईपीएस अफसर को दिल्ली पुलिस आयुक्त बनाने की परंपरा बनती जा रही है। सबसे पहले यूपी कैडर के आईपीएफ अजय राज शर्मा को वर्ष 1999 में दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया था। इसके बाद 2021 में गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना को यह जिम्मेदारी दी गई और अब तमिलनाडु कैडर के अफसर को दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त किया है। राकेश अस्थाना दिल्ली पुलिस में बतौर पुलिस आयुक्त एक वर्ष का कार्यभार संभालने के बाद रविवार को सेवानिवृत्त हो गए। शुरुआत में उनका कार्यकाल काफी विवादों में रहा था। उन्होंने एक वर्ष के दौरान दिल्ली पुलिस में काफी परिवर्तन किए। दिल्ली पुलिस की पीसीआर वैन को पुलिस थानों से जोड़ने का भी काम उनके ही कार्यकाल में हुआ।