बाबा रामदेव को लगा डर तो मांग ली माफी, फिर नहीं करेंगे ऐसा काम

Baba Ramdev
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि बाबा रामदेव तथा उनकी कंपनी पतंजलि पर भ्रामक विज्ञापन देकर जनता को भ्रमित करने का मामला चल रहा है। बाबा रामदेव तथा पतंजलि के कर्ताधर्ता आचार्य बालकृष्ण को लगा कि सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ सख्त कदम उठा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के डर से डरकर बाबा रामदेव ने माफी मांगना ही उचित समझा। बताया जा रहा है कि बाबा रामदेव के विरूध भ्रामक विज्ञापन चलाने का यह अकेला मामला नहीं है।मांग ली माफी
आपको बता दें कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापन मामले में दिए गए अपने पुराने बयानों पर सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांग ली है। हलफनामे के जरिए कंपनी के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने भ्रामक विज्ञापनों पर खेद जताया। इसके साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे विज्ञापन भविष्य में जारी ना हों। दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस का जवाब नहीं देने पर आचार्य बालकृष्ण को 2 अप्रैल को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था। इतना ही नहीं अदालत ने बाबा रामदेव को भी कारण बताओ नोटिस जारी कर 2 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा है। कंपनी के एमडी बालकृष्ण ने हलफनामे में कहा है कि नवंबर 2023 के बाद जारी किए गए विज्ञापनों का उद्देश्य केवल 'सामान्य बयान' था, लेकिन उनमें गलती से 'अपमानजनक वाक्य' शामिल हो गए। उन्होंने यह भी बताया कि इन विज्ञापनों को पतंजलि के मीडिया विभाग ने मंजूरी दी थी, जो नवंबर 2023 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अनजान था। हलफनामे के जरिए आचार्य बालकृष्ण ने भ्रामक विज्ञापनों पर खेद जताया। इसके साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे विज्ञापन भविष्य में जारी ना हों। साथ ही कंपनी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए बताया है कि इसका इरादा पूरी तरह से देश के नागरिकों को पतंजलि उत्पादों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है।पहले दिया था आश्वासन
बता दें कि कंपनी ने नवंबर 2023 में आश्वासन दिया था कि वह चिकित्सा प्रभावकारिता पर कोई भी निराधार दावा करने या चिकित्सा की किसी भी प्रणाली की निंदा करने से परहेज करेगी। हालांकि, पिछले आश्वासन के बावजूद, पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापनों का सिलसिला जारी रखा. यह उसकी प्रतिबद्धता का स्पष्ट उल्लंघन था। भारत के डाक्टरों की प्रसिद्घ संस्था आईएमए का आरोप है कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर एक कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से एलोपैथी दवाइयों की उपेक्षा हो रही है। आईएमए ने कहा था कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है और ये ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है। पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी और इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था।प्रधानमंत्री मोदी को सताई सद्गुरु की चिंता, जाना ताजा हाल
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क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि बाबा रामदेव तथा उनकी कंपनी पतंजलि पर भ्रामक विज्ञापन देकर जनता को भ्रमित करने का मामला चल रहा है। बाबा रामदेव तथा पतंजलि के कर्ताधर्ता आचार्य बालकृष्ण को लगा कि सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ सख्त कदम उठा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के डर से डरकर बाबा रामदेव ने माफी मांगना ही उचित समझा। बताया जा रहा है कि बाबा रामदेव के विरूध भ्रामक विज्ञापन चलाने का यह अकेला मामला नहीं है।मांग ली माफी
आपको बता दें कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापन मामले में दिए गए अपने पुराने बयानों पर सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांग ली है। हलफनामे के जरिए कंपनी के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने भ्रामक विज्ञापनों पर खेद जताया। इसके साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे विज्ञापन भविष्य में जारी ना हों। दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस का जवाब नहीं देने पर आचार्य बालकृष्ण को 2 अप्रैल को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था। इतना ही नहीं अदालत ने बाबा रामदेव को भी कारण बताओ नोटिस जारी कर 2 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा है। कंपनी के एमडी बालकृष्ण ने हलफनामे में कहा है कि नवंबर 2023 के बाद जारी किए गए विज्ञापनों का उद्देश्य केवल 'सामान्य बयान' था, लेकिन उनमें गलती से 'अपमानजनक वाक्य' शामिल हो गए। उन्होंने यह भी बताया कि इन विज्ञापनों को पतंजलि के मीडिया विभाग ने मंजूरी दी थी, जो नवंबर 2023 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अनजान था। हलफनामे के जरिए आचार्य बालकृष्ण ने भ्रामक विज्ञापनों पर खेद जताया। इसके साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे विज्ञापन भविष्य में जारी ना हों। साथ ही कंपनी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए बताया है कि इसका इरादा पूरी तरह से देश के नागरिकों को पतंजलि उत्पादों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है।पहले दिया था आश्वासन
बता दें कि कंपनी ने नवंबर 2023 में आश्वासन दिया था कि वह चिकित्सा प्रभावकारिता पर कोई भी निराधार दावा करने या चिकित्सा की किसी भी प्रणाली की निंदा करने से परहेज करेगी। हालांकि, पिछले आश्वासन के बावजूद, पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापनों का सिलसिला जारी रखा. यह उसकी प्रतिबद्धता का स्पष्ट उल्लंघन था। भारत के डाक्टरों की प्रसिद्घ संस्था आईएमए का आरोप है कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर एक कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से एलोपैथी दवाइयों की उपेक्षा हो रही है। आईएमए ने कहा था कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है और ये ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है। पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी और इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था।प्रधानमंत्री मोदी को सताई सद्गुरु की चिंता, जाना ताजा हाल
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