उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा और अब पेंशन! क्या चल रहा है धनखड़ के साथ?

1993 में बने थे विधायक
धनखड़ ने वर्ष 1993 में कांग्रेस के टिकट पर अजमेर जिले की किशनगढ़ सीट से विधानसभा चुनाव जीता था। विधायक रहने के नाते उन्हें राजस्थान विधानसभा से पेंशन का अधिकार है। राजस्थान में दोहरी और तिहरी पेंशन व्यवस्था लागू है जिसके तहत यदि कोई व्यक्ति सांसद और विधायक दोनों पदों पर रह चुका हो तो वह दोनों की पेंशन लेने का हकदार होता है।हाल ही में दिया था उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने पुष्टि की है कि धनखड़ का पेंशन आवेदन सचिवालय को प्राप्त हो गया है और उस पर प्रक्रिया चल रही है। यह आवेदन ऐसे समय पर आया है जब कुछ ही हफ्ते पहले जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दिया था। 21 जुलाई को उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर अपने इस्तीफे की जानकारी दी थी। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ा था। उनका कार्यकाल अभी समाप्त नहीं हुआ था, इसलिए यह फैसला अप्रत्याशित माना गया।विपक्ष ने उठाए सवाल
धनखड़ की चुप्पी को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार को घेर रहा है। लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, "राज्यसभा में जिनकी आवाज गूंजती थी वो अचानक चुप क्यों हो गए? आखिर ऐसा क्या हुआ कि वे एक शब्द भी नहीं बोल पा रहे? देश जानना चाहता है।" वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी तंज कसते हुए कहा, "अब तक 'लापता लेडीज' की खबरें सुनते थे अब 'लापता वाइस प्रेसिडेंट' का मामला सामने आया है।" सिब्बल ने कहा कि उन्होंने पहले दिन धनखड़ के निजी सचिव से संपर्क किया था, जहां बताया गया कि वे "आराम कर रहे हैं", लेकिन इसके बाद कोई जानकारी नहीं दी गई न उनकी लोकेशन, न कोई बयान।यह भी पढ़ें: रिलायंस AGM में अंबानी फैमिली ने खोले अरबों के पत्ते, किए कई बड़े ऐलान
सवाल सिर्फ पेंशन का नहीं
धनखड़ का पेंशन आवेदन भले ही एक प्रशासनिक प्रक्रिया हो, लेकिन इसकी टाइमिंग और उनकी चुप्पी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। अब बड़ा सवाल यह है धनखड़ कहां हैं और क्या वाकई स्वास्थ्य ही कारण था उनके इस्तीफे का? या फिर इसके पीछे कोई और कहानी छिपी है? Jagdeep Dhankharअगली खबर पढ़ें
1993 में बने थे विधायक
धनखड़ ने वर्ष 1993 में कांग्रेस के टिकट पर अजमेर जिले की किशनगढ़ सीट से विधानसभा चुनाव जीता था। विधायक रहने के नाते उन्हें राजस्थान विधानसभा से पेंशन का अधिकार है। राजस्थान में दोहरी और तिहरी पेंशन व्यवस्था लागू है जिसके तहत यदि कोई व्यक्ति सांसद और विधायक दोनों पदों पर रह चुका हो तो वह दोनों की पेंशन लेने का हकदार होता है।हाल ही में दिया था उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने पुष्टि की है कि धनखड़ का पेंशन आवेदन सचिवालय को प्राप्त हो गया है और उस पर प्रक्रिया चल रही है। यह आवेदन ऐसे समय पर आया है जब कुछ ही हफ्ते पहले जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दिया था। 21 जुलाई को उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर अपने इस्तीफे की जानकारी दी थी। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ा था। उनका कार्यकाल अभी समाप्त नहीं हुआ था, इसलिए यह फैसला अप्रत्याशित माना गया।विपक्ष ने उठाए सवाल
धनखड़ की चुप्पी को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार को घेर रहा है। लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, "राज्यसभा में जिनकी आवाज गूंजती थी वो अचानक चुप क्यों हो गए? आखिर ऐसा क्या हुआ कि वे एक शब्द भी नहीं बोल पा रहे? देश जानना चाहता है।" वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी तंज कसते हुए कहा, "अब तक 'लापता लेडीज' की खबरें सुनते थे अब 'लापता वाइस प्रेसिडेंट' का मामला सामने आया है।" सिब्बल ने कहा कि उन्होंने पहले दिन धनखड़ के निजी सचिव से संपर्क किया था, जहां बताया गया कि वे "आराम कर रहे हैं", लेकिन इसके बाद कोई जानकारी नहीं दी गई न उनकी लोकेशन, न कोई बयान।यह भी पढ़ें: रिलायंस AGM में अंबानी फैमिली ने खोले अरबों के पत्ते, किए कई बड़े ऐलान
सवाल सिर्फ पेंशन का नहीं
धनखड़ का पेंशन आवेदन भले ही एक प्रशासनिक प्रक्रिया हो, लेकिन इसकी टाइमिंग और उनकी चुप्पी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। अब बड़ा सवाल यह है धनखड़ कहां हैं और क्या वाकई स्वास्थ्य ही कारण था उनके इस्तीफे का? या फिर इसके पीछे कोई और कहानी छिपी है? Jagdeep Dhankharसंबंधित खबरें
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