‘SIR पर हल्के मत पड़ो’, सीएम योगी ने होमवर्क के साथ दिखाई नेताओं को कमियां
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल की इस बैठक में जब सीएम ने फाइल से नंबर पढ़कर सुनाने शुरू किए, तो कई नेता पहली ही क्वेरी पर चुप हो गए। कई जनप्रतिनिधि अपने ही क्षेत्र से जुड़े आंकड़ों पर संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।

UP News : उत्तर प्रदेश में चल रहे मतदाता विशेष पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कितने सजग हैं, इसका अंदाज़ा मुरादाबाद मंडल की समीक्षा बैठक से साफ हो गया। सोमवार को मुरादाबाद पहुंचे सीएम योगी महज औपचारिक मीटिंग के मूड में नहीं थे, बल्कि वह पूरा होमवर्क करके आए थे। विधानसभा–वार और बूथ–वार डेटा के साथ उन्होंने नेताओं के सामने साफ कर दिया कि उत्तर प्रदेश में SIR को हल्के में लेने की गुंजाइश नहीं है।
सीट–दर–सीट डेटा लेकर पहुंचे सीएम योगी
भाजपा के कई स्थानीय नेता और विधायक यह मानकर चले थे कि मीटिंग में मोटे–मोटे आंकड़े और कागज पर नोट्स बता देने से काम चल जाएगा। उन्हें लगा था कि बस कैंप और बूथों की संख्या, अनुमानित फीडबैक और सामान्य प्रगति पर चर्चा होगी। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुरादाबाद मंडल की हर सीट का ब्योरा लेकर पहुंचे। किस विधानसभा क्षेत्र में SIR के तहत कितने बूथों पर सौ फीसदी काम पूरा हुआ, कहां–कहां पचास फीसदी से भी कम प्रगति है, किस क्षेत्र में बूथ लेवल एजेंट (BLA) कितने सक्रिय हैं—सीएम ने एक–एक सवाल ठोस आंकड़ों के साथ रखा। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल की इस बैठक में जब सीएम ने फाइल से नंबर पढ़कर सुनाने शुरू किए, तो कई नेता पहली ही क्वेरी पर चुप हो गए। कई जनप्रतिनिधि अपने ही क्षेत्र से जुड़े आंकड़ों पर संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।
संगठन और जनप्रतिनिधि दोनों को संदेश
मीटिंग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो–टूक कहा कि SIR उत्तर प्रदेश में चल रही कोई साधारण कागजी कवायद नहीं, बल्कि आने वाले चुनावी समीकरणों की बुनियाद है। उन्होंने आंकड़ों के सहारे साफ–साफ दिखाया कि किन बूथों पर घर–घर संपर्क ढीला पड़ा, कहां मतदाता सूची के फॉर्म सिर्फ खानापूरी की तरह भरे गए और कहां पार्टी के बूथ लेवल एजेंट उतने सक्रिय नहीं दिखे, जितनी उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्य में जरूरत है। सीएम योगी ने कई विधानसभा क्षेत्रों में संगठन की रिपोर्ट, जिले की फीडबैक और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के दावों का आमने–सामने मिलान किया और उदाहरण देकर बताया कि ज़मीनी स्तर पर अब भी कितना काम बाकी है। उन्होंने निर्देश दिए कि हर विधानसभा क्षेत्र में अलग–अलग समर्पित टीमें बनाई जाएं, बूथ–स्तर पर लगातार मौजूदगी दर्ज रहे, हर संभावित मतदाता तक दोबारा पहुंचकर सूची की तस्दीक की जाए और SIR के बाद जब निर्वाचन आयोग नाम जुड़वाने–कटवाने के लिए फॉर्म भरने का अवसर दे, तो उसे महज़ औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर को सुधारने का ‘सबसे अहम चरण’ मानकर प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाए।
संगठन और जनप्रतिनिधि दोनों को संदेश
मीटिंग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ इशारा कर दिया कि SIR उत्तर प्रदेश में चल रही कोई ‘फाइल भरने वाली रस्म’ नहीं, बल्कि सूबे की आने वाली चुनावी तस्वीर को सीधे प्रभावित करने वाला अभियान है। उन्होंने बूथ–वार रिपोर्टों के सहारे बताया कि किन इलाकों में घर–घर पहुंच कमजोर रही, कहां SIR फॉर्म सिर्फ औपचारिकता की तरह भर दिए गए और कहां बूथ लेवल एजेंट उतने सक्रिय नहीं दिखे, जितनी उत्तर प्रदेश जैसे निर्णायक राज्य में अपेक्षा की जाती है। सीएम ने कई विधानसभा क्षेत्रों में संगठन से मिली रिपोर्ट और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के दावों का आमने–सामने मिलान किया और उदाहरण देकर समझाया कि जमीनी स्तर पर काम अभी अधूरा है। उन्होंने साफ निर्देश दिया कि हर विधानसभा में समर्पित टीमें खड़ी की जाएं, बूथ स्तर पर लगातार मौजूदगी दर्ज हो, संभावित हर मतदाता तक दोबारा पहुंचकर मतदाता सूची की तस्दीक की जाए और SIR के बाद जब नाम जोड़ने–घटाने के लिए निर्वाचन आयोग फार्म भरने का मौका दे, तो उसे उत्तर प्रदेश की राजनीतिक बिसात पर सबसे अहम चाल मानते हुए पूरी गंभीरता और प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाए।
क्लोज मार्जिन वाली सीटों पर फोकस
बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुरादाबाद मंडल के चुनावी नतीजों को सामने रखकर साफ कर दिया कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में अब एक–एक वोट की कीमत और जिम्मेदारी दोनों बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर हार–जीत का फासला इतना मामूली रहा कि कुछ सौ या कुछ हजार वोट पूरे नतीजे को पलटने के लिए काफी थे। उदाहरण के तौर पर उन्होंने मुरादाबाद नगर सीट का जिक्र किया, जहां भाजपा महज़ 782 वोटों से जीत दर्ज कर पाई, जबकि बिलारी सीट पर पार्टी को करीब 7610 मतों से पराजय का सामना करना पड़ा। रामपुर की बिलासपुर सीट पर जीत का अंतर लगभग 300 वोट के आसपास रहा, जबकि मिलक में यह बढ़कर करीब 6000 मतों तक पहुंचा। बिजनौर जिले की धामपुर और नहटौर सीटों पर भी बेहद कांटे का मुकाबला हुआ, वहीं चांदपुर और नूरपुर जैसी सीटें मामूली अंतर से विपक्ष के खाते में चली गईं। अमरोहा की नौगांवा सादात सीट पर भी सात हजार से कम वोटों के अंतर ने बाज़ी पलट दी। सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और राजनीतिक रूप से बेहद सक्रिय राज्य में चुनावी तस्वीर छोटे–छोटे मार्जिन से बदल जाती है। ऐसे में SIR के दौरान मतदाता सूची की एक–एक प्रविष्टि की शुद्धता, बूथ–वार रुझान की बारीकी से पड़ताल और हर वोटर तक सक्रिय संपर्क इन तीनों मोर्चों पर किसी भी तरह की ढिलाई अब स्वीकार नहीं की जाएगी।
‘अब कोई वोटर छूटना नहीं चाहिए’ – मुरादाबाद से पूरे उत्तर प्रदेश के लिए संदेश
बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ शब्दों में कहा कि अब उत्तर प्रदेश के किसी भी मंडल में ऐसा उदाहरण नहीं मिलना चाहिए, जहां पार्टी का पक्का समर्थक सिर्फ इस वजह से मतदान से वंचित रह जाए कि उसका नाम मतदाता सूची में ही दर्ज नहीं है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कोर वोटर का नाम लिस्ट में न होना, सिर्फ चुनावी भूल नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारी की सीधी चूक है। सीएम ने जिला प्रशासन, निर्वाचन अधिकारियों, संगठन और जनप्रतिनिधियों—चारों स्तर पर साफ कर दिया कि SIR उत्तर प्रदेश में सबकी साझा जिम्मेदारी है, किसी एक विभाग या एक इकाई का काम भर नहीं। मुरादाबाद मंडल की समीक्षा से जो संकेत निकला, वह ये है कि उत्तर प्रदेश सरकार SIR जैसे तकनीकी दिखने वाले अभियान को भी चुनावी रणनीति के केंद्र में रखकर देख रही है, पार्टी नेतृत्व बूथ–लेवल तक डेटा–बेस्ड समीक्षा कर रहा है और अब सिर्फ जोशीले भाषण या अंदाज़े नहीं, बल्कि ठोस आंकड़ों और रिपोर्ट कार्ड के आधार पर नेताओं से सवाल पूछे जाएंगे। UP News
UP News : उत्तर प्रदेश में चल रहे मतदाता विशेष पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कितने सजग हैं, इसका अंदाज़ा मुरादाबाद मंडल की समीक्षा बैठक से साफ हो गया। सोमवार को मुरादाबाद पहुंचे सीएम योगी महज औपचारिक मीटिंग के मूड में नहीं थे, बल्कि वह पूरा होमवर्क करके आए थे। विधानसभा–वार और बूथ–वार डेटा के साथ उन्होंने नेताओं के सामने साफ कर दिया कि उत्तर प्रदेश में SIR को हल्के में लेने की गुंजाइश नहीं है।
सीट–दर–सीट डेटा लेकर पहुंचे सीएम योगी
भाजपा के कई स्थानीय नेता और विधायक यह मानकर चले थे कि मीटिंग में मोटे–मोटे आंकड़े और कागज पर नोट्स बता देने से काम चल जाएगा। उन्हें लगा था कि बस कैंप और बूथों की संख्या, अनुमानित फीडबैक और सामान्य प्रगति पर चर्चा होगी। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुरादाबाद मंडल की हर सीट का ब्योरा लेकर पहुंचे। किस विधानसभा क्षेत्र में SIR के तहत कितने बूथों पर सौ फीसदी काम पूरा हुआ, कहां–कहां पचास फीसदी से भी कम प्रगति है, किस क्षेत्र में बूथ लेवल एजेंट (BLA) कितने सक्रिय हैं—सीएम ने एक–एक सवाल ठोस आंकड़ों के साथ रखा। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल की इस बैठक में जब सीएम ने फाइल से नंबर पढ़कर सुनाने शुरू किए, तो कई नेता पहली ही क्वेरी पर चुप हो गए। कई जनप्रतिनिधि अपने ही क्षेत्र से जुड़े आंकड़ों पर संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।
संगठन और जनप्रतिनिधि दोनों को संदेश
मीटिंग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो–टूक कहा कि SIR उत्तर प्रदेश में चल रही कोई साधारण कागजी कवायद नहीं, बल्कि आने वाले चुनावी समीकरणों की बुनियाद है। उन्होंने आंकड़ों के सहारे साफ–साफ दिखाया कि किन बूथों पर घर–घर संपर्क ढीला पड़ा, कहां मतदाता सूची के फॉर्म सिर्फ खानापूरी की तरह भरे गए और कहां पार्टी के बूथ लेवल एजेंट उतने सक्रिय नहीं दिखे, जितनी उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्य में जरूरत है। सीएम योगी ने कई विधानसभा क्षेत्रों में संगठन की रिपोर्ट, जिले की फीडबैक और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के दावों का आमने–सामने मिलान किया और उदाहरण देकर बताया कि ज़मीनी स्तर पर अब भी कितना काम बाकी है। उन्होंने निर्देश दिए कि हर विधानसभा क्षेत्र में अलग–अलग समर्पित टीमें बनाई जाएं, बूथ–स्तर पर लगातार मौजूदगी दर्ज रहे, हर संभावित मतदाता तक दोबारा पहुंचकर सूची की तस्दीक की जाए और SIR के बाद जब निर्वाचन आयोग नाम जुड़वाने–कटवाने के लिए फॉर्म भरने का अवसर दे, तो उसे महज़ औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर को सुधारने का ‘सबसे अहम चरण’ मानकर प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाए।
संगठन और जनप्रतिनिधि दोनों को संदेश
मीटिंग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ इशारा कर दिया कि SIR उत्तर प्रदेश में चल रही कोई ‘फाइल भरने वाली रस्म’ नहीं, बल्कि सूबे की आने वाली चुनावी तस्वीर को सीधे प्रभावित करने वाला अभियान है। उन्होंने बूथ–वार रिपोर्टों के सहारे बताया कि किन इलाकों में घर–घर पहुंच कमजोर रही, कहां SIR फॉर्म सिर्फ औपचारिकता की तरह भर दिए गए और कहां बूथ लेवल एजेंट उतने सक्रिय नहीं दिखे, जितनी उत्तर प्रदेश जैसे निर्णायक राज्य में अपेक्षा की जाती है। सीएम ने कई विधानसभा क्षेत्रों में संगठन से मिली रिपोर्ट और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के दावों का आमने–सामने मिलान किया और उदाहरण देकर समझाया कि जमीनी स्तर पर काम अभी अधूरा है। उन्होंने साफ निर्देश दिया कि हर विधानसभा में समर्पित टीमें खड़ी की जाएं, बूथ स्तर पर लगातार मौजूदगी दर्ज हो, संभावित हर मतदाता तक दोबारा पहुंचकर मतदाता सूची की तस्दीक की जाए और SIR के बाद जब नाम जोड़ने–घटाने के लिए निर्वाचन आयोग फार्म भरने का मौका दे, तो उसे उत्तर प्रदेश की राजनीतिक बिसात पर सबसे अहम चाल मानते हुए पूरी गंभीरता और प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाए।
क्लोज मार्जिन वाली सीटों पर फोकस
बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुरादाबाद मंडल के चुनावी नतीजों को सामने रखकर साफ कर दिया कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में अब एक–एक वोट की कीमत और जिम्मेदारी दोनों बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर हार–जीत का फासला इतना मामूली रहा कि कुछ सौ या कुछ हजार वोट पूरे नतीजे को पलटने के लिए काफी थे। उदाहरण के तौर पर उन्होंने मुरादाबाद नगर सीट का जिक्र किया, जहां भाजपा महज़ 782 वोटों से जीत दर्ज कर पाई, जबकि बिलारी सीट पर पार्टी को करीब 7610 मतों से पराजय का सामना करना पड़ा। रामपुर की बिलासपुर सीट पर जीत का अंतर लगभग 300 वोट के आसपास रहा, जबकि मिलक में यह बढ़कर करीब 6000 मतों तक पहुंचा। बिजनौर जिले की धामपुर और नहटौर सीटों पर भी बेहद कांटे का मुकाबला हुआ, वहीं चांदपुर और नूरपुर जैसी सीटें मामूली अंतर से विपक्ष के खाते में चली गईं। अमरोहा की नौगांवा सादात सीट पर भी सात हजार से कम वोटों के अंतर ने बाज़ी पलट दी। सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और राजनीतिक रूप से बेहद सक्रिय राज्य में चुनावी तस्वीर छोटे–छोटे मार्जिन से बदल जाती है। ऐसे में SIR के दौरान मतदाता सूची की एक–एक प्रविष्टि की शुद्धता, बूथ–वार रुझान की बारीकी से पड़ताल और हर वोटर तक सक्रिय संपर्क इन तीनों मोर्चों पर किसी भी तरह की ढिलाई अब स्वीकार नहीं की जाएगी।
‘अब कोई वोटर छूटना नहीं चाहिए’ – मुरादाबाद से पूरे उत्तर प्रदेश के लिए संदेश
बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ शब्दों में कहा कि अब उत्तर प्रदेश के किसी भी मंडल में ऐसा उदाहरण नहीं मिलना चाहिए, जहां पार्टी का पक्का समर्थक सिर्फ इस वजह से मतदान से वंचित रह जाए कि उसका नाम मतदाता सूची में ही दर्ज नहीं है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कोर वोटर का नाम लिस्ट में न होना, सिर्फ चुनावी भूल नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारी की सीधी चूक है। सीएम ने जिला प्रशासन, निर्वाचन अधिकारियों, संगठन और जनप्रतिनिधियों—चारों स्तर पर साफ कर दिया कि SIR उत्तर प्रदेश में सबकी साझा जिम्मेदारी है, किसी एक विभाग या एक इकाई का काम भर नहीं। मुरादाबाद मंडल की समीक्षा से जो संकेत निकला, वह ये है कि उत्तर प्रदेश सरकार SIR जैसे तकनीकी दिखने वाले अभियान को भी चुनावी रणनीति के केंद्र में रखकर देख रही है, पार्टी नेतृत्व बूथ–लेवल तक डेटा–बेस्ड समीक्षा कर रहा है और अब सिर्फ जोशीले भाषण या अंदाज़े नहीं, बल्कि ठोस आंकड़ों और रिपोर्ट कार्ड के आधार पर नेताओं से सवाल पूछे जाएंगे। UP News







