Meaning of Mayawati's Decision, आखिर क्यों लिया मायावती ने ये निर्णय?

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Meaning of Mayawati's Decision
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 01:13 AM
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Meaning of Mayawati's Decision: बीएसपी नेत्री मायावती का आज, 15 जनवरी को 68वां जन्मदिन मनाया गया। जैसी कि संभावना थी कि इस दिन वो अपनी पार्टी की भावी रणनीति घोषित करेंगी, उन्होंने ऐसा ही किया। मायावती ने अपनी पार्टी की आगामी लोकसभा चुनाव में एकला चलो की नीति पर चलने की घोषणा की। बहिन जी के नाम से विख्यात मायावती के निर्णय के विशेषज्ञ मायने निकाल रहे हैं और उन्हें होने वाली लाभ-हानि का आंकलन कर रहे हैं, आखिर मायावती ने ये रास्ता क्यों चुना?

क्या कहा था मायावती ने अपने निर्णय में?, Meaning of Mayawati's Decision

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपनी आगे की रणनीति का ऐलान करते हुए कहा कि "हमने जब भी किसी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा है, तो इससे बसपा को हर बार नुकसान हुआ है, जबकि दूसरे दलों का फायदा हुआ है। इसीलिए देश की अधिकांश पार्टियां बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती हैं।" साथ ही मायावती ने यह संभावना भी जताई कि ईवीएम का सिस्टम कभी भी खत्म हो सकता है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि "अगर मेरी पार्टी के कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव में अच्छे नतीजे लाते है, तो यही मेरे लिए गिफ्ट होगा।"

Meaning of Mayawati's Decision: बीजेपी और एसपी पर बोला हमला

मायावती ने भाजपा सरकार और समाजवादी पार्टी पर हमला बोला। उन्होंने योगी सरकार के बारे में कहा कि "लोगों को फ्री राशन का झांसा दिया। राशन देकर गुलाम बनाया जा रहा है।" वहीं मायावती ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी निशाना साधते हुए कहा कि "विपक्ष के इंडिया गठबंधन को लेकर सपा चीफ अखिलेश यादव ने बसपा के लोगों को गुमराह करने के लिए गिरगिट की तरह रंग बदला है। उससे बसपा के लोगों को सतर्क रहना होगा।"

क्या हैं मायावती के इस रुख के मायने?

मायावती ने इस निर्णय के पीछे जो तर्क दिया वो ये है कि गठबंधन के दूसरे दल उनकी पार्टी को अपना वोट ट्रांसफर नहीं करा पाते हैं। वो तो इस निर्णय का एक कारण है ही, साथ ही मायावती अपने दोनों हाथों में लड्डू रखना चाहती हैं, इसलिए भी उन्होने ये निर्णय किया है। अगर एनडीए या इंडिया गठबंधन सरकार बनाने के नजदीक पहुंचते हैं, लेकिन अगर बहुमत से दूर रहते हैं, तो उन्हें अपनी अहमियत साबित की जा सके। साथ ही वो सत्ता के नजदीक रहना चाहती हैं, ये इस निर्णय के पीछे की असली वजह है।

Meaning of Mayawati's Decision

मायावती के आज के निर्णय से इसके संकेत भी मिलते हैं, क्योंकि उन्होंने चुनाव के बाद किसी से भी गठबंधन से इंकार नहीं किया है। उन्होंने ऐसे संकेत दिए हैं कि चुनाव के बाद वो किसी के भी साथ एलाइंस कर सकती हैं, वो दोनों गठबंधन में से कोई भी हो सकता है। लेकिन वो ऐसा फ्री में नहीं करेंगी, ये भी उन्होंने स्पष्ट किया है। उचित भागीदारी मिलने पर ही वो किसी को समर्थन देंगी। यह समर्थन मुफ्त मे नहीं दिया जाएगा, ये भी मायावती ने पूरी तरह स्पष्ट कर दिया। वैसे मायावती के इस फैसले से विपक्षी गठबंधन इंडिया को ज्यादा नुकसान होता नजर आ रहा है।

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खंजर से पूछते हो कि क़ातिल किधर गये ? संसद की घटना पर पूर्व सांसद की बेबाक़ टिप्पणी

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Parliament Security Breach 
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:00 PM
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Parliament Security Breach : उदय प्रताप सिंह

संसद पर जो हमला हुआ है, वह देश के लिए अत्यंत चिंता का विषय है। कुछ दिनों से मीडिया और सोशल मीडिया पर शंका की जा रही थी कि 21 साल बाद 13 दिसंबर को संसद पर फिर हमला हो सकता है। हमारी सिक्योरिटी और जासूसी एजेंसियों ने निश्चित रूप से इस ख़बर के बाद कुछ सुरक्षा के ज़रूरी कदम उठाए होंगे फिर ऐसी घटना कैसे हो गई है। प्रश्न यह है कि यह चार हमलावर जो युवा हैं, और देश के अलग-अलग राज्यों से संबंधित है, वे इस एक साजिश में शामिल कैसे हुए और किसने किए ?

Parliament Security Breach

सरकारी पार्टी के एक सांसद की सिफारिश पर इनको संसद में प्रवेश करने की अनुमति पत्र मिला। आज संसद में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों उपस्थित नहीं थे, ये अच्छी बात थी। ऐसी तारीख़ को बीजेपी के सांसद द्वारा चार युवा हमलावरों को विभिन्न राज्यों से होने के बाबजूद संसद में प्रवेश भी मिल गया। यह सब संयोग हो सकता है लेकिन संयोग है की साजिश है, इसकी जांच पड़ताल गंभीरता से किसी विश्वस्तनीय एजेंसी द्वारा की जानी चाहिए।

Parliament Security Breach

हमलावर देशद्रोही नहीं थे वे वंदे मातरम का भी नारा लगा रहे थे और नहीं चलेगी भी कहते थे। और ग़नीमत है कि सब सब के हिंदू थे, अन्यथा यह देश इस समय एक अभूतपूर्व तनाव से गुज़र रहा होता। हमलावर व्यवस्था के खिलाफ़ भी बोल रहे थे। न्याय प्रक्रिया में एक शब्द होता है सरकमस्टेंशियल एविडेंस यानी स्थिति जन्य गवाही।

अगर इस पर भरोसा किया जाए तो यह नियोजित साजिश थी जिसमें किसी बड़े नेता या नौकरशाह या किसी जिम्मेदार व्यक्ति का हाथ हो सकता है यह पडताल का विषय है। अन्यथा इतनी कड़ी सुरक्षा के कई घेरे पार करके संसद में पहुंचना किसी के लिये आसान काम नहीं है।

बहरहाल यह राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न है इसलिए इस पर हमको दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विचार करना चाहिए। सबसे पहली बात तो यह है कि जिस संसद की सिफारिश पर इन हमलावरों को संसद में प्रवेश मिला उसकी गिरफ्तारी होनी चाहिए और उससे प्रश्न किया जाना चाहिए कि चार विभिन्न राज्यों के हमलावरों को प्रवेश की सिफारिश करना महज़ संयोग है या साजिश है। क्या आप उन चारों से परिचित थे ? हालांकि चुनाव के पहले ऐसे काम पहले भी होते आए हैं। यह कोई पहला मामला नहीं है लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सम्मान और संविधान की रक्षा के हित में हम सबको इस विषय पर एक देशभक्त भारतीय के रूप में सोचना चाहिए। (लेखक प्रसिद्ध कवि तथा पूर्व सांसद हैं)

संसद की सुरक्षा भेदने वालों ने सोशल मीडिया से जुड़कर बनाया था प्लान

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भजन लाल भावी सीएम होंगे पार्टी ने दिए थे संकेत, मगर कोई भांप नहीं सका

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भजन लाल भावी सीएम
locationभारत
userचेतना मंच
calendar13 Dec 2023 12:23 AM
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भजन लाल भावी सीएम: राजस्थान में भी बीजेपी ने सभी को चौंकाते हुए एक नए नाम भजन लाल शर्मा को नया सीएम बना दिया। पहली बार के विधायक भजन लाल का नाम भले ही मीडिया और लोगों के लिए चौंकाने वाला हो, लेकिन जो लोग पार्टी संगठन या संघ से से जुड़े हैं, वो उनके नाम से अच्छी तरह वाकिफ हैं। भले ही भजन लाल शर्मा के नाम की घोषणा आज हुई हो, लेकिन पार्टी द्वारा पूर्व में दिए गए संकेतों की विवेचना करें, तो यही लगता है आलाकमान ने पहले ही इस बार कमान भजन लाल को देने का मन बना लिया था। उन्होंने इसके संकेत भी दिए थे, लेकिन कोई भाँप नहीं सका।

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भजन लाल भावी सीएम का नाम पहले ही सोच लिया था हाइकमान ने

राजस्थान के भावी मुख्यमंत्री भजन लाल का नाम यूं ही नहीं सामने आया, बल्कि पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड़ड़ा की तिकड़ी ने कई कारणों से पहले ही तय कर रखा था। त्रिमूर्ति ने इसके संकेत भी दिए थे, लेकिन कोई इन संकेतों को समझ नहीं सका। भजन लाल शर्मा का नाम पहले ही तय होने के संकेत जिन बातों से मिलते हैं कि उनमें पहली बात ये है कि जिस होटल में पर्यवेक्षक रुके थे, उसके पास भजन लाल शर्मा का बड़ा सा होर्डिंग टांग दिया गया था।

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दूसरा संकेत पार्टी ने उन्हें इस बार के चुनावों में पहली बार टिकट देकर दे दिया। संगठन के अनुभवी चेहरे भजन लाल को न सिर्फ टिकट दिया गया, बल्कि टिकट भी भजन लाल के गृह नगर से न देकर उन्हें एक ऐसी सीट से दिया गया, जहां से उनकी जीत सुनिश्चित हो सके। ताकि उनके सीएम के तौर पर चयन में कोई बाधा न आए। इसके लिए जयपुर की सांगानेर सीट से सिटिंग एमएलए और वसुंधरा राजे सिंधिया के सहयोगी अशोक लाहोटी का टिकट काटकर उन्हें टिकट दिया गया। लेकिन कोई बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की इस रणनीति को भांप नहीं सका। इसके अलावा एमपी और छत्तीसगढ़ के नामों ने भी ये तय कर दिया था कि राजस्थान में भी एक नए चेहरे को कमान दी जाएगी।

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ये हैं वजहें जिनके कारण उन्हें इस पद के लिए चुना गया, भजन लाल भावी सीएम

भजन लाल शर्मा को इस पद के लिए चुने जाने के पीछे कई कारण हैं। पहला कारण तो ये है कि वो संघ, पार्टी संगठन और एबीवीपी (ABVP) से जुड़े रहे हैं, इसलिए उनकी संगठन में पकड़ मजबूत है। दूसरी वजह ये है कि पार्टी को आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए इस बार ब्राह्मण चेहरे को सामने रखना था। जिससे हिन्दी भाषी प्रदेशों को एक संदेश देकर, इसका लाभ लिया जा सके।

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तीसरी वजह जो बात उनके पक्ष में गई, वो ये है कि उनका किसी गुट विशेष से कोई संबंध नहीं है। इसलिए वो सर्व स्वीकार्य नेता थे, उनके नाम पर किसी को कोई आपत्ति नहीं थी। चौथी बात जिसका उनको लाभ मिला वो ये है कि वसुंधरा राजे पिछले कुछ समय से शीर्ष नेतृत्व को आंखे दिखाने की कोशिश कर रहीं थीं और पार्टी को उन्हें दरकिनार करना था। साथ ही ये भी ध्यान रखना था कि इससे पार्टी में गुटबाजी न हो।

भजन लाल भावी सीएम

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