Meaning of Mayawati's Decision, आखिर क्यों लिया मायावती ने ये निर्णय?




Parliament Security Breach : उदय प्रताप सिंह
संसद पर जो हमला हुआ है, वह देश के लिए अत्यंत चिंता का विषय है। कुछ दिनों से मीडिया और सोशल मीडिया पर शंका की जा रही थी कि 21 साल बाद 13 दिसंबर को संसद पर फिर हमला हो सकता है। हमारी सिक्योरिटी और जासूसी एजेंसियों ने निश्चित रूप से इस ख़बर के बाद कुछ सुरक्षा के ज़रूरी कदम उठाए होंगे फिर ऐसी घटना कैसे हो गई है। प्रश्न यह है कि यह चार हमलावर जो युवा हैं, और देश के अलग-अलग राज्यों से संबंधित है, वे इस एक साजिश में शामिल कैसे हुए और किसने किए ?
सरकारी पार्टी के एक सांसद की सिफारिश पर इनको संसद में प्रवेश करने की अनुमति पत्र मिला। आज संसद में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों उपस्थित नहीं थे, ये अच्छी बात थी। ऐसी तारीख़ को बीजेपी के सांसद द्वारा चार युवा हमलावरों को विभिन्न राज्यों से होने के बाबजूद संसद में प्रवेश भी मिल गया। यह सब संयोग हो सकता है लेकिन संयोग है की साजिश है, इसकी जांच पड़ताल गंभीरता से किसी विश्वस्तनीय एजेंसी द्वारा की जानी चाहिए।
हमलावर देशद्रोही नहीं थे वे वंदे मातरम का भी नारा लगा रहे थे और नहीं चलेगी भी कहते थे। और ग़नीमत है कि सब सब के हिंदू थे, अन्यथा यह देश इस समय एक अभूतपूर्व तनाव से गुज़र रहा होता। हमलावर व्यवस्था के खिलाफ़ भी बोल रहे थे। न्याय प्रक्रिया में एक शब्द होता है सरकमस्टेंशियल एविडेंस यानी स्थिति जन्य गवाही।
अगर इस पर भरोसा किया जाए तो यह नियोजित साजिश थी जिसमें किसी बड़े नेता या नौकरशाह या किसी जिम्मेदार व्यक्ति का हाथ हो सकता है यह पडताल का विषय है। अन्यथा इतनी कड़ी सुरक्षा के कई घेरे पार करके संसद में पहुंचना किसी के लिये आसान काम नहीं है।
बहरहाल यह राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न है इसलिए इस पर हमको दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विचार करना चाहिए। सबसे पहली बात तो यह है कि जिस संसद की सिफारिश पर इन हमलावरों को संसद में प्रवेश मिला उसकी गिरफ्तारी होनी चाहिए और उससे प्रश्न किया जाना चाहिए कि चार विभिन्न राज्यों के हमलावरों को प्रवेश की सिफारिश करना महज़ संयोग है या साजिश है। क्या आप उन चारों से परिचित थे ? हालांकि चुनाव के पहले ऐसे काम पहले भी होते आए हैं। यह कोई पहला मामला नहीं है लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सम्मान और संविधान की रक्षा के हित में हम सबको इस विषय पर एक देशभक्त भारतीय के रूप में सोचना चाहिए। (लेखक प्रसिद्ध कवि तथा पूर्व सांसद हैं)
Parliament Security Breach : उदय प्रताप सिंह
संसद पर जो हमला हुआ है, वह देश के लिए अत्यंत चिंता का विषय है। कुछ दिनों से मीडिया और सोशल मीडिया पर शंका की जा रही थी कि 21 साल बाद 13 दिसंबर को संसद पर फिर हमला हो सकता है। हमारी सिक्योरिटी और जासूसी एजेंसियों ने निश्चित रूप से इस ख़बर के बाद कुछ सुरक्षा के ज़रूरी कदम उठाए होंगे फिर ऐसी घटना कैसे हो गई है। प्रश्न यह है कि यह चार हमलावर जो युवा हैं, और देश के अलग-अलग राज्यों से संबंधित है, वे इस एक साजिश में शामिल कैसे हुए और किसने किए ?
सरकारी पार्टी के एक सांसद की सिफारिश पर इनको संसद में प्रवेश करने की अनुमति पत्र मिला। आज संसद में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों उपस्थित नहीं थे, ये अच्छी बात थी। ऐसी तारीख़ को बीजेपी के सांसद द्वारा चार युवा हमलावरों को विभिन्न राज्यों से होने के बाबजूद संसद में प्रवेश भी मिल गया। यह सब संयोग हो सकता है लेकिन संयोग है की साजिश है, इसकी जांच पड़ताल गंभीरता से किसी विश्वस्तनीय एजेंसी द्वारा की जानी चाहिए।
हमलावर देशद्रोही नहीं थे वे वंदे मातरम का भी नारा लगा रहे थे और नहीं चलेगी भी कहते थे। और ग़नीमत है कि सब सब के हिंदू थे, अन्यथा यह देश इस समय एक अभूतपूर्व तनाव से गुज़र रहा होता। हमलावर व्यवस्था के खिलाफ़ भी बोल रहे थे। न्याय प्रक्रिया में एक शब्द होता है सरकमस्टेंशियल एविडेंस यानी स्थिति जन्य गवाही।
अगर इस पर भरोसा किया जाए तो यह नियोजित साजिश थी जिसमें किसी बड़े नेता या नौकरशाह या किसी जिम्मेदार व्यक्ति का हाथ हो सकता है यह पडताल का विषय है। अन्यथा इतनी कड़ी सुरक्षा के कई घेरे पार करके संसद में पहुंचना किसी के लिये आसान काम नहीं है।
बहरहाल यह राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न है इसलिए इस पर हमको दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विचार करना चाहिए। सबसे पहली बात तो यह है कि जिस संसद की सिफारिश पर इन हमलावरों को संसद में प्रवेश मिला उसकी गिरफ्तारी होनी चाहिए और उससे प्रश्न किया जाना चाहिए कि चार विभिन्न राज्यों के हमलावरों को प्रवेश की सिफारिश करना महज़ संयोग है या साजिश है। क्या आप उन चारों से परिचित थे ? हालांकि चुनाव के पहले ऐसे काम पहले भी होते आए हैं। यह कोई पहला मामला नहीं है लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सम्मान और संविधान की रक्षा के हित में हम सबको इस विषय पर एक देशभक्त भारतीय के रूप में सोचना चाहिए। (लेखक प्रसिद्ध कवि तथा पूर्व सांसद हैं)
