Home Remedies for Cough : प्रेग्नेंसी मे होने वाली खांसी जुकाम के लियें करे घरेलू उपाय




HOME REMEDIES FOR HEART : आप से अच्छा आपका कोई डाक्टर नहीं हो सकता है। जी हां हमारे सबके घरों में हर बीमारी की दवा मौजूद है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि प्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सकों का यही कहना है। देशी वैद्य या आयर्वुेद चिकित्सकों का मत है कि हर घर की रसोई में मौजूद मसाले दरअसल जड़ी-बूटियां हैं। इन जड़ी-बूटियों से हर प्रकार की बीमारी ठीक की जा सकती है। आज हम आपको बताते हैं अपने दिल यानि हार्ट (HEART) को ठीक रखने के देशी घरेलू उपाय। ये तमाम HOME REMEDIES बताई है, प्रसिद्ध वैद्य डा. अजीत मेहता ने।
HEART (दिल) का इलाज डा. अजीत मेहता ने बताया कि HEART के तमाम रोग बस एक छोटे से उपाय से दूर किए जा सकते हैं। आपको बस इतना सा काम करना है कि 200 ग्राम सूखे आँवलों को कूट पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और उसमें बराबर वजन पिसी हुई मिश्री मिलाकर किसी कांच के मर्तबान में रख लें। नित्य सवेरे खाली पेट छ: ग्राम (दो चम्मच भर) चूर्ण को पानी के साथ फाँक लेने से कुछ ही दिनों में हृदय के समस्त रोग दूर हो जाते हैं। विशेषकर हृदय की धडक़न, हृदय की कमजोरी और चेतना - शून्यता आदि रोगों में परम लाभकारी एवं चमत्कारी और खूब अनुभूत प्रयोग है।
विशेष - आँवला दिल की तेज धडक़न, अनियमित हृदयगति, दिल का फैल जाना, दिल के ठीक कार्य न करने से उत्पन्न उच्च रक्तचाप में हानिरहित औषधि और खाद्य पदार्थ है। यह हृदय को शक्तिशाली बनाता है। चैत्र या आश्विन मास में 21 दिन से एक मास तक लेना अधिक अच्छा रहता है। आँवला का निरन्तर सेवन रक्तवाहिनियों को मुलायम और लचकीला बनाता है तथा रक्तवाहिनियों की दीवारों के कठोर तथा मोटा हो जाने का दोष दूर करता है। इसी कारण रोगी का हाई ब्लड प्रेशर दूर हो जाता है और रक्तवाहिनियों में रक्त का दौरा भली प्रकार होने लग जाता है। रक्तवाहिनियों में लचक बनी रहने के कारण मनुष्य का हृदय फेल नहीं होने पाता और न ही उच्च रक्तचाप रोग होता है या रक्तवाहिनियों में रक्त का थक्का (Clot) जम जाने के कारण मस्तिष्क की रक्तवाहिनी फटने पाती है।
डा. अजीत मेहता के मुताबिक प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर नित्य दस ग्राम (दो चम्मच) की मात्रा में दिन में एक बार लेना रक्तचाप का प्रभावशाली इलाज है।
विशेष - प्याज का रस खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करके दिल के दौरे को रोकता है। प्याज स्नायु संस्थान (नर्वस सिस्टम) के लिए टॉनिक, खून साफ करने वाला, पाचन में सहायक और हृदय की क्रिया को सुधारने वाला तथा अनिद्रा को रोकने वाला है। शहद शरीर पर शामक प्रभाव डालकर रक्तवाहिनियों की उत्तेजना घटाकर और उनको सिकोडक़र उच्च रक्तचाप घटा देता है। शहद के प्रयोग से हृदय सबल व सशक्त बनता है। 5-7 दिन लेकर देखें। लाभ होने पर आवश्यकतानुसार कुछ दिन और लें।
विकल्प - तरबूज के बीज की गिरी और खसखस (सफेद) अलग- अलग पीसकर बराबर वजन मिलाकर रख लें। तीन ग्राम (एक चम्मच की मात्रा से प्रात: सायं खाली पेट जल के साथ लें। इससे रक्तचाप कम होता है और रात में नींद अच्छी आती है। सिरदर्द भी दूर हो जाता है। तरबूज के बीज की गिरी खाते रहने से रक्तचाप कम हो जाता है। कोलेस्ट्रोल पिघलकर पतला होकर निकलने लगता है। रक्तवाहिनियों की कठोरता घटने लगती है और उनकी रचना में खराबी आनी रुक जाती है। वे मुलायम और लचकीली बनने लगती है। आवश्यकतानुसार 3-4 सप्ताह तक लें। तीन ग्राम (एक चम्मच) मेथी (शुष्क दाना) के चूर्ण की फक्की सुबह शाम खाली पेट 10-15 दिन पानी के साथ लेने से उच्च रक्तचाप कम होता है। इससे मधुमेह में भी लाभ होता है। खाना खाने के बाद कच्चे लहसुन की एक-दो फाँके छीलकर टुकड़े कर पानी के साथ चबा लें अथवा एक- दो बीज निकाली हुई मुनक्का में लपेट कर चबा लें। इससे उच्च रक्तचाप मिटता है। लहसुन की ताजा कलियाँ बढ़े हुए रक्तचाप को कम कर साधारण संतुलित अवस्था में रखने में सक्षम होती है। इकपोथिया लहसुन एक नग लेना अधिक अच्छा रहता है।
लहसुन खाने की कारगर विधि- प्रात: खाली पेट लहसुन की दो-तीन कलियों को छील लें। फिर प्रत्येक कली के तीन-चार टुकड़े कर थोड़े पानी के साथ प्रात: खाली पेट चबा लें या उन टुकड़ों को पानी के घूंट के साथ निगल लें। इस विधि से कच्चे लहसुन का सेवन रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा शीघ्रता से घटाने, रक्तचाप कम करने और ट्यूमर बनने से रोकने में बेजोड़ है।
सहायक उपचार - गेहूँ और चना बराबर मात्रा में लेकर आटा पिसवायें। चोकर सहित आटे की रोटी बनायें और खायें। एक-दो दिन में ही उच्च रक्तचाप में सुधार प्रतीत होगा। रात में तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी प्रात: पीने से उच्च रक्तचाप कम होता है और इसके नियंत्रण में सहायता मिलती है। चार तुलसी की पत्तियाँ, दो नीम की पत्तियाँ दो-चार चम्मच पानी के साथ घोटकर पाँच-सात दिन सवेरे खाली पेट पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। सवेरे खाली पेट डाल का पका पपीता एक मास तक खाएँ और इसके खाने के बाद दो घंटे कुछ न खाएँ पीएँ। इससे उच्च रक्तचाप ठीक होता है। प्याज और लहसुन का उपयोग यदि भोजन के साथ संतुलित मात्रा में किया जाय तो हृदय रोगों के निवारण और चिकित्सा में लाभ पहुँचने की संभावना रहती है। प्याज और लहसुन का सेवन करने से रक्त में रक्त पैत्तव (cholesterol) की मात्रा अधिक नहीं बढ़ पाती है क्योंकि इनमें फिब्रिनोलाइटिक तत्त्व होने के कारण रक्तविकारजन्य रक्त के जमाव को कम करते हैं तथा रक्त को घुलाने में सहायता देते हैं और जमे हुए रक्त को भी पिघलाकर साधारण अवस्था में ला देते हैं।
उच्च और निम्न दोनों प्रकार के रक्तचाप में लाभप्रद - निम्न रक्तचाप वाले छाछ में दो ग्रेन हींग मिलाकर सेवन करें। दिन के भोजन के पश्चात् एक गिलास छाछ पीना अमृत तुल्य है। छाछ की भाँति चौलाई की सब्जी या रस भी दोनों प्रकार के रक्तचाप में लाभदायक है।
प्रतिकूल- दूध, मक्खन आदि से बनी भारी वस्तुएँ, तले पदार्थ, मद्यपान, धूम्रपान, घी, नमक, बैंगन, आलू, अधपका केला, कटहल, दालें, मैदा, मिठाई, गुड़, तेल, खटाई, मिर्च-मसाले, पालिश किया हुआ चावल, सफेद चीनी, चाय, काफी, गोश्त, मछली, मादक द्रव्य । देर तक बैठना या खड़ा होना, भागकर सीढिय़ाँ चढऩा, अधिक और बार-बार भोजन करना, अत्यधिक क्रोध, भय, हर्ष, शोक, घबड़ाहट, जल्दबाजी, परेशानी और मानसिक तनाव।
अनुकूल - नींबू, पपीता, आँवला, मौसमी, सेव, तरबूज आदि फल। चौलाई का शाक, पालक, लहसुन, लौकी, प्याज, टमाटर, गाजर का सलाद, गाजर का रस, बथुआ आदि। प्रात: गेहूँ की बासी रोटी दूध में भिगोकर खाना । दही में ग्लूकोज डालकर खाना। प्रत्येक ग्रास को खूब चबा-चबा कर खाना। भोजन करते समय जल न पीना। नंगे पैर 5-6 किलोमीटर घूमना या हरी दोब में 10-15 मिनट टहलना (बरसात और उग्र मौसम को छोडक़र) प्रसन्नचित्त रहना। प्रतिदिन पर्याप्त व्यायाम करने व खुश रहने से रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। मन की शांति एवं प्रसन्नचित्त रहना उच्च रक्तचाप का प्रभावी उपचार है। सप्ताह-पन्द्रह दिन में एक दिन का उपवास रखना भी हितकर सिद्ध होता है, जैसे शुक्ल पक्ष की एकादशी को। इससे ब्लड प्रेशर में कमी आती है। पंचमुखी रुद्राक्ष पहनने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। यह रक्तवाहिनियों के कठोर और मोटा होने की दशा में भी लाभ करता है। ध्यान रहे, इसका त्वचा से स्पर्श करते रहना आवश्यक है।
HOME REMEDIES FOR HEART[/caption]
उच्च रक्तचाप में 100 ग्राम (आधा कप) पानी में आधा नींबू निचोड़ कर दिन में दो-तीन बार दो- दो घंटे से पीने से तुरन्त लाभ होता है। विशेष- इसके प्रयोग से रक्तवाहिनियों की कठोरता दूर होकर उनमें लचक और कोमलता आती है। नींबू हृदय को शक्ति देता है और इसके नियंत्रित सेवन से हार्ट फेल का भय नहीं रहता।
विकल्प- शवासन उचित ढंग से शवासन (शिथिलीकरण) का अभ्यास उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए एक वरदान से कम नहीं है।
विधि-शवासन के लिए जमीन पर पीठ के बल लेट जाएँ। दोनों हथेलिया को खोलकर नितम्ब के पास इस प्रकार टिकाएँ कि हथेली ऊपर की तरफ रहे। पाँव की दोनों एडियाँ आपस में मिली हुई हों और पंजे खुले हुए हों। तत्पश्चात् सारे शरीर को ढीला छोड़ दें, अर्थात् सर्वप्रथम पैरों के अंगूठों को ढीला करने की क्रिया आरम्भ करें तथा क्रमश: पाँव, हाथ, पिंडली, घुटना, जघा, पीठ, कमर, पेट, छाती, हृदय, कन्धे, गला, मस्तिष्क तथा सिर की मांसपेशियों को ढीला करते जाएँ। ध्यान कि शरीर का कोई भी छोटे से छोटा अंग-प्रत्यंग कड़ा न रहने पाये। आँखें बन्द कर समस्त शरीर को ढीला कर दें। इस समय बहुत धीरे-धीर साँस सहज भाव से लें। सोचना बन्द कर दें और मस्तिष्क को विचारों से खाली कर दें। इस शिथिलीकरण की क्रिया का नाम शवासन है जो दिखने को तो आसान लगता है परन्तु सही ढंग से इसका अभ्यास उतना आसान नहीं है।
इससे पाँच मिनट में शांति और ताजगी मिलती है और शरीर तनाव रहित होकर रक्तचाप कम हो जाता है। कितना भी कोई थका हुआ दस मिनट शवासन करने से शीघ्र ही उसकी शारीरिक और मानसिक थकान दूर हो जाती है।
विकल्प - बाएँ स्वर का प्रयोग- यदि कोई व्यक्ति बायाँ (left) स्वर (अर्थात् बाएँ नासिका छिद्र से साँस चलना) लगातार आधा घंटा चलाएँ तो उच्च रक्तचाप कम हो जाता है। अभ्यास से इच्छानुसार स्वर बदला जा सकता है। कुछ देर दायीं करवट (हाथ का तकिया बनाकर सिर के नीचे रखकर सोने) लेटने से बायाँ स्वर चलने लगता है। इच्छानुसार स्वर बदलने का एक सहज उपाय यह है कि जिस नासिका छिद्र से स्वर चलाना है उसके दूसरी तरफ से नासिका छिद्र में रई ठूंस दें। कुरसी पर बैठे हैं तो एक तरफ जोर देने या झुकने मात्र से और यदि खड़े हैं तो एक पैर की एड़ी ऊँची करके दूसरे पैर पर जोर देने से, जिस तरफ जोर पड़ता है। उसके दूसरी तरफ की नासिका छिद्र का स्वर चलने लगता है।
डा. अजीत मेहता ने बताया कि किशमिश किसी चीनी के कप में 150 ग्राम पानी में भिगो दें। बारह घंटे भीगने के बाद प्रात: एक-एक किशमिश को उठाकर खूब चबा-चबाकर (प्रत्येक किशमिश को बत्तीस बार चबाकर) खाने से निम्न रक्तचाप में बहुत लाभ होता है। पूर्ण लाभ के लिए बत्तीस दिन खायें। एक महीना व्यवहार करने से देह से रोग-विष शीघ्र बाहर हो जाता है। लौह तत्व से भरपूर क्षार श्रेणी का खाद्य होने के कारण यह खून तथा देह के तन्तुओं को साफ रखता है।
विशेष- निम्न रक्तचाप या हृदय-दुर्बलता के कारण मूर्छित हो जाने पर हरे आँवलों का रस और शहद बराबर-बराबर दो-दो चम्मच मिलाकर चाटने से होश आ जाता है और हृदय की कमजोरी दूर हो जाती है। निम्न रक्तचाप में बादाम का सेवन बड़ा उपयोगी है। नित्य 7 बादाम गिरी रात को पानी में भिगोकर प्रात: खूब बारीक पीसकर दूध के साथ प्रयोग करने से निम्न रक्तचाप कुछ ही दिनों में सामान्य हो जाता है और दिल को भी ताकत मिलती है। निम्न रक्तचाप में तात्कालिक लाभ के लिए-बोलना बन्द कर करवट लेकर लेट जायें, नींद आने से ठीक हो जाएगा।
HOME REMEDIES FOR HEART : आप से अच्छा आपका कोई डाक्टर नहीं हो सकता है। जी हां हमारे सबके घरों में हर बीमारी की दवा मौजूद है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि प्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सकों का यही कहना है। देशी वैद्य या आयर्वुेद चिकित्सकों का मत है कि हर घर की रसोई में मौजूद मसाले दरअसल जड़ी-बूटियां हैं। इन जड़ी-बूटियों से हर प्रकार की बीमारी ठीक की जा सकती है। आज हम आपको बताते हैं अपने दिल यानि हार्ट (HEART) को ठीक रखने के देशी घरेलू उपाय। ये तमाम HOME REMEDIES बताई है, प्रसिद्ध वैद्य डा. अजीत मेहता ने।
HEART (दिल) का इलाज डा. अजीत मेहता ने बताया कि HEART के तमाम रोग बस एक छोटे से उपाय से दूर किए जा सकते हैं। आपको बस इतना सा काम करना है कि 200 ग्राम सूखे आँवलों को कूट पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और उसमें बराबर वजन पिसी हुई मिश्री मिलाकर किसी कांच के मर्तबान में रख लें। नित्य सवेरे खाली पेट छ: ग्राम (दो चम्मच भर) चूर्ण को पानी के साथ फाँक लेने से कुछ ही दिनों में हृदय के समस्त रोग दूर हो जाते हैं। विशेषकर हृदय की धडक़न, हृदय की कमजोरी और चेतना - शून्यता आदि रोगों में परम लाभकारी एवं चमत्कारी और खूब अनुभूत प्रयोग है।
विशेष - आँवला दिल की तेज धडक़न, अनियमित हृदयगति, दिल का फैल जाना, दिल के ठीक कार्य न करने से उत्पन्न उच्च रक्तचाप में हानिरहित औषधि और खाद्य पदार्थ है। यह हृदय को शक्तिशाली बनाता है। चैत्र या आश्विन मास में 21 दिन से एक मास तक लेना अधिक अच्छा रहता है। आँवला का निरन्तर सेवन रक्तवाहिनियों को मुलायम और लचकीला बनाता है तथा रक्तवाहिनियों की दीवारों के कठोर तथा मोटा हो जाने का दोष दूर करता है। इसी कारण रोगी का हाई ब्लड प्रेशर दूर हो जाता है और रक्तवाहिनियों में रक्त का दौरा भली प्रकार होने लग जाता है। रक्तवाहिनियों में लचक बनी रहने के कारण मनुष्य का हृदय फेल नहीं होने पाता और न ही उच्च रक्तचाप रोग होता है या रक्तवाहिनियों में रक्त का थक्का (Clot) जम जाने के कारण मस्तिष्क की रक्तवाहिनी फटने पाती है।
डा. अजीत मेहता के मुताबिक प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर नित्य दस ग्राम (दो चम्मच) की मात्रा में दिन में एक बार लेना रक्तचाप का प्रभावशाली इलाज है।
विशेष - प्याज का रस खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करके दिल के दौरे को रोकता है। प्याज स्नायु संस्थान (नर्वस सिस्टम) के लिए टॉनिक, खून साफ करने वाला, पाचन में सहायक और हृदय की क्रिया को सुधारने वाला तथा अनिद्रा को रोकने वाला है। शहद शरीर पर शामक प्रभाव डालकर रक्तवाहिनियों की उत्तेजना घटाकर और उनको सिकोडक़र उच्च रक्तचाप घटा देता है। शहद के प्रयोग से हृदय सबल व सशक्त बनता है। 5-7 दिन लेकर देखें। लाभ होने पर आवश्यकतानुसार कुछ दिन और लें।
विकल्प - तरबूज के बीज की गिरी और खसखस (सफेद) अलग- अलग पीसकर बराबर वजन मिलाकर रख लें। तीन ग्राम (एक चम्मच की मात्रा से प्रात: सायं खाली पेट जल के साथ लें। इससे रक्तचाप कम होता है और रात में नींद अच्छी आती है। सिरदर्द भी दूर हो जाता है। तरबूज के बीज की गिरी खाते रहने से रक्तचाप कम हो जाता है। कोलेस्ट्रोल पिघलकर पतला होकर निकलने लगता है। रक्तवाहिनियों की कठोरता घटने लगती है और उनकी रचना में खराबी आनी रुक जाती है। वे मुलायम और लचकीली बनने लगती है। आवश्यकतानुसार 3-4 सप्ताह तक लें। तीन ग्राम (एक चम्मच) मेथी (शुष्क दाना) के चूर्ण की फक्की सुबह शाम खाली पेट 10-15 दिन पानी के साथ लेने से उच्च रक्तचाप कम होता है। इससे मधुमेह में भी लाभ होता है। खाना खाने के बाद कच्चे लहसुन की एक-दो फाँके छीलकर टुकड़े कर पानी के साथ चबा लें अथवा एक- दो बीज निकाली हुई मुनक्का में लपेट कर चबा लें। इससे उच्च रक्तचाप मिटता है। लहसुन की ताजा कलियाँ बढ़े हुए रक्तचाप को कम कर साधारण संतुलित अवस्था में रखने में सक्षम होती है। इकपोथिया लहसुन एक नग लेना अधिक अच्छा रहता है।
लहसुन खाने की कारगर विधि- प्रात: खाली पेट लहसुन की दो-तीन कलियों को छील लें। फिर प्रत्येक कली के तीन-चार टुकड़े कर थोड़े पानी के साथ प्रात: खाली पेट चबा लें या उन टुकड़ों को पानी के घूंट के साथ निगल लें। इस विधि से कच्चे लहसुन का सेवन रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा शीघ्रता से घटाने, रक्तचाप कम करने और ट्यूमर बनने से रोकने में बेजोड़ है।
सहायक उपचार - गेहूँ और चना बराबर मात्रा में लेकर आटा पिसवायें। चोकर सहित आटे की रोटी बनायें और खायें। एक-दो दिन में ही उच्च रक्तचाप में सुधार प्रतीत होगा। रात में तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी प्रात: पीने से उच्च रक्तचाप कम होता है और इसके नियंत्रण में सहायता मिलती है। चार तुलसी की पत्तियाँ, दो नीम की पत्तियाँ दो-चार चम्मच पानी के साथ घोटकर पाँच-सात दिन सवेरे खाली पेट पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। सवेरे खाली पेट डाल का पका पपीता एक मास तक खाएँ और इसके खाने के बाद दो घंटे कुछ न खाएँ पीएँ। इससे उच्च रक्तचाप ठीक होता है। प्याज और लहसुन का उपयोग यदि भोजन के साथ संतुलित मात्रा में किया जाय तो हृदय रोगों के निवारण और चिकित्सा में लाभ पहुँचने की संभावना रहती है। प्याज और लहसुन का सेवन करने से रक्त में रक्त पैत्तव (cholesterol) की मात्रा अधिक नहीं बढ़ पाती है क्योंकि इनमें फिब्रिनोलाइटिक तत्त्व होने के कारण रक्तविकारजन्य रक्त के जमाव को कम करते हैं तथा रक्त को घुलाने में सहायता देते हैं और जमे हुए रक्त को भी पिघलाकर साधारण अवस्था में ला देते हैं।
उच्च और निम्न दोनों प्रकार के रक्तचाप में लाभप्रद - निम्न रक्तचाप वाले छाछ में दो ग्रेन हींग मिलाकर सेवन करें। दिन के भोजन के पश्चात् एक गिलास छाछ पीना अमृत तुल्य है। छाछ की भाँति चौलाई की सब्जी या रस भी दोनों प्रकार के रक्तचाप में लाभदायक है।
प्रतिकूल- दूध, मक्खन आदि से बनी भारी वस्तुएँ, तले पदार्थ, मद्यपान, धूम्रपान, घी, नमक, बैंगन, आलू, अधपका केला, कटहल, दालें, मैदा, मिठाई, गुड़, तेल, खटाई, मिर्च-मसाले, पालिश किया हुआ चावल, सफेद चीनी, चाय, काफी, गोश्त, मछली, मादक द्रव्य । देर तक बैठना या खड़ा होना, भागकर सीढिय़ाँ चढऩा, अधिक और बार-बार भोजन करना, अत्यधिक क्रोध, भय, हर्ष, शोक, घबड़ाहट, जल्दबाजी, परेशानी और मानसिक तनाव।
अनुकूल - नींबू, पपीता, आँवला, मौसमी, सेव, तरबूज आदि फल। चौलाई का शाक, पालक, लहसुन, लौकी, प्याज, टमाटर, गाजर का सलाद, गाजर का रस, बथुआ आदि। प्रात: गेहूँ की बासी रोटी दूध में भिगोकर खाना । दही में ग्लूकोज डालकर खाना। प्रत्येक ग्रास को खूब चबा-चबा कर खाना। भोजन करते समय जल न पीना। नंगे पैर 5-6 किलोमीटर घूमना या हरी दोब में 10-15 मिनट टहलना (बरसात और उग्र मौसम को छोडक़र) प्रसन्नचित्त रहना। प्रतिदिन पर्याप्त व्यायाम करने व खुश रहने से रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। मन की शांति एवं प्रसन्नचित्त रहना उच्च रक्तचाप का प्रभावी उपचार है। सप्ताह-पन्द्रह दिन में एक दिन का उपवास रखना भी हितकर सिद्ध होता है, जैसे शुक्ल पक्ष की एकादशी को। इससे ब्लड प्रेशर में कमी आती है। पंचमुखी रुद्राक्ष पहनने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। यह रक्तवाहिनियों के कठोर और मोटा होने की दशा में भी लाभ करता है। ध्यान रहे, इसका त्वचा से स्पर्श करते रहना आवश्यक है।
HOME REMEDIES FOR HEART[/caption]
उच्च रक्तचाप में 100 ग्राम (आधा कप) पानी में आधा नींबू निचोड़ कर दिन में दो-तीन बार दो- दो घंटे से पीने से तुरन्त लाभ होता है। विशेष- इसके प्रयोग से रक्तवाहिनियों की कठोरता दूर होकर उनमें लचक और कोमलता आती है। नींबू हृदय को शक्ति देता है और इसके नियंत्रित सेवन से हार्ट फेल का भय नहीं रहता।
विकल्प- शवासन उचित ढंग से शवासन (शिथिलीकरण) का अभ्यास उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए एक वरदान से कम नहीं है।
विधि-शवासन के लिए जमीन पर पीठ के बल लेट जाएँ। दोनों हथेलिया को खोलकर नितम्ब के पास इस प्रकार टिकाएँ कि हथेली ऊपर की तरफ रहे। पाँव की दोनों एडियाँ आपस में मिली हुई हों और पंजे खुले हुए हों। तत्पश्चात् सारे शरीर को ढीला छोड़ दें, अर्थात् सर्वप्रथम पैरों के अंगूठों को ढीला करने की क्रिया आरम्भ करें तथा क्रमश: पाँव, हाथ, पिंडली, घुटना, जघा, पीठ, कमर, पेट, छाती, हृदय, कन्धे, गला, मस्तिष्क तथा सिर की मांसपेशियों को ढीला करते जाएँ। ध्यान कि शरीर का कोई भी छोटे से छोटा अंग-प्रत्यंग कड़ा न रहने पाये। आँखें बन्द कर समस्त शरीर को ढीला कर दें। इस समय बहुत धीरे-धीर साँस सहज भाव से लें। सोचना बन्द कर दें और मस्तिष्क को विचारों से खाली कर दें। इस शिथिलीकरण की क्रिया का नाम शवासन है जो दिखने को तो आसान लगता है परन्तु सही ढंग से इसका अभ्यास उतना आसान नहीं है।
इससे पाँच मिनट में शांति और ताजगी मिलती है और शरीर तनाव रहित होकर रक्तचाप कम हो जाता है। कितना भी कोई थका हुआ दस मिनट शवासन करने से शीघ्र ही उसकी शारीरिक और मानसिक थकान दूर हो जाती है।
विकल्प - बाएँ स्वर का प्रयोग- यदि कोई व्यक्ति बायाँ (left) स्वर (अर्थात् बाएँ नासिका छिद्र से साँस चलना) लगातार आधा घंटा चलाएँ तो उच्च रक्तचाप कम हो जाता है। अभ्यास से इच्छानुसार स्वर बदला जा सकता है। कुछ देर दायीं करवट (हाथ का तकिया बनाकर सिर के नीचे रखकर सोने) लेटने से बायाँ स्वर चलने लगता है। इच्छानुसार स्वर बदलने का एक सहज उपाय यह है कि जिस नासिका छिद्र से स्वर चलाना है उसके दूसरी तरफ से नासिका छिद्र में रई ठूंस दें। कुरसी पर बैठे हैं तो एक तरफ जोर देने या झुकने मात्र से और यदि खड़े हैं तो एक पैर की एड़ी ऊँची करके दूसरे पैर पर जोर देने से, जिस तरफ जोर पड़ता है। उसके दूसरी तरफ की नासिका छिद्र का स्वर चलने लगता है।
डा. अजीत मेहता ने बताया कि किशमिश किसी चीनी के कप में 150 ग्राम पानी में भिगो दें। बारह घंटे भीगने के बाद प्रात: एक-एक किशमिश को उठाकर खूब चबा-चबाकर (प्रत्येक किशमिश को बत्तीस बार चबाकर) खाने से निम्न रक्तचाप में बहुत लाभ होता है। पूर्ण लाभ के लिए बत्तीस दिन खायें। एक महीना व्यवहार करने से देह से रोग-विष शीघ्र बाहर हो जाता है। लौह तत्व से भरपूर क्षार श्रेणी का खाद्य होने के कारण यह खून तथा देह के तन्तुओं को साफ रखता है।
विशेष- निम्न रक्तचाप या हृदय-दुर्बलता के कारण मूर्छित हो जाने पर हरे आँवलों का रस और शहद बराबर-बराबर दो-दो चम्मच मिलाकर चाटने से होश आ जाता है और हृदय की कमजोरी दूर हो जाती है। निम्न रक्तचाप में बादाम का सेवन बड़ा उपयोगी है। नित्य 7 बादाम गिरी रात को पानी में भिगोकर प्रात: खूब बारीक पीसकर दूध के साथ प्रयोग करने से निम्न रक्तचाप कुछ ही दिनों में सामान्य हो जाता है और दिल को भी ताकत मिलती है। निम्न रक्तचाप में तात्कालिक लाभ के लिए-बोलना बन्द कर करवट लेकर लेट जायें, नींद आने से ठीक हो जाएगा।
