Thursday, 2 May 2024

Home Remedies for Cough :कफ से जुड़ी हुई बीमारियों के बेहद आसान इलाज

Home Remedies for Cough: आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है। इस पद्धति के द्वारा दुनिया के किसी भी…

Home Remedies for Cough :कफ से जुड़ी हुई बीमारियों के बेहद आसान इलाज

Home Remedies for Cough: आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है। इस पद्धति के द्वारा दुनिया के किसी भी असाध्य से असाध्य रोग का इलाज किया जा सकता है। आयुर्वेद की यह पद्धति शरीर में उत्पन्न होने वाले वात, पित्त तथा कफ को संतुलित रखने पर आधारित हैं। आज हम आपको विशेषज्ञों द्वारा बताए गए कुछ आसान घरेलू उपाय बता रहे हैं। जिनसे आप कफ (Cough) से जुड़ी किसी भी बीमारी को ठीक कर सकते हैं।

नजला जुकाम का इलाज :-

देशी वैद्य के नाम से प्रसिद्ध डा. अजीत मेहता बताते हैं कि सुहागे को तवे पर फुलाकर बारीक पीसकर शीशी में भर लें। नजला- जुकाम होने पर आधा ग्राम (बच्चों के लिए आधी मात्रा) गरम पानी के साथ दिन में तीन बार लेने से पहले ही दिन अन्यथा दूसरे तीसरे दिन तो रोग का नामोनिशान न रहेगा। सैकड़ों बार अनुभूत, हानिरहित और चमत्कारपूर्ण हैं।

विशेष : सुहागे का फूला बनाने की विधि- सुहागा को फुलाने या खील बनाने (शुद्ध करने) के लिए बारीक कूटकर लोहे की स्वच्छ कड़ाही में या तवे पर डालें और तेज आंच में इतना पकाएँ कि पिघलने के पश्चात सूख जाये। अब यह धीरे-धीरे फूलने लगेगा। फूलने के बीच थोड़े-थोड़े समय बाद लोहे की छुरी से इसे उलट-पुलट करते रहे। इस प्रकार सारा सुहागा फूल जायेगा। फिर इसे बारीक पीसकर किसी शीशी में भरकर रख लें।

विकल्प – सात काली मिर्च और सात बताशे पाव भर जल में पकावें। चौथाई रहने पर इसे गरमागरम पी लें और सिर तथा सारा बदन ढककर दस मिनट तक लेट जाएँ। सुबह खाली पेट और रात सोते समय दो दिन प्रयोग करें। दो दिन में ही नजले में बिल्कुल आराम हो जाएगा। इससे जुकाम, खाँसी, हल्की हरारत और शरीर के दर्द में आराम हो जाता है और पसीना आकर शरीर फूल सा हल्का हो जाता है। ज्वर सहित जुकाम होने पर सात तुलसी की पत्तियाँ भी काढ़ा बनाते समय उसमें डाल दें और यह काढ़ा दिन में दो बार दो दिन लें।

विकल्प – तुलसी की चाय- ताजा तुलसी की पत्तियाँ 7 से 11 तक (अथवा छाया में सुखाई गई तुलसी की पत्तियों का चूर्ण एक ग्राम या चौथाई चम्मच), ताजा अदरक दो ग्राम (या सूखी सौंठ का चूर्ण आधा ग्राम), काली मिर्च (थोड़ी कूटी हुई) सात नग तीनों वस्तुओं को 200 ग्राम उबलते हुए पानी में डालकर दो मिनट उबालें। तत्पश्चात् नीचे उतार कर दो मिनट ढककर रख दें। दो मिनट बाद छानकर इसमें उबला हुआ दूध 100 ग्राम और मिश्री या चीनी एक-दो चम्मच डालकर गरम-गरम पी लें और चादर ओढक़र पाँच-दस मिनट सो जाएँ। इससे सर्दी का सिरदर्द, नाक में सर्दी, जुकाम, पीनस, श्वास नली में सूजन एवं दर्द (Bronchitis), साधारण बुखार, मलेरिया, बदहजमी आदि रोग दूर होते हैं। बच्चों की चाय में आधी मात्रा डालें। दिन में दो बार, आवश्यकतानुसार दो-तीन दिन लें।

गले के रोगों और श्वसन प्रणाली की झिल्ली पर स्वास्थ्यकर प्रभाव की तुलसी में अदभुत क्षमता है। इससे छाती का जमा हुआ कफ ढीला होकर निकल जाता है। सर्दी से हुई छाती की अकडऩ और पसलियों का दर्द दूर हो जाता है।

जुकाम में नाक बन्द होना—10 ग्राम अजवायन को एक साफ कपड़े की पोटली में बाँधकर तवे पर गर्म कर लें। फिर इसे बार-बार सूंघने से जुकाम में आराम होता है, बन्द नाक खुल जाती है, गन्दा पानी निकल जाता है सिर का भारीपन मिट जाता है।

Home Remedies for Cough:

खाँसी का इलाज

डा. अजीत मेहता के अनुसार भूनी हुई फिटकरी 10 ग्राम और देशी खाँड 100 ग्राम दोनों को बारीक पीसकर आपस में मिला लें और बराबर मात्रा में चौदह पुडिया बना लें। सूखी खाँसी में 125 ग्राम गर्म दूध के साथ एक पुडिय़ा नित्य सोते समय लें। गीली खाँसी में 125 ग्राम गर्म पानी के साथ एक पुडिय़ा नित्य सोते समय लें।

फिटकरी का फूला (खील) बनाने की विधि

फिटकरी को पीसकर लोहे की कड़ाही में या तवे पर रखकर आग पर चढ़ दें। फूलकर पानी हो जायेगी। जब सब फिटकरी पानी होकर नीचे की तरफ से खुश्क होने लगे तब उसी समय आंच तनिक कम करके किसी छुरी आदि से उलटा दें। अब फिर आंच तनिक तेज करें ताकि इस तरफ भी नीचे से खुश्क होने लगे। फिर इस खुश्क फूली फिटकरी का चूर्ण बनाकर रख लें। इस तरह फिटकरी को फुलाकर (खील करके) शुद्ध कर लिया जाता है। यह भुनी हुई फिटकरी का कई रोगों में सफलतापूर्वक बिना किसी हानि के व्यवहार होता है।

विशेष— इससे पुरानी से पुरानी खाँसी दो सप्ताह के अन्दर दूर हो जाती है। साधारण दमा भी दूर हो जाता है। गर्मियों की खाँसी के लिए विशेष लाभप्रद है। बिल्कुल हानिरहित सफल प्रयोग है।

विकल्प- काली मिर्च और मिश्री बराबर वजन लेकर पीस लें। इसमें इतना देशी घी मिलायें कि गोली सी बन जाए। झरबेरी के बेर के बराबर गोलियाँ बना लें। एक-एक गोली दिन में चार बार चूसने से हर प्रकार की सूखी या तर खाँसी दूर होती है। पहली गोली चूसने से ही लाभ प्रतीत होगा। खाँसी के अतिरिक्त ब्रांकाइटिस व गले की खराश और गला बैठने आदि रोगों में भी लाभदायक है।

काली मिर्च बहुत बारीक पिसी हुई में चार गुना गुड़ मिलाकर आधा-आधा ग्राम की गोलियाँ बना लें। दिन में 3-4 गोलियाँ चूसने से हर प्रकार की खाँसी दूर होती है।

यदि यह संभव न हो तो मुनक्का के बीज निकालकर इसमें काली मिर्च रखकर चबाएँ और मुख में रखकर सो जाएँ। पाँच सात दिन में खाँसी को आराम आ जायेगा।

सहायक उपचार — प्रात: स्नान के समय शरीर पर पानी डालने से पूर्व और कुछ सरसों के तेल की कुछ बूँदें हथेली पर रखकर एक बूँद उंगली से एक नथुने से और दूसरी बूँद दूसरे नथुने से सूंघने से खुश्की से होने वाला सिरदर्द ठीक होता है। इस क्रिया से जोर की आवाज के साथ उठने वाली सूखी खाँसी में आशातीत आराम मिलता है। गुदा पर दिन में तीन-चार बार सरसों का तेल चुपडऩे से हर प्रकार की खाँसी दूर होती है, विशेषकर छोटे बच्चों की खाँसी में विशेष लाभप्रद है।

Home Remedies for Cough:

तर या बलगमी खाँसी

डा. अजीत मेहता का कहना है कि अदरक का रस (अदरक पीसकर कपड़े में रखकर निचोड़-छान) और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर एक-एक चम्मच की मात्रा से मामूली गर्म करके दिन में तीन-चार बार चाटने से तीन-चार दिन में ही कफ-खाँसी ठीक हो जाती है। बच्चों को सर्दी-खाँसी में इस मिश्रण की एक-दो उंगली में जितना आ जाये, दिन में दो-तीन बार चटाना ही पर्याप्त है। दो-तीन दिन में ही आराम आ जाएगा।

विशेष— नजला जुकाम में यह एक अचम्भे से कम नहीं है। बुढ़ापे या कमजोरी से दमा उठता हो तो इसे जरा गर्म करके लें। आठ दिन पीने से दमा- खाँसी मिटती है। श्वास प्रणाली के रोगों के अतिरिक्त अंडकोष के वात विकार और उदर रोग भी अच्छे होते हैं। अरुचि मिटकर भूख लगती है। गला बैठ जाने पर इसे तनिक गर्म करके दिन में दो बार पिलाने से बन्द गला और जुकाम ठीक हो जाता है। सर्दियों के मौसम में इसका सेवन विशेष उपयोगी है। परहेज- जुकाम-खाँसी में दही, केला, बर्फ, चावल, ठण्डे और तले पदार्थ न लें।

रात को खांसी चलना

एक बहेड़े के छिलके का टुकड़ा अथवा छीले हुए अदरक का टुकड़ा सोते समय मुख में रखकर चूसते रहने से बलगम आसानी से निकल जाता है। सूखी खाँसी, कू्रप दमा मिटता है और खाँसी की गुदगुदी बन्द होकर नींद आ जाती है।

विकल्प — सूखी खाँसी में पान (बिना लगे हुए) के सादे पत्ते में एक ग्राम अजवायन रखकर चबा-चबाकर रस निगलने से सूखी खाँसी मिटती है। केवल अजवायन एक-दो ग्राम खाकर ऊपर से गर्म पानी पीकर सो जाने से सूखी खाँसी तथा दमा और श्वास रोग में शीघ्र लाभ होता है। फेफड़ों के रोगों में अजवायन का प्रयोग करने से कफ की उत्पत्ति कम होती है। अजवायन का सेवन कफ नष्ट करके फेफड़े मजबूत करता है व छाती के दर्द में लाभ पहुँचाता है।

कफ विकार

बलगम आसानी से निकालने के लिए

बहेड़ा की छाल का टुकड़ा मुख में रखकर चूसते रहने से खाँसी मिटती है और कफ आसानी से निकल जाता है। खाँसी की गुदगुदी बन्द होकर नींद आ जाती है। विकल्प—अदरक को छीलकर मटर के बराबर उसका टुकड़ा मुख में रखकर चूसने से कफ सुगमता से निकल आता है।

बलगम साफ करने के लिए

आँवला सूखा और मुलहठी को अलग-अलग बारीक करके चूर्ण बना लें और मिलाकर रख लें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण दिन में दो बार खाली पेट प्रात: सायं सप्ताह-दो सप्ताह आवश्यकतानुसार लें। छाती में जमा हुआ बलगम साफ हो जायेगा।

विशेष— उपरोक्त चूर्ण में बराबर वजन की मिश्री का चूर्ण डालकर मिला लें। 6 ग्राम चूर्ण 250 ग्राम दूध में डालकर पीएँ तो गले के छालों (Sore Throat) में शीघ्र आराम होगा।

यदि कफ छाती पर सूख गया हो

25 ग्राम अलसी (तीसी) को कुचलकर 375 ग्राम पानी में औटाएँ । जब एक तिहाई (125 ग्राम) पानी रह जाये, उसे मल-छानकर 12 ग्राम मिश्री मिलाकर रख लें। इसमें से एक-एक चम्मच भर काढ़ा एक-एक घंटे के अन्दर से दिन में कई बार पिलाएँ। इससे बलगम छूट जाता है। जब तक छाती साफ न हो, इसे पिलाते रहें।

विशेष— खाँसी से बिना कफ निकले ही, कोई गर्म दवा खिलाई जाती है तो कफ सूखकर छाती पर जम जाता है। सूखा हुआ कफ बड़ी कठिनाई से निकलता है और खाँसने में कफ निकलते समय बड़ी पीड़ा होती है। छाती पर कफ का घर्र-घर्र शब्द होता है। उपरोक्त नुस्खे से सूखा कफ छूट जाता है। सूखी और पुरानी खाँसी में निश्चय ही लाभ होता है।

Home Remedies for Cough:

ब्रोंकाइटिस अर्थात श्वांस नली में सूजन एवं दर्द (Bronchitis)

सौंठ, काली मिर्च और हल्दी- तीनों वस्तुओं का अलग-अलग चूर्ण बना लें। प्रत्येक का चार-चार चम्मच चूर्ण लेकर मिला लें और कार्क की शीशी में भरकर रख लें। दो ग्राम (आधा चम्मच) चूर्ण गर्म पानी के साथ दिन में दो बार लें।

विशेष— ब्रोंकाइटिस के अतिरिक्त खाँसी, जोड़ों में दर्द, कमरदर्द, हिपशूल लाभदायक है। आवश्यकतानुसार तीन दिन से सात दिन तक लें। पूरा लाभ न हो तो चार-पाँच दिन और ले सकते हैं।

छाती का दर्द तथा पसली चलना

अजवायन एक चम्मच को 250 ग्राम पानी में उबालें, चौथाई शेष रहने पर काढ़े को छानकर रात को सोते समय गरम-गरम पीकर ओढक़र सो जायें। दिन में दो बार नियमित पीने से पाँच-सात दिन में छाती का दर्द नष्ट हो जाता है। वह काढ़ा दो चम्मच की मात्रा से दिन में दो बार निरन्तर कुछ दिन देने से पसली चलना भी ठीक हो जाता है।

शिशु को सर्दी लगना- 6 महीने से 12 महीने के आयु वाले छोटे बच्चे को ठंडे मौसम या ठंडी हवा के कारण सर्दी लग जाए, छाती में कफ बोले, छाती में दर्द हो या पसली चले तो आधा कप पानी में 10-12 दाने अजवायन के डालकर उबालें। आधा रहने पर इसे कपड़े से छान लें। यह अजवायन का काढ़ा थोड़ा गर्म-गर्म शिशु को दिन में दो बार अथवा केवल रात में सोने से पहले पिलाएँ। आशातीत लाभ होगा।

विशेष- साथ ही यह अजवायन का काढ़ा यकृत, तिल्ली, हिचकी, वमन, मिचली, खट्टी डकारें आना, पेट की गुडग़ुड़ाहट, मूत्र-विकार एवं पथरी रोगों का विनाशक है। इससे मौसम बदलते ही होने वाले जुकाम की शिकायत भी दूर हो जाती है। ध्यान रहे जिन्हें मूत्र कठिनाई से उतरता हो, वे इस काढ़े का सेवन न करें।

विकल्प – लौंग के इस्तेमाल से शरीर के अन्दर की वायु नलियों का संकोच तथा विकास और उससे होने वाली पीड़ा नष्ट होती है। मुंह में लौंग रखकर चूसने से खासी का दौरा कम हो जाता है। कफ आराम से निकलता है। खाँसी, दमा, श्वास रोगों में लौंग के सेवन से लाभ होता है।

बच्चों की पसली चलने पर— दूध में पाँच तुलसी की पत्तियाँ और एक लौंग उबालकर पिलाने से बच्चों का पसली चलना बन्द होता है।

दमा का खास इलाज :-

साधारण दमा (श्वास)

डा. अजीत मेहता के अनुसार सुहागा का फूला और मुलहठी को अलग-अलग खरल कर या कूटपीसकर कपड़छान कर, मैदे की तरह बारीक चूर्ण बना लें। फिर इन दोनों औषधियों को बराबर वजन मिलाकर किसी शीशी में सुरक्षित रख लें। श्वास, खाँसी, जुकाम की सफल दवा तैयार है।

सेवन विधि- साधारण मात्रा आधा ग्राम से एक ग्राम तक दवा दिन में दो-तीन बार शहद के साथ चाटें या गर्म जल के साथ लें। बच्चों के लिए 1/8 ग्राम (एक रती) की मात्रा या आयु के अनुसार कुछ अधिक दें। परहेज-दही, केला, चावल, ठण्डे पदार्थों का सेवन न करें।

विशेष- (फुफ्फुस, पेट, कण्ठ, नाक के कई प्रकार के साधारण और जटिल रोगों का चमत्कारिक रूप से नाश करने वाला यह योग नई दिल्ली के कविराज देशराज की अद्भुत खोज है। इस एक ही प्रयोग से कई औषधालयों में खाँसी, जुकाम, श्वास, कफ, स्वर-भेद, कुक्कुर खाँसी कई प्रकार के संक्रमण के रोगियों की कई वर्षों से सफल चिकित्सा की जा रही है जो कि सस्ता, आसानी से सर्वत्र उपलब्ध होने वाला, बनाने में सरल, हानिरहित और शीघ्र प्रभावकारी है।

ताजा जुकाम तो चुटकी भर दवा एक घूंट गर्म पानी में घोलकर दिन में तीन बार पिलाने से एक-दो दिन में ही समाप्त हो जाता है। इस योग का मुख्य घटक अकेला सुहागा (फूला हुआ) के बारीक चूर्ण का प्रयोग भी सर्दी-जुकाम में चमत्कारिक फल देने वाला है।

कठिन खाँसी, कुप, काली खाँसी, जीर्ण खाँसी और खाँसी की सभी अवस्थाओं में यह ‘सुहागा और मुलहठी का चूर्ण’ शहद के साथ लेना उत्तम औषधि सिद्ध हुई है।

Home Remedies for Cough:

कास की खास औषधि होने के साथ वह उन श्वास रोगियों के लिए अत्यन्त लाभदायक है जिन्हें गाढ़ा गाढ़ा बलगम बनने की शिकायत है और इतना खाँसना पड़ता है कि जब तक बलगम बाहर नहीं निकलता, चैन नहीं पड़ता। उन्हें यह दवा शहद या मिश्री की चासनी या केवल गला कत्था लगाये पान के साथ लेनी चाहिए। रात्रि सोते समय साधारण से दुगुनी मात्रा लेने से श्वास रोगी के रात्रि-कष्ट में काफी कमी हो सकती है। आवश्यकतानुसार तीन-चार सप्ताह लेने से साधारण दमा दूर हो जाता है। यह बलगम को पाखाना के जरिए भी निकाल देती है।

यदि बलगम कच्चा, थूक की तरह निकलता हो तो इस दवा की एक चुटकी मुँह में डालकर धीरे- धीरे चूसे। कफविकार ठीक होगा। जरूरत समझें तो बाद में एक छूट कप सादा या गुनगुना पानी पिया जा सकता है।

बाल रोगों की विशेष औषधि-जुकाम, खाँसी जैसे बाल रोगों की यह विशिष्ट औषधि बच्चों के दमा में भी लाभप्रद है। दांत निकलते समय शिशु के मसूड़ों पर हल्के-हल्के इस महीन को दिन में दो बार मलने से शिशु के दांत आसानी से और बिना किसी उपद्रव के निकल जाते हैं।

बच्चों का दमा

डा. अजीत मेहता का कहना है कि एक साल से अधिक आयु वाले बच्चों के दमा रोग में नित्य तुलसी की पाँच पत्तियाँ खूब बारीक पीसकर थोड़ी शहद के साथ प्रात:सायं आवश्यकतानुसार तीन-चार सप्ताह तक चटाएँ। एक साल से कम आयु वाले शिशु को तुलसी का रस दो बूँद (तुलसी की पत्तियाँ पीसकर स्वच्छ कपड़े से निचोडक़र निकाला गया होंगे। तुलसी स्वरस ) थोड़ी शहद में मिलाकर दिन में दो बार चटाएँ। बच्चों के दमा के साथ-साथ उनके श्वसन संस्थान के अनेक रोग जड़ से दूर होंगे।

विशेष- बच्चों के दमा के अतिरिक्त पुराना साइनसाइटिस (तथा पुराना सिरदर्द, जीर्ण माइग्रेन, पुरानी एलर्जिक सर्दी, जीर्ण दमा आदि रोगों) में तुलसी की पत्तियों के प्रयोग से शीघ्र ही स्थायी लाभ होता है। प्रतिदिन प्रात: पानी से साफ की गई तुलसी की सात-आठ हरी पत्तियाँ बारीक पीसकर शहद के साथ आवश्यकतानुसार दो-तीन सप्ताह लेकर आजमाएँ। साइनासाइटिस का एक रोगी तो केवल 15 दिनों में ही इस विधि से तुलसी के सेवन से बिल्कुल ठीक हो गया, जिसे ऑपरेशन की सलाह दी गई थी।

दमा की स्वर चिकित्सा (बिना किसी दवा सेवन के इलाज)

जब कभी दमा का दौरा उठे या श्वास फूलने लगे तब तत्काल स्वर परीक्षा करें अर्थात् हथेली पर जोर से साँस फेंककर यह जानने का प्रयास करें कि नाक के कौन-से नथुने से साँस चल रही है। जिस नथुने से साँस चलती जान पड़े (या दूसरे नथुने के मुकाबले से कुछ तेजी से चलती जान पड़े) उस तरफ के नथुने को बन्द कर या चालू स्वर बदलकर दूसरे नथुने से साँस चलाने का प्रयत्न करें। स्वर बदल जाने से दस पन्द्रह मिनट में ही दम का फूलना घट जाएगा। इस प्रकार दम फूलते ही तुरन्त स्वर बदलने की कोई विधि अपना कर स्वर बदल देने से आश्चर्यजनक फल मिलता है।

स्थायी रूप से श्वास-रोग को दूर करने के लिए रोगी को प्रयत्नपूर्वक दिन-रात अधिक से अधिक दायाँ स्वर (अर्थात् दाहिने नथुने से साँस का निकलना या सूर्य स्वर) चलाने का अभ्यास करना चाहिए, जैसे- प्रात: उठते समय, भोजन करने के लिए बैठते समय, भोजन करने के बाद, रात्रि सोते समय सूर्य स्वर कफशामक होने के साथ जठराग्निवर्धक भी है जिससे दमा शांत होता है। अत: यदि भोजन भी स्वर शास्त्र के नियमानुसार किया जाए तो निश्चय दमे का रोग समूल नष्ट हो जाता है।

विशेष- भोजन ग्रहण करते समय और भोजन करने के पश्चात् दायाँ स्वर (सूर्य स्वर) चलाएँ तो न केवल दमा रोग के उन्मूलन में ही सहायता मिलती है, बल्कि अजीर्ण, भूख न लगने और पाचन शक्ति के कमजोर होने की शिकायतें भी दूर हो जाती है। यदि रोगी सदैव दाहिने नथुने से साँस चलते समय ही भोजन करें (और भोजन के साथ पानी पीना बन्द कर दें) और भोजन के बाद 15-20 मिनट बायीं करवट लेकर दाहिना स्वर चलाते रहें तो भोजन आसानी से पच जाता है और उपरोक्त शिकायतें दूर हो जाती है। यदि बदहजमी हो गई हो तो इस उपाय से (अर्थात् सूर्य स्वर चलाने से) वह धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है, क्योंकि दाहिना स्वर पित्तवर्धक होने से इसे चलाने से पित्त या पाचक अग्नि को बल मिलता है और मंदाग्नि दूर होकर पेट के अनेक रोग नष्ट हो जाते हैं।

दायाँ स्वर चलने से शरीर में गर्मी बढ़ती है और बायाँ स्वर चलने पर शीतलता। अत: जुकाम, खाँसी, कफ और ठण्ड उत्पन्न रोगों में यदि दायाँ स्वर अधिक चलेगा तो रोगी जल्दी स्वस्थ हो जायेगा। इसके अतिरिक्त दायाँ स्वर चलाने से निम्न रक्तचाप में शीघ्र लाभ मिलता है। स्वर बदलने की विधि भी कितनी सरल है- कुछ देर बायीं करवट लेटने पर दायाँ स्वर और दायीं करवट लेने पर बायाँ स्वर चलने लगता है।

दमा का एक और इलाज

डा. अजीत मेहता का कहना है कि कलई किए हुए बर्तन में 3 अंजीर 24 घंटे तक पानी में भिगोये रखें। प्रात: अंजीर को उसी पानी में उबाल लें। सूर्योदय से पूर्व उठकर शौच, स्नानादि के बाद उगते सूर्य के सामने बैठकर गहरे श्वास सहित 10 से 15 बार निम्न प्राणायाम करें-

पहले जोर से श्वास लेकर फेफड़ों में भरें। जितना अधिक श्वास भर सकें उतना लाभदायक होगा। श्वास भरते समय मन में यह ध्यान करें कि मैं श्वास के साथ सूर्य की ओजस्वी एवं रोगनाशक किरणों को अन्दर भर रहा हूँ। (2) फिर बहुत धीरे-धीरे श्वास बाहर निकालते हुए मन-ही-मन यह ध्यान करें कि श्वास के छोडऩे के साथ-साथ रोग के कीटाणुओं को बाहर फेंक रहा हूँ।

इस प्राणायाम में विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि श्वास अंदर लेते समय नाक से जोर से गहरी श्वास लेनी है और छोड़ते समय बहुत धीरे-धीरे इसे एक प्राणायाम कहेंगे। इस प्रकार नित्य 10 से 15 प्राणायाम करने के बाद जब श्वास सामान्य हो जाएँ तब इन उबाले हुए अंजीरों को खूब चबाकर खा लें और वही पानी पी जाएँ। इससे दमे के रोग में अवश्य लाभ होता है।

श्वास व दमे का इलाज –

डा. अजीत मेहता का कहना है कि (1) वायविडंग, (2) सफेद पुनर्नवा, (3) चित्रक की जड़ की छाल, (4) सतगिलोय, (5) सौंठ, (6) कालीमिर्च, (7) छोटी पीपर, (8) अश्वगन्ध नागौरी, (9) असली विधारा, (10) बड़ी हरड़ (काबली हरड़) की बकली (छिलका), (11) बहेड़ा की बकली, (12) आँवला की बकली।

ये कुल बारह आयुर्वेदिक औषधियाँ किसी अच्छे पंसारी से 200-200 ग्राम मात्रा में खरीद लें। सबको साफ कर अलग-अलग बारीक कूट-पीसकर मैदा छानने की छलनी में छानकर सबको मिलाकर एक कर डालें। तत्पश्चात् बढिय़ा गुड़ की एक तार की चासनी बनाकर उसकी मदद से 6-6 ग्राम की सब एक आकार की गोलियाँ बनाकर छाया में सूखने के लिए रख दें।

दवा तैयार हो गई। जिन लोगों के चलने-फिरने पर दम फूलकर श्वास- दमा पैदा हो जाता है, जिसके कारण उनके लिए मामूली-सा पैदल चलना कठिन मालूम देता है, ऐसा दमा में पूर्ण लाभ होकर आराम हो जाता है। इसके अतिरिक्त कई पेट, आंत, जिगर, गला, फेफड़ा, हृदय से सम्बन्धित रोगों तथा कमजोर नजर, हाजमा बिगड़ जाना आदि रोगों के लिए यह प्रयोग अति उत्तम सफल अनुभूत योग है।

40 वर्ष की आयु के बाद कुछ लोग अपने शरीर में एक तरह की हीनता महसूस करते हुए, निरुत्साहित जीवन व्यतीत करते हैं। ऐसे लोगों के लिए यह महसूस प्रयोग जीवन में नवीन उत्साहवर्धक सिद्ध होगा।

सेवन विधि— प्रात:काल एक गोली गाय के ताजा दूध के साथ लेना चाहिए। इस दवा के सेवन काल में किसी तरह का कोई परहेज रखने की आवश्यकता नहीं है।

Home Remedies for Cough:

विशेष- यह योग ठाकुर हरिसिंह राठौड़, ग्राम सुरियाम (राजस्थान) द्वारा जन-कल्याणार्थ भेजा गया है। इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि उपरोक्त तमाम आयुर्वेदिक औषधियाँ शुद्ध-ताजी हो । अत: किसी विश्वासपात्र पंसारी (जड़ी-बूटी विक्रेता) से ही प्राप्त करना चाहिए। उपरोक्त दवा से तैयार होते ही तमाम गोलियों को छाया में सूखने के लिए अच्छी तरह से साफ कपड़ा या बोरी पर फैलाकर रख दें। साथ ही गोलियाँ तैयार होने के साथ इनका प्रयोग करना भी शुरू कर दिया जाय। एक खास बात यह भी है कि गोलियाँ गुड़ की चासनी के संयोग से बनी होने के कारण सूखने पर काफी सख्त हो जाती है, इसलिए रोज सुबह एक गोली को खरल या इमामदस्ता अथवा पत्थर की सीलालोढ़ी (सिल बट्टा) से फोडक़र बारीक चूर्ण-सा बनाकर दूध के साथ प्रयोग करना चाहिए। (4) दमा में परहेज- सामान्यत: दही, केला, चावल, ठण्डे पदार्थ और ठण्डी तासीर वाली वस्तुओं का प्रयोग न करें। तेल, गुड़, खटाई, तरबूज (मतीरा) न खाएँ। तम्बाकू (बीड़ी, सिगरेट, चिलम, हुक्का) पीना बहुत हानिकारक है। शराब, मांस और रात्रि जागरण से बचें। पथ्य- हरी पत्तीदार सब्जियाँ जैसे मेथी, बथुआ, चन्दलाई, पालक, हल्क सुपाच्य भोजन, मौसम के अनुसार ताजे मीठे फल, जैसे-आम, मीठा अनार शहतूत, पपीता, संतरा, मौसमी, जम्बीरी, नींबू, लाल टमाटर, लहसुन, गर्म जल पुराना घी, बकरी का दूध, विश्राम। (5) यह एक सफल सिद्ध अद्भुत प्रयोग है जिसको बहुत से लोग ‘काया-कल्प’ के समान मानते हैं।

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