नवरात्रि पर करें सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ, 7 श्लोकों में दुर्गा सप्तशती का पूर्ण फल 

Saptshati
Saptsloki Durga Saptsati
locationभारत
userचेतना मंच
calendar12 Apr 2024 04:57 PM
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Saptsloki Durga Saptsati : नवरात्रि पूजा के समय दुर्गा पूजा में साधना के अलग अलग रुप देखने को मिलते हैं. नवरात्रि के समय सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती पाठ करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और भक्तओं की इच्छाएं पूरी होती हैं. नवरात्रि के समय पर नौ दिनों में माता रानी की पूजा होती है. माता के अलग अलग रुप पूजे जाते हैं. नवरात्रि पूजा के दौरान इस सप्तशलोकों का पाठ करना बहुत शुभ होता है. इस दुर्गा पाठ से हर प्रकार की बाधाएं शांत होने लगती हैं. जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है. आइये जान लेते हैं चैत्र नवरात्रि 2024 में कैसे करें दुर्गा सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती पाठ नवरात्रि 2024 सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती पाठ का मूल अंग  नवरात्रि के दिनों में ऋषि मार्कंडेय निर्मित दुर्गा सप्तशती का पाठ करना विशेष फल प्रदान करता है. इस समय किया गया यह पाठ उच्च स्तर के लाभ प्रदान करता है इस पाठ को करने की बड़ी महिमा है. यह पाठ मनोकामना पूर्ण करने वाला माना गया है. किंतु कई बार इस संपूर्ण पाठ को नहीं कर पाने की स्थिति में  सप्तश्लोकी पाठ को कर लेने से इस संपूर्ण स्त्रोत का लाभ स्वत: ही प्राप्त हो जाता है. इसे करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है. सुखों को प्रदान करने वाला यह स्त्रोत जीवन को शुभता देने वाला है. दुर्गा सप्तशति के तेरह अध्याय न हो पाने की स्थिति में यह सात श्लोक ही संपूर्ण फल प्रदान करते हैं. Saptsloki Durga Saptsati

सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ से मिलता है सप्तशती पाठ का पूर्ण फल 

दुर्गा सप्तश्लोकी अत्यंत शक्तिशाली मंत्र हैं, जिनके पाठ से पूरे दुर्गा सप्तशती पाठ का फल मिलता है. दुर्गा सप्तशती का सारांश और संपूर्ण फल इन सात श्लोकों में समाहित माना गया है. शास्त्रों के अनुसार इसका पाठ करने से संपूर्ण सप्तशती के पाठ का फल प्राप्त होता है. दुर्गा सप्तश्लोकी में उल्लेख है कि देवी मां ने दुर्गा सप्तश्लोकी के पाठ के बारे में बताया कि कलियुग में दुर्गा सप्तश्लोकी का पाठ सभी मनोकामनाओं की पूर्ति का उपाय है.

सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम्  Saptashloki Durga Stotra

॥ अथ सप्तश्लोकी दुर्गा ॥ शिव उवाच: देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी । कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः ॥ देव्युवाच: शृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम् । मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥

विनियोग:

Saptsloki Durga Saptsati ॐ अस्य श्री दुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः, श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकीदुर्गापाठे विनियोगः । ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हिसा । बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्र्‌यदुःखभयहारिणि त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ॥2॥ सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ॥3॥ शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते ॥4॥ सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते । भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ॥5॥ रोगानशोषानपहंसि तुष्टा रूष्टा तु कामान्‌ सकलानभीष्टान्‌ । त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥6॥ सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्र्वरि । एवमेव त्वया कार्यमस्यद्वैरिविनाशनम्‌ ॥7॥ ॥ इति श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा संपूर्णम्‌ ॥ एस्ट्रोलॉजर राजरानी

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नवरात्रि पर करें सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ, 7 श्लोकों में दुर्गा सप्तशती का पूर्ण फल 

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Saptsloki Durga Saptsati : नवरात्रि पूजा के समय दुर्गा पूजा में साधना के अलग अलग रुप देखने को मिलते हैं. नवरात्रि के समय सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती पाठ करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और भक्तओं की इच्छाएं पूरी होती हैं. नवरात्रि के समय पर नौ दिनों में माता रानी की पूजा होती है. माता के अलग अलग रुप पूजे जाते हैं. नवरात्रि पूजा के दौरान इस सप्तशलोकों का पाठ करना बहुत शुभ होता है. इस दुर्गा पाठ से हर प्रकार की बाधाएं शांत होने लगती हैं. जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है. आइये जान लेते हैं चैत्र नवरात्रि 2024 में कैसे करें दुर्गा सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती पाठ नवरात्रि 2024 सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती पाठ का मूल अंग  नवरात्रि के दिनों में ऋषि मार्कंडेय निर्मित दुर्गा सप्तशती का पाठ करना विशेष फल प्रदान करता है. इस समय किया गया यह पाठ उच्च स्तर के लाभ प्रदान करता है इस पाठ को करने की बड़ी महिमा है. यह पाठ मनोकामना पूर्ण करने वाला माना गया है. किंतु कई बार इस संपूर्ण पाठ को नहीं कर पाने की स्थिति में  सप्तश्लोकी पाठ को कर लेने से इस संपूर्ण स्त्रोत का लाभ स्वत: ही प्राप्त हो जाता है. इसे करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है. सुखों को प्रदान करने वाला यह स्त्रोत जीवन को शुभता देने वाला है. दुर्गा सप्तशति के तेरह अध्याय न हो पाने की स्थिति में यह सात श्लोक ही संपूर्ण फल प्रदान करते हैं. Saptsloki Durga Saptsati

सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ से मिलता है सप्तशती पाठ का पूर्ण फल 

दुर्गा सप्तश्लोकी अत्यंत शक्तिशाली मंत्र हैं, जिनके पाठ से पूरे दुर्गा सप्तशती पाठ का फल मिलता है. दुर्गा सप्तशती का सारांश और संपूर्ण फल इन सात श्लोकों में समाहित माना गया है. शास्त्रों के अनुसार इसका पाठ करने से संपूर्ण सप्तशती के पाठ का फल प्राप्त होता है. दुर्गा सप्तश्लोकी में उल्लेख है कि देवी मां ने दुर्गा सप्तश्लोकी के पाठ के बारे में बताया कि कलियुग में दुर्गा सप्तश्लोकी का पाठ सभी मनोकामनाओं की पूर्ति का उपाय है.

सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम्  Saptashloki Durga Stotra

॥ अथ सप्तश्लोकी दुर्गा ॥ शिव उवाच: देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी । कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः ॥ देव्युवाच: शृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम् । मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥

विनियोग:

Saptsloki Durga Saptsati ॐ अस्य श्री दुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः, श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकीदुर्गापाठे विनियोगः । ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हिसा । बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्र्‌यदुःखभयहारिणि त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ॥2॥ सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ॥3॥ शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते ॥4॥ सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते । भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ॥5॥ रोगानशोषानपहंसि तुष्टा रूष्टा तु कामान्‌ सकलानभीष्टान्‌ । त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥6॥ सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्र्वरि । एवमेव त्वया कार्यमस्यद्वैरिविनाशनम्‌ ॥7॥ ॥ इति श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा संपूर्णम्‌ ॥ एस्ट्रोलॉजर राजरानी

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Gangaur Puja 2024 : गणगौर ढाई दिन का मायका : जब भोलेनाथ ने ली पार्वती जी की परीक्षा

Gangaur 1
Gangaur Puja 2024 
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calendar11 Apr 2024 05:18 PM
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Gangaur Puja 2024  : विवाह के पश्चात शिव जी को ससुराल जाने की सूझी । उन्होंने पार्वती से कहा बहुत दिन हो गये तुम्हें अपने मायके वाले तुम्हारे भाई भावज आदि सभी से मिले । पार्वती जी समझ गईं कि भोले नाथ उनकी परीक्षा ले रहे हैं क्यों कि उनका मायका तो स्वयं हिमालय था जहां कैलाश पर शिवजी स्वयं निवास करते हैं । भाई मैनाक के इन्द्र ने पंख काट दिये थे जिससे‌ वह स्वयं छिपकर समुद्र मे रहता था। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि वह उनके पति की खुशी के लिये ढाई दिन का मायका दे दें । शिवजी और पार्वती नारद जी को भी साथ लेकर चल दिये । पार्वती जी के द्वारा ढाई दिन का मायका मांगने पर घने जंगल में राजमहल बन गया ,जहां उनके भैया भावज ,सखी सहेली‌ ,माता पिता दास दासी सभी थे ।

गणगौर : ढाई दिन का मायका

Gangaur Puja 2024 

शिवजी और पार्वती के मायके पहुंचने पर सभी ने उनका स्वागत किया । दो दिन खूब अच्छे से मेहमान दारी करने के बाद पार्वती जी ने शिव जी से कैलाश चलने की बात कही पर शिव जी तो उनकी परीक्षा ले रहे थे । ससुराल से विदा होते समय वह अपने जाप की माला वहीं छोड़ आये।  ‌थोड़ी दूर जाकर उन्होंने कहा -पार्वती मैं अपनी माला तो वहीं भूल आया जाता हूं लेने । नारद जी ने कहा आप यहीं रुकिये मैं लेकर आता हूं । जब वह लेने गये तो उस घने बियाबान जंगल में कुछ भी नही था । केवल एक वृक्ष पर शिव जी की माला टंगी हुई थी । माला लेकर आने के बाद उन्होंने शिव जी से कहा -"प्रभू!यह कैसी लीला । तब शिव जी ने कहा कि पार्वती जी ने मेरी इच्छा पूरी करने के लिये ईश्वर से प्रार्थना करके ढाई दिन का मायका मांगा था । इसीलिये वह दो दिन पूरे होते ही जल्दी चलने की जिद कर रही थीं । नारी स्वभाव वह अपने मायके के सम्मान की सदा रक्षा करती है । मैं तो केवल पार्वती की परीक्षा ले रहा था इसी लिये माला को वहां छोड़ कर आया,सती नारी के सतीत्व के आगे ईश्वर को भी झुकना पड़ता है। आज के दिन नवविवाहिता अपनी पहली गणगौर मायके जाकर ही पूजती हैं पति की लम्बी उम्र के लिये । Gangaur Puja 2024  उषा सक्सेना

नीम करौली बाबा ने दी थी जीवन की सबसे बड़ी शिक्षा