Sunday, 19 May 2024

नीम करौली बाबा ने दी थी जीवन की सबसे बड़ी शिक्षा

Baba Neem Karauli : नीम करौली बाबा का नाम अपने जरूर सुना होगा। नीम करौली बाबा को 20वीं सदी का…

नीम करौली बाबा ने दी थी जीवन की सबसे बड़ी शिक्षा

Baba Neem Karauli : नीम करौली बाबा का नाम अपने जरूर सुना होगा। नीम करौली बाबा को 20वीं सदी का सबसे बड़ा महापुरूष माना जाता है। उनके भक्तों का दावा है कि नीम करौली बाबा भगवान हनुमान बजरंगबली के अवतार थे। हम यहां नीम करौली बाबा अवतार थे अथवा नहीं इस विवाद में नहीं उलझ रहे हैं। हम आपको बता रहे हैं कि 20वीं सदी के संत नीम करौली बाबा की सबसे बड़ी शिक्षा के विषय में।

Baba Neem Karauli

क्या कहते थे कैंची धाम वाले बाबा नीम करौली ?

कैंचीधाम वाले बाबा नीम करौली का कहना था कि दुनिया में जो कुछ भी होता है केवल भगवान की मर्जी से ही होता है। नीम करौली बाबा का स्पष्ट मत था कि धरती पर किसी भी जीव के हाथ में कुछ भी नहीं है। सब कुछ भगवान ने पहले से ही निर्धारित कर रखा है। उनका मत था कि जीवन में ज्यादा मत उलझो। यह जीवन भगवान की प्राप्ति के लिए मिला है। इस कारण भगवान को प्राप्त करने के लिए भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ते चले जाओ सफलता जरूर मिलेगी। बाबा नीम करौली कहते थे कि किसी भी काम को करके अंहकार पालने की जरूरत नहीं है। जो भी हो रहा है उसे केवल भगवान कर रहे हैं।

सबकी मदद करें

नीम करौली बाबा जीवन जीने का बेहतरीन तरीका भी बताते थे। उनका कहना था कि जीवन में सबकी मदद करनी चाहिए। जरूरतमंद की मदद करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। जरूरतमंद, दु:खी, गरीब तथा पीडि़त की मदद करना बड़ी से बड़ी तपस्या करने के बराबर है। नीम करौली बाबा हमेशा कहा करते थे कि आप पूजा पाठ नहीं कर पाते हैं, तपस्या नहीं कर पाते हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। आप बस गरीब की, दु:खी की तथा जरूरतमंद की मदद नि:स्वार्थभाव से कर दो तो आपको पूजा तथा तपस्या के बराबर ही पुण्य प्राप्त हो जाएगा।

कौन थे नीम करौली बाबा ?

नीम करोली बाबा का जन्म करीब 1900 में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में हुआ था। बताया जाता है कि नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा है। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। 11 वर्ष की उम्र में ही बाबा का विवाह हो गया था। 17 साल की उम्र में इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। 1958 में उन्होंने घर छोड़कर अपना जीवन हनुमान भक्ति में लगा दिया। पूरे उत्तर भारत में वह साधुओं की तरह घूमने लगे। तब वह लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा जैसे कई नामों से जाने जाते थे। उन्होंने गुजरात के ववानिया मोरबी में तपस्या की तो वहां लोग उन्हें तलईया बाबा के नाम से पुकारने लगे।

हनुमान जी के अनुयायी थे बाबा नीम करौली

बाबा नीम करोली को उनके भक्त हनुमान जी का अवतार मानते थे। लेकिन नीम करौली बाबा खुद भी हनुमान जी की पूजा किया करते थे। उन्होंने हनुमान जी के कई मंदिर भी बनवाएं। जब कोई भक्त नीम करोली बाबा के पैर छूता तो बाबा पैर छूने से मना कर देते और कहते पैर छूना ही है तो हनुमान जी के छुओ। नीम करौली बाबा भले ही आज जीवित नहीं हैं। लेकिन उनके भक्त श्रद्धापूर्वक उन्हें मानते हैं। बाबा अपने अलौकिक रूप में भक्तों के बीच हमेशा विराजमान रहते हैं।

कहां है बाबा का आश्रम कैंची धाम

ज्ञान और विद्या की प्राप्ति के बाद बाबा नीम करौली उत्तर प्रदेश से देवभूमि उत्तराखंड आ गए। उन्होंने यहां एक आश्रम की स्थापना की। जिसका नाम है कैंची धाम। कैंची धाम नैनीताल के भुवाली से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाबा नीम करौली ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा नीम करौली 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। इस धाम को कैंची मंदिर, नीम करोली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है। यहां आपको हर दुकान पर कंबल मिलेगा। क्योंकि बाबा नीम करौली अक्सर कंबल ओढ़ कर ही रहते थे। ये कंबल उनको कैंची धाम में चढ़ाया भी जाता है। यहां हर साल 15 जून को वार्षिक समारोह मानाया जाता है। इस दिन बाबा के भक्तों की भारी भीड़ कैंची धाम में जुटती है।

इस दिन बाबा ने त्याग दिए थे अपने प्राण

11 सितंबर 1973 की रात बाबा अपने वृंदावन स्थित आश्रम में थे। अचानक उनकी तबीयत खराब होने लगी। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें ऑक्सीजन मास्क लगाया लेकिन बाबा ने इसे लगाने से मना कर दिया। उन्होंने वहां मौजूद भक्तों से कहा अब मेरे जाने का समय आ गया है। उन्होंने तुलसी और गंगाजल को ग्रहण कर रात के करीब 1:15 पर अपना शरीर त्याग दिया। हालांकि उनकी मृत्यु का कारण मधुमेह कोमा बताया जाता है।

बड़ी बड़ी हस्तियां होती है नतमस्तक

बाबा नीम करौली के आश्रम में पहुंचकर बड़ी से बड़ी हस्ती भी उनके सामने नतमस्त हुई है। इन बड़ी हस्तियों के नाम सुनकर शायद आप अचंभित भी हो सकते है। नीम करौली बाबा के भक्तों की सूची में आप भले ही विराट कोहली और अनुष्का शर्मा से परिचित हुए हों, लेकिन देश के प्रधान मंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बाबा नीम करौली के बहुत बड़े भक्त है। आपको बता दे कि एप्पल कंपनी के निर्माता भी बाबा के पास साल 1974 में स्टीव जॉब्स अपने दोस्त डैन कोट्टके के साथ पहुंचे थे। वह उस दौरान हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिकता का अध्ययन करने के लिए भारत आए थे। वहीं स्टीव जॉब्स से प्रेरित होकर फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी 2015 में बाबा नीम करौली के कैंची धाम आश्रम पहुंचे थे। उस वक्त फेसबुक की हालत ठीक नहीं थी, लेकिन बाबा के आश्रम में रुकने के बाद उन्होंने सफलता के नए आयाम लिखे गए। इसके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स भी बाबा नीम करौली से प्रभावित हैं।

बाबा नीम करौली का चमत्कार

बाबा नीम करौली के चमत्कार ने लोगों को उनकी शक्तियों में विश्वास करना सिखाया। बाबा की शक्तियों को लोहा लोगों ने तब माना, जब एक बार ट्रेन से यात्रा कर रहे बाबा को टिकट न होने पर टिकट कलेक्टर (TC)  ने ट्रेन रुकवा कर उन्हें नीचे उतार दिया। इसके बाद जो हुआ उसने सभी को हिला दिया। बाबा को ट्रेन से उतारने के बाद ट्रेन दोबारा चालू नहीं हो सकी। इसके बाद जब कुछ लोगों ने बाबा को वापस ट्रेन में बुलाने के लिए कहा, तो बाबा ने शर्त रखी कि रेलवे साधुओं का सम्मान करे और जिस जगह बाबा उतरे हैं, वहां एक रेलवे स्टेशन बनवाया जाए। इसके बाद बाबा ट्रेन में चढ़े, जिसके तुरंत बाद ट्रेन चालू हो गई। इसके बाद वहां रेलवे स्टेशन बनाया गया। जिस स्टेशन का नाम बाबा के नाम पर ही रखा गया, नीम करौली स्टेशन।

जब शिप्रा नदी का पानी बना घी- एक किस्सा और है जब शिप्रा का पानी घी में बदल गया। बाबा नीम करौली के धाम ‘कैंची धाम’ में अक्सर भंडारा चलता है। एक बार भंडारे के लिए घी की कमी हो गई। सभी बाबा के पास पहुंचे और उन्हें भंडारे में घी कम पड़ने की समस्या बताई। बाबा ने भोजन में घी के बजाय शिप्रा नदी का जल डालने की बात कही। बाबा के सेवकों ने ऐसा ही किया। फिर क्या था ये जल घी में परिवर्तित हो गया।

कैसे पहुंचे कैंची धाम

बाबा नीम करौली के कैंची धाम जाने के लिए आप उत्तराखंड के काठगोदाम जाएं। यहां तक तक जाने के लिए उत्तर रेलवे की नियमित ट्रेनें चलती हैं। यहां से कैंची धाम आश्रम पहुंचने के लिए दो घंटे की यात्रा कर बस या कार से पहुंचा जा सकता है। 1400 से 1500 तक में बस की टिकट आपको मिल जाएगी। इसके साथ ही होटल भी आपको सीजन के हिसाब से बजट में मिल जाएंगे। आप डायरेक्ट कैंची धाम भी जा सकते है या फिर नैनीताल से कैंची धाम भी आ सकते हैं। नैनीताल से कैंची धाम का रास्ता मात्र एक घंटे से तय किया जा सकता है।

इसके अलावा आप उत्तराखंड के हल्द्वानी बस से जा सकते हैं। वहां से बस या फिर शेयरिंग टैक्सी से कैंची धाम जा सकते हैं। 200 रुपये शेयरिंग और करीब 600 से 700 में टैक्सी करने आप कैंची धाम जा सकते हैं। यहां आस पास ही आपको होटल मिल जाएंगे।

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