ADR Report : करोड़पति है देश के 29 वर्तमान मुख्यमंत्री, आंध्रा के सीएम पर सबसे ज्यादा संपत्ति

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ADR Report
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:27 AM
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ADR Report : नई दिल्ली। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म (ADR) के चुनावी हलफनामे के विश्लेषण से स्पष्ट हुआ है कि देश में 29 वर्तमान मुख्यमंत्री करोड़पति हैं। इनमें से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की सम्पत्ति सबसे अधिक 510 करोड़ रूपये है।

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सम्पत्ति सबसे कम 15 लाख रूपये हैं जबकि केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की एक करोड़ रूपये से अधिक संपत्ति है।

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एडीआर और इलेक्शन वाच के अनुसार, वे वर्तमान 30 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के चुनावी हलफनामे का विश्लेषण करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।

इनमें 28 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों-दिल्ली एवं पुडुचेरी के मुख्यमंत्री शामिल हैं।

इसमें जिन 30 मुख्यमंत्रियों के चुनावी हलफनामे का विश्लेषण किया गया, उनमें 29 करोड़पति हैं और इनकी औसत सम्पत्ति 33.96 करोड़ रूपये है।

13 मुख्यमंत्रियों पर अपराधिक मामले

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से 13 ने हलफनामे में गंभीर आपराधिक मामले होने की सूचना दी है जिनमें हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण आदि शामिल है।

इन मुख्यमंत्रियों में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की सम्पत्ति 510 करोड़ रूपये, अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की 163 करोड़ रूपये और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की 63 करोड़ रूपये की सम्पत्ति है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सम्पत्ति 3 करोड़ रूपये से अधिक की है।

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Political : खरगे और राहुल से मिले नीतीश और तेजस्वी

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Nitish and Tejashwi met Kharge and Rahul
locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 Nov 2025 01:31 PM
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नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी एकजुटता के प्रयास के तहत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। माना जा रहा है कि खरगे के आवास पर हुई इस बैठक में देश के मौजूदा राजनीतिक हालात और अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी दलों को एकजुट करने के संदर्भ में चर्चा की गई।

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Delhi : खुली अदालत में फैसले को जाहिर नहीं कर सकते जज : सुप्रीम कोर्ट

तेजस्वी, ललन और संजय झा भी थे मौजूद

बैठक में बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह, जदयू अध्यक्ष ललन सिंह और बिहार सरकार के मंत्री संजय झा भी मौजूद रहे। कुछ दिनों पहले ही, खरगे ने नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की थी।

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Telangana : बीआरएस के बैठक परिसर में आग से एक की मौत, तीन झुलसे

विपक्ष एकजुट हुआ तो 100 सीट पर सिमट जाएगी बीजेपी

जनता दल (यूनाइटेड) के शीर्ष नेता नीतीश कुमार अतीत में कई बार कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए हाथ मिलाने की सलाह दे चुके हैं। इसी साल फरवरी में कुमार ने इस बात पर जोर दिया था कि यदि कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल 2024 का लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ते हैं, तो भाजपा 100 सीट से कम सीट पर सिमट जाएगी। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Delhi : खुली अदालत में फैसले को जाहिर नहीं कर सकते जज : सुप्रीम कोर्ट

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Delhi News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar12 Apr 2023 08:17 PM
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Delhi News :  सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि एक न्यायिक अधिकारी फैसले के पूरे पाठ को तैयार किए बिना या लिखे बिना, उसके निष्कर्ष वाले हिस्से को खुली अदालत में जाहिर नहीं कर सकता। साथ ही शीर्ष कोर्ट ने कर्नाटक में निचली अदालत के उस न्यायाधीश को बर्खास्त करने का भी निर्देश दिया, जिन्हें एक मामले में फैसला तैयार किए बिना, उसका निष्कर्ष वाला हिस्सा सुना देने का दोषी पाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट की यह व्यवस्था कर्नाटक हाईकोर्ट के महापंजीयक (रजिस्ट्रार जनरल) की एक अपील पर आई। इस अपील में पूर्ण अदालत द्वारा न्यायाधीश को बर्खास्त करने संबंधी दिए गए आदेश को रद्द कर उनकी बहाली के लिए दिए गए हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी।

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न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति पंकज मिठल की पीठ ने गंभीर आरोपों को ‘छिपाने’ के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि न्यायाधीश का आचरण अस्वीकार्य है।

पीठ ने कहा कि यह सच है कि कुछ आरोपों का न्यायिक घोषणाओं और न्यायिक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं से संबंध होता है लेकिन वे विभागीय कार्यवाही का आधार नहीं बन सकते हैं।

आगे पीठ ने कहा कि इसलिए, हम उन आरोपों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। पीठ के अनुसार, लेकिन जो आरोप प्रतिवादी की ओर से निर्णय तैयार करने/लिखने में घोर लापरवाही और उदासीनता से संबद्ध तथा अपरिवर्तनीय हैं, वे पूरी तरह से अस्वीकार्य और एक न्यायिक अधिकारी के लिए अशोभनीय हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जज का अपने बचाव में यह कहना भी पूर्णत: अस्वीकार्य है कि अनुभव की कमी और स्टेनोग्राफर की अक्षमता इसके लिए जिम्मेदार है।

दृष्टिकोण पूरी तरह से अस्थिर

पीठ के अनुसार कि लेकिन दुर्भाग्य से, उच्च न्यायालय ने न केवल पंचतंत्र की इस कहानी को स्वीकार किया, बल्कि गवाह के रूप में स्टेनोग्राफर से जिरह नहीं करने के लिए प्रशासन तक को दोषी ठहरा दिया। इस तरह का दृष्टिकोण पूरी तरह से अस्थिर है।

पीठ ने कहा कि अगर प्रतिवादी का यह मानना था कि सारा दोष स्टेनोग्राफर का है, तो स्टेनोग्राफर को गवाह के रूप में बुलाना उसका जिम्मा था। उच्च न्यायालय ने दुर्भाग्य से सबूत की जिम्मेदारी ही बदल दी।

साथ ही पीठ ने कहा कि उसके सामने ऐसा कोई मामला नहीं आया जिसमें उच्च न्यायालय ने जुर्माने का आदेश खारिज करते हुए यह कहा हो कि कसूरवार के खिलाफ आगे जांच नहीं होगी। लेकिन इस मामले में, एक नया उदाहरण तैयार करते हुए उच्च न्यायालय ने वैसा ही किया।

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