UP Political News : 'व्यक्तित्व बनाम विकास के वादों' की लड़ाई बना रामपुर विधानसभा उपचुनाव

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Life-size statue of Mahatma Gandhi to be unveiled at UN Headquarters
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userचेतना मंच
calendar02 Dec 2022 05:59 PM
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UP Political News : रामपुर (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश के रामपुर विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव 'व्यक्तित्व बनाम विकास के वादों' की लड़ाई का बन गया है। इस उपचुनाव में आजम खान की प्रतिष्ठा पहले से कहीं ज्यादा दांव पर लगी है, क्योंकि बदले हालात में यह उपचुनाव उनकी राजनीतिक साख के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। रामपुर के बेहद प्रभावशाली नेता माने जाने वाले आजम लगभग 45 साल के बाद पहली बार किसी चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर खड़े नहीं हैं, लेकिन अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराना उनके लिए सबसे बड़ी परीक्षा है। उपचुनाव में सपा प्रत्याशी के रूप में उनके विश्वासपात्र आसिम राजा भले ही मैदान में हों लेकिन असल चुनाव आजम खान की प्रतिष्ठा का ही है।

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रामपुर के आम लोगों से बात करने पर पता चलता है कि इस बार चुनाव में विकास एक प्रमुख मुद्दा है। भाजपा भी विकास को आजम खान की काट के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। दूसरी ओर, आजम का व्यक्तित्व कहीं-कहीं मुद्दों पर भारी नजर आता है। आजम समर्थकों का गढ़ माने जाने वाले बाजौरी टोला के रहने वाले अच्छन खां का कहना है कि इस बार चुनाव में विकास ही मुख्य मुद्दा है। हम 40 साल से आजम के साथ हैं, लेकिन हमारे हाथ खाली हैं। भाजपा ने हमें प्रधानमंत्री आवास दिया। हम किसान हैं, हमें किसान सम्मान निधि मिल रही है। यह सब खान ने नहीं दिलाया। इस बार हम भाजपा के साथ हैं।

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सिविल लाइंस क्षेत्र के रहने वाले बीएड के छात्र मोहम्मद नवाज का कहना है कि भलाई इसी में है कि जिस तरफ हवा चले, उसी तरफ पर चलो। भाजपा रामपुर के विकास का मुद्दा उठा रही है। रामपुर को विकास ही चाहिए। उन्होंने कहा कि नौजवानों को रोजगार की जरूरत है और रामपुर में इसकी खासी किल्लत है। यही वजह है कि यहां के बहुत से युवाओं को बाहर जाकर रोजगार तलाशना पड़ता है। सिविल लाइन इलाके में रेस्टोरेंट्स चलाने वाले मदनलाल अरोरा का कहना है कि आजम खान के बहुत से करीबी लोग भाजपा में चले गए हैं, जिससे चुनाव पर फर्क पड़ सकता है। दूसरी अहम बात यह है कि खुद आजम उपचुनाव में खड़े नहीं हैं। अगर वह होते तो दूसरी ही बात होती, मगर उनकी जगह आसिम राजा चुनाव लड़ रहे हैं। जिनका कद उतना बड़ा नहीं है। हालांकि रामपुर के मतदाताओं का एक तबका ऐसा भी है जो आजम के साथ मजबूती से खड़ा है। ई-रिक्शा चालक शन्नू खां कहते हैं 'आजम ने हमें रोजी रोटी दी है और इज्जत से जिंदगी जीने का मौका दिया है, इसलिए हम उनका साथ कभी नहीं छोड़ सकते। चाहे कोई कितना ही बहलाये-फुसलाये मगर हमारा इरादा नहीं बदलने वाला। चुनावी माहौल का जायजा लेने निकले तो इसमें लड़ाई आसिम राजा बनाम आकाश सक्सेना नहीं, बल्कि आजम खान बनाम भाजपा नजर आती है। खास बात यह है कि भाजपा सपा प्रत्याशी आसिम राजा के बजाय आजम खान को ही निशाना बना रही है। इस वजह से लड़ाई पूरी तरह से उन पर ही केंद्रित हो गई है।

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रामपुर से 10 बार विधानसभा और एक बार लोकसभा पहुंचे आजम खां को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान नफरत भरा भाषण देने के मामले में रामपुर की एक अदालत ने इसी महीने तीन साल की सजा सुनाई। इसके बाद आजम की विधानसभा सदस्यता खत्म कर दी गई और उनका वोट देने का अधिकार भी वापस ले लिया गया है। अब वह छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे, लिहाजा वह जानते हैं कि रामपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को हराना ही सबसे माकूल जवाब होगा। ऐसे हालात में आजम भले ही चुनाव मैदान में उम्मीदवार के तौर पर मौजूद ना हों, लेकिन इसके बावजूद एक तरह से उनका सब कुछ दांव पर लगा हुआ है। खान के एक करीबी सहयोगी के मुताबिक पूर्व मंत्री रामपुर की उन गलियों में भी जाकर लोगों से सपा प्रत्याशी आसिम राजा के लिए वोट मांग रहे हैं, जहां उन्होंने दो-ढाई दशक से कदम भी नहीं रखा था। पिछले करीब साढे़ चार दशक तक रामपुर का चुनाव आजम के व्यक्तित्व के गिर्द ही घूमता रहा। मगर, बदले हालात में भाजपा अब इस चलन को तोड़ने में जुटी है और वह विकास के मुद्दे को आगे रखकर चुनाव लड़ रही है।

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रामपुर से पूर्व सांसद और केंद्र में मंत्री रहे मुख्तार अब्बास नकवी इस बार उपचुनाव में भाजपा को जीत दिलाने के लिए रामपुर में मौजूद हैं। उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कहा कि इस बार का चुनाव विचारधारा की लड़ाई है, एक ऐसी विचारधारा जो अहंकार के खिलाफ है और विकास की पैरवी करती है। उन्होंने कहा कि वह ग्रामीण अंचलों में खिचड़ी पंचायत के माध्यम से उन लोगों के बीच जा रहे हैं, जिन तक भाजपा पहले नहीं पहुंच पाती थी। इन पंचायतों में लोगों को भाजपा सरकार द्वारा उनके लिए किए गए कार्यों के बारे में बताया जा रहा है और भाजपा को इसके काफी अच्छे नतीजे मिलते दिख रहे हैं। रामपुर विधानसभा क्षेत्र का समीकरण आजम के लिए हमेशा मुफीद साबित हुआ है। इस क्षेत्र में उनकी पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस साल जून में रामपुर लोकसभा उपचुनाव के दौरान पहली बार जीत हासिल करने वाली भाजपा को रामपुर विधानसभा में सपा से 7636 वोट कम मिले थे। इस चुनाव में भी सपा ने आसिम राजा को ही उम्मीदवार बनाया था। इस साल के शुरू में हुए विधानसभा चुनाव में रामपुर सीट पर सपा उम्मीदवार आजम को 1,31,225 वोट मिले थे, जो कुल वोट का 59.71% थे। वहीं, उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के आकाश सक्सेना ने 76084 मत हासिल किए थे, जो कुल मतों का 34.62% था। कांग्रेस के नवाब काजिम अली को मात्र 4000 मतों से संतोष करना पड़ा था।
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Saharanpur News: मोर्चरी में अचानक से खड़ा हो गया मुर्दा, बोला मैं ठीक हूं

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2022 04:54 PM
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Saharanpur News: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक ऐसा मामला आया है, जहां पर पोस्टमार्टम हाउस में मुर्दा अचानक से खड़ा हो गया और पोस्टमार्टम करने की तैयारी कर रहे कर्मचारियों से बोला कि, मुझे जाने दीजिए मैं ठीक हूं। जिसके बाद आनन फानन में उसे उपचार के लिए भेजा गया।

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सहारनपुर जनपद के थाना चिलकाना पुलिस को गश्त के दौरान चिलकाना-सरसावा रोड पर दुर्घटना की सूचना मिली थी। पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला कि एक ट्रक ने बाइक सवार को टक्कर मार दी है। बाइक सवार घायल सड़क किनारे पड़ा हुआ था। पुलिसकर्मियों ने उसे उठाने की कोशिश की, लेकिन शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। पुलिसकर्मियों ने इसे मरा हुआ समझ लिया और अस्पताल भिजवा दिया।

जिस अचेत पड़े व्यक्ति को मरा हुआ समझकर पुलिस ने अस्पताल भिजवाया अभी उसे मोर्चरी में रखवाने की तैयारी चल ही रही थी कि अचानक में यह व्यक्ति खड़ा हो गया। खड़ा होते ही बोला कि मैं ठीक हूं मेरा नाम विजेंद्र कुमार है और मैं सरसावा थाना क्षेत्र के कुंडली गांव का रहने वाला हूं। मुझे कुछ नहीं हुआ है। जिस व्यक्ति को मरा हुआ समझा जा रहा था जब वह अचानक खड़ा हुआ तो उसे देखकर लोग सन्न रह गए। एक बार को डॉक्टर भी घबरा गए लेकिन उन्हे अगले ही पल समझ आ गया कि घायल मरा नहीं है।

चिलकाना थाना प्रभारी सत्येंद्र कुमार राय ने बताया कि जब व्यक्ति को दुर्घटना स्थल पर चेक किया गया तो उसके शरीर में कोई हलचल नहीं थी। यही सोचकर ऐसे में उसको अस्पताल भिजवाया गया था। पुलिसकर्मी सोच रहे थे कि दुर्घटना में युवक की मौत हो गई है लेकिन अस्पताल में वह अचानक खड़ा हो गया और बोलने लगा। अब इस घायल व्यक्ति का उपचार चल रहा है। उपचार के बाद डॉक्टरों ने उसे छुट्टी देने की बात कही है।

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Uttar Pradesh अदालत ने दिए पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद गिरफ्तार करने के आदेश

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Uttar Pradesh
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 01:04 PM
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Uttar Pradesh: पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद बृहस्पतिवार को शाहजहांपुर की विशेष एमपी-एमएलए (सांसद-विधायक) अदालत में हाजिर नहीं हुए। अदालत ने उन्हें पेश होने के लिये और समय देने से इनकार करते हुए पुलिस को उन्हें गिरफ्तार कर आगामी नौ दिसंबर को न्यायालय में पेश करने के लिए कहा है।

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एमपी-एमएलए अदालत की विशेष शासकीय अधिवक्ता नीलिमा सक्सेना ने बताया कि स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध उनकी शिष्या द्वारा शहर कोतवाली में दर्ज कराए गए यौन शोषण के एक मामले में अदालत ने बृहस्पतिवार को फिर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इसमें उन्हें नौ दिसंबर को न्यायालय में पेश होने को कहा गया है।

उन्होंने बताया कि स्वामी चिन्मयानंद ने उच्च न्यायालय में मुकदमा वापस लेने की अपील की थी जो खारिज हो जाने के बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय में अपील की थी। लेकिन वहां से भी उनकी अपील खारिज हो गई। सक्सेना ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि वह 30 नवंबर तक शाहजहांपुर न्यायालय में हाजिर हों, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए थे।

सक्सेना ने बताया कि बृहस्पतिवार को शाहजहांपुर की एमपी-एमएलए अदालत में चिन्मयानंद को पेश होना था, मगर वह पेश नहीं हुए। इस पर उनके अधिवक्ता ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि स्वामी चिन्मयानंद ने अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की है, जिस पर छह दिसंबर को सुनवाई होनी है लिहाजा उन्हें हाजिर होने के लिए मोहलत दे दी जाए।

लेकिन एमपी-एमएलए अदालत की न्यायाधीश आसमा सुल्ताना ने समय देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिया कि स्वामी चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर नौ दिसंबर को न्यायालय में पेश करे।

गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री एवं मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद पर उनकी शिष्या ने 2011 में यौन शोषण का मुकदमा दर्ज कराया था।

वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने यौन शोषण के इस मुकदमे को वापस लेने के लिए जिलाधिकारी के माध्यम से न्यायालय को पत्र भेजा था, मगर पीड़िता ने आपत्ति जताते हुए अदालत से अनुरोध किया था कि वह मुकदमा वापस नहीं लेना चाहती है।

इसके बाद मुकदमा वापसी का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया था। इसके साथ ही स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध जमानती वारंट जारी कर दिया गया था।

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