UP Political News : 'व्यक्तित्व बनाम विकास के वादों' की लड़ाई बना रामपुर विधानसभा उपचुनाव




Saharanpur News: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक ऐसा मामला आया है, जहां पर पोस्टमार्टम हाउस में मुर्दा अचानक से खड़ा हो गया और पोस्टमार्टम करने की तैयारी कर रहे कर्मचारियों से बोला कि, मुझे जाने दीजिए मैं ठीक हूं। जिसके बाद आनन फानन में उसे उपचार के लिए भेजा गया।
सहारनपुर जनपद के थाना चिलकाना पुलिस को गश्त के दौरान चिलकाना-सरसावा रोड पर दुर्घटना की सूचना मिली थी। पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला कि एक ट्रक ने बाइक सवार को टक्कर मार दी है। बाइक सवार घायल सड़क किनारे पड़ा हुआ था। पुलिसकर्मियों ने उसे उठाने की कोशिश की, लेकिन शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। पुलिसकर्मियों ने इसे मरा हुआ समझ लिया और अस्पताल भिजवा दिया।
जिस अचेत पड़े व्यक्ति को मरा हुआ समझकर पुलिस ने अस्पताल भिजवाया अभी उसे मोर्चरी में रखवाने की तैयारी चल ही रही थी कि अचानक में यह व्यक्ति खड़ा हो गया। खड़ा होते ही बोला कि मैं ठीक हूं मेरा नाम विजेंद्र कुमार है और मैं सरसावा थाना क्षेत्र के कुंडली गांव का रहने वाला हूं। मुझे कुछ नहीं हुआ है। जिस व्यक्ति को मरा हुआ समझा जा रहा था जब वह अचानक खड़ा हुआ तो उसे देखकर लोग सन्न रह गए। एक बार को डॉक्टर भी घबरा गए लेकिन उन्हे अगले ही पल समझ आ गया कि घायल मरा नहीं है।
चिलकाना थाना प्रभारी सत्येंद्र कुमार राय ने बताया कि जब व्यक्ति को दुर्घटना स्थल पर चेक किया गया तो उसके शरीर में कोई हलचल नहीं थी। यही सोचकर ऐसे में उसको अस्पताल भिजवाया गया था। पुलिसकर्मी सोच रहे थे कि दुर्घटना में युवक की मौत हो गई है लेकिन अस्पताल में वह अचानक खड़ा हो गया और बोलने लगा। अब इस घायल व्यक्ति का उपचार चल रहा है। उपचार के बाद डॉक्टरों ने उसे छुट्टी देने की बात कही है।
Saharanpur News: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक ऐसा मामला आया है, जहां पर पोस्टमार्टम हाउस में मुर्दा अचानक से खड़ा हो गया और पोस्टमार्टम करने की तैयारी कर रहे कर्मचारियों से बोला कि, मुझे जाने दीजिए मैं ठीक हूं। जिसके बाद आनन फानन में उसे उपचार के लिए भेजा गया।
सहारनपुर जनपद के थाना चिलकाना पुलिस को गश्त के दौरान चिलकाना-सरसावा रोड पर दुर्घटना की सूचना मिली थी। पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला कि एक ट्रक ने बाइक सवार को टक्कर मार दी है। बाइक सवार घायल सड़क किनारे पड़ा हुआ था। पुलिसकर्मियों ने उसे उठाने की कोशिश की, लेकिन शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। पुलिसकर्मियों ने इसे मरा हुआ समझ लिया और अस्पताल भिजवा दिया।
जिस अचेत पड़े व्यक्ति को मरा हुआ समझकर पुलिस ने अस्पताल भिजवाया अभी उसे मोर्चरी में रखवाने की तैयारी चल ही रही थी कि अचानक में यह व्यक्ति खड़ा हो गया। खड़ा होते ही बोला कि मैं ठीक हूं मेरा नाम विजेंद्र कुमार है और मैं सरसावा थाना क्षेत्र के कुंडली गांव का रहने वाला हूं। मुझे कुछ नहीं हुआ है। जिस व्यक्ति को मरा हुआ समझा जा रहा था जब वह अचानक खड़ा हुआ तो उसे देखकर लोग सन्न रह गए। एक बार को डॉक्टर भी घबरा गए लेकिन उन्हे अगले ही पल समझ आ गया कि घायल मरा नहीं है।
चिलकाना थाना प्रभारी सत्येंद्र कुमार राय ने बताया कि जब व्यक्ति को दुर्घटना स्थल पर चेक किया गया तो उसके शरीर में कोई हलचल नहीं थी। यही सोचकर ऐसे में उसको अस्पताल भिजवाया गया था। पुलिसकर्मी सोच रहे थे कि दुर्घटना में युवक की मौत हो गई है लेकिन अस्पताल में वह अचानक खड़ा हो गया और बोलने लगा। अब इस घायल व्यक्ति का उपचार चल रहा है। उपचार के बाद डॉक्टरों ने उसे छुट्टी देने की बात कही है।

Uttar Pradesh: पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद बृहस्पतिवार को शाहजहांपुर की विशेष एमपी-एमएलए (सांसद-विधायक) अदालत में हाजिर नहीं हुए। अदालत ने उन्हें पेश होने के लिये और समय देने से इनकार करते हुए पुलिस को उन्हें गिरफ्तार कर आगामी नौ दिसंबर को न्यायालय में पेश करने के लिए कहा है।
एमपी-एमएलए अदालत की विशेष शासकीय अधिवक्ता नीलिमा सक्सेना ने बताया कि स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध उनकी शिष्या द्वारा शहर कोतवाली में दर्ज कराए गए यौन शोषण के एक मामले में अदालत ने बृहस्पतिवार को फिर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इसमें उन्हें नौ दिसंबर को न्यायालय में पेश होने को कहा गया है।
उन्होंने बताया कि स्वामी चिन्मयानंद ने उच्च न्यायालय में मुकदमा वापस लेने की अपील की थी जो खारिज हो जाने के बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय में अपील की थी। लेकिन वहां से भी उनकी अपील खारिज हो गई। सक्सेना ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि वह 30 नवंबर तक शाहजहांपुर न्यायालय में हाजिर हों, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए थे।
सक्सेना ने बताया कि बृहस्पतिवार को शाहजहांपुर की एमपी-एमएलए अदालत में चिन्मयानंद को पेश होना था, मगर वह पेश नहीं हुए। इस पर उनके अधिवक्ता ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि स्वामी चिन्मयानंद ने अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की है, जिस पर छह दिसंबर को सुनवाई होनी है लिहाजा उन्हें हाजिर होने के लिए मोहलत दे दी जाए।
लेकिन एमपी-एमएलए अदालत की न्यायाधीश आसमा सुल्ताना ने समय देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिया कि स्वामी चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर नौ दिसंबर को न्यायालय में पेश करे।
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री एवं मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद पर उनकी शिष्या ने 2011 में यौन शोषण का मुकदमा दर्ज कराया था।
वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने यौन शोषण के इस मुकदमे को वापस लेने के लिए जिलाधिकारी के माध्यम से न्यायालय को पत्र भेजा था, मगर पीड़िता ने आपत्ति जताते हुए अदालत से अनुरोध किया था कि वह मुकदमा वापस नहीं लेना चाहती है।
इसके बाद मुकदमा वापसी का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया था। इसके साथ ही स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध जमानती वारंट जारी कर दिया गया था।
Uttar Pradesh: पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद बृहस्पतिवार को शाहजहांपुर की विशेष एमपी-एमएलए (सांसद-विधायक) अदालत में हाजिर नहीं हुए। अदालत ने उन्हें पेश होने के लिये और समय देने से इनकार करते हुए पुलिस को उन्हें गिरफ्तार कर आगामी नौ दिसंबर को न्यायालय में पेश करने के लिए कहा है।
एमपी-एमएलए अदालत की विशेष शासकीय अधिवक्ता नीलिमा सक्सेना ने बताया कि स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध उनकी शिष्या द्वारा शहर कोतवाली में दर्ज कराए गए यौन शोषण के एक मामले में अदालत ने बृहस्पतिवार को फिर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इसमें उन्हें नौ दिसंबर को न्यायालय में पेश होने को कहा गया है।
उन्होंने बताया कि स्वामी चिन्मयानंद ने उच्च न्यायालय में मुकदमा वापस लेने की अपील की थी जो खारिज हो जाने के बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय में अपील की थी। लेकिन वहां से भी उनकी अपील खारिज हो गई। सक्सेना ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि वह 30 नवंबर तक शाहजहांपुर न्यायालय में हाजिर हों, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए थे।
सक्सेना ने बताया कि बृहस्पतिवार को शाहजहांपुर की एमपी-एमएलए अदालत में चिन्मयानंद को पेश होना था, मगर वह पेश नहीं हुए। इस पर उनके अधिवक्ता ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि स्वामी चिन्मयानंद ने अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की है, जिस पर छह दिसंबर को सुनवाई होनी है लिहाजा उन्हें हाजिर होने के लिए मोहलत दे दी जाए।
लेकिन एमपी-एमएलए अदालत की न्यायाधीश आसमा सुल्ताना ने समय देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिया कि स्वामी चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर नौ दिसंबर को न्यायालय में पेश करे।
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री एवं मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद पर उनकी शिष्या ने 2011 में यौन शोषण का मुकदमा दर्ज कराया था।
वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने यौन शोषण के इस मुकदमे को वापस लेने के लिए जिलाधिकारी के माध्यम से न्यायालय को पत्र भेजा था, मगर पीड़िता ने आपत्ति जताते हुए अदालत से अनुरोध किया था कि वह मुकदमा वापस नहीं लेना चाहती है।
इसके बाद मुकदमा वापसी का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया था। इसके साथ ही स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध जमानती वारंट जारी कर दिया गया था।