क्रिसमस पर रोमांस लेकर आई कार्तिक–अनन्या की नई फिल्म

कार्तिक आर्यन और अनन्या पांडे की बहुप्रतीक्षित रोमांटिक फिल्म ‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ आखिरकार 25 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। समीर विद्वानश के निर्देशन में बनी यह फिल्म एक हल्की-फुल्की, यंग और विजुअली रिफ्रेशिंग लव स्टोरी है।

Kartik and Ananya's film in theaters.
सिनेमाघरों में कार्तिक–अनन्या की फिल्म (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar25 Dec 2025 12:07 PM
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फिल्म की कहानी रे (कार्तिक आर्यन) के इंट्रोडक्शन से शुरू होती है, जो ‘बी इन द मोमेंट’ की सोच के साथ लॉस एंजिल्स में अपनी जिंदगी जी रहा है। वहीं, आगरा की रहने वाली रूमी (अनन्या पांडे) 90 के दशक जैसी क्लासिक और सच्ची लव स्टोरी की ख्वाहिश रखती है। दोनों की सोच बिल्कुल अलग है, लेकिन किस्मत उन्हें एक इंटरनेशनल हॉलीडे पर मिलवा देती है। छुट्टियों के मौके पर यह फिल्म दर्शकों के लिए एक सॉफ्ट रोमांटिक ट्रीट बनकर उभरी है।

कार्तिक आर्यन ने एक मां के लाडले बेटे के किरदार को सहज अंदाज में निभाया

खूबसूरत विदेशी लोकेशन्स, ट्रैवल और साथ बिताए गए यादगार पलों के बीच रे और रूमी के बीच नजदीकियां बढ़ती हैं। फिल्म का पहला हिस्सा मस्ती, रोमांस और फ्रेश केमिस्ट्री से भरपूर है। हालांकि, जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, रिश्ते में गलतफहमियां और टकराव सामने आते हैं, जिससे फिल्म एक इमोशनल मोड़ लेती है। रे और रूमी का मीठा-तीखा रिश्ता दर्शकों को अंत तक बांधे रखता है। कार्तिक आर्यन ने एक मां के लाडले बेटे के किरदार को सहज अंदाज में निभाया है, वहीं अनन्या पांडे अपने किरदार में मासूमियत और इमोशनल गहराई लाती नजर आती हैं। दोनों की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री प्रभावी लगती है। इससे पहले भी दोनों ‘पति, पत्नी और वो’ में साथ नजर आ चुके हैं, जहां उनकी जोड़ी को दर्शकों ने पसंद किया था।

जैकी श्रॉफ ने अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया

फिल्म की सबसे बड़ी खासियत इसके शानदार विजुअल्स हैं। इंटरनेशनल लोकेशन्स और खूबसूरत शहरों की सुकून भरी तस्वीरें खास तौर पर शहरी दर्शकों को आकर्षित करती हैं। म्यूजिक भी कहानी के मूड के साथ तालमेल बैठाता है और लंबे समय तक याद रह जाता है। सपोर्टिंग कास्ट में नीना गुप्ता और जैकी श्रॉफ ने अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया है। फिल्म की प्रोडक्शन वैल्यू मजबूत है और धर्मा प्रोडक्शंस की चमक साफ नजर आती है। फिल्म का निर्माण करण जौहर, आदर पूनावाला, अपूर्वा मेहता, शरीन मंत्री केडिया, किशोर अरोड़ा और भूमिका तिवारी ने धर्मा प्रोडक्शंस और नमः पिक्चर्स के बैनर तले किया है।

कुल मिलाकर, ‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ एक फ्रेश, रोमांटिक और यंग लव स्टोरी है, जो खासकर युवा दर्शकों को पसंद आ सकती है। कहानी भले ही बहुत नई न हो, लेकिन इसकी प्रेजेंटेशन, म्यूजिक और विजुअल्स इसे वीकेंड वॉच के लिए एक अच्छा विकल्प बनाते हैं।

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धक-धक गर्ल का सबसे डार्क अवतार, सीरियल किलर बनी माधुरी दीक्षित ने उड़ाए होश

मिसेज देशपांडे रिव्यू: 58 की उम्र में सीरियल किलर बनी माधुरी दीक्षित ने अपने डार्क रोल से दर्शकों को चौंका दिया। जानिए कहानी, ट्विस्ट और खास बातें।

माधुरी दीक्षित सीरियल किलर
माधुरी दीक्षित सीरियल किलर
locationभारत
userसुप्रिया श्रीवास्तव
calendar24 Dec 2025 03:06 PM
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बॉलीवुड में अपनी मुस्कान, रोमांटिक अंदाज और चुलबुले किरदारों से पहचान बनाने वाली माधुरी दीक्षित इस बार बिल्कुल अलग अवतार में नजर आई हैं। 58 साल की उम्र में माधुरी ने अपनी नई वेब सीरीज मिसेज देशपांडे में एक सीरियल किलर का किरदार निभाकर दर्शकों को चौंका दिया है। जियो हॉटस्टार पर रिलीज हुई यह सीरीज धीरे-धीरे दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बनती जा रही है।

मिसेज देशपांडे में दिखा माधुरी का अनदेखा रूप

मिसेज देशपांडे एक क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज है, जिसमें माधुरी दीक्षित का किरदार पूरी तरह से डार्क और रहस्यमयी है। अब तक फिल्मों में प्यार करने वाली और सॉफ्ट रोल निभाने वाली माधुरी को इस बार एक खतरनाक सीरियल किलर के रूप में देखना दर्शकों के लिए चौंकाने वाला अनुभव है। उन्होंने अपने अभिनय से यह साबित कर दिया है कि उम्र उनके टैलेंट पर कोई असर नहीं डाल सकती।

छह एपिसोड में सस्पेंस और ट्विस्ट से भरपूर कहानी

यह सीरीज कुल छह एपिसोड की है और हर एपिसोड के साथ कहानी और ज्यादा दिलचस्प होती जाती है। कहानी के अनुसार, मिसेज देशपांडे अपने आठवें मर्डर के बाद पकड़ी जाती हैं और जेल भेज दी जाती हैं। कई साल जेल में बिताने के बाद मुंबई में एक नया सीरियल किलर सक्रिय हो जाता है, जो ठीक उसी तरीके से हत्याएं करता है, जैसा कभी मिसेज देशपांडे किया करती थीं।

तीसरे एपिसोड में कहानी लेती है बड़ा मोड़

सीरीज के पहले दो एपिसोड एक नॉर्मल क्राइम ड्रामा की तरह लग सकते हैं, लेकिन तीसरे एपिसोड में ऐसा ट्विस्ट आता है जो पूरी कहानी की दिशा बदल देता है। इसी एपिसोड में कॉपीकैट सीरियल किलर की एंट्री होती है, जिसे पकड़ने के लिए पुलिस मिसेज देशपांडे की मदद लेती है। इसके बाद सस्पेंस और रोमांच तेजी से बढ़ता है।

मां बेटे के रिश्ते की इमोशनल कहानी

मिसेज देशपांडे सिर्फ एक क्राइम थ्रिलर नहीं है, बल्कि इसमें मां और बेटे के रिश्ते को भी बेहद भावनात्मक तरीके से दिखाया गया है। सीरीज में दिखाया गया है कि कैसे एक मां अपने बेटे की सुरक्षा और भविष्य के लिए अपनी असली पहचान छिपाकर रखती है। यह पहलू कहानी को और ज्यादा गहराई देता है।

डार्क रोल में माधुरी दीक्षित ने जीता दिल

माधुरी दीक्षित का किरदार एक मजबूत महिला का है, जो अपने और अपने अपनों के लिए एक खौफनाक रास्ता चुन लेती है। इस डार्क रोल में माधुरी ने अपने अभिनय से दर्शकों को हैरान कर दिया है। उनका यह किरदार डर, दर्द और मजबूरी को बेहद असरदार तरीके से दिखाता है।

फ्रेंच सीरीज से प्रेरित है कहानी

मिसेज देशपांडे की कहानी फ्रेंच थ्रिलर सीरीज ला मांटे से प्रेरित है। तीसरे एपिसोड के बाद कहानी में लगातार ऐसे ट्विस्ट आते हैं जो दर्शकों की उत्सुकता बनाए रखते हैं। कॉपीकैट किलर की पहचान सामने आने पर कहानी और भी ज्यादा रोमांचक हो जाती है।

कास्ट और रेटिंग

इस सीरीज में माधुरी दीक्षित के साथ सिद्धार्थ चंदेकर, प्रियांशु चैटर्जी, दीक्षा जुनेजा, केविन डेव और निमिशा नायर जैसे कलाकार नजर आते हैं। सीरीज का निर्देशन नागेश कुकुनूर ने किया है। मिसेज देशपांडे को आईएमडीबी पर 6.2 की रेटिंग मिली है।


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असली धुरंधर को नहीं जानते हैं आप, पाकिस्तान का काल था वह

भारत के धुरंधर लाड़ले बेटे रविन्द्र कौशिक को थिएटर में एक्टिंग करने का शौक था। उसका यही शौक उसे धुरंधर बनाने का कारण बना। आपको बता दें कि एक थिएटर प्रस्तुति के दौरान रविंद्र की अभिनय प्रतिभा पर भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (R&AW) की नजर पड़ी।

The film Dhurandhar
फिल्म धुरंधर (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar23 Dec 2025 06:24 PM
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धुरंधर शब्द आपने जरूर सुना होगा। हाल ही में आई धुरंधर नाम की एक फिल्म की खूब चर्चा हो रही है। धुरंधर फिल्म को खूब पसंद भी किया जा रहा है। फिल्म में जिस धुरंधर को आप पर्दे पर देखते हैं वह वास्तव में असली धुरंधर नहीं है। असली धुरंधर तो भारत माता का वह लाड़ला बेटा था जिसे पाकिस्तान अपना काल समझता था। हम आपको भारत के उस असली धुरंधर से परिचित करा रहे हैं।

भारत के असली धुरंधर का नाम था रविन्द्र कौशिक

भारत के असली धुरंधर का नाम रविन्द्र कौशिक था। रविन्द्र कौशिक का पूरा जीवन किसी बड़ी फिल्मी कहानी से कम दिलचस्प नहीं है। आपको बता दें कि भारत में योद्धाओं की भूमि कहे जाने वाले राजस्थान में जन्म लेने वाले भारत के असली धुरंधर रविन्द्र कौशिक से पाकिस्तान की पुलिस, पाकिस्तान की सेना यहां तक कि पाकिस्तान की सरकार तक भी डरती थी। यह अलग बात है कि भारत माता की सेवा करते हुए भारत के इस लाड़ले धुरंधर रविन्द्र कौशिक को पाकिस्तान की जेल में ही अपनी शाहदत देनी पड़ी। भारत का लाड़ला धुरंधर रविन्द्र कौशिक शहीद तो हो गया किन्तु एक महान व्यक्तित्व की पूरी कहानी हमारे लिए छोड़ कर चला गया।

 जब भारत की खुफिया एजेंसी ‘‘रॉ” की नजर पड़ी इस धुरंधर पर

भारत के धुरंधर लाड़ले बेटे रविन्द्र कौशिक को थिएटर में एक्टिंग करने का शौक था। उसका यही शौक उसे धुरंधर बनाने का कारण बना। आपको बता दें कि एक थिएटर प्रस्तुति के दौरान रविंद्र की अभिनय प्रतिभा पर भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (R&AW) की नजर पड़ी। अपने एकल नाटक में उन्होंने भारतीय सेना के एक अधिकारी की भूमिका निभाई थी, जिसे दुश्मन देश की सेना पकड़ लेती है, लेकिन वह किसी भी परिस्थिति में देश से जुड़ी गोपनीय जानकारी देने से इनकार कर देता है। उनकी सशक्त प्रस्तुति से प्रभावित होकर रॉ अधिकारियों ने उन्हें गुप्त सेवाओं के लिए उपयुक्त माना। चयन के बाद रविंद्र कौशिक को लगभग दो वर्षों तक कड़ी और गोपनीय प्रशिक्षण प्रक्रिया से गुजरना पड़ा।इस्लामी परंपराओं और सामाजिक व्यवहार की सूक्ष्म जानकारी दी गई। उर्दू से पहले से परिचित होने के कारण उन्होंने नई भाषाएं और संस्कृति बेहद तेजी से आत्मसात कर लीं। इसके पश्चात उन्हें विभिन्न देशों में गुप्त अभियानों पर भेजा गया, जहां उन्होंने सौंपे गए प्रत्येक दायित्व को कुशलता और निष्ठा से निभाया। उनकी सफलता को देखते हुए एजेंसी ने उन्हें पाकिस्तान में स्थायी मिशन पर तैनात करने का निर्णय लिया।  वर्ष 1975 में उन्हें एक अति संवेदनशील मिशन के तहत पाकिस्तान भेजा गया। इस मिशन का उद्देश्य छद्म पहचान के साथ पाकिस्तान में रहकर भारत को अहम सैन्य और रणनीतिक सूचनाएं उपलब्ध कराना था। रॉ ने उन्हें ‘नबी अहमद शाकिर’ नाम से नई पहचान दी। सत्तर के दशक के मध्य में रविंद्र को नई पाकिस्तानी पहचान के साथ सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराए गए। जन्म प्रमाणपत्र से लेकर शैक्षणिक प्रमाण-पत्र और पासपोर्ट तक, हर कागज़ात पूरी तरह वैध रूप में तैयार किए गए। इसी पहचान के तहत वह इस्लामाबाद निवासी नबी अहमद के रूप में जाने जाने लगे।

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