– अजंना भागी –
पाठक शायद इस बात पर सहज ही यकीन न करें किन्तु यह सच है कि उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा शहर में एक ऐसा युवक रहता है जो जीवनदायिनी हवा यानि ऑक्सीजन का चलता-फिरता टैंकर है। चौंक गए न आप ? जी हां ग्रेटर नोएडा में रहने वाले प्रोफेसर डा. कुलदीप मलिक शुद्ध ऑक्सीजन का भंडार बन गए हैं। वे न केवल आज की पीढ़ी को शुद्ध ऑक्सीजन उपलब्ध कराने का काम कर रहे हैं। बल्कि आने वाली पीढिय़ों के लिए शुद्ध पर्यावरण का इंतजाम भी कर रहे हैं।
आपको बता दें कि डा. कुलदीप मलिक उत्तर प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक शहर ग्रेटर नोएडा में रहते हैं। वे आई.टी.एस. इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। अपने कॉलेज के आस-पास बियाबान पड़ी सैकड़ों एकड़ बेसकीमती जमीन (पार्कों के लिए छोड़ी गई भूमि व सड़कों के किनारे पड़ी जमीन) पर डा. कुलदीप मलिक अब तक 2500 वट वृ़क्ष (बरगद) के पौधे रोप चुके हैं। वर्ष-2012 से एक जुनून की तरह शुरू हुआ पौधे लगाने का उनका अभियान आज भी जारी है।
डा. कुलदीप के साथ चेतना मंच ने लम्बी बातचीत की है। वे बताते हैं कि हमारे ऋषि-मुनियों से लेकर तमाम पूर्वजों ने हमें शुद्ध वायु (ऑक्सीजन) का महत्व हजारों तरीके से बताया है। दुर्भाग्य से विकास की अंधी दौड़ में हम यह भूल ही गए हैं कि यदि शुद्ध हवा यानि ऑक्सीजन नहीं बची तो हमारो जीवन भी नहीं बचेगा। तीन साल के कोविड काल में प्रकृति ने पूरी मानवता को बता ही दिया है कि किस प्रकार पूरी मानवता रत्ती भर ऑक्सीजन तक के लिए तरस गयी थी।
श्री मलिक बताते हैं कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा स्वत: उठाया है। उनके विद्यालय के बच्चे श्रमदान के जरिए उनका सहयोग करते हैं। दुर्भाग्य यह है कि समाजसेवा के बड़े-बड़े दावे करने वाली कोई भी संस्था अथवा संस्थान उनका व्यवहारिक सहयोग नहीं कर रहा है। मजबूरन उन्हें दूध ढोने वाली बाल्टियों व कैनों से दूर-दूर से लाकर पौधों की सिंचाई करनी पड़ती है। डा. मलिक का स्पष्ट मत है कि जो हजारों बरगद के पौधे उन्होंने लगाए हैं वे हमारी आज की पीढ़ी को तो ऑक्सीजन दे ही रहे हैं। आने वाली पीढिय़ों को भी शुद्ध हवा में सांस लेने का अवसर प्रदान करेंगे।