‘या अली’ फेम जुबिन गर्ग की हादसे में मौत, फैंस में शोक की लहर

‘या अली’ फेम जुबिन गर्ग की हादसे में मौत, फैंस में शोक की लहर
locationभारत
userचेतना मंच
calendar19 Sep 2025 04:41 PM
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असम फिल्म और संगीत जगत में एक दुखद और सदमे जैसी खबर आई है। ‘या अली’ फेम मशहूर असमी सिंगर जुबिन गर्ग अब हमारे बीच नहीं रहे। जानकारी के अनुसार, जुबिन नॉर्थ ईस्ट के एक बड़े फेस्टिवल में परफॉर्म करने सिंगापुर गए थे, लेकिन वहां स्कूबा डाइविंग के दौरान एक दर्दनाक हादसा हुआ। गंभीर चोटों के साथ उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। जुबिन गर्ग के अचानक निधन की खबर ने उनके फैंस और संगीत प्रेमियों को स्तब्ध कर दिया है। हादसे के समय उन्हें आईसीयू में रखा गया था और फेस्टिवल में उनका शानदार प्रदर्शन देखने का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था। इस अप्रत्याशित घटना ने न केवल उनके चाहने वालों बल्कि पूरे संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ा दी है।    Zubeen Garg Singer death News

संगीत की दुनिया का बहुआयामी सितारा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जुबिन गर्ग स्कूबा डाइविंग के दौरान एक गंभीर हादसे का शिकार हो गए थे। उन्हें बेहोशी की हालत में तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने उनकी जान बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें बचाया नहीं जा सका। संगीत और कला की दुनिया में जुबिन गर्ग का योगदान बेमिसाल रहा। केवल एक सिंगर ही नहीं, बल्कि वे एक अभिनेता और लेखक भी थे। 18 नवंबर 1972 को मेघालय में जन्मे जुबिन ने असमिया के साथ-साथ बंगाली, हिंदी, अंग्रेजी, मलयालम, मराठी, मिसिंग, नेपाली, ओडिया और संस्कृत समेत लगभग 60 भाषाओं में अपने गीतों के माध्यम से संगीत प्रेमियों के दिलों को छुआ। उनकी बहुभाषी प्रतिभा और संगीत की गहराई ने उन्हें नॉर्थ ईस्ट के साथ-साथ पूरे भारत में खास मुकाम दिलाया।

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या अली गाने से प्रसिद्ध हुए जुबिन गर्ग

बॉलीवुड में भी जुबिन गर्ग का योगदान अविस्मरणीय रहा। उन्होंने कंगना रनौत, इमरान हाशमी और शाइनी आहूजा की फिल्म गैंगस्टर के लिए सुपरहिट गाना ‘या अली’ गाया, जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। संगीत में उनकी बहुआयामी प्रतिभा का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जुबिन को लगभग 12 अलग-अलग म्यूज़िक इंस्ट्रूमेंट्स बजाने का हुनर था। उन्होंने 1995 में मुंबई आकर अपना पहला इंडिपॉप एकल एल्बम चांदनी रात लॉन्च किया। इसके बाद उन्होंने दिल से (1998), डोली सजा के रखना (1998), फ़िज़ा (2000), कांटे (2002) जैसी कई बॉलीवुड हिट फिल्मों के लिए अपने मधुर स्वर में जीवन भर याद रहने वाले गाने दिए। उनके गानों की जादुई आवाज और सशक्त प्रस्तुति ने उन्हें संगीत प्रेमियों के दिलों में अमर बना दिया।   Zubeen Garg Singer death News

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'या अली’ फेम जुबिन गर्ग की मौत, स्कूबा डाइविंग के दौरान हादसे में गई सिंगर की जान!

'या अली’ फेम जुबिन गर्ग की मौत, स्कूबा डाइविंग के दौरान हादसे में गई सिंगर की जान!
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calendar19 Sep 2025 04:36 PM
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सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग हादसे के दौरान गायक जुबिन गर्ग का निधन: बॉलीवुड फिल्म गैंगस्टर के सुपरहिट गाने ‘या अली’ से देशभर में मशहूर हुए गायक जुबिन गर्ग का शुक्रवार को निधन हो गया। 52 वर्ष की उम्र में सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग करते वक्त एक अचानक हुए हादसे में उन्होंने अपनी जान गंवा दी। उनकी मौत की खबर से पूरे संगीत जगत और प्रशंसकों में गहरा शोक है।

मंत्री अशोक सिंघल ने की पुष्टि

असम के कैबिनेट मंत्री अशोक सिंघल ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए जुबिन गर्ग के निधन की पुष्टि की। उन्होंने लिखा कि असम ने सिर्फ एक आवाज नहीं खोई, बल्कि अपनी धड़कन भी खो दी है। मंत्री ने कहा कि जुबिन दा केवल एक गायक नहीं, बल्कि असम और पूरे देश का गौरव थे। उनके गानों ने भारतीय संस्कृति को दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचाया।

कैसे हुआ हादसा?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जुबिन गर्ग सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग कर रहे थे। इसी दौरान एक अजीब दुर्घटना हो गई और उन्हें तुरंत समुद्र से बाहर निकालकर अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वे ज़िंदगी की जंग हार गए।

नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल में होनी थी प्रस्तुति

जुबिन गर्ग सिंगापुर नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल में परफॉर्म करने पहुँचे थे। कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही यह दुखद हादसा हो गया। उनकी अचानक मौत ने न सिर्फ उनके फैंस, बल्कि पूरे असमिया समुदाय और भारतीय संगीत जगत को सदमे में डाल दिया है।

फैंस में शोक की लहर

‘या अली’ से लेकर कई हिट गानों तक अपनी आवाज़ का जादू बिखेरने वाले जुबिन गर्ग असम के सबसे बड़े संगीत सितारों में से एक थे। उनकी मृत्यु से लाखों प्रशंसक दुखी हैं और सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देने का सिलसिला लगातार जारी है। डेब्यू में छा गए ऐश्वर्य ठाकरे, अनुराग कश्यप की ‘निशानची’ कितनी दमदार?
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calendar19 Sep 2025 02:27 PM
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कुछ फिल्में सिर्फ सिनेमाघरों तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि रिलीज से पहले ही चर्चा का विषय बन जाती हैं। अनुराग कश्यप की ‘निशानची’ ऐसी ही फिल्मों में से एक है। जब से इसका ऐलान हुआ, दर्शकों की उत्सुकता लगातार बढ़ती गई। सवाल था—क्या ये फिल्म उम्मीदों पर खरी उतरेगी या फिर निराश करेगी? सच यह है कि फिल्म में कई ऐसे पल हैं जो आपको रोमांचित कर देंगे, लेकिन कुछ कमियां भी हैं जो अनुभव को थोड़ा हल्का कर देती हैं। तो आइए जानते हैं, ‘निशानची’ में वो क्या है जो इसे खास बनाता है और क्या यह फिल्म वाकई आपके टिकट की कीमत वसूल कराती है।  Nishaanchi Review

क्या है फिल्म की कहानी?

‘निशानची’ की कहानी जुड़वां भाई डब्लू और बब्लू के इर्द-गिर्द घूमती है। दिखने में दोनों एक जैसे हैं, लेकिन आदतों और स्वभाव में उनका फर्क आसमान-ज़मीन का है। डब्लू सीधा-सादा है, जबकि बब्लू मुश्किलों में घिरा रहता है। कहानी का पहला हिस्सा इन्हीं दोनों भाईयों के व्यक्तित्व और उनके रिश्तों की उलझनों को समझने में बीतता है। फिल्म में मोनिका, यानी मां मंजिरी और कुमुद मिश्रा के अंबिका प्रसाद की एंट्री से कहानी में नई हलचल आती है।

अंबिका ही परिवार की परेशानियों की जड़ है, और उनके काले कारनामों में पिता की मौत भी शामिल है। अंबिका अपनी ताकत दिखाता है और बब्लू उसका सहायक बन जाता है। छोटे शहर में छिपे राज और मोनिका के किरदार से जुड़ी घटनाओं की वजह से कहानी में कई मोड़ आते हैं। रिंकू (वेदिका पिंटो) के प्रवेश से दोनों भाइयों की जिंदगी बदलती है। सवाल यह है कि क्या ये भाई कभी सही रास्ते पर आ पाएंगे? इसका जवाब जानने के लिए आपको थिएटर जाना ही पड़ेगा।

निर्देशन और लेखन

अनुराग कश्यप की फिल्मों की पहचान उनका बेबाक और वास्तविक अंदाज है। ‘निशानची’ में भी गालियां, प्यार और एक्शन की कमी नहीं है। हालांकि फर्स्ट हाफ थोड़ा धीमा लगता है, क्योंकि किरदारों को पूरी तरह पेश होने में समय लगता है। लेकिन सेकंड हाफ में कहानी में ऊर्जा आती है। फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण हैं इसके देसी और मजेदार डायलॉग्स। जैसे बब्लू का अंबिका से संवाद – ‘आपको मुग़ल-ए-आज़म खेलना है या हम आपके हैं कौन…’ – दर्शकों को हंसी और उत्सुकता दोनों में बांधता है। हालांकि, कहानी में कई बातें एक साथ समेटने की कोशिश कहीं-कहीं बोझिल लगती है।

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कैसी रही एक्टिंग

ऐश्वर्य ठाकरे ने अपने डेब्यू में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उनका डबल रोल – डब्लू और बब्लू – संतुलित और प्रभावशाली है। मोनिका ने मां की भूमिका में दिल छू लेने वाला अभिनय किया है। वेदिका पिंटो का रोल ठीक है, लेकिन वह दर्शक पर गहरी छाप नहीं छोड़ पातीं। जीशान अय्यूब और कुमुद मिश्रा जैसे अनुभवी कलाकार भी अपने छोटे रोल में शानदार हैं। विनीत सिंह को कम स्क्रीन टाइम मिला है, फिर भी उनका काम शानदार है।

कमियां और खूबियां

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी शानदार है, हर सीन खूबसूरती से कैप्चर किया गया है। बावजूद इसके, कुछ हिस्से थोड़े लंबे लगते हैं। कुछ गाने और बैकस्टोरी खींचे हुए महसूस होते हैं। एडिटिंग में थोड़ी और कसी हुई मेहनत बेहतर परिणाम ला सकती थी। फिल्म के अंत में एक सरप्राइज ट्विस्ट है, जिसे जानने के लिए आपको थिएटर जाना होगा।  Nishaanchi Review