अंकिता हत्याकांड में कोर्ट का बड़ा फैसला, तीनो दोषी जेल में सड़ेंगे ताउम्र

Ankita Bhandari
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:52 AM
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Ankita Bhandari :  उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी को आख़िरकार न्याय मिल गया। पौड़ी गढ़वाल के बहुचर्चित और दिल दहला देने वाले हत्याकांड में कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। ये वही पुलकित आर्य है, जो तत्कालीन बीजेपी नेता विनोद आर्य का पुत्र है—मामला उजागर होते ही पार्टी ने विनोद आर्य से किनारा कर लिया था।

न्यायालय ने दिया स्पष्ट संदेश

न्यायालय ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाने), 354A (यौन उत्पीड़न) तथा अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम की धारा 3(1)d के तहत पुलकित आर्य को दोषी ठहराया है। वहीं, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को हत्या, सबूत मिटाने और अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम के तहत सजा सुनाई गई है। तीनों को आजीवन कारावास के साथ आर्थिक दंड भी भुगतना होगा। अदालत ने पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है।

दो साल आठ महीने की लंबी कानूनी लड़ाई

2022 में जब यह मामला सामने आया, तब राज्य से लेकर राजधानी तक जनाक्रोश की लहर दौड़ गई थी। अंकिता की गुमशुदगी से लेकर उसकी लाश के बरामद होने तक का हर पहलू राज्य की संवेदनशीलता और कानून-व्यवस्था पर सवाल बनकर खड़ा था। सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। जांच में जुटी टीम ने 500 पन्नों की चार्जशीट अदालत में दाखिल की। अभियोजन पक्ष ने 97 गवाहों की सूची दी, जिनमें से 47 प्रमुख गवाहों को कोर्ट में प्रस्तुत किया गया।

अंकिता की आखिरी शाम

19 वर्षीय अंकिता, यमकेश्वर ब्लॉक के श्रीकोट गांव की रहने वाली थी और वनतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर कार्यरत थी। 18 सितंबर 2022 को वह रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गई। 24 सितंबर को उसका शव ऋषिकेश के समीप चीला पावर हाउस की नहर से बरामद किया गया। जांच में सामने आया कि पुलकित आर्य ने अंकिता पर किसी वीआईपी मेहमान को ‘विशेष सेवा’ देने का दबाव बनाया था। अंकिता ने इस अवैध मांग का विरोध किया, जो उसकी जान पर भारी पड़ा। पुलकित ने अपने सहयोगियों सौरभ और अंकित के साथ मिलकर उसे चीला नहर में धक्का दे दिया।    Ankita Bhandari

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आज़ादी की आवाज़ से लेकर डिजिटल युग तक कैसा रहा है हिंदी पत्रकारिता का सफर ?

Hindi Journalism Day 2025
Hindi Journalism Day 2025
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 01:52 PM
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Hindi Journalism Day 2025  : हर साल 30 मई के दिन हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है।  इस मौके पर पूरे देश में तरह तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।  बता दें कि देश के पहले हिंदी भाषा के अखबार "उदंत मार्तंड" की शुरुआत 30 मई 1826 को कोलकाता से हुई थी। इस अखबार का अंतिम अंक 11 दिसंबर 1827 को प्रकाशित हुआ। वर्ष 1976 में इस बंद हुए अखबार को 150 वर्ष पूरे हुए, और उसी समय यह तय हुआ कि हर साल 30 मई को "पत्रकारिता दिवस" के रूप में मनाया जाएगा। इस वर्ष हिंदी पत्रकारिता के इस प्रतीक के 200 साल और पत्रकारिता दिवस के 50 साल पूरे हो रहे हैं।

"उदंत मार्तंड" हिंदी का पहला साप्ताहिक अखबार था, जिसकी नींव कानपुर के पंडित जुगुल किशोर शुक्ल ने संपादक के रूप में रखी थी। हालांकि इसकी अवधि ज्यादा लंबी नहीं रही। 1827 में यह बंद हो गया। 1976 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के सूचना निदेशक और उप सचिव स्व. ठाकुर प्रसाद सिंह की पहल पर लखनऊ में एक यादगार आयोजन हुआ था। उस समय की सख्त इमरजेंसी की परिस्थितियों में भी यह आयोजन हिंदी पत्रकारिता की विरासत को यादगार बनाने में सफल रहा।

इमरजेंसी के उस दौर में जहां अभिव्यक्ति पर कड़ी रोक थी, उस समय यह आयोजन पत्रकारों के लिए एक बड़ा उत्सव और संघर्ष की याद बन गया। इसके बाद से 30 मई को हर वर्ष "पत्रकारिता दिवस" के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। इस साल इस परंपरा को 50 वर्ष पूरे हो गए हैं, जबकि "उदंत मार्तंड" को 200 वर्ष की उम्र मिली है।

प्रिंट से डिजिटल तक का सफर

दो सौ वर्षों में खबरों और पत्रकारिता की दुनिया में कई बड़े बदलाव आए हैं। विशेष रूप से पिछले पचास वर्षों में तकनीकी उन्नति और सूचना क्रांति ने पत्रकारिता के स्वरूप को पूरी तरह बदल दिया है। पहले जहां प्रिंट मीडिया ही समाचार का प्रमुख स्रोत था, वहीं अब इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल माध्यमों ने उसे पीछे छोड़ दिया है। साथ ही सोशल मीडिया ने सूचना के आदान-प्रदान और विचारों की अभिव्यक्ति की दिशा ही बदल डाली है।

आज सोशल मीडिया पर हर किसी के पास आवाज़ है, जहां संपादकीय नियंत्रण की कमी के कारण खबरें तेज़ी से फैलती हैं। हालांकि, इस अराजकता के बीच यह प्लेटफॉर्म सक्रिय और जागरूक समुदाय के लिए एक सशक्त माध्यम भी बन गया है। इस बदलती दुनिया में पत्रकारिता अब केवल प्रेस या अखबार तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि इसे व्यापक रूप में 'मीडिया' के नाम से जाना जाता है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: पत्रकारिता का सबसे बड़ा आधार

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पत्रकारिता का मूल आधार माना जाता है, लेकिन यह अधिकार पूर्णतया असीमित नहीं है। भारत के संविधान में प्रेस को स्वतंत्रता के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं दिया गया है। प्रेस की आज़ादी, अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत आम नागरिकों के भाषण और अभिव्यक्ति के अधिकार के हिस्से के रूप में स्वीकार की जाती है, जिसे कुछ परिस्थितियों में सीमित भी किया जा सकता है।   Hindi Journalism Day 2025

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अमरनाथ यात्रा को लेकर केंद्र सतर्क, गृह मंत्री अमित शाह ने संभाली कमान

Amarnath Yatra
Amarnath Yatra
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 09:03 AM
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Amarnath Yatra :  जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हालिया आतंकी हमले के बाद अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं। श्रद्धालुओं में असुरक्षा की भावना स्पष्ट रूप से देखी जा रही है। इसी संदर्भ में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा और सुविधाओं को लेकर एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। गृह मंत्रालय की बैठक में शाह ने सुरक्षा बलों को निर्देश दिया कि वे किसी भी प्रकार की चूक न होने दें और यात्रा को पूरी सतर्कता के साथ निर्बाध रूप से सम्पन्न कराएं। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन तीर्थयात्रियों को हर आवश्यक सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

गृह मंत्री अमित शाह का बड़ा बयान 

बैठक के बाद शाह ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, “अमरनाथ तीर्थयात्रा की तैयारियों और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। सभी एजेंसियों को पूर्ण सजगता बनाए रखने का निर्देश दिया गया है ताकि पवित्र यात्रा बिना किसी रुकावट के सम्पन्न हो सके।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार तीर्थयात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी।

कब से शुरू हो रही है यात्रा?

इस वर्ष अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से आरंभ होकर 9 अगस्त को सम्पन्न होगी। कुल मिलाकर यह यात्रा 38 दिनों तक चलेगी। वर्ष 2024 में यह यात्रा 52 दिनों तक चली थी, लेकिन इस बार यात्रा अवधि को कुछ कम रखा गया है, संभवतः सुरक्षा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने इस बार सुरक्षा के मद्देनज़र केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 581 कंपनियों को तैनात करने का निर्णय लिया है। इनमें लगभग 42,000 जवान शामिल होंगे। इनमें से 424 कंपनियां सीधे जम्मू-कश्मीर भेजी जाएंगी, जबकि शेष कंपनियों को तीर्थ मार्ग, श्रीनगर और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैनात किया जाएगा। ये वही कंपनियां हैं जो 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भी कार्यरत थीं।

चुनौतियों से निपटने की तैयारी

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में कहा कि 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद इस साल की अमरनाथ यात्रा एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। हालांकि, प्रशासन यात्रा को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है।    Amarnath Yatra

सिंगापुर में गूंजेगी भारत की सुरक्षा नीति, वैश्विक सुरक्षा पर होगी बड़ी चर्चा

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