Haryana यकीनन आपकी आंखों से आसूं निकाल देगा एक बुजुर्ग दंपत्ति का यह सुसाइड नोट

Haryana यकीनन आपकी आंखों से आसूं निकाल देगा एक बुजुर्ग दंपत्ति का यह सुसाइड नोट
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 02:55 PM
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Haryana News : चरखी दादरी। मां-बाप का ये सपना होता है कि उनका बच्चा बड़ा होकर खूब पैसा कमाए। एक दिन बड़ा आदमी बने.. अपने पैरों पर खड़ा हो और एक दिन उनके बुढ़ापे का सहारा बने। हर मां-बाप अपने बच्चे को अच्छी परवरिश देने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं। अच्छी शिक्षा देने के लिए खुद दिन रात काम करते हैं, लेकिन कभी-कभी वही बच्चा अपने मां-बाप को ही भूल जाता है।

कभी-कभी बच्चे बड़े आदमी तो बन जाते है लेकिन एक अच्छा इंसान नहीं बन पाते। अब एक ऐसा ही दिल को दहलाने वाला मामला हरियाणा के चरखी दादरी से सामने आया है, जिसमें एक ऐसे मां-बाप ने आत्महत्या कर ली, जिनके बेटों के पास करोड़ों की प्रॉपर्टी है। यहां तक कि उनका पोता आईएएस अधिकारी था।

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इनके बेटों के पास बाढड़ा में 30 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी है लेकिन अपने मां-बाप को खिलाने के लिए दो-जून की रोटी नहीं है। पोता आईएएस अधिकारी है लेकिन उसको अपने दादा-दादी की देखभाल करने का समय नहीं है।

मामला चरखी दादरी का है। एक बुजुर्ग दंपत्ति मौत को गले लगा लिया। इसके पीछे का कारण सुनकर किसी की भी आंखें नम हो जाएंगी। दरअसल, 78 वर्षीय जगदीश चंद आर्य ने 77 साल की अपनी पत्नी भागली देवी को उनके बच्चे सही से खाना भी नहीं देते थे। इसी कारण से उन्होंने अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया। इस आत्महत्या के पीछे का कारण उनके बच्चों द्वारा की गई उनकी अवहेलना है। उन्होंने एक सुसाइड नोट भी लिखा है, जिसे पढ़कर आपकी आंखों से भी आंसू निकल आएंगें, पढ़े ...

"मैं जगदीश चंद्र आर्य आपको अपना दुख सुनाता हूं। मेरे बेटे के पास बाढ़ड़ा में 30 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन उसके पास मुझे देने के लिए दो वक्त की रोटी नहीं हैं। मैं अपने छोटे बेटे के पास रहता था। 6 साल पहले उसकी मौत हो गई। कुछ दिन उसकी पत्नी ने साथ रखा, लेकिन बाद में उसने गलत काम करना शुरू कर दिया। मैंने विरोध किया तो पीटकर घर से निकाल दिया।"

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जगदीश चंद्र आर्य ने आगे लिखा, "घर से निकाले जाने के बाद मैं दो साल तक अनाथ आश्रम में रहा। फिर वापस आया तो उन्होंने मकान को ताला लगा दिया। इस दौरान मेरी पत्नी लकवा का शिकार हो गई और हम दूसरे बेटे के पास रहने लगे। कुछ दिन बाद दूसरे बेटे ने भी साथ रखने से मना कर दिया और मुझे बासी खाना देना शुरू कर दिया है। ये मीठा जहर कितने दिन खाता, इसलिए मैंने सल्फास की गोली खा ली। मेरी मौत का कारण मेरी दो पुत्रवधू, एक बेटा और एक भतीजा है। जितने जुल्म उन चारों ने मेरे ऊपर किए, कोई भी संतान अपने माता-पिता पर न करे। "

जगदीश चंद्र आर्य नोट में लिखा है कि मेरी बात सुनने वालों से प्रार्थना है कि इतना जुल्म मां-बाप पर नहीं करना चाहिए. सरकार और समाज इनको दंड दे। तब जाकर मेरी आत्मा को शांति मिलेगी। बैंक में मेरी दो एफडी और बाढ़ड़ा में दुकान है, वो आर्य समाज बाढ़ड़ा को दे दी जाएं।

Haryana - लोगों से की ये अपील

जगदीश चंद्र आर्य लिखा है कि मेरी बात सुनने वालों से प्रार्थना है कि इतना जुल्म मां-बाप पर नहीं करना चाहिए। जिन बच्चों को हमने पाल कर बड़ा किया उन्होंने हमें दुत्कार दिया। सरकार और समाज इनको दंड दे। बैंक में मेरी दो एफडी और बाढ़ड़ा में दुकान है, वो आर्य समाज बाढ़ड़ा को दे दी जाए। बच्चों को इसका एक भी टुकड़ा न मिले। जगदीश आर्य ने कहा कि जब तक इन्हें दंड नहीं दिया जाता तब तक तक हमारी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी।

29 मार्च की रात को जगदीश चंद्र और उनकी पत्नी ने जहरीला पदार्थ खा लिया था फिर पुलिस कंट्रोल रूम को जानकारी दी थी। जब मौके पर पहुंची पुलिस टीम तो दंपत्ति जीवित थे। उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया। अस्पताल में जगदीश ने पुलिस को अपना सुसाइड नोट सौंपा। उस नोट को पढ़ने के बाद पुलिस वालों ने उनके परिवार वालों पर केस दर्ज किया। पुलिस ने पति-पत्नी को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन अंत में उनको बचाया नहीं जा सका।

पोता है आईएएस अधिकारी

जगदीश चंद्र आर्य का पोता एक आईएएस अधिकारी है। जगदीश चंद्र आर्य 2021 बैच के आईएएस विवेक आर्य के दादा हैं। विवेक आर्य के दादा-दादी ने प्रताड़ना से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। पोता आईएएस अधिकारी है लेकिन फिर भी उसके दादा-दादी को खाने के लिए खाना नहीं मिलता था।

Haryana - भारत में साल 2031 तक 19 करोड़ 40 लाख हो जाएगा बुजुर्गों का आंकड़ा

हाल ही में जारी हुए NSO के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में देश में बुजुर्गों की आबादी 13 करोड़ 80 लाख थी जो कि अगले एक दशक में यानी साल 2031 तक 41 फीसदी बढ़कर 19 करोड़ 40 लाख हो जाने का अनुमान है। देश में बढ़ते वृद्धाश्रम इस बात का संकेत हैं कि बुजुर्गों की देखभाल में समाज या सोशल सिक्योरिटी सिस्टम कहीं न कहीं पर्याप्त नहीं हैं। बुढ़ापे में आय की कमी, पेंशन की दिक्कत और परिवारों में देखभाल की कमी के बीच आज देश भर में 750 से अधिक ओल्ड एज होम हैं जो कि सरकारी और गैरसरकारी मदद से चल रहे हैं। एक वेलफेयर स्टेट को अपनी बुजुर्ग होती आबादी के लिए और किन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है इसके लिए दुनिया में कई देशों में उठाए गए कदमों से सीख ली जा सकती है। खासकर फिनलैंड जैसे स्कैंडिनेवियन देशों से जो बेहतर लाइफस्टाइल और हैपीनेस इंडेक्स में दुनिया में सबसे आगे मानी जाती है। Haryana News

Dahi Label Row – अब ‘दही पर रार’, केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का इल्जाम

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Indore Temple Update : इंदौर के मंदिर हादसे में मृतक संख्या बढ़कर 35 हुई

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Indore Temple Update: Death toll rises to 35 in Indore temple accident
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userचेतना मंच
calendar27 Nov 2025 09:20 PM
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Indore Temple Update :  इंदौर के एक मंदिर में बृहस्पतिवार को रामनवमी पर आयोजित हवन के दौरान पुरातन बावड़ी की छत धंसने से मरने वालो की संख्या बढ़कर 35 पर पहुंच गई है।  इंदौर के जिलाधिकारी डॉ. इलैयाराजा टी. ने घटनास्थल पर संवाददाताओं को बताया, ‘‘थलसेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की मदद से चलाया जा रहा हमारा खोज अभियान पूरा होने वाला है और अब तक 35 शवों को बावड़ी से निकाला गया है।’’

Indore Temple Update :

  इलैयाराजा ने बताया कि प्रशासन को लापता लोगों की जो सूची उनके परिजन से मिली थी, उनमें से एक व्यक्ति को छोड़कर सभी लोगों के शव बावड़ी के बाहर निकाले जा चुके हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि बावड़ी में गाद बेहद ज्यादा है और गाद हटाकर लापता व्यक्ति की तलाश की जा रही है। इससे पहले, इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) पवन कुमार शर्मा ने बताया कि हादसे में घायल 16 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि दो अन्य व्यक्तियों को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया है। चश्मदीदों ने बताया कि बृहस्पतिवार रात साढ़े 11 बजे के बाद बावड़ी से शवों को निकालकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजे जाने का सिलसिला तेज हुआ। थलसेना और एनडीआरएफ के संयुक्त दल को एक क्रेन और ट्रॉली की मदद से बावड़ी में नीचे उतारा गया जिसने शवों को बाहर निकाला।अधिकारियों ने बताया कि मंदिर के संकरी जगह में बने होने के कारण बचाव कार्य में शुरुआत में बाधा आई और मंदिर की एक दीवार तोड़ कर पाइप इसके भीतर डाला गया और बावड़ी का पानी मोटर से खींचकर बाहर निकाला गया। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि धार्मिक कार्यक्रम के दौरान मंदिर में पुरातन बावड़ी की छत पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ थी और छत ज्यादा लोगों का बोझ नहीं सहन कर सकी। स्थानीयनिवासियों  ने बताया कि मंदिर पुरातन बावड़ी पर छत डालकर बनाया गया था।
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Dahi Label Row - अब 'दही पर रार', केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का इल्जाम

Dahi Label Row - अब 'दही पर रार', केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का इल्जाम
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userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 06:49 PM
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Dahi Label Row - दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में दही पर विवाद खड़ा हो गया है। इसकी वजह है भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण का एक निर्देश, जो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को हजम नहीं हुआ। दरअसल दक्षिण भारत में दही को कर्ड (Curd) या तायिर के नाम से जाना जाता है और अभी तक वहां पर दही के जो पैकेट बेचे जाते थे, उन पर यही नाम अंकित किया जाता था। लेकिन अब भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने निर्देश जारी किया है कि दही के पैकेट पर कर्ड (Curd) या तायिर नहीं लिखा जाएगा, बल्कि उसके स्थान पर 'दही' ही लिखा जाएगा। परंतु तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (Tamilnadu CM M.K. Stalin) को यह बात रास नहीं आई और उन्होंने केंद्र सरकार पर हिंदी भाषा थोपने का इल्जाम लगा दिया।

Dahi Label Row -

केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का इल्जाम लगाते हुए स्टालिन ने लिखा कि -"हिंदी थोपने की बेशर्म जिद दही के एक पैकेट पर भी हिंदी में लेबल लगाने के लिए निर्देशित करने की हद तक आ गई है। हमारे अपने राज्यों में तमिल और कन्नड़ को हटा दिया गया है। हमारी मातृ भाषाओं की इस तरह की अवहेलना यह सुनिश्चित करेगी कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों को दक्षिण भारत से हमेशा के लिए निर्वासित कर दिया जाए।"

विवाद के बाद FSSAI ने दी इस बात की इजाजत -

पहले भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की तरफ से यह निर्देश जारी किया गया था कि दही के सभी पैकेटों पर दही ही लिखा जाएगा चाहे कर्नाटक हो या तमिलनाडु जिन राज्यों में दही को अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है, वहां पर भी दही के पैकेटों पर दही ही लिखा जाएगा। लेकिन जब दक्षिण के राज्यों में इस पर आपत्ति जताई गई और तमिलनाडु के दुग्ध उत्पादन संघ आविन ने यह कहा कि वह अपने पैकेट पर दही के बजाय तमिल शब्द तायीर ही लिखेगा तब FSSAI ने नया निर्देश जारी करते हुए कहा कि -"दही के पैकेट पर क्षेत्रीय भाषा का इस्तेमाल करने की इजाजत है। दही को इन नामों से भी लेबल किया जा सकता है जैसे कर्ड (दही), कर्ड (मोसरू), कर्ड (जामुत दाउद), कर्ड (तायिर), कर्ड (पेरुगु)।

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