भारत में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए मारुति की नई पहल

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर में तकनीकी सुधार और इनोवेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने रेविटी सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड में करीब 2 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

Reviti steps into Maruti Suzuki's innovation journey
मारुति सुजुकी की इनोवेशन यात्रा (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar01 Dec 2025 06:08 AM
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बेंगलुरु स्थित यह स्टार्टअप 2022 में स्थापित हुआ है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग कर कनेक्टेड मोबिलिटी इंटेलिजेंस प्रदान करता है। वाहन डेटा का विश्लेषण कर, यह कंपनियों और फ्लीट ऑपरेटर्स को बेहतर जानकारी और सेवाएं उपलब्ध कराता है, जिससे वाहन संचालन और ग्राहक अनुभव में सुधार होता है। यह तकनीक वाहन की गुणवत्ता सुधारने, संचालन को सुगम बनाने और नए व्यावसायिक अवसर खोजने में मददगार है।

निवेश का मकसद और रणनीति

यह निवेश मारुति सुजुकी इनोवेशन फंड के अंतर्गत किया गया है, जिसका लक्ष्य ऐसे स्टार्टअप्स का समर्थन करना है जो तकनीक और इनोवेशन के माध्यम से कंपनी के कार्य में मूल्यवर्धन कर सकें। इस फंड ने पहले भी Amlgo Labs (2024) और Sociograph Solutions (2022) में निवेश किया है।

कंपनी के अधिकारी का कहना

मारुति सुजुकी के एमडी और सीईओ ताकेऊची ने कहा कि हम ग्राहक को केंद्र में रखकर वाहन स्वामित्व अनुभव को बेहतर बनाने में लगे हैं। रेविटी सॉफ्टवेयर जैसी साझेदारियों से कंपनी के इनोवेशन लक्ष्यों को गति मिलती है और नई सोच का विकास होता है। उन्होंने यह भी बताया कि ओपन इनोवेशन के इस दौर में ऐसे स्टार्टअप्स के साथ मिलकर समाधान विकसित करना आवश्यक है, जो उद्योग को नई दिशा दे सकें। 

स्टार्टअप इंडिया के साथ जुड़ाव

इस निवेश को भारत सरकार के 'स्टार्टअप इंडिया' कार्यक्रम के अनुरूप बताया गया है, जो उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और तकनीक के क्षेत्र में नए आयाम जोड़ने का प्रयास है। 

खबर से जुड़े FAQs

  • रेविटी सॉफ्टवेयर क्या करता है?

यह AI आधारित प्लेटफॉर्म वाहन डेटा का विश्लेषण कर ऑटो कंपनियों और फ्लीट ऑपरेटर्स को उपयोगी जानकारी प्रदान करता है।

  • क्यों किया गया यह निवेश?

कंपनी अपने ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने और डेटा-आधारित रणनीतियों को मजबूत करने के उद्देश्य से निवेश कर रही है।

  • क्या यह मारुति सुजुकी के इनोवेशन फंड का तीसरा निवेश है?

हाँ, यह फंड का तीसरा निवेश है।

  • साझेदारी का फायदा?

ग्राहकों को अधिक स्मार्ट और डेटा-संचालित वाहन सेवाएं मिलेंगी।

  • रेविटी सॉफ्टवेयर कहां स्थित है?

बेंगलुरु में।

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जाने भविष्य की टिकाऊ कृषि के लिए एनपीके बायो कंसोर्टिया का महत्व

जैविक खेती और टिकाऊ कृषि की दिशा में कंसोर्टिया एनपीके एक बड़ा कदम है। जो किसान अपनी मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाना और फसल उत्पादन में स्थायी सुधार चाहते हैं, उनके लिए यह एक भरोसेमंद विकल्प बन चुका है। सही तरीके से इसके उपयोग से किसान कम लागत में अधिक फायदा उठा सकते हैं।

NPK Bio Consortia
जैविक खेती और टिकाऊ कृषि (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar02 Dec 2025 12:57 AM
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भारत में कृषि उत्पादन बढ़ाने और मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए जैविक उर्वरकों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसी कड़ी में कंसोर्टिया एनपीके किसानों के लिए एक बेहद कारगर और किफायती विकल्प बनकर उभरा है। यह एक ऐसा बायोफर्टिलाइज़र है जो मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाकर फसल की वृद्धि और उत्पादन दोनों में सुधार करता है।

नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद

कंसोर्टिया में मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया—जैसे एज़ोटोबैक्टर—हवा में मौजूद नाइट्रोजन को पौधों के उपयोग योग्य रूप में बदल देते हैं। इससे किसानों की रासायनिक नाइट्रोजन खादों पर निर्भरता कम होती है और लागत भी घटती है।

फास्फोरस और पोटाश को घुलनशील बनाता है

मिट्टी में अक्सर फॉस्फोरस और पोटाश मौजूद तो होते हैं, लेकिन पौधे उन्हें अवशोषित नहीं कर पाते। एनपीके बायो कंसोर्टिया में शामिल विशेष सूक्ष्मजीव इन तत्वों को घुलनशील बनाकर पौधों के लिए उपलब्ध कराते हैं। इससे पौधों का पोषण बेहतर होता है और वृद्धि तेज होती है।

पौधों की वृद्धि को प्रोत्साहन

यह कंसोर्टिया प्राकृतिक रूप से वृद्धि-प्रेरक हार्मोन और विटामिन्स का उत्पादन भी करता है। परिणामस्वरूप पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं, अंकुरण में सुधार देखा जाता है और कुल उपज बढ़ने की संभावना रहती है।

मृदा स्वास्थ्य में सुधार

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तकनीक मिट्टी की संरचना, उसमें वायु संचार और जल धारण क्षमता को भी बेहतर बनाती है। मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की सक्रियता बढ़ने से जमीन और अधिक उपजाऊ बनती है, जिससे किसानों को दीर्घकालिक लाभ मिलता है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में एनपीके बायो कंसोर्टिया जैविक खेती और प्राकृतिक कृषि को और मजबूती देगा। किसानों के लिए यह तकनीक टिकाऊ, किफायती और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प के रूप में उभर रही है।

क्या है कंसोर्टिया एनपीके?

कंसोर्टिया एनपीके एक जैविक खाद (Biofertilizer) है जिसमें लाभकारी सूक्ष्मजीवों का समूह मौजूद होता है। ये सूक्ष्मजीव—

  • नाइट्रोजन (N) को स्थिर करते हैं
  • फॉस्फोरस (P) को घोलकर पौधों के उपयोग लायक बनाते हैं
  • पोटेशियम (K) को मिट्टी से पौधों तक पहुंचाते हैं

इससे मिट्टी की उर्वरकता बढ़ती है और पौधे तेजी से एवं स्वस्थ तरीके से बढ़ते हैं। यह दलहनी, तिलहनी, अनाज, सब्जियों और फलों सहित हर फसल में उपयोगी है।

कंसोर्टिया NPK में मौजूद प्रमुख सूक्ष्मजीव

  • Azotobacter spp. – नॉन-लेग्यूम फसलों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण
  • Rhizobium spp. – दलहनी फसलों के लिए
  • Azospirillum spp. – अनाज, मोटे अनाज (बाजरा आदि) के लिए
  • फॉस्फेट घोलक बैक्टीरिया (PSB)
  • पोटैशियम मोबाइलाइजिंग बैक्टीरिया (KMB)

ये सभी मिलकर पौधों की जड़ों को मजबूत करते हैं और पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ाते हैं।

कैसे करें कंसोर्टिया एनपीके का उपयोग?

1. बीज उपचार

  • एनपीके कंसोर्टिया को पानी में मिलाकर 20 मिनट तक बीजों को भिगोएँ
  • बीज सुखाकर बुवाई करें

यह विधि अंकुरण और प्रारंभिक वृद्धि को तेज करती है।

2. मिट्टी में उपयोग

  • घोल बनाकर पौधों की जड़ों के पास डालें
  • गोबर की खाद या कंपोस्ट के साथ मिलाकर भी उपयोग किया जा सकता है

3. फोलियर स्प्रे

  • पानी में घोल बनाकर फसल पर स्प्रे किया जा सकता है
  • इससे पौधे पोषक तत्व जल्दी अवशोषित करते हैं

ध्यान दें: इसे किसी भी केमिकल फर्टिलाइज़र या कीटनाशक के साथ मिलाकर इस्तेमाल न करें।

कंसोर्टिया एनपीके के प्रमुख फायदे

  • पौधों को पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाता है
  • मिट्टी का स्वास्थ्य सुधारता है
  • रासायनिक उर्वरकों की जरूरत कम करता है
  • जड़ों और पौधों की वृद्धि तेज करता है
  • उपज में 10–20% तक वृद्धि संभव

कमजोर पौधे भी इसका उपयोग करने के बाद मजबूत होते हैं और फसल जल्दी तैयार होती है, जिससे किसानों को बेहतर बाजार मूल्य मिलता है।

बाजार में उपलब्ध श्रेष्ठ उत्पाद

  • यह तरल बायोफर्टिलाइज़र है
  • आवश्यक सूक्ष्मजीवों का सटीक संयोजन मौजूद
  • पोषक तत्वों के अवशोषण और पौधों की ऊर्जा को बढ़ाता है
  • उपज में उल्लेखनीय वृद्धि देता है
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‘हिंदू रहेगा तो ही दुनिया रहेगी’ – मोहन भागवत के बयान के मायने क्या हैं?

उन्होंने भारत को “अमर समाज और अमर सभ्यता” बताते हुए कहा कि इतिहास में न जाने कितनी महाशक्तियां आईं, थोड़े समय के लिए चमकीं और फिर मिट गईं, लेकिन भारत ने उनके उदय और पतन—दोनों का दौर देखा है और तमाम उतार–चढ़ाव के बावजूद आज भी मजबूती से खड़ा है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदू समाज को लेकर कह दी बड़ी बात
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar02 Dec 2025 12:56 AM
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत इन दिनों मणिपुर प्रवास पर हैं। इसी दौरान दिए गए उनके एक बयान ने नया राजनीतिक और वैचारिक विमर्श छेड़ दिया है। भागवत ने अपने संबोधन में हिंदू समाज की भूमिका, भारतीय सभ्यता की जड़ों और आत्मनिर्भर राष्ट्र की अवधारणा पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि दुनिया की कई प्राचीन सभ्यताएं वक्त के साथ इतिहास के पन्नों में सिमट गईं, लेकिन भारत आज भी मज़बूती से इसलिए खड़ा है क्योंकि हिंदू समाज ने सदियों के दौरान एक मजबूत और जीवंत सामाजिक ढांचा खड़ा किया है। भागवत के मुताबिक, अगर हिंदू नहीं रहेगा, तो दुनिया भी नहीं बचेगी, क्योंकि धर्म के सही अर्थ और उसके संतुलित मार्गदर्शन की सीख दुनिया को समय–समय पर हिंदू समाज ने ही दी है।

‘कई सभ्यताएं मिट गईं, भारत आज भी खड़ा है’

मणिपुर में दिए गए अपने संबोधन में मोहन भागवत ने दुनिया के इतिहास का ज़िक्र करते हुए कहा कि वक्त के थपेड़ों ने न जाने कितनी ताकतवर सभ्यताओं और साम्राज्यों को धराशायी कर दिया। उन्होंने याद दिलाया कि कभी यूनान, मिस्र और रोम जैसे देश और संस्कृतियां अपनी शक्ति के चरम पर थीं, लेकिन आज उनका वही वैभव कहीं दिखाई नहीं देता। भागवत के मुताबिक, परिस्थितियां हर समाज पर आती हैं, कई राष्ट्र और सभ्यताएं इन चुनौतियों के बीच खत्म हो गईं, लेकिन भारत की ‘हस्ती’ आज भी कायम है। उन्होंने भारत को “अमर समाज और अमर सभ्यता” बताते हुए कहा कि इतिहास में न जाने कितनी महाशक्तियां आईं, थोड़े समय के लिए चमकीं और फिर मिट गईं, लेकिन भारत ने उनके उदय और पतन—दोनों का दौर देखा है और तमाम उतार–चढ़ाव के बावजूद आज भी मजबूती से खड़ा है।

‘हिंदू समाज रहेगा तो दुनिया बचेगी’

अपने संबोधन में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज को भारतीय सभ्यता की आत्मा करार दिया। उन्होंने कहा कि समय रहते समाज ने अपना बुनियादी ढांचा और सामाजिक नेटवर्क इस तरह तैयार किया कि हर संकट के बावजूद भारत का अस्तित्व सुरक्षित रहा। भागवत के मुताबिक, हमने ऐसी सामाजिक संरचना गढ़ी है, जिससे हिंदू समाज बना रहेगा। उनका कहना था कि अगर हिंदू नहीं रहेगा तो दुनिया भी नहीं रहेगी, क्योंकि धर्म का सही अर्थ और उसका संतुलित मार्गदर्शन समय–समय पर दुनिया को हिंदू समाज ही देता रहा है। यही, उनके शब्दों में, हिंदू समाज का ईश्वर प्रदत्त दायित्व है।

नक्सलवाद और ब्रिटिश राज का उदाहरण

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने यह भी संदेश दिया कि कोई भी संकट हमेशा के लिए नहीं होता, बशर्ते समाज उसे खत्म करने का संकल्प ले ले। उन्होंने उदाहरण के तौर पर नक्सलवाद का ज़िक्र किया और कहा कि जब समाज ने ठान लिया कि अब हिंसा और आतंक बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे, तभी इसने अपनी पकड़ खोनी शुरू कर दी। इसी संदर्भ में उन्होंने अंग्रेज़ी हुकूमत की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक समय था जब यह कहा जाता था – ब्रिटिश साम्राज्य पर सूर्य कभी अस्त नहीं होता। लेकिन उसी ब्रिटिश राज के पतन की कहानी भारत से शुरू हुई। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1947 तक, पूरे 90 साल तक देश ने आज़ादी के लिए निरंतर लड़ाई लड़ी। यह वह आवाज़ थी, जिसे कभी पूरी तरह दबने नहीं दिया गया – कभी धीमी पड़ी, कभी बुलंद हुई, लेकिन खत्म होने नहीं दी।

‘देश को आर्थिक, सैन्य और ज्ञान के स्तर पर आत्मनिर्भर बनना होगा’

भाषण के एक बड़े हिस्से में भागवत ने आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी सोच पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि केवल राजनीतिक आज़ादी काफी नहीं, देश की अर्थव्यवस्था को भी इस स्तर पर मजबूत होना होगा कि वह किसी बाहरी ताकत या मदद पर निर्भर न रहे। उन्होंने कहा - हमारी अर्थव्यवस्था पूरी तरह आत्मनिर्भर होनी चाहिए। हमें किसी पर डिपेंडेंट नहीं रहना है। हमारे पास आर्थिक क्षमता, सैन्य क्षमता और ज्ञान की क्षमता – तीनों होनी चाहिए और लगातार बढ़नी चाहिए। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि देश सुरक्षित रहे, समृद्ध रहे और ऐसा भारत बने जहाँ कोई नागरिक दुखी, दरिद्र या बेरोजगार न हो। हर व्यक्ति देश के लिए काम करे और आनंद से जीवन जी सके।