Political Discord : विरासत में मिली सियासत, परिवारों में करा दी बगावत

Anil
Inherited politics, caused rebellion in families
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 03:45 PM
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नई दिल्ली। परिवारवाद को लेकर आरोप-प्रत्यारोपों के बीच भारतीय राजनीति में ऐसे नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त है, जिन्हें विरासत में सियासत तो मिली, लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षा परिवार में बगावत का कारण बन गई। देश की राजनीति में ऐसे कई उदाहरण हैं कि माता या पिता ने जिंदगीभर किसी एक दल का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन पुत्र, पुत्री, बहु या परिवार के अन्य सदस्यों ने दूसरे दलों का दामन थाम लिया। इस कड़ी में अब एक नया नाम जुड़ गया है। वह हैं कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार केरल के पूर्व मुख्यमंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल के एंटनी। अनिल ने पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया।

Political Discord

दिग्गज कांग्रेसी एंटनी के बेटे भाजपा में

सीनियर एंटनी यानि एके एंटनी पांच बार विधानसभा के सदस्य रहे और पांच बार राज्यसभा भी पहुंचे। वह तीन बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए और इतनी ही बार केरल के मुख्यमंत्री भी रहे। भाजपा में शामिल होने के फैसले के बारे में अनिल से पूछने पर उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर यह एक कठिन फैसला था, लेकिन हमें कुछ सार्थक करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिस कांग्रेस में उनके पिता ने अपनी जिंदगी खपा दी और जिसकी वजह से उनकी पहचान है, वह कांग्रेस आज विनाशकारी दिशा में है। हालांकि, सीनियर एंटनी ने अपने बेटे के भाजपा में शामिल होने पर दुख जताते हुए इसे गलत फैसला करार दिया। उन्होंने कहा कि वह खुद आखिरी सांस तक कांग्रेस के सिपाही बने रहेंगे। एंटनी 37 वर्ष के थे, जब वह पहली बार केरल के मुख्यमंत्री बने थे।

महाराष्ट्र के देसाई परिवार में भी बगावत

अभी कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र में भी इसी तरह का घटनाक्रम देखने को मिला था। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के प्रमुख नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी सुभाष देसाई के बेटे भूषण देसाई ने पार्टी छोड़कर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का दामन थाम लिया था। सुभाष देसाई ने तब कहा था कि बेटे ने भले ही पाला बदल लिया हो, लेकिन उनकी निष्ठा शिवसेना, मातोश्री, दिवंगत बाला साहेब ठाकरे और उद्धव ठाकरे के प्रति ही रहेगी।

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मुलायम की छोटी बहू ने भी की बगावत

इसी कड़ी में एक प्रमुख नाम समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव का भी आता है। वह 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सपा का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं। इसी तरह, उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी के पुत्र मयंक जोशी ने पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान ही सपा का दामन थाम लिया था। प्रयागराज की सांसद रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे के लिए लखनऊ कैंट से टिकट चाहती थीं, लेकिन भाजपा नेतृत्व ने उनकी नहीं सुनी। इसके बाद मयंक सपा में शामिल हो गए।

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जनार्दन द्विवेदी और चौटाला परिवार भी अछूता नहीं

ऐसा ही एक प्रमुख नाम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी का है। करीब डेढ़ दशक तक कांग्रेस के संगठन महासचिव रहे और सोनिया गांधी के करीबियों में शुमार जनार्दन द्विवेदी के बेटे समीर द्विवेदी फरवरी 2020 में भाजपा में शामिल हो गए थे। पिता किसी दल में और बेटा अन्य दल में, इसकी सबसे बड़ी बानगी हरियाणा में देखने को मिलती है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के संस्थापक एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के दोनों ही बेटे अलग-अलग दलों से जुड़े हैं। सीनियर चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला और उनके पुत्र दुष्यंत चौटाला ने मतभेद के बाद जननायक जनता पार्टी (जजपा) का गठन किया। दुष्यंत फिलहाल हरियाणा के उपमुख्यमंत्री हैं। वहीं, सीनियर चौटाला के छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला फिलहाल इनेलो के प्रधान महासचिव हैं। वह इन दिनों राज्य में हरियाणा परिवर्तन यात्रा की अगुवाई कर रहे हैं। हाल ही में ओम प्रकाश चौटाला भी इस यात्रा में शामिल हुए थे।

आंध्र प्रदेश में रेड्डी की बहन ने भी बनाई अलग पार्टी

कुछ ऐसी ही कहानी आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस की है। मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। लंबे समय तक उनके साथ रही उनकी बहन शर्मिला ने अपनी पार्टी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का गठन किया है। जगन की मां ने वाईएसआर कांग्रेस के मानद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और बेटी की पार्टी की गतिविधियों से जुड़ गईं। शर्मिला की पार्टी मुख्य रूप से तेलंगाना में सक्रिय है।

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यूपी में किस्से अनेक

उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी ‘अपना दल’ की कहानी भी काफी मिलती-जुलती है, जिसकी स्थापना राज्य में कुर्मी समुदाय के प्रमुख नेता रहे सोनेलाल पटेल ने की थी। उनके निधन के बाद परिवार में उत्तराधिकार को लेकर संघर्ष छिड़ गया, जो आज तक जारी है। अपना दल फिलहाल दो गुटों में बंट गया है। एक की कमान अनुप्रिया पटेल के हाथों में है, जबकि दूसरे गुट का नेतृत्व उनकी बड़ी बहन पल्लवी पटेल कर रही हैं। अनुप्रिया पटेल केंद्र सरकार में मंत्री हैं, जबकि पल्लवी पटेल ने उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में सपा का दामन थाम लिया था। उन्होंने सिराथू विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को पराजित किया था। उत्तर प्रदेश के ही कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में हैं, जबकि उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य भाजपा की सांसद हैं।

यशवंत सिन्हा और बेटे की सियासी राहें जुदा-जुदा

ऐसे परिवार, जहां बगावत पिता ने की, उसका जिक्र होने पर भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा का ख्याल आना लाजिमी है। यशवंत सिन्हा जनता पार्टी, जनता दल से होते हुए भाजपा में पहुंचे, लेकिन नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनका पार्टी से मोहभंग हुआ और वह कुछ समय बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए। उनके बेटे जयंत, हालांकि भाजपा में ही बने रहे। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Punjab : पंजाब में ‘आप’ के ‘संरक्षण’ में और मजबूत हुआ है माफिया राज : सिद्धू

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Punjab News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 05:10 PM
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Punjab News : चंडीगढ़। कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने शनिवार को आरोप लगाया कि पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) के 'संरक्षण' में 'माफिया राज' और मजबूत हुआ है जबकि उसने सत्ता में आने से पहले इसे खत्म करने का वादा किया था।

सिद्धू ने ‘आप’ पर चुनाव पूर्व वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया और मुख्यमंत्री भगवंत मान को राज्य सरकार के प्रदर्शन के बारे में उनके साथ बहस करने की चुनौती दी।

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वर्ष 1988 के रोड रेज मौत मामले में लगभग 10 महीने की जेल में बिताने के बाद पिछले हफ्ते से रिहा हुए सिद्धू जालंधर में कांग्रेस सांसद संतोख सिंह चौधरी के परिवार से मिलने गए थे, जिनकी जनवरी में मृत्यु हो गई थी।

कांग्रेस ने चौधरी की पत्नी करमजीत कौर चौधरी को 10 मई को जालंधर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है।

जालंधर में पत्रकारों से बात करते हुए सिद्धू ने कांग्रेस के पूर्व विधायक सुशील रिंकू को उपुचनाव में उम्मीदवार बनाने के लिए ‘आप’ को "शिकारी" कहा। कांग्रेस के पूर्व विधायक रिंकू बुधवार को मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में ‘आप’ में शामिल हो गए थे।

सिद्धू ने आरोप लगाया कि ‘आप’ ने पूर्व में कांग्रेस के पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी को भी अपने पाले में करने की कोशिश की थी।

रिंकू के ‘आप’ में शामिल होने का जिक्र करते हुए सिद्धू ने कहा, 'जिन परिस्थितियों में उन्होंने शिकार किया, मैं उन्हें (आप) शिकारी कहता हूं।”

सिद्धू ने कहा कि ‘आप’ सपने बेचकर और खोखले वादे करके सत्ता में आई है। उन्होंने कहा कि मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आपने पंजाब से 'माफिया राज' को खत्म करने का वादा किया था। आज माफिया राज मजबूत हो गया है और इसके पीछे ‘आप’ का हाथ है। आज माफिया को आम आदमी पार्टी चला रही है।

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Hyderabad : सुप्रीम कोर्ट ने दिया है विपक्षी पार्टियों को झटका : मोदी

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Hyderabad
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 11:03 PM
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Hyderabad News :  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी नेताओं के खिलाफ विभिन्न केंद्रीय जांच एजेंसी के कथित मनमाने इस्तेमाल के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाले कुछ राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए शनिवार को कहा कि शीर्ष अदालत ने उनकी याचिका खारिज करके इन दलों को करारा झटका दिया है।

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मोदी ने कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखने और उद्घाटन करने के बाद यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार से सहयोग की कमी के कारण तेलंगाना में कई केंद्रीय परियोजनाओं के पूरा होने में देरी हो रही है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव सिकंदराबाद और तिरुपति के बीच वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाए जाने के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। उन्होंने तेलंगाना में कई विकास परियोजनाओं के शिलान्यास एवं उद्घाटन कार्यक्रमों में भी भाग नहीं लिया। राव एक साल से अधिक समय से राज्य में मोदी के दौरों में उनके कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए हैं।

विकास की योजनाओं में बाधा न पहुंचाने की अपील

मोदी ने राव की अगुवाई वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नीत सरकार से राज्य के लोगों के वास्ते विकास की योजनाओं में कोई बाधा नहीं पहुंचाने की अपील की। उन्होंने राज्य में केंद्र की योजनाओं को लेकर सत्तारूढ़ दल के कथित असहयोग पर ‘दुख’ व्यक्त किया।

उन्होंने वंशवाद की राजनीति की निंदा करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने वंशवादी ताकतों के भ्रष्टाचार की असली जड़ पर प्रहार किया है जो हर व्यवस्था पर अपना नियंत्रण रखना चाहती हैं।

मोदी ने कहा कि हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना चाहिए या नहीं? हमें भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लड़ना चाहिए या नहीं? देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराना चाहिए या नहीं? क्या भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कानूनी कदम उठाए जाने चाहिए, भले ही वे (भ्रष्टाचारी) बड़े हों या नहीं। क्या कानून को भ्रष्टाचारियों के खिलाफ काम करने देना चाहिए या नहीं?

उन्होंने कहा कि इसलिए ये लोग परेशान है और वे गुस्से में सब कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने किसी का नाम लिये बिना कहा कि कुछ दिन पहले कुछ राजनीतिक दल न्यायालय में संरक्षण मांगने गए थे कि कोई उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच की मांग न करे। वे न्यायालय गए, लेकिन न्यायालय ने उन्हें झटका दे दिया।

कांग्रेस के नेतृत्व में 14 राजनीतिक दलों ने हाल में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि विपक्षी नेताओं और असहमति के अपने मौलिक अधिकार का इस्तेमाल करने वाले अन्य नागरिकों के खिलाफ कठोर आपराधिक मुकदमों में खतरनाक वृद्धि हुई है।

शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से मना करते हुए कहा कि नेताओं के पास "उच्चतर प्रतिरक्षा" नहीं है।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने पांच अप्रैल को इस याचिका पर विचार करने को लेकर अनिच्छा व्यक्त की थी।

उन्होंने यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए किसी का नाम लिए बिना कहा कि ‘परिवारवाद’ और ‘भ्रष्टाचार’ एक दूसरे से अलग नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां परिवारवाद होता है वहीं भ्रष्टाचार पनपता है।

वंशवाद पर नियंत्रण

मोदी ने कहा कि वंशवाद और उसकी राजनीति का मूल मंत्र सभी पर नियंत्रण रखना है। उन्होंने कहा कि वंशवादी हर प्रणाली पर अपना नियंत्रण चाहते हैं और यदि कोई उनके नियंत्रण को चुनौती देता है, तो उन्हें यह कतई नहीं भाता।

मोदी ने उनकी सरकार द्वारा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्रणाली और देश भर में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने का उदाहरण देते हुए कहा कि वंशवादी ताकतें इस बात पर नियंत्रण रखना चाहती है कि किस लाभार्थी को क्या लाभ मिलेगा और इसके तीन अर्थ हैं।

मोदी ने कहा कि पहला अर्थ है- परिवार की हमेशा प्रशंसा की जानी चाहिए, दूसरा अर्थ है कि भ्रष्टाचार के जरिए आ रहा धन परिवार के पास आता रहना चाहिए और तीसरा अर्थ यह है कि जो धन गरीबों को भेजा जाता है वह भ्रष्ट पारिस्थितिकी तंत्र को मिलता रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करना उनकी सरकार की प्राथमिकता है, जबकि मुट्ठी भर लोग विकास आगे बढ़ने से गुस्से में हैं। मोदी ने कहा कि वंशवाद, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वालों का देश हित और समाज के कल्याण से कोई लेना-देना नहीं है।

उन्होंने कहा कि वे केवल अपने परिवार की समृद्धि देखना पसंद करते हैं और ये लोग हर परियोजना एवं निवेश में अपने परिवार का स्वार्थ देखते हैं। मोदी ने कहा, ‘‘तेलंगाना को ऐसे लोगों के खिलाफ बहुत सतर्क रहने की जरूरत है।’’

उन्होंने समग्र राष्ट्रीय विकास में राज्य की प्रगति की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र की परियोजनाओं के प्रति राज्य सरकार का असहयोग तेलंगाना के लोगों के सपनों को प्रभावित कर रहा है।

मोदी ने कहा कि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव देख रही है, लेकिन भारत अनिश्चितता के इस दौर में उन देशों में से एक है, जो बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण में रिकॉर्ड राशि का निवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए 10 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए।

इससे पहले मोदी ने हैदराबाद में सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर सिकंदराबाद-तिरुपति वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

इस ट्रेन के शुरू होने से तेलंगाना के सिकंदराबाद और पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश के तिरुपति शहर के बीच यात्रा के समय में करीब साढ़े तीन घंटे की कमी आएगी, जिससे विशेष रूप से तीर्थयात्रियों को फायदा होगा।

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