Noida News : रिश्वतखोर प्राधिकरण कर्मियों की सरपरस्ती में फल-फूल रहा झुग्गी-फ्लैट का गोरखधंधा

Noida News (चेतना मंच)। नोएडा की झुग्गियों में अब प्राधिकरण के ही चंद घूसखोर अफसरों की सरपरस्ती में खेल चल रहा है। आलम यह है कि कई झुग्गीवासियों द्वारा फ्लैट आवंटित होने के बाद भी न तो वे सेक्टर-122 स्थित नये फ्लैट में जा रहे हैं और न ही उनकी झुग्गियां तोड़ी जा रही हैं।
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सेक्टर-8, 9 और 10 की झुग्गियों को हटाने के लिए प्राधिकरण लंबे समय से प्रयासरत है। झुग्गी वालों को फ्लैट देकर झुग्गियों को खाली कराकर तोडऩे का नियम बनाया गया। प्राधिकरण ने यहां जमीन खाली कराने के लिए प्राधिकरण ने कई सौ करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं, लेकिन प्राधिकरण का यह सब धन बेकार हो गया है।
दरअसल, प्राधिकरण के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से झुग्गीवासी फ्लैट भी ले रहे हैं और मौके से झुग्गी भी खाली नहीं कर रहे हैं। इस खेल से प्राधिकरण में बैठे बड़े अफसर अनजान है। अफसरों को कर्मचारी आकर तरह-तरह की बातें बताकर गुमराह कर देते हैं। नाम ना छापने की शर्त पर झुग्गियों में रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि प्राधिकरण के कुछ कर्मचारी मिलीभगत करके पहले झुग्गी को दिखावटी रूप से सील कर देते हैं। जब झुग्गी वाला फ्लैट पर कब्जा ले लेता है तब उसकी झुग्गी खुल जाती है।
झुग्गियां तोडऩे की बजाए इस झुग्गी में रहने वाले को बार-बार मोहलत दे दी जाती है। जिसके चलते झुग्गियों की स्थिति जस की तस बनी हुई है। जब प्राधिकरण के अफसर इस संबंध में कर्मचारियों से जवाब तलब करते हैं तो वह अनजान बन जाते हैं। जबकि यह पूरा खेल उनके ही संरक्षण में खेला जा रहा है। आखिर जो कर्मचारी इस काम में लगाए गए हैं उनसे जवाबदेही क्यों नहीं हो रही है। प्राधिकरण की सीईओ यहां चल रहे इस गोरखधंधे से अनभिज्ञ हैं।
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सेक्टर-8, 9 और 10 की झुग्गियों को हटाने के लिए प्राधिकरण लंबे समय से प्रयासरत है। झुग्गी वालों को फ्लैट देकर झुग्गियों को खाली कराकर तोडऩे का नियम बनाया गया। प्राधिकरण ने यहां जमीन खाली कराने के लिए प्राधिकरण ने कई सौ करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं, लेकिन प्राधिकरण का यह सब धन बेकार हो गया है।
दरअसल, प्राधिकरण के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से झुग्गीवासी फ्लैट भी ले रहे हैं और मौके से झुग्गी भी खाली नहीं कर रहे हैं। इस खेल से प्राधिकरण में बैठे बड़े अफसर अनजान है। अफसरों को कर्मचारी आकर तरह-तरह की बातें बताकर गुमराह कर देते हैं। नाम ना छापने की शर्त पर झुग्गियों में रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि प्राधिकरण के कुछ कर्मचारी मिलीभगत करके पहले झुग्गी को दिखावटी रूप से सील कर देते हैं। जब झुग्गी वाला फ्लैट पर कब्जा ले लेता है तब उसकी झुग्गी खुल जाती है।
झुग्गियां तोडऩे की बजाए इस झुग्गी में रहने वाले को बार-बार मोहलत दे दी जाती है। जिसके चलते झुग्गियों की स्थिति जस की तस बनी हुई है। जब प्राधिकरण के अफसर इस संबंध में कर्मचारियों से जवाब तलब करते हैं तो वह अनजान बन जाते हैं। जबकि यह पूरा खेल उनके ही संरक्षण में खेला जा रहा है। आखिर जो कर्मचारी इस काम में लगाए गए हैं उनसे जवाबदेही क्यों नहीं हो रही है। प्राधिकरण की सीईओ यहां चल रहे इस गोरखधंधे से अनभिज्ञ हैं।








डॉक्टर आर एन पी सिंह (ई ब्लॉक) का कहना है कि बागों या जंगल में पेड़ चौड़ाई लंबाई में बढ़ते हैं। यहाँ बहुमंजिला घरों की बहुमंजिला ऊंचाई के कारण पेड़ों तक धूप नहीं पहुँच पाती है। इसलिए पेड़ ऊंचे और ऊंचे ही होते जा रहे हैं। तेज आंधी आने पर जब वे झूमते हैं। तो काफी डरावना सा लगता है।
उमेश शर्मा, का मानना है कि सेक्टर-15 तो अब पुरानी दिल्ली जैसा बन रहा है। जमीन तो बढ़ेगी नहीं लोग दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। सेक्टर-15 की तीन चीजें हैं जो खास मशहूर हैं मकान मालिक, किराएदार और पूरे सेक्टर में छाया तारों का जाल। दूर-दूर से लड़के लड़कियां पढऩे, नौकरी करने या नोएडा में अपना भविष्य खोजने आते हैं। उन्हें सेक्टर-15 सबसे अच्छा सेक्टर लगता है। क्योंकि पढ़ाई के लिए ग्रेटर नोएडा या दिल्ली जाने के लिए समय की बचत के साथ -साथ सस्ता है। कुछ सुंदरता भी बाकी है। फिर खुले पार्क भी मिल जाते हैं युवाओं को।
छात्रा अंशु का कहना है की यहाँ का सामुदायिक भवन भी अपने आप में ही एक समस्या है। आज तक टीन की छत है। अध्यक्ष धीरज कुमार का कहना है कि हमारे सेक्टर का फैलाव अब बहुत हो गया है। जिसके सामने समुदायिक केंद्र काफी छोटा पडऩे लगा है। श्रीमती गिरिजा सिंह का भी यही मानना है कि सेक्टर-15 का बारात घर अब उनके सेक्टर के लिए बहुत ही छोटा पड़ रहा है। इसलिए अलका सिनेमा के सामने जो एक बहुत बड़ा टैक्सी स्टैंड है। प्राधिकरण से निवेदन है कि वह जगह सेक्टर-15 को सामुदायिक भवन के लिए दे दी जाए। वैसे भी यहां सेक्टरी-15 के निवासी तो कम। पर दूरदराज सेक्टरों से झुग्गियों के लोग अपने शादी ब्याह फंक्शन करने अधिक आते हैं। उनमें से कई तो जाते समय पूरी गंदगी भी वहीं छोड़ जाते हैं। इसी सेक्टर के निवासी वरिष्ठï पत्रकार श्री विरेंद्र मालिक कहते हैं यहाँ कुत्ते बहुत हैं। आर.डी. शर्मा का मानना है कि दिल्ली के नजदीक होने के कारण उन्होंने यहां पर अपना घर बनाया था। यहां समस्याएं अपनी जगह हैं। लेकिन लोग बहुत मिलनसार हैं। इसलिए उनका तो यहाँ बहुत दिल लगता है।
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Noida News: Mirror roaming in the city[/caption]
विजेंद्र भाटी का मानना है की सैक्टर में ज्यादा पीजी खुल जाने से सैक्टर की व्यवस्था लचर होती जा रही है। पता सबको सब है पर आँखें बंद हैं। दिन छुपते ही सैक्टर के लोग अंदर तथा पीजी के लड़के लड़कियां बाहर। कहीं-कहीं तो घरों में अधिक लोग रहने से लोग कपड़े तक धोकर पार्कों में सुखाते हैं। परेशानी तब आती है। जब गाँव के लोग अपनी गाडियाँ सैक्टर के अंदर बिना पूछे किसी के भी घर के आगे खड़ी कर जाते हैं। फिर कई कई दिन उठाते भी नहीं। सैक्टर की सुरक्षा के लिए बाउंड्री वाल है। पर वह ज्यादा ऊंची नही है। दूसरा बाउंड्री वाल में जो गेट हैं वो सदा खुले रहते हैं। जिससे असमाजिक तत्व सैक्टर में कभी भी घुस आते हैं। सुरक्षा के लिए अधिक गार्ड चाहिए। लेकिन आरडब्लूए भी क्या करे?
सेक्टर की सुरक्षा
अनिल पांडे के अनुसार सैक्टर की सुरक्षा अधिक होनी चाहिए शाम को। रेहडिय़ों वाले गेट नंबर 2 पर आकर इस पूरे इलाके को घेर फूड कोर्ट में बदल देते हैं। अकेले रहने वाले किराये दार इनके खाने वाले ग्राहक हैं । यूं ये सारा गेट ही घेर लेते हैं। जिनके बीच में झपट मार भी कभी कभी शामिल जो जाते हैं। बी ब्लॉक से हरीश कहते हैं की अंदर की सड़कों पर लोग बहुत ही तेज गाडियाँ भगाते हैं। उनके पीछे फिर कुत्ते भोंकते हुए भागते हैं। और ऐसा दिन में कितनी ही बार और किसी भी समय हो जाता है। इस सैक्टर की गंभीर समस्या अब ये है की सडकों की बार-बार रिसर्फेसिंग से सड़के ऊंची तथा मकान नीचे होने लगे हैं। घरों के आगे बरसाती पानी की निकासी को बनी नालियाँ तो अधिकांशत: घरों के आगे बने रेम्पों के नीचे ही बंद हैं। बारिश आते ही पानी बहुत इक_ा हो जाता है। वो समय अब दूर नहीं की बारिश आने पर सेक्टर के घरों में बाथरूम से बैक फलो ही शुरू हो जाये।
आरडब्लूए का परिचय
इस सैक्टर में कार्यकारिणी का कार्यकाल दो वर्ष का होता है। आरडब्लूए पदाधिकारियों के नाम इस प्रकार हैं- अध्यक्ष धीरज कुमार, महासचिव ऋषि शर्मा, सह अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह तोमर, कोषाध्यक्ष सुबोध जैन।