Sonia Gandhi : बुखार के चलते सोनिया गांधी सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती

Sonia gandhi
Sonia Gandhi admitted to Sir Gangaram Hospital due to fever
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 02:39 PM
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नई दिल्ली। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी को बुखार के कारण सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी हालत स्थिर है। अस्पताल की ओर से जारी बुलेटिन में यह जानकारी दी गई है।

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अस्पताल का कहना है कि सोनिया गांधी को बुखार के चलते दो मार्च को चेस्ट मेडिसीन विभाग के प्रमुख डॉक्टर अरूप बसु और उनकी टीम की निगरानी में भर्ती कराया गया। बुलेटिन में कहा गया है कि सोनिया गांधी चिकित्सकों की निगरानी में हैं। उनकी जांच की जा रही है। उनकी हालत स्थिर है।

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Artificial Sweetener : आर्टिफिशियल शुगर का इस्तेमाल क्या बनता जा रहा है दबे पांव आने वाली आफत का संकेत 

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Artificial Sweetener
locationभारत
userचेतना मंच
calendar19 Nov 2025 05:45 AM
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   “आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्॥” स्वस्थ रहना परम नियति है और अन्य सभी कार्य स्वास्थ्य द्वारा सिद्ध होते हैं.  Artificial Sweetener :  सेहत से जुड़े कई तरह के मसले जीवन में हम सभी के लिए चिंता का विषय होते ही हैं. सेहत की एक बड़ी समस्या जो दबे पांव आती है, और धीमे धीमे हम उसके प्रभाव में ऎसे फंसते चले जाते हैं कि उससे निकल पाना आसान नहीं होता है. जी हां हम बात कर रहे हैं आर्टिफिशियल शुगर जिसका आज एक अलग रुप सामने आ रहा है. अधिकांश लोगों पर डायबटीज का प्रभाव इतना अधिक हुआ की इसके कारण चीनी को त्यागना पड़ा और इसके बदले हमारे सामने बाजार में कई विकल्प मिलने शुरु हुए जो आर्टिफिशियल शुगर Sugar Substitute के रुप में लिया जाने लगा.

Artificial Sweetener :

  शुगर और जीरो कैलरी का विकल्प बनी आर्टिफिशियल शुगर  आर्टिफिशियल शुगर जो चीनी का सब्स्टिट्यूट है आज के समय में बेहद ज्यादा चलन में, बाजार में इसके अनेक ब्राँड हमें आसानी से मिल जाते हैं. अब इस आर्टिफिशियल शुगर का प्रचार इतना अधिक हो रहा है की ये अब हर किसी की पसंद बनता जा रहा है क्योंकि जीरो-कैलोरी का होने के कारण इसे युवा बेहद पसंद कर रहे हैं और सतह में हर व्यक्ति अपने आप को फैट से मुक्त करने के लिए इसे अपने भोजन में जोड़ने के लिए आगे बढ़ रहा है. Artificial Sweetener जो पहले शुगर कंट्रोल के लिए विकल्प के रुप में आया अब हमारे जीवन में डाइट का एक जरुरी हिस्सा बन रहा है.

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आर्टिफिशियल शुगर से जुड़े शोध जो बताते हैं इसके खतरे   चीनी के विकल्प रुप में Artificial Sweetener एक बेहतर विकल्प है लेकिन इसके कई प्रकार के दुष्प्रभाव भी हैं जो अब नए शोधों के जरिये सामने आ रहे हैं.  एरिथ्रिटल जिसे चीनी के विकल्प रुप में उपयोग किया जाता है और इससे एक बड़ा खतरा ब्लड क्लॉटिंग स्ट्रोक के रुप में दिल से जुड़ी बीमारियों का कारण बन रहा है. नए रिसर्च में सामने आया है कि ये लोगों में हार्ट अटैक के खतरों को बढ़ा सकता है. क्लीवलैंड क्लिनिक लर्नर रिसर्च इंस्टीट्यूट के द्वारा जारी की गई अपनी खोज में उन्होंने बताया है की कैसे जो लोग यदि पहले से ही दिल की बीमारियों से प्रभावित हैं उनके लिए erythritol का उपयोग करना बेहद खराब होगा और ऎसे में दौरे या स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है.

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आर्टिफिशियल शुगर से जुड़ी बातें जिन्हें अपनाने से होगा बचाव  लो-कैलोरी, लो-कार्ब्स के लिए लोग इसे जल्दी से लेने का सोच रहे हैं और ऎसे में आर्टिफिशियल स्वीटनर का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है. शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स होने के कारण मरीजों के लिए भी इसे उपयोग में अधिक लाया जाता है लेकिन ये एक गंभीर स्थिति है जिसके लिए सजग होने की जरुरत है. एरिथ्रिटॉल चीने के समान ही मीठा होता है, लेकिन यह पचने में बेहद समय लेता है और रक्त में यह घुल कर यूरिन के जरिये शरीर से बाहर निकलता है. ऎसे में यह रक्त में घुलने पर सेहत पर असर डालता है. किसी भी चीज की अधिकता सदैव हानिकारक रही है, इसलिए जरुरी है की उचित रुप से चीजों का उपयोग किया जाए न कि देखादेखी में.  यदि इन बातों को समझ कर आगे बढ़ते हैं तो हम इस से बचाव पाने में भी सफल होते हैं. तो अगली बार आर्टिफिशियल शुगर का इस्तेमाल करते हुए समझें की आखिर आपको इसकी आवश्यकता क्यों है और कितनी है. लेखिका (राजरानी शर्मा ) 
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pimples : खराब लाइफ स्टाइल से होती है मुहासों की समस्या

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Pimples: Bad lifestyle causes the problem of pimples.
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:15 AM
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  pimples :  अक्सर हमारे शरीर की त्वचा पर मवाद या छोटे बड़े लाल, काले थक्के दिखने लगते हैं, सामान्य रूप से ये त्वचा विकार मुंहासे कहलाते हैं। मुहांसे एक त्वचा संबंधी समस्या है, जो किशोरावस्था में लगभग सभी को होती है किंतु इसका तात्पर्य यह नहीं कि अधेड़ उम्र के लोगों को इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। यह एक साधारण त्वचा विकार है जो आमतौर पर एंड्रोजन हार्मोन लेवल में वृद्धि के के कारण होता है। एंड्रोजन हार्मोन तेल ग्रंथियों के आकार को बढ़ाता है, जिससे तेल का उत्पादन भी बढ़ जाता है। जब हमारी स्किन पर मौजूद बैक्टीरिया इस तेल को अवशोषित करने का काम करते हैं तो हमारी स्किन में इरिटेशन अथवा खुजली होने लगती है और इस कारण हमारे छिद्र अवरुद्ध हो जाते हैं जिस कारण त्वचा पर मुंहासे पैदा हो जाते हैं।

 एंड्रोजन हार्मोन लेवल में वृद्धि के कारण होते हैं मुहासे

शरीर के अन्य भाग की तुलना में मुहांसे अधिकतर हमारे गालों और नाक पर पनपते हैं, इसके साथ ही पीठ के ऊपरी हिस्से या कंधों पर भी होते हैं। कुछ लोगों में मुंहासे आकार में बड़े होकर मवाद युक्त गांठों के रूप में भी विकसित हो जाते हैं। इनमें सूजन और लालपन के साथ दर्द और जलन होती है। मुंहासे के दो प्रकार गैर भड़काऊ मुंहासे ज्वलनशील मुंहासे होते हैं। गैर भड़काऊ मुंहासों में शामिल हैं ब्लैक हेड्स और व्हाइट हेड्स। ज्वलनशील में पिंपल्स, पस्ट्यूल्स, पिंड, सिस्ट शामिल हैं।

मुहासों से युवाओं में आत्मविश्वास की कमी और डिप्रेशन

कुल मिलाकर मुँहासा त्वचा संबंधी आम रोगों में सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बीमारी है क्योंकि इसका सीधा असर किसी की भी सुंदरता पर पड़ता है, जिससे ज्यादातर युवाओं में आत्मविश्वास की कमी और डिप्रेशन जैसी समस्या देखी गई है। किंतु इससे चिंतित होने की अधिक आवश्यकता नहीं क्योंकि डॉक्टर से या घरेलू नुस्खों से भी इसका उपचार संभव है।

अच्छे लाईफ स्टाइल से हम इसे काफी हद तक रोक सकते हैं

वैसे तो मुँहासों का होना आम बात है लेकिन अपने खान पान, रोजमर्रा की आदतों और तरीकों में बदलाव करके अथवा अपनी दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करके मुँहासों का आना कुछ हद तक कम कर सकते हैं जैसे पूरे दिन में 10–12 गिलास पानी पीकर, हरी सब्जियों एवं चुकंदर चुकंदर, अनार (खाने से खून की कमी दूर होती है।), नींबू (विटामिन-सी), दही, सेब, बेरीज, आदि के सेवन व बर्गर, पिज़्ज़ा या बाहर के फास्ट फूड को छोड़कर, रात के समय हल्का भोजन करने के बाद कुछ देर घूमकर आदि। इसके अतिरिक्त साफ सुथरे रहकर और चेहरे को हल्के हाथों से फेस वॉश लगाकर चेहरा धोना चाहिए ध्यान रहे कि चेहरा अधिक बार ना रगड़ें वैसे तो मुंहासे किसी विशेष प्रकार के खाने से होने वाला रोग नहीं ना ही यह कोई ऐसी समस्या है जिसका इलाज बहुत दुर्लभ है लेकिन अच्छे लाईफ स्टाइल से हम इसे काफी हद तक रोक सकते हैं, हमें बस यह खयाल रखना है कि हम खाते समय खयाल रखें कि क्या हमारी सेहत के लिए ठीक है या क्या नहीं। मुंहासे हो जाने पर बिना सोचे समझे किसी भी प्रकार की क्रीम या फेस वॉश यूज़ करने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें, क्योंकि कई लोग मुंहासे आने पर उसका उपचार जल्द से जल्द करना चाहते हैं मगर जल्दबाजी किसी भी प्रकार के उपचार का सबसे बड़ा विकार है, लोगों को चाहिए कि वे धैर्य रखें और किसी स्किन डॉक्टर से ज़रूर परामर्श करें। आपने यह तो सुना ही होगा कि प्रिवेंशन इज बैटर देन क्योर अर्थात् इलाज से बेहतर बचाव है अतः यदि हम पहले ही व्यायाम, साफ – सफाई और घर के पौष्टिक आहार तथा फल आदि को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं तो काफी हद तक मुंहासे ही क्या विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाव संभव है। अंततः स्वस्थ रहें और इलाज नहीं रोकथाम करें।

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