अब बारिश नहीं बिगाड़ेगी सफर, हाईवे पर मिलेगा पल-पल का वेदर अलर्ट

अब बारिश नहीं बिगाड़ेगी सफर, हाईवे पर मिलेगा पल-पल का वेदर अलर्ट
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 08:21 AM
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Meghdoot App :  मानसून के दौरान नेशनल हाईवे पर जलभराव, भूस्खलन और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं से निपटने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने व्यापक स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। अब यात्रियों को न केवल रास्तों की ताजा स्थिति की जानकारी मिलेगी, बल्कि उन्हें मौसम संबंधी अपडेट भी रियल टाइम में उपलब्ध कराए जाएंगे।

NHAI की यह पहल AI-बेस्ड इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के तहत कार्य करेगी। इसके जरिए NHAI राजमार्ग यात्रा ऐप और भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मेघदूत ऐप के माध्यम से ड्राइवरों और यात्रियों को मोबाइल अलर्ट भेजे जाएंगे। बारिश, जलभराव या लैंडस्लाइड जैसी स्थिति की अग्रिम सूचना से लोग समय रहते वैकल्पिक मार्ग चुन सकेंगे, जिससे यात्रा ज्यादा सुरक्षित और तनावमुक्त होगी।

ड्रोन से होगी जलभराव की निगरानी

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक, इस बार मानसून में नेशनल हाईवे की सुरक्षा में ड्रोन भी प्रमुख भूमिका निभाएंगे। इन ड्रोन की मदद से हाईवे की सतह, ढलानों और फुटपाथ की दरारों की निगरानी की जाएगी। किसी भी आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देने की व्यवस्था भी रहेगी। जहां जरूरी होगा, वहां इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम को तैनात किया जाएगा।

15 दिन का विशेष निरीक्षण अभियान

NHAI ने एक 15 दिवसीय अभियान की शुरुआत की है, जिसमें अधिकारी, ठेकेदार और तकनीकी सलाहकार हाईवे के उन हिस्सों की गहन जांच कर रहे हैं जो संभावित रूप से जलभराव या भूस्खलन से प्रभावित हो सकते हैं। इस निरीक्षण का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सभी जल निकासी मार्ग, पुल और पुलियों की स्थिति मानसून के दबाव को झेलने लायक हो। NHAI की यह रणनीति लाखों हाईवे यात्रियों को राहत देने वाली साबित हो सकती है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि नेशनल हाईवे पर जलभराव, ट्रैफिक में अवरोध और दुर्घटनाओं की आशंका को न्यूनतम किया जाए। तकनीक और निगरानी के संयोजन से अब मानसून में भी हाईवे यात्रा अपेक्षाकृत सुरक्षित और व्यवस्थित हो सकेगी।    Meghdoot App

फर्जीवाड़े पर ब्रेक ! रेलवे काउंटर पर टिकट बुकिंग में आएगा बड़ा बदलाव

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फर्जीवाड़े पर ब्रेक ! रेलवे काउंटर पर टिकट बुकिंग में आएगा बड़ा बदलाव

Tatkal Ticket Rules
Tatkal Ticket Rules
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 04:52 AM
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Tatkal Ticket Rules : भारतीय रेलवे ने तत्काल टिकट बुकिंग प्रणाली को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। लंबे समय से एजेंटों की मनमानी और टिकटों की ब्लैक मार्केटिंग की शिकायतों के बीच अब रेलवे 15 जुलाई 2025 से नई व्यवस्था लागू करने जा रही है। इस बदलाव के जरिए रेलवे न केवल फर्जीवाड़े पर लगाम कसने की तैयारी में है, बल्कि आम यात्रियों को राहत देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण पहल कर रही है।

अब बिना ओटीपी नहीं मिलेगी सीट

अब यदि आप रेलवे स्टेशन के रिजर्वेशन काउंटर से तत्काल टिकट लेना चाहते हैं, तो केवल पहचान पत्र से काम नहीं चलेगा। रेलवे की नई गाइडलाइन के अनुसार प्रत्येक यात्री को अपने मोबाइल पर प्राप्त ओटीपी को सिस्टम में दर्ज करना होगा, तभी टिकट जनरेट होगा। यह बदलाव खासकर उन मामलों को रोकने के लिए लाया गया है जहां दलाल फर्जी मोबाइल नंबर या आईडी के जरिए टिकट हासिल कर लेते थे।

30 मिनट की होगी बाध्यता

रेलवे ने अधिकृत एजेंटों की बुकिंग प्रक्रिया को भी समयबद्ध कर दिया है। अब कोई भी एजेंट तत्काल टिकट बुकिंग विंडो खुलने के 30 मिनट बाद ही टिकट बुक कर सकेगा।

  • एसी कोच की बुकिंग सुबह 10 बजे शुरू होती है, एजेंट को इसके लिए 10:30 बजे तक इंतजार करना होगा।

  • नॉन-एसी श्रेणी की तत्काल बुकिंग सुबह 11 बजे शुरू होगी, लेकिन एजेंट केवल 11:30 बजे के बाद ही टिकट जारी कर सकेंगे।

यह कदम उन यात्रियों के लिए राहतभरा साबित होगा जो एजेंटों द्वारा पहले ही टिकटें ब्लॉक किए जाने से वंचित रह जाते थे।

ऑनलाइन बुकिंग में आधार हुआ अनिवार्य

रेलवे की सबसे बड़ी चिंता ऑनलाइन बुकिंग में हो रही अनियमितता को लेकर थी। इसलिए अब IRCTC के माध्यम से तत्काल टिकट बुक कराने के लिए आधार आधारित ऑथेंटिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है। इससे फर्जी खातों और बोट्स के माध्यम से टिकट बुकिंग की संभावना नगण्य हो जाएगी। रेलवे के अधिकारियों का मानना है कि इन उपायों से न केवल धांधली पर रोक लगेगी, बल्कि आम यात्रियों को सुलभ तरीके से तत्काल टिकट मिल सकेंगे। तकनीक के सहारे पारदर्शिता बढ़ेगी और बिचौलियों की भूमिका नगण्य होगी।    Tatkal Ticket Rules

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लंबे इंतज़ार के बाद 30 जून से एक बार फिर खुलेगा स्वर्ग का रास्ता

Kailash Mansarovar Yatra
Kailash Mansarovar Yatra
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 05:25 PM
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Kailash Mansarovar Yatra :  कैलाश मानसरोवर यात्रा का नाम अपने जरूर सुना होगा । कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 से शुरू होने की तारीख नजदीक आ गई है। कैलाश मानसरोवर यात्रा 30 जून 2025 से प्रारंभ हो रही है । भगवान शिवा का एक नाम कैलाशपति भी हैं । कैलाशपति के नाम पर ही कैलाश मानसरोवर यात्रा का नाम रखा गया हैं। पांच साल के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर से भगवान शिव के भक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। आपको बता दें कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल फिर से शुरू हो रही है अब भारत सरकार के प्रयासों के बाद इस पवित्र यात्रा की शुरुआत 30 जून 2025 से लेकर अगस्त 2025 तक चलेगी। बता दें की कोरोना महामारी की वजह से यह यात्रा 2020 से बंद कर दी गई थी, लेकिन अब इसे बड़े पैमाने पर और बेहतर व्यवस्था के साथ फिर से शुरू किया जा रहा है। इस बार यात्रा का रास्ता टनकपुर से चंपावत होते हुए लिपुलेख पास तक तय किया गया है। पहले यह यात्रा काठगोदाम और अल्मोड़ा होकर जाती थी। हाल ही में विदेश मंत्रालय की एक बैठक में यात्रा को दोबारा शुरू करने का फैसला लिया गया। इससे हजारों भक्तों की आस्था को एक नया जीवन मिला है।

क्या कहता है कैलाश मानसरोवर यात्रा का इतिहास ?

सनातन धर्म के मान्यताओं के अनुसार सनातन धर्म में कैलाश मानसरोवर की एक विशेष मान्यता हैं । कैलाश मानसरोवर पवित्र यात्रा सदियों से चली आ रही है, जिसमें भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं और पवित्र झील में स्नान करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह यात्रा हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों के लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहां जाता है कि भगवान कुबेर की नगरी भी इसी के पास स्थित थी और यही से महाविष्णु के कर - कमल से निकलकर मां गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है जहां से भगवान शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती की निर्मल धारा की तरफ प्रवाहित करते हैं।

क्या हैं कैलाश मानसरोवर यात्रा की मान्यताएं ?

कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म में भगवान शिव का घर माना जाता है। यह पर्वत बहुत पवित्र है और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। तिब्बती परंपरा में इसे डेमचोक नामक देवता का निवास स्थान माना जाता है। जैन धर्म के अनुसार, पहले तीर्थंकर ऋषभदेव ने यहीं मोक्ष प्राप्त किया था। कैलाश पर्वत के पास स्थित मानसरोवर झील को भी बहुत पवित्र माना जाता है। यह झील हर साल हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। मान्यता है कि इस झील में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मन को शांति मिलती है। कैलाश मानसरोवर यात्रा हिंदू, जैन, बौद्ध और तिब्बती धर्मों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ यात्रा है।

क्यों बंद हुई थी कैलाश मानसरोवर की पवित्र यात्रा ?

कैलाश मानसरोवर यात्रा 2020 में कोविड-19 महामारी और भारत-चीन सीमा पर तनाव की वजह से पवित्र यात्रा रोक दी गई । दअरसल गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी। जिस के कारण मानसरोवर की यात्रा बंद कर दी गई थी । लेकिन अक्टूबर 2024 में रूस के कज़ान शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई जिससे रिश्ते बेहतर हुए। दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख के विवादित इलाकों से सेना हटाने और सामान्य गश्त शुरू करने पर सहमति जताई। भारत ने इस तीर्थयात्रा को दोबारा शुरू करने का मुद्दा लगातार चीन के सामने उठाया। नवंबर 2024 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जी-20 सम्मेलन में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से इस पर चर्चा की। इसके बाद दिसंबर और जनवरी में हुई बैठकों में भी यह मुद्दा उठा।    Kailash Mansarovar Yatra  

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