Delhi News: डीजीपी नियुक्ति मामले में एससी ने झारखंड सरकार से मांगा जवाब

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Joshimath Update
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 01:52 PM
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Delhi News: नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया है कि वह पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर अधिकारियों के नामों की सिफारिश के प्रस्ताव में मौजूद त्रुटियों को ठीक करने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को जवाब दे।

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न्यायालय ने यह निर्देश राज्य में नये पुलिस प्रमुख की नियुक्ति में हो रही देरी का संज्ञान लेते हुए जारी किया।

राज्य के मौजूदा पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1987 बैच के अधिकारी हैं और 11 फरवरी, 2023 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की खंडपीठ ने शुक्रवार कहा, ‘‘यूपीएससी की ओर से पेश वकील नरेश कौशिक ने कहा है कि 30 नवंबर, 2022 को आयोग ने झारखंड सरकार के साथ पत्राचार किया है, जिसमें डीजीपी पद के लिए अधिकारियों की सिफारिश संबंधी प्रस्ताव में कुछ त्रुटियों का उल्लेख किया गया है।"

पीठ ने अपने आदेश में कहा, "हम झारखंड सरकार को निर्देश देते हैं कि वह यूपीएससी की प्रस्तुत मांगों पर ध्यान दे और निश्चित तौर पर 23 दिसंबर या उससे पहले अपना जवाब दाखिल करे। इसके बाद यूपीएससी नौ जनवरी, 2023 तक परिणामी कार्रवाई करेगा।"

न्यायालय ने इसके साथ ही राज्य सरकार और अन्य के खिलाफ अवमानना ​​याचिका को सुनवाई के लिए अगले साल 16 जनवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

शीर्ष अदालत झारखंड सरकार और उसके वर्तमान डीजीपी नीरज सिन्हा के खिलाफ एक अवमानना याचिका पर विचार कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सिन्हा 31 जनवरी, 2022 को सेवानिवृत्त होने के बाद भी पद पर काबिज हैं।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने शीर्ष अदालत के उस फैसले का उल्लंघन किया है, जिसमें पुलिस सुधारों को लेकर कई निर्देश जारी करने के अलावा डीजीपी के लिए दो साल का कार्यकाल तय किया गया था।

प्रकाश सिंह मामले में 2006 के शीर्ष अदालत के फैसले में कहा गया था कि एक राज्य के डीजीपी को "राज्य सरकार द्वारा विभाग के उन तीन वरिष्ठतम अधिकारियों में से चुना जाएगा, जिन्हें सेवा की अवधि, पुलिस बल का नेतृत्व करने के लिए बहुत अच्छा रिकॉर्ड और अनुभव की सीमा के आधार पर यूपीएससी द्वारा उस रैंक पर पदोन्नति के लिए सूचीबद्ध किया गया हो।"

याचिका के अनुसार, अधिकारी का चयन कर लिये जाने के बाद उसकी सेवानिवृत्ति की तारीख पर विचार किये बिना कम से कम दो साल का न्यूनतम कार्यकाल दिया जाना चाहिए।

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Business News : पांच साल में 10 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाता में डाला गया : सरकार

Sitaraman
Gautam Adani
locationभारत
userचेतना मंच
calendar19 Dec 2022 11:17 PM
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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा कि पिछले पांच वित्त वर्षों में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज को बट्टे खाते में डाला और इन ऋणधारकों से वसूली की प्रक्रिया जारी है। गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) वाले खातों से वसूली और बट्टे खाते में डालना एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है।

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वित्त मंत्री ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्ष में 4,80,111 करोड़ रुपये की वसूली की, जिनमें बट्टे खाते में डाले गए 1,03,045 करोड़ रुपये का कर्ज भी शामिल है।

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सदन में प्रश्नकाल के दौरान सीतारमण ने कहा कि रिजर्व बैंक से मिली सूचना के मुताबिक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वर्षों में 10,09,511 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले हैं। उन्होंने कहा कि कर्ज को बट्टे खाते में डालने से ऋणधारकों को फायदा नहीं मिलता है और वसूली की प्रक्रिया जारी रहती है।
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National News: लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य किसान का अधिकार

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National News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 12:35 AM
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National News: नई दिल्ली। ऐतिहासिक और अविस्मरणीय हो गया दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान गर्जना रैली का महाआयोजन। देशभर के राज्यों से आए किसानों ने भारतीय किसान संघ के तत्वावधान में केंद्र सरकार को ये जाहिर कर दिया कि धरती से अन्न उगाने वाले किसान जब अपने हक की खातिर गर्जना करते हैं तो सत्ता के सिंहासन भी डोल जाते हैं।

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ये बात दिल्ली के रामलीला मैदान में सोमवार को साक्षात भी हो गई। भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में किसान गर्जना रैली का आयोजन रामलीला मैदान में किया गया। आंदोलनों और रैलियों के इतिहास में यह महा आयोजन तारीख में दर्ज हो गया है। कंपकंपाती ठंड में देश भर से लाखों किसानों ने अपने अधिकारों के लिए गर्जना करते हुए सरकार को सीधे चुनौती दे डाली है। इस आयोजन से ये बात जाहिर हो गई है कि किसान स्वर्णिम इतिहास लिखने में सक्षम हैं तो वे इतिहास का काला पन्ना भी पलटकर उसे व्यवस्था की किताब से फाड़कर बाहर भी कर सकते हैं। भारतीय किसान संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मंच से जो ऐलान किया है उसके बाद यह बात स्पष्ट हो रहा है कि बहुत जल्द यदि किसानों की मांगों पर प्रदेश और केंद्र सरकार ने समय रहते निराकरण नहीं किया तो सरकार पर संकट के बादल गहरे होना निश्चित हैं। इस आयोजन में देश भर से आए राज्यों के पदाधिकारियों ने किसानों को संबोधित किया। राष्ट्रीय मंत्री बाबूभाई पटेल ने प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन का पढ़ा एवं दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष हरपाल सिंह डागर ने प्रशासन व सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मंच पर अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी, महामंत्री मोहनी मोहन मिश्र, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भैया राम जी मौर्य, रामभरोसे बासोतिया, पेरूमल, कपिला मुठे, राष्ट्रीय मंत्री साईं रेडडी, भानू थापा, वीणा सतीष, प्रमोद चौधरी, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटेल सहित अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सभी सदस्य उपस्थित रहे। जहर नहीं जैविक चाहिए- आयोजन में भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय राष्ट्रीय महामंत्री मोहनी मोहन ने ओजपूर्ण संबोधन में केंद्र सरकार को जमकर ललकारते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के किसान अधिकारों को लेकर किए गए सभी वायदे कोरे साबित हुए हैं। किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी, लेकिन ऐसा हो ना सका। सरकार का वाणिज्य विभाग किसानों से दुश्मनी पर उतारू है, किसानों को उनकी लागत का लाभकारी मूल्य उनका अधिकार है, भीख नहीं। मोहिनी मोहन ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा किसान संगठन आज दिल्ली में सरकार को नींद से जगाने आया है, यदि समय रहते सरकार नहीं जागी तो ये गर्जना और मुखर होगी, ये निश्चित है। पानी भी पिला सकते हैं किसान- मोहिनी मोहन ने कहा कि कोविड के संकट के दौरान भारत के किसानों ने पूरे देश को हर हाल में अनाज मुहैया कराया। किसानों ने जान जोखिम में डालकर खेतों में अन्न पैदा किया और देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में खाद्यान्न की पूर्ति करके भारत का मान बढ़ाया। मोहिनी ने कहा कि जब देश का किसान सभी को खाना खिला सकता है तो समय आने पर पानी भी पिला सकता है। जीएम सरसों जानलेवा साबित होगी- मोहनी ने जीएम सरसों को लागू करने के फैसले को घातक बताया। उन्होंने कहा कि एक ओर देष की सरकार जैव विविधता को बढ़ावा देने की बात करती है वहीं दूसरी ओर नपुंसकता और कैंसर को बढ़ाने वाले घातक निर्णयों से जनता की जान को संकट में डाल रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने दिया जाएगा, जब तक सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती, तब तक किसानों का विरोध हर स्तर पर जारी रहेगा। उन्होने मंच से जहर नहीं जैविक चाहिए का नारा मुखर कराते हुए किसानों से जीएम सरसों का विरोध करने का संकल्प सबल बनाने का आव्हान किया। किसान अपनी भाषा में समझाएगा- उन्होंने कहा कि यदि किसान अपनी भाषा में समझाना भी जानता है, देश की सरकार को हम अपने स्तर पर आगाह करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सरकार को किसानों के अधिकार समझ नहीं आ रहे हैं तो किसान अपनी भाषा में समझाने को बाध्य हो जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ राजनीति नहीं होना चाहिए, क्योंकि किसान राजनीति को नियंत्रित करते हैं, यह नहीं भूलना चाहिए। दर्जन भर भर भाषाओं का खिला गुलदस्ता- देश के सभी राज्यों से आए भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्षों एवं पदाधिकारियों ने मंच से किसानों को संबोधित किया। इस दौरान आंध्र प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा सहित अन्य राज्यों के प्रदेश पदाधिकारियों ने अपने राज्य की 26 क्षेत्रीय भाषा में भाषण देकर किसानों को संबोधित किया। इस दौरान ऐसा प्रतीत हुआ मानो दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में विविध भाषाओं के फूल एक गुलदस्ते में खिल गए हों। किसानों के हक की आवाज को देशभर की भाषाओं में सुनकर किसानों ने जमकर देशभक्ति के नारों का जयकार किया। जय बलराम से गुंजायमान हुई राजधानी- जय बलराम, हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते, जैसे नारों से सोमवार को समूची दिल्ली गूंज उठी। गले में किसान संघ का गमछा डाले किसान हाथ में झंडा थामे हुए थे। आयोजन स्थल पर उत्साह और उमंग कुछ ऐसा था कि किसानों के जत्थे नारों को लगाते तो पूरा माहौल गर्मा जाता था। किसान संघ के नेताओं ने मंच से जब किसानों को एकजुट होने का आह्वान किया तो रामलीला मैदान में उपस्थित किसानों ने दोनों हाथ उठाकर एकता का संकल्प लेते हुए अधिकारों के लिए संघ को मजबूती से आगे बढने का नारा बुलंद किया। कंपकंपाती ठंड में इस्पात सा हौसला दिखा- दिल्ली के रामलीला मैदान में पिछले एक सप्ताह से चल रही तैयारियां व्यापक स्तर पर रहीं। जो किसान पहले से राजधानी पहुंच गए थे, उन्होंने मैदान में पंडाल के नीचे पूरी रात गुजारी। इतना ही नहीं सोमवार की अलसुबह किसानों ने पूरी तैयारी के साथ देषभर से आ रहे अपने साथी किसानों का स्वागत करते हुए उन्हें गले लगाकर इस आयोजन की सफलता और एकता के संकल्प को सबल बनाने की मंगल कामनाएं दीं। ये है प्रमुख मांग— 01 - लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य को लागू करें, तथा इसके मिलने को सुनिष्चित करें। 02- सभी प्रकार के कृषि आदानों पर जीएसटी समाप्त हो। 03- किसान सम्मान निधि में पर्याप्त बढ़ोत्तरी की जाए। 04- जीएम फसलों की अनुमति वापस ली जाए।

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