अल-फलाह विवाद: NMC के फैसले पर टिका मेडिकल छात्रों का करियर

NMC ने संकेत दिए हैं कि जो छात्र किसी भी आपराधिक या राष्ट्रविरोधी गतिविधि से जुड़े नहीं हैं, उनकी पढ़ाई और करियर को हर हाल में सुरक्षित रखा जाएगा। आयोग की ओर से जल्द ही नए दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं, जिनमें ऐसे मामलों से निपटने के लिए स्पष्ट व्यवस्था होगी।

अल-फलाह मेडिकल कॉलेज
अल-फलाह मेडिकल कॉलेज
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar21 Nov 2025 10:47 AM
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दिल्ली ब्लास्ट के बाद हरियाणा की अल-फलाह यूनिवर्सिटी पूरी तरह जांच एजेंसियों के रडार पर आ गई है। कैंपस के बाहर खामोशी है, लेकिन अंदर पढ़ रहे मेडिकल छात्रों के मन में सवालों का शोर मचा हुआ है – कॉलेज का आगे क्या होगा, डिग्री की वैल्यू बचेगी या नहीं, और सालों की मेहनत किस मोड़ पर जा खड़ी होगी? फिलहाल तस्वीर साफ नहीं है। यूनिवर्सिटी और खास तौर पर उसके मेडिकल कॉलेज का भविष्य अब हरियाणा सरकार, केंद्रीय जांच एजेंसियों और नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के अगले फैसलों पर टिका है। तीनों संस्थाओं की फाइलें और मीटिंग रूम में चल रही मंथन प्रक्रिया तय करेगी कि यहां पढ़ रहे सैकड़ों स्टूडेंट्स की अकादमिक यात्रा सहज रहेगी या उन्हें बीच रास्ते नया ठिकाना ढूंढना पड़ेगा।

अंतिम फैसला हरियाणा सरकार और NMC के हाथ में

फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत आती है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, संस्थान के भविष्य पर अंतिम निर्णय हरियाणा सरकार ही लेगी। राज्य सरकार और राष्ट्रीय स्तर पर चल रही जांचों के इनपुट के बाद NMC यह तय करेगा कि अल-फलाह मेडिकल कॉलेज को लेकर आगे की राह क्या होगी, क्योंकि जांच का मुख्य फोकस फिलहाल यही कॉलेज है। NMC ने संकेत दिए हैं कि जो छात्र किसी भी आपराधिक या राष्ट्रविरोधी गतिविधि से जुड़े नहीं हैं, उनकी पढ़ाई और करियर को हर हाल में सुरक्षित रखा जाएगा। आयोग की ओर से जल्द ही नए दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं, जिनमें ऐसे मामलों से निपटने के लिए स्पष्ट व्यवस्था होगी।

फीस कम होने से बनी रही डिमांड

सूत्रों के अनुसार, अल-फलाह मेडिकल कॉलेज को वर्ष 2019 में मान्यता मिली थी। कई अन्य प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की तुलना में यहां फीस अपेक्षाकृत कम है, यही कारण है कि गंभीर आरोपों और जांच की पेचीदगियों के बावजूद यहां एडमिशन की डिमांड कम नहीं हुई। कम फीस और सीटों की उपलब्धता की वजह से 2025–26 के शैक्षणिक सत्र के लिए 150 MBBS सीटें पहले ही भर चुकी हैं। NMC का कहना है कि चल रही जांचों के बावजूद इन छात्रों की पढ़ाई पर तत्काल कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ने दिया जाएगा और उनके अकादमिक हितों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।

नए दिशा-निर्देश और स्टूडेंट्स को शिफ्ट करने पर मंथन

सूत्र बताते हैं कि NMC आने वाले दिशा-निर्देशों में मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के लिए सामाजिक जिम्मेदारी, संवैधानिक मूल्यों के पालन और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से दूर रहने को लेकर सख्त संदेश देने की तैयारी में है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उससे जुड़े मेडिकल कॉलेज के छात्रों के भविष्य को लेकर भी आयोग गंभीर है। नेशनल मेडिकल कमीशन के सूत्रों के मुताबिक, नए सत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों को किसी दूसरे मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट करने के विकल्प पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इस संबंध में आयोग के भीतर उच्च स्तर पर लगातार बैठकें हो रही हैं, ताकि किसी भी निर्दोष छात्र की पढ़ाई बीच में न अटके।

ED की कार्रवाई से और बढ़ी मुश्किलें

इसी बीच, अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया है। उन्हें प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 की धारा 19 के तहत हिरासत में लिया गया। यह कार्रवाई पहले की गई तलाशी के दौरान मिले दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों की विस्तृत जांच और विश्लेषण के बाद हुई है।

ED की जांच सिर्फ यूनिवर्सिटी तक सीमित नहीं है। एजेंसी ने दायरा बढ़ाते हुए अल-फलाह ट्रस्ट, उससे जुड़ी कंपनियों, संस्थानों और इनके एडमिनिस्ट्रेटिव व फाइनेंशियल सिस्टम को संचालित करने वाले लोगों के वित्तीय लेन-देन की भी जांच शुरू कर दी है। कुल मिलाकर, अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उसके मेडिकल कॉलेज का भविष्य फिलहाल जांच एजेंसियों की रिपोर्ट, हरियाणा सरकार के फैसले और NMC की अगली अधिसूचनाओं पर टिका है। इस बीच सबसे बड़ी चिंता उन मेडिकल छात्रों की है, जो चाहते हैं कि राजनीतिक और कानूनी उलझनों के बीच उनकी मेहनत और सालों की पढ़ाई दांव पर न लगे।

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जाने नशे का असर, नई और बची हुई शराब में अंतर

महफिल खत्म होने के बाद, मेज पर आधी भरी शराब की बोतल... सुबह तक उसका स्वाद और असर दोनों ही बदल जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि खुली शराब की क्वालिटी कितनी तेजी से घटती है और क्यों? आइए, जानते हैं इस मुद्दे का सच।

wine bottle
शराब की बोतल...(फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar01 Dec 2025 05:02 PM
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बता दें कि शराब प्रेमियों के लिए यह अक्सर सवाल रहता है कि आखिर कब तक खुली शराब सही रहती है और उसकी क्वालिटी, टेस्ट और नशा में कितना फर्क आता है। विशेषज्ञों का कहना है कि शराब की क्वालिटी सिर्फ उसकी कीमत या ब्रांड पर निर्भर नहीं करती, बल्कि इसे कैसे और कितने समय तक स्टोर किया गया है, इस पर भी निर्भर है। 

खुलने के बाद होता है बदलाव का सिलसिला

बता दें कि बोतल खोलते ही शराब हवा के संपर्क में आ जाता है, जिससे उसके फ्लेवर और सुगंध में बदलाव आना शुरू हो जाता है। खासकर वाइन में यह प्रक्रिया बहुत तेजी से होती है। कुछ घंटों में ही इसका स्वाद फीका, खट्टा और बेस्वाद हो सकता है। व्हिस्की, रम जैसी स्पिरिट्स में यह बदलाव धीरे-धीरे होता है, लेकिन लंबे समय में इनका असली स्वाद कमजोर पड़ने लगता है। 

अल्कोहल की मात्रा और असर में फर्क

बता दें कि खुली बोतल में अल्कोहल धीरे-धीरे उड़ने लगता है, जिससे नशा कम होने लगता है। बीयर और वाइन में यह प्रक्रिया तेज होती है क्योंकि इनका अल्कोहल कंटेंट कम होता है। वहीं, व्हिस्की और टकीला जैसी उच्च अल्कोहल वाली स्पिरिट्स में यह बदलाव 10-12 महीने में महसूस किया जा सकता है। 

सुरक्षा और स्टोरिंग का सही तरीका

बता दें कि विशेषज्ञों का सुझाव है कि शराब को कांच की बोतल में ही रखना सबसे सुरक्षित होता है। यदि शराब को प्लास्टिक या धातु के कंटेनर में ट्रांसफर किया जाए, तो उसका स्वाद और खुशबू में अप्राकृतिक बदलाव आ सकता है। वाइन, बीयर और स्पिरिट्स को सही तापमान और रोशनी से दूर रखना आवश्यक है ताकि उनकी क्वालिटी बनी रहे। 

तो कब हो जाएं सावधान?

  • वाइन, खासकर सफेद वाइन, खुलने के बाद 2-3 दिनों में ही खराब होने लगती है।
  • रेड वाइन थोड़ी लंबी चलती है, लेकिन फिर भी 3-5 दिनों में इसका स्वाद कमजोर पड़ जाता है।
  • बीयर खुलने के तुरंत बाद ही अपनी गैस और फ्लेवर खो देती है।

उच्च अल्कोहल वाली स्पिरिट्स जैसे व्हिस्की, रम, टकीला में 10-12 महीने के अंदर फ्लेवर में हल्का बदलाव आ सकता है।

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सतत परिवहन की दिशा में ईवी का बढ़ता योगदान

इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) परिवहन उद्योग में क्रांति ला रहे हैं और पारंपरिक गैसोलीन से चलने वाली कारों का एक अधिक स्वच्छ और कुशल विकल्प प्रदान कर रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहन मुख्यधारा में अपनाने के लिए तेज़ी से सुलभ और व्यावहारिक होते जा रहे हैं।

CLEARING THE AIR EV is beneficial for the environment
इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) परिवहन उद्योग (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar02 Dec 2025 01:05 AM
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दुनिया भर में तेजी से हो रहे ऊर्जा परिवर्तन के बीच इलेक्ट्रिक वाहन (EV) एक प्रमुख शक्ति बनकर उभरे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई देश अब EV अपनाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह बदलाव न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि घरेलू रोज़गार सृजन का बड़ा स्रोत भी बन रहा है।

रोज़गार में शुद्ध वृद्धि की संभावना

EV तकनीक की ओर कदम बढ़ाने से ऑटोमोटिव उद्योग में व्यापक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों की आपूर्ति श्रृंखला अलग और विस्तृत होती है। परिणामस्वरूप

  • वाहन निर्माण
  • बैटरी उत्पादन
  • बैटरी घटक निर्माण
  • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकास

इन सभी क्षेत्रों में नई नौकरियों की संख्या तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि EV संक्रमण से उद्योग में शुद्ध रोजगार वृद्धि होगी।

कहाँ आती है चुनौती?

EV उद्योग अवसरों के साथ कुछ चुनौतियाँ भी लेकर आता है:

  • आंतरिक दहन इंजन वाहनों के पुर्जों पर निर्भर कुछ पारंपरिक नौकरियाँ धीरे-धीरे समाप्त होंगी।
  • इंजन असेंबली, ट्रांसमिशन निर्माण या फ्यूल सिस्टम से जुड़े क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए बदलाव कठिन हो सकता है।

इसके बावजूद, EV आधारित तकनीकों की मांग इन नुकसानों की भरपाई कई गुना करती है।

अमेरिका में बढ़ता निवेश और नीतिगत समर्थन

संयुक्त राज्य अमेरिका में Inflation Reduction Act (IRA) और Bipartisan Infrastructure Law जैसे महत्वपूर्ण कानूनों ने EV उत्पादन को घरेलू स्तर पर प्रोत्साहन दिया है।

इनके परिणामस्वरूप:

  • कंपनियाँ देश में नए EV प्लांट और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित कर रही हैं।
  • सिर्फ IRA के लागू होने के बाद से, अरबों डॉलर का निवेश और लाखों नई नौकरियों की घोषणा हो चुकी है।
  • घरेलू आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करते हुए अमेरिका अपने EV उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूत बना रहा है।

बैटरी उद्योग: रोज़गार का नया केंद्र

EV उद्योग में बैटरी सबसे महत्त्वपूर्ण घटक है।

बढ़ती मांग के चलते:

  • बैटरी निर्माण
  • सेल कंपोनेंट उत्पादन
  • खनिज स्रोत और प्रोसेसिंग
  • बैटरी रीसाइक्लिंग

इन सभी क्षेत्रों में देशभर में लाखों नौकरियाँ सृजित हो रही हैं। यह एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार कर रहा है जो आने वाले वर्षों में निरंतर विस्तार करता रहेगा।

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: एक और बड़ा अवसर

जैसे-जैसे सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे चार्जिंग स्टेशनों की आवश्यकता भी बढ़ रही है। इस क्षेत्र में नौकरी के कई नए अवसर खुल रहे हैं:

  • चार्जर निर्माण
  • चार्जिंग स्टेशन स्थापना
  • इंफ्रास्ट्रक्चर मरम्मत और रख-रखाव
  • चार्जिंग नेटवर्क संचालन

ये नौकरियाँ उन क्षेत्रों में भी विकास लाएँगी जो पहले तकनीकी निवेश से दूर थे।