अल-फलाह विवाद: NMC के फैसले पर टिका मेडिकल छात्रों का करियर
NMC ने संकेत दिए हैं कि जो छात्र किसी भी आपराधिक या राष्ट्रविरोधी गतिविधि से जुड़े नहीं हैं, उनकी पढ़ाई और करियर को हर हाल में सुरक्षित रखा जाएगा। आयोग की ओर से जल्द ही नए दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं, जिनमें ऐसे मामलों से निपटने के लिए स्पष्ट व्यवस्था होगी।

दिल्ली ब्लास्ट के बाद हरियाणा की अल-फलाह यूनिवर्सिटी पूरी तरह जांच एजेंसियों के रडार पर आ गई है। कैंपस के बाहर खामोशी है, लेकिन अंदर पढ़ रहे मेडिकल छात्रों के मन में सवालों का शोर मचा हुआ है – कॉलेज का आगे क्या होगा, डिग्री की वैल्यू बचेगी या नहीं, और सालों की मेहनत किस मोड़ पर जा खड़ी होगी? फिलहाल तस्वीर साफ नहीं है। यूनिवर्सिटी और खास तौर पर उसके मेडिकल कॉलेज का भविष्य अब हरियाणा सरकार, केंद्रीय जांच एजेंसियों और नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के अगले फैसलों पर टिका है। तीनों संस्थाओं की फाइलें और मीटिंग रूम में चल रही मंथन प्रक्रिया तय करेगी कि यहां पढ़ रहे सैकड़ों स्टूडेंट्स की अकादमिक यात्रा सहज रहेगी या उन्हें बीच रास्ते नया ठिकाना ढूंढना पड़ेगा।
अंतिम फैसला हरियाणा सरकार और NMC के हाथ में
फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत आती है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, संस्थान के भविष्य पर अंतिम निर्णय हरियाणा सरकार ही लेगी। राज्य सरकार और राष्ट्रीय स्तर पर चल रही जांचों के इनपुट के बाद NMC यह तय करेगा कि अल-फलाह मेडिकल कॉलेज को लेकर आगे की राह क्या होगी, क्योंकि जांच का मुख्य फोकस फिलहाल यही कॉलेज है। NMC ने संकेत दिए हैं कि जो छात्र किसी भी आपराधिक या राष्ट्रविरोधी गतिविधि से जुड़े नहीं हैं, उनकी पढ़ाई और करियर को हर हाल में सुरक्षित रखा जाएगा। आयोग की ओर से जल्द ही नए दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं, जिनमें ऐसे मामलों से निपटने के लिए स्पष्ट व्यवस्था होगी।
फीस कम होने से बनी रही डिमांड
सूत्रों के अनुसार, अल-फलाह मेडिकल कॉलेज को वर्ष 2019 में मान्यता मिली थी। कई अन्य प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की तुलना में यहां फीस अपेक्षाकृत कम है, यही कारण है कि गंभीर आरोपों और जांच की पेचीदगियों के बावजूद यहां एडमिशन की डिमांड कम नहीं हुई। कम फीस और सीटों की उपलब्धता की वजह से 2025–26 के शैक्षणिक सत्र के लिए 150 MBBS सीटें पहले ही भर चुकी हैं। NMC का कहना है कि चल रही जांचों के बावजूद इन छात्रों की पढ़ाई पर तत्काल कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ने दिया जाएगा और उनके अकादमिक हितों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
नए दिशा-निर्देश और स्टूडेंट्स को शिफ्ट करने पर मंथन
सूत्र बताते हैं कि NMC आने वाले दिशा-निर्देशों में मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के लिए सामाजिक जिम्मेदारी, संवैधानिक मूल्यों के पालन और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से दूर रहने को लेकर सख्त संदेश देने की तैयारी में है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उससे जुड़े मेडिकल कॉलेज के छात्रों के भविष्य को लेकर भी आयोग गंभीर है। नेशनल मेडिकल कमीशन के सूत्रों के मुताबिक, नए सत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों को किसी दूसरे मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट करने के विकल्प पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इस संबंध में आयोग के भीतर उच्च स्तर पर लगातार बैठकें हो रही हैं, ताकि किसी भी निर्दोष छात्र की पढ़ाई बीच में न अटके।
ED की कार्रवाई से और बढ़ी मुश्किलें
इसी बीच, अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया है। उन्हें प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 की धारा 19 के तहत हिरासत में लिया गया। यह कार्रवाई पहले की गई तलाशी के दौरान मिले दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों की विस्तृत जांच और विश्लेषण के बाद हुई है।
ED की जांच सिर्फ यूनिवर्सिटी तक सीमित नहीं है। एजेंसी ने दायरा बढ़ाते हुए अल-फलाह ट्रस्ट, उससे जुड़ी कंपनियों, संस्थानों और इनके एडमिनिस्ट्रेटिव व फाइनेंशियल सिस्टम को संचालित करने वाले लोगों के वित्तीय लेन-देन की भी जांच शुरू कर दी है। कुल मिलाकर, अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उसके मेडिकल कॉलेज का भविष्य फिलहाल जांच एजेंसियों की रिपोर्ट, हरियाणा सरकार के फैसले और NMC की अगली अधिसूचनाओं पर टिका है। इस बीच सबसे बड़ी चिंता उन मेडिकल छात्रों की है, जो चाहते हैं कि राजनीतिक और कानूनी उलझनों के बीच उनकी मेहनत और सालों की पढ़ाई दांव पर न लगे।
दिल्ली ब्लास्ट के बाद हरियाणा की अल-फलाह यूनिवर्सिटी पूरी तरह जांच एजेंसियों के रडार पर आ गई है। कैंपस के बाहर खामोशी है, लेकिन अंदर पढ़ रहे मेडिकल छात्रों के मन में सवालों का शोर मचा हुआ है – कॉलेज का आगे क्या होगा, डिग्री की वैल्यू बचेगी या नहीं, और सालों की मेहनत किस मोड़ पर जा खड़ी होगी? फिलहाल तस्वीर साफ नहीं है। यूनिवर्सिटी और खास तौर पर उसके मेडिकल कॉलेज का भविष्य अब हरियाणा सरकार, केंद्रीय जांच एजेंसियों और नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के अगले फैसलों पर टिका है। तीनों संस्थाओं की फाइलें और मीटिंग रूम में चल रही मंथन प्रक्रिया तय करेगी कि यहां पढ़ रहे सैकड़ों स्टूडेंट्स की अकादमिक यात्रा सहज रहेगी या उन्हें बीच रास्ते नया ठिकाना ढूंढना पड़ेगा।
अंतिम फैसला हरियाणा सरकार और NMC के हाथ में
फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत आती है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, संस्थान के भविष्य पर अंतिम निर्णय हरियाणा सरकार ही लेगी। राज्य सरकार और राष्ट्रीय स्तर पर चल रही जांचों के इनपुट के बाद NMC यह तय करेगा कि अल-फलाह मेडिकल कॉलेज को लेकर आगे की राह क्या होगी, क्योंकि जांच का मुख्य फोकस फिलहाल यही कॉलेज है। NMC ने संकेत दिए हैं कि जो छात्र किसी भी आपराधिक या राष्ट्रविरोधी गतिविधि से जुड़े नहीं हैं, उनकी पढ़ाई और करियर को हर हाल में सुरक्षित रखा जाएगा। आयोग की ओर से जल्द ही नए दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं, जिनमें ऐसे मामलों से निपटने के लिए स्पष्ट व्यवस्था होगी।
फीस कम होने से बनी रही डिमांड
सूत्रों के अनुसार, अल-फलाह मेडिकल कॉलेज को वर्ष 2019 में मान्यता मिली थी। कई अन्य प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की तुलना में यहां फीस अपेक्षाकृत कम है, यही कारण है कि गंभीर आरोपों और जांच की पेचीदगियों के बावजूद यहां एडमिशन की डिमांड कम नहीं हुई। कम फीस और सीटों की उपलब्धता की वजह से 2025–26 के शैक्षणिक सत्र के लिए 150 MBBS सीटें पहले ही भर चुकी हैं। NMC का कहना है कि चल रही जांचों के बावजूद इन छात्रों की पढ़ाई पर तत्काल कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ने दिया जाएगा और उनके अकादमिक हितों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
नए दिशा-निर्देश और स्टूडेंट्स को शिफ्ट करने पर मंथन
सूत्र बताते हैं कि NMC आने वाले दिशा-निर्देशों में मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के लिए सामाजिक जिम्मेदारी, संवैधानिक मूल्यों के पालन और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से दूर रहने को लेकर सख्त संदेश देने की तैयारी में है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उससे जुड़े मेडिकल कॉलेज के छात्रों के भविष्य को लेकर भी आयोग गंभीर है। नेशनल मेडिकल कमीशन के सूत्रों के मुताबिक, नए सत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों को किसी दूसरे मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट करने के विकल्प पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इस संबंध में आयोग के भीतर उच्च स्तर पर लगातार बैठकें हो रही हैं, ताकि किसी भी निर्दोष छात्र की पढ़ाई बीच में न अटके।
ED की कार्रवाई से और बढ़ी मुश्किलें
इसी बीच, अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया है। उन्हें प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 की धारा 19 के तहत हिरासत में लिया गया। यह कार्रवाई पहले की गई तलाशी के दौरान मिले दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों की विस्तृत जांच और विश्लेषण के बाद हुई है।
ED की जांच सिर्फ यूनिवर्सिटी तक सीमित नहीं है। एजेंसी ने दायरा बढ़ाते हुए अल-फलाह ट्रस्ट, उससे जुड़ी कंपनियों, संस्थानों और इनके एडमिनिस्ट्रेटिव व फाइनेंशियल सिस्टम को संचालित करने वाले लोगों के वित्तीय लेन-देन की भी जांच शुरू कर दी है। कुल मिलाकर, अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उसके मेडिकल कॉलेज का भविष्य फिलहाल जांच एजेंसियों की रिपोर्ट, हरियाणा सरकार के फैसले और NMC की अगली अधिसूचनाओं पर टिका है। इस बीच सबसे बड़ी चिंता उन मेडिकल छात्रों की है, जो चाहते हैं कि राजनीतिक और कानूनी उलझनों के बीच उनकी मेहनत और सालों की पढ़ाई दांव पर न लगे।







