पढ़ने लायक़ आलेख : महात्मा गाँधी के जीवन के कुछ अनछुए पहलु

Mahatma Gandhi Jayanti 2023 : देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज जयंती है। इस अवसर पर पूरे देश में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर 'स्वच्छता ही सेवा' पखवाड़े की शुरूआत भी की गई है। देश के स्कूल कालेजों में बापू को श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। इस आलेख में हम आपको महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों की जानकारी देंगे। आइए जानते हैं ...
Mahatma Gandhi Jayanti 2023
आपको बता दें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। महात्मा गांधी स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे और जंग ए आजादी में अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई। महात्मा गांधी की की प्रारंभिक शिक्षा भारत में ही हुई, लेकिन कानूनी शिक्षा लेने के लिए वह इंग्लैंड चले गए और बाद में स्वदेश वापस लौट आए।
देश की आजादी का आंदोलन
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत की आजादी के लिए कई आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। इनमें सत्याग्रह और खिलाफत आंदोलन, नमक सत्याग्रह, डांडी यात्रा आदि शामिल है। महात्मा गांधी ने बिना खून खराबे के देश की आजादी की लड़ाई में अहिंसा के सिद्धांत को अपनाया। हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच सौहार्द और एकता बढ़ाने का प्रयास किया।
किसने दी राष्ट्रपिता की उपाधि
आप सब जानते हैं कि बापू को राष्ट्रपिता कहा जाता है। आखिर उन्हें यह उपाधि किसने दी और किस क्रांतिकारी ने उन्हें सबसे पहले राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया। हम आपको बताते हैं कि पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने संबोधित किया था। सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर सम्मानित किया था। इसके बाद से "राष्ट्रपिता" का उपयोग गांधी जी के सम्मान में आम तौर से किया जाने लगा।
सादगीपूर्ण जीवन
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सादगी देखते ही बनती थी। उन्होंने देश के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिय। गांधी जी के लिए सादगी पूर्ण जीवन ही सौन्दर्यता थी। उनका जीवन एक साधक के रूप में भी मशहूर है। उन्होंने सादगी, निर्लिप्तता, और आत्मा के साथ संबंध को महत्वपूर्ण धारणाओं में जिया। एक धोती में पदयात्रा, आश्रमों में जीवन व्यतीत करने वाले गांधी भारतीयों के लिए पिता तुल्य हो गए और लोग उन्हें प्रेम व आदरपूर्वक बापू कहकर पुकारने लगे।
स्वतंत्रता के बाद
भारतीय स्वतंत्रता मिलने के बाद बापू ने भारतीय समाज के साथ सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए काम किया और हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया। उन्होंने सच्चाई, संयम और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
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Mahatma Gandhi Jayanti 2023
आपको बता दें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। महात्मा गांधी स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे और जंग ए आजादी में अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई। महात्मा गांधी की की प्रारंभिक शिक्षा भारत में ही हुई, लेकिन कानूनी शिक्षा लेने के लिए वह इंग्लैंड चले गए और बाद में स्वदेश वापस लौट आए।
देश की आजादी का आंदोलन
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत की आजादी के लिए कई आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। इनमें सत्याग्रह और खिलाफत आंदोलन, नमक सत्याग्रह, डांडी यात्रा आदि शामिल है। महात्मा गांधी ने बिना खून खराबे के देश की आजादी की लड़ाई में अहिंसा के सिद्धांत को अपनाया। हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच सौहार्द और एकता बढ़ाने का प्रयास किया।
किसने दी राष्ट्रपिता की उपाधि
आप सब जानते हैं कि बापू को राष्ट्रपिता कहा जाता है। आखिर उन्हें यह उपाधि किसने दी और किस क्रांतिकारी ने उन्हें सबसे पहले राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया। हम आपको बताते हैं कि पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने संबोधित किया था। सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर सम्मानित किया था। इसके बाद से "राष्ट्रपिता" का उपयोग गांधी जी के सम्मान में आम तौर से किया जाने लगा।
सादगीपूर्ण जीवन
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सादगी देखते ही बनती थी। उन्होंने देश के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिय। गांधी जी के लिए सादगी पूर्ण जीवन ही सौन्दर्यता थी। उनका जीवन एक साधक के रूप में भी मशहूर है। उन्होंने सादगी, निर्लिप्तता, और आत्मा के साथ संबंध को महत्वपूर्ण धारणाओं में जिया। एक धोती में पदयात्रा, आश्रमों में जीवन व्यतीत करने वाले गांधी भारतीयों के लिए पिता तुल्य हो गए और लोग उन्हें प्रेम व आदरपूर्वक बापू कहकर पुकारने लगे।
स्वतंत्रता के बाद
भारतीय स्वतंत्रता मिलने के बाद बापू ने भारतीय समाज के साथ सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए काम किया और हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया। उन्होंने सच्चाई, संयम और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।







