दिल्ली की हार को जल्दी स्वीकार नहीं करेगी केंद्र सरकार, अभी चलेगी लड़ाई

Delhi Sarkar: दिल्ली को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बाद क्या वास्तव में दिल्ली के उप राज्यपाल का दिल्ली सरकार के कार्य में हस्तक्षेप बंद हो जाएगा। यह एक बड़ा यक्ष प्रश्न है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला केवल दिल्ली पर ही लागू नहीं होगा, यह देश के अन्य 7 केंद्र शासित राज्यों पर भी लागू होगा। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भाजपा की केंद्र सरकार को बड़ा झटका है। यदि राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दिल्ली की हार को जल्दी स्वीकार नहीं करेगी और यह लड़ाई अभी और चल सकती है।
Delhi Sarkar
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला यदि दिल्ली के अलावा अन्य केंद्र शासित प्रदेशोें की चुनी हुई सरकारों पर भी लागू होता है तो यह केंद्र सरकार के लिए बड़ा नुकसान दायक होगा, क्योंकि चुनी हुई सरकार के कार्य में केंद्र सरकार का हस्तक्षेप बंद हो जाएगा। आपको बता दें कि फिलहाल जम्मू कश्मीर और लद्दाख में चुनाव नहीं हुए हैं और वहां पर एलजी ही पूरी तरह से वहां के मालिक है। जम्मू कश्मीर में चुनाव होने के बाद वहां भी दिल्ली की तरह ही कामकाज होगा। दिल्ली और जम्मू कश्मीर की राजनीति में जमीन आसमान का अंतर है, ऐसे में केंद्र की भाजपा सरकार जम्मू कश्मीर पर पूरी तरह से अपना नियंत्रण नहीं रख पाएगी।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 2021 में गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) में संसोधन किया था। इसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को कुछ और अधिकार दे दिए गए थे। आम आदमी पार्टी ने इसी कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया।
किसके पास कौन कौन से अधिकार
- अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा। - चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए। अगर चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक व्यस्था का अधिकार नहीं होगा, तो फिर ट्रिपल चेन जवाबदेही पूरी नहीं होती। - उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी। - पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास रहेगा।
क्या है GNCTD अधिनियम ?
दरअसल, दिल्ली में विधान सभा और सरकार के कामकाज के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम, 1991 लागू है। 2021 में केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन किया था।
- संसोधन के तहत दिल्ली में सरकार के संचालन, कामकाज को लेकर कुछ बदलाव किए गए थे। इसमें उपराज्यपाल को कुछ 'अतिरिक्त अधिकार दिए गए थे। संशोधन के मुताबिक, चुनी हुई सरकार के लिए किसी भी फैसले के लिए एलजी की राय लेनी अनिवार्य किया गया था।
- अधिनियम में कहा गया था, 'राज्य की विधानसभा द्वारा बनाए गए किसी भी कानून में सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा।' इसी वाक्य पर मूल रूप से दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को आपत्ति थी।इसी को आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या क्या कहा ?
चीफ जस्टिस ने संवैधानिक बेंच का फैसला सुनाते हुए कहा, दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने को लिए केंद्र की दलीलों से निपटना जरूरी है। एनसीटीडी एक्ट का अनुच्छेद 239 aa काफी विस्तृत अधिकार परिभाषित करता है। 239aa विधानसभा की शक्तियों की भी समुचित व्याख्या करता है। इसमें तीन विषयों को सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है। सीजेआई ने कहा, यह सब जजों की सहमति से बहुमत का फैसला है। यह मामला सिर्फ सर्विसेज पर नियंत्रण का है। अधिकारियों की सेवाओं पर किसका अधिकार है? CJI ने कहा, हमारे सामने सीमित मुद्दा यह है कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में सेवाओं पर किसका नियंत्रण होगा? 2018 का फैसला इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करता है लेकिन केंद्र द्वारा उठाए गए तर्कों से निपटना आवश्यक है। अनुच्छेद 239AA व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है। - सीजेआई ने कहा, NCT एक पूर्ण राज्य नहीं है। ऐसे में राज्य पहली सूची में नहीं आता। NCT दिल्ली के अधिकार दूसरे राज्यों की तुलना में कम हैं। - सीजेआई ने कहा, प्रशासन को GNCTD के संपूर्ण प्रशासन के रूप में नहीं समझा जा सकता है। नहीं तो निर्वाचित सरकार की शक्ति कमजोर हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एलजी के पास दिल्ली से जुड़े सभी मुद्दों पर व्यापक प्रशासनिक अधिकार नहीं हो सकते। 'एलजी की शक्तियां उन्हें दिल्ली विधानसभा और निर्वाचित सरकार की विधायी शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देती।"
देश के केंद्र शासित राज्य
अंडमान एंड निकोबार आइसलेंड चड़ीगढ़ दादर नगर हवेली दमन एवं दीव दिल्ली जम्मू एंड कश्मीर लद्दाख लक्षद्वीप पांडुचेरी
जानें दिल्ली के बारे में
1 नवंबर 1956 को दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला। एक दूसरे किस्से के मुताबिक दिल्ली का नाम प्रकृत भाषा के शब्द ढीली से पड़ा है। ढीली का मतलब होता है- लूज यानी ढीला-ढाला।
12वीं शताब्दी के मध्य में चौहान शासकों ने तोमर शासकों से दिल्ली की गद्दी छीन ली। उस वक्त इसे ढिलिका कहा जाता था। कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली का पहला सुल्तान बना था। उसके शासनकाल में ही दिल्ली का कुतुबमीनार बना।
दिल्ली के इतिहास में 1398 खूनखराबे वाला रहा. मुस्लिम आक्रांता तैमूर ने दिल्ली पर कब्जा कर, काफी लूटपाट मचाई। दिल्ली के करीब 1 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद दिल्ली लोधी वंश के शासनकाल में दोबारा बसी, लेकिन दिल्ली का असली वक्त मुगलकाल में आया। चंगेज खान और तैमूर के वंशज बाबर ने 1526 में मुगल शासन की स्थापना की. बाबर ने अपनी किताब बाबरनामा में दिल्ली आने और इसे जीतने की पूरी कहानी बयां की है।
कुछ वक्त के लिए सूरी शासनकाल को छोड़ दिया जाए तो इसके बाद दिल्ली पर मुगलिया शासन ही रहा। 1553 में हिंदू सेनापति हेमू विक्रमादित्य ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद हुमायूं के बेटे अकबर ने 1556 में दिल्ली को फिर वापस ले लिया।
दिल्ली में अंग्रेजों का आगमन
दिल्ली का सातवां शहर शाहजहानाबाद के नाम से जाना गया। इसे मुगल शासक शाहजहां ने 1638 में बसाया। 1707 में औरंगजेब की मौत के बाद मुगल शासक कमजोर पड़ गए। दिल्ली पर उनकी पकड़ खत्म हो गई। 1737 में दिल्ली पर मराठा शासकों ने कब्जा कर लिया। 1739 में दिल्ली में तुर्की के शासक नादिरशाह ने लूटपाट की। अफगान शासक अहमद शाह दुर्रानी ने 1757 में दिल्ली में फिर लूटपाट मचाई। मुगलशासन के खत्म होने के बाद एक नए ताकत का उभार हुआ, वो अंग्रेज थे।
1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मराठाओं को परास्त कर दिया. उन्होंने मुगल शासक को प्रतिनिधि बनाकर बिठा दिया. 28 सितंबर 1837 को जब बहादुरशाह जफर मुगल शासक बना तो उसके पास शासन चलाने की नाममात्र की ताकत थी.
Delhi Sarkar - अंग्रेजों के शासन में दिल्ली राजधानी बनी
अंग्रेजों ने दिल्ली को पंजाब का एक प्रांत बना दिया। 1911 में दिल्ली एक बार फिर केंद्र में आ गई. अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कलकत्ता से हटाकर दिल्ली ले आए। 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद दिल्ली देश की राजधानी बनाई गई। स्टेट्स रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1956 के प्रभाव में आने के बाद 1 नवंबर 1956 को दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला। 1991 में एक संशोधन के जरिए दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बना। दिल्ली को अपनी विधानसभा मिली। दिल्ली अब भी केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है। Delhi Sarkar
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Delhi Sarkar
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला यदि दिल्ली के अलावा अन्य केंद्र शासित प्रदेशोें की चुनी हुई सरकारों पर भी लागू होता है तो यह केंद्र सरकार के लिए बड़ा नुकसान दायक होगा, क्योंकि चुनी हुई सरकार के कार्य में केंद्र सरकार का हस्तक्षेप बंद हो जाएगा। आपको बता दें कि फिलहाल जम्मू कश्मीर और लद्दाख में चुनाव नहीं हुए हैं और वहां पर एलजी ही पूरी तरह से वहां के मालिक है। जम्मू कश्मीर में चुनाव होने के बाद वहां भी दिल्ली की तरह ही कामकाज होगा। दिल्ली और जम्मू कश्मीर की राजनीति में जमीन आसमान का अंतर है, ऐसे में केंद्र की भाजपा सरकार जम्मू कश्मीर पर पूरी तरह से अपना नियंत्रण नहीं रख पाएगी।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 2021 में गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) में संसोधन किया था। इसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को कुछ और अधिकार दे दिए गए थे। आम आदमी पार्टी ने इसी कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया।
किसके पास कौन कौन से अधिकार
- अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा। - चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए। अगर चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक व्यस्था का अधिकार नहीं होगा, तो फिर ट्रिपल चेन जवाबदेही पूरी नहीं होती। - उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी। - पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास रहेगा।
क्या है GNCTD अधिनियम ?
दरअसल, दिल्ली में विधान सभा और सरकार के कामकाज के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम, 1991 लागू है। 2021 में केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन किया था।
- संसोधन के तहत दिल्ली में सरकार के संचालन, कामकाज को लेकर कुछ बदलाव किए गए थे। इसमें उपराज्यपाल को कुछ 'अतिरिक्त अधिकार दिए गए थे। संशोधन के मुताबिक, चुनी हुई सरकार के लिए किसी भी फैसले के लिए एलजी की राय लेनी अनिवार्य किया गया था।
- अधिनियम में कहा गया था, 'राज्य की विधानसभा द्वारा बनाए गए किसी भी कानून में सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा।' इसी वाक्य पर मूल रूप से दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को आपत्ति थी।इसी को आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या क्या कहा ?
चीफ जस्टिस ने संवैधानिक बेंच का फैसला सुनाते हुए कहा, दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने को लिए केंद्र की दलीलों से निपटना जरूरी है। एनसीटीडी एक्ट का अनुच्छेद 239 aa काफी विस्तृत अधिकार परिभाषित करता है। 239aa विधानसभा की शक्तियों की भी समुचित व्याख्या करता है। इसमें तीन विषयों को सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है। सीजेआई ने कहा, यह सब जजों की सहमति से बहुमत का फैसला है। यह मामला सिर्फ सर्विसेज पर नियंत्रण का है। अधिकारियों की सेवाओं पर किसका अधिकार है? CJI ने कहा, हमारे सामने सीमित मुद्दा यह है कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में सेवाओं पर किसका नियंत्रण होगा? 2018 का फैसला इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करता है लेकिन केंद्र द्वारा उठाए गए तर्कों से निपटना आवश्यक है। अनुच्छेद 239AA व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है। - सीजेआई ने कहा, NCT एक पूर्ण राज्य नहीं है। ऐसे में राज्य पहली सूची में नहीं आता। NCT दिल्ली के अधिकार दूसरे राज्यों की तुलना में कम हैं। - सीजेआई ने कहा, प्रशासन को GNCTD के संपूर्ण प्रशासन के रूप में नहीं समझा जा सकता है। नहीं तो निर्वाचित सरकार की शक्ति कमजोर हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एलजी के पास दिल्ली से जुड़े सभी मुद्दों पर व्यापक प्रशासनिक अधिकार नहीं हो सकते। 'एलजी की शक्तियां उन्हें दिल्ली विधानसभा और निर्वाचित सरकार की विधायी शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देती।"
देश के केंद्र शासित राज्य
अंडमान एंड निकोबार आइसलेंड चड़ीगढ़ दादर नगर हवेली दमन एवं दीव दिल्ली जम्मू एंड कश्मीर लद्दाख लक्षद्वीप पांडुचेरी
जानें दिल्ली के बारे में
1 नवंबर 1956 को दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला। एक दूसरे किस्से के मुताबिक दिल्ली का नाम प्रकृत भाषा के शब्द ढीली से पड़ा है। ढीली का मतलब होता है- लूज यानी ढीला-ढाला।
12वीं शताब्दी के मध्य में चौहान शासकों ने तोमर शासकों से दिल्ली की गद्दी छीन ली। उस वक्त इसे ढिलिका कहा जाता था। कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली का पहला सुल्तान बना था। उसके शासनकाल में ही दिल्ली का कुतुबमीनार बना।
दिल्ली के इतिहास में 1398 खूनखराबे वाला रहा. मुस्लिम आक्रांता तैमूर ने दिल्ली पर कब्जा कर, काफी लूटपाट मचाई। दिल्ली के करीब 1 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद दिल्ली लोधी वंश के शासनकाल में दोबारा बसी, लेकिन दिल्ली का असली वक्त मुगलकाल में आया। चंगेज खान और तैमूर के वंशज बाबर ने 1526 में मुगल शासन की स्थापना की. बाबर ने अपनी किताब बाबरनामा में दिल्ली आने और इसे जीतने की पूरी कहानी बयां की है।
कुछ वक्त के लिए सूरी शासनकाल को छोड़ दिया जाए तो इसके बाद दिल्ली पर मुगलिया शासन ही रहा। 1553 में हिंदू सेनापति हेमू विक्रमादित्य ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद हुमायूं के बेटे अकबर ने 1556 में दिल्ली को फिर वापस ले लिया।
दिल्ली में अंग्रेजों का आगमन
दिल्ली का सातवां शहर शाहजहानाबाद के नाम से जाना गया। इसे मुगल शासक शाहजहां ने 1638 में बसाया। 1707 में औरंगजेब की मौत के बाद मुगल शासक कमजोर पड़ गए। दिल्ली पर उनकी पकड़ खत्म हो गई। 1737 में दिल्ली पर मराठा शासकों ने कब्जा कर लिया। 1739 में दिल्ली में तुर्की के शासक नादिरशाह ने लूटपाट की। अफगान शासक अहमद शाह दुर्रानी ने 1757 में दिल्ली में फिर लूटपाट मचाई। मुगलशासन के खत्म होने के बाद एक नए ताकत का उभार हुआ, वो अंग्रेज थे।
1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मराठाओं को परास्त कर दिया. उन्होंने मुगल शासक को प्रतिनिधि बनाकर बिठा दिया. 28 सितंबर 1837 को जब बहादुरशाह जफर मुगल शासक बना तो उसके पास शासन चलाने की नाममात्र की ताकत थी.
Delhi Sarkar - अंग्रेजों के शासन में दिल्ली राजधानी बनी
अंग्रेजों ने दिल्ली को पंजाब का एक प्रांत बना दिया। 1911 में दिल्ली एक बार फिर केंद्र में आ गई. अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कलकत्ता से हटाकर दिल्ली ले आए। 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद दिल्ली देश की राजधानी बनाई गई। स्टेट्स रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1956 के प्रभाव में आने के बाद 1 नवंबर 1956 को दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला। 1991 में एक संशोधन के जरिए दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बना। दिल्ली को अपनी विधानसभा मिली। दिल्ली अब भी केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है। Delhi Sarkar
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