उत्तर प्रदेश में प्रेम विवाह करने वाले दंपतियों के लिए एसआईआर फार्म भरने में समस्याएँ
एसआईआर फार्म भरने के दौरान प्रेम विवाह करने वाले दंपतियों और नई बहुओं को मतदाता फॉर्म भरने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। विभिन्न मामलों से पता चलता है कि पुराने रिकॉर्ड, बदलती विधानसभा सीमाएँ और मायके की जानकारी जुटाने में कठिनाइयाँ प्रमुख कारण हैं।

UP News : वाराणसी जिले में चल रहे एसआईआर फार्म भरने के दौरान प्रेम विवाह करने वाले दंपतियों और नई बहुओं को मतदाता फॉर्म भरने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। विभिन्न मामलों से पता चलता है कि पुराने रिकॉर्ड, बदलती विधानसभा सीमाएँ और मायके की जानकारी जुटाने में कठिनाइयाँ प्रमुख कारण हैं।
मुख्य समस्याएँ
1. माता-पिता की मतदाता जानकारी का न मिलना
कई महिलाओं के लिए अपने माता-पिता की वोटर सूची में आवश्यक विवरण जैसे भाग संख्या और क्रम संख्या नहीं मिल पा रही। विधानसभा क्षेत्रों के नाम बदल जाने या पुराने रिकॉर्ड न होने के कारण फार्म भरने में अड़चन आ रही है। उदाहरण के लिए मुंबई निवासी पूजा गुप्ता, जिनका विवाह सेवापुरी के कचनार गांव में हुआ।
2. पुरानी मतदाता सूची में नाम गायब होना
2003 की मतदाता सूची में कई लोगों के नाम नहीं होने के कारण सत्यापन प्रक्रिया बाधित हो रही है। उदाहरण : ठटरा गांव के इंद्र कुमार रस्तोगी परिवार का मामला।
3. पति-पत्नी के वोटर विवरण अलग-अलग बूथों/मजरे में होना
कुछ गाँवों में पति और पत्नी का नाम अलग-अलग बूथ या मजरे में दर्ज होने के कारण सही जानकारी जुटाना कठिन हो गया है। उदाहरण : सहनाज बेगम और उनके पति सत्तार अहमद का मामला।
4. नई बहुओं के लिए मायके की जानकारी जुटाना मुश्किल होना
शादी के बाद दूसरे जिले या राज्य में रहने वाली महिलाएँ अपने मायके के माता-पिता का वोटर विवरण लाने में कठिनाई महसूस कर रही हैं। बीएलओ के पास पुराने एपिक नंबर उपलब्ध नहीं होने के कारण सत्यापन रुक जाता है। उदाहरण : प्रीति गुप्ता (हावड़ा सेवापुरी)।
5. बीएलओ के सत्यापन में अड़चनें
घर पर लोग न होना, फॉर्म में पुराने या गलत पते दर्ज होना और परिवार के सभी सदस्यों के फॉर्म न मिलने जैसी समस्याएँ सत्यापन प्रक्रिया को प्रभावित कर रही हैं। उदाहरण : गढ़वासी टोला और नकाश निवासी मोहम्मद वाजिद के मामले।
मुख्य कारण
* पुराने मतदाता रिकॉर्ड का अभाव
* विधानसभा और भाग संख्या में बदलाव
* नाम और पता संबंधी गलत या अधूरी जानकारी
* विवाह के बाद अलग जिले/राज्य में निवास
जिसके कारण एसआईआर फार्म भरने में अड़चन आ रही है। नई बहुओं और पति-पत्नी दोनों के लिए भ्रम की स्थिति बनी हुई है। बीएलओ को अधूरी जानकारी के साथ सत्यापन करना पड़ रहा है।
UP News : वाराणसी जिले में चल रहे एसआईआर फार्म भरने के दौरान प्रेम विवाह करने वाले दंपतियों और नई बहुओं को मतदाता फॉर्म भरने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। विभिन्न मामलों से पता चलता है कि पुराने रिकॉर्ड, बदलती विधानसभा सीमाएँ और मायके की जानकारी जुटाने में कठिनाइयाँ प्रमुख कारण हैं।
मुख्य समस्याएँ
1. माता-पिता की मतदाता जानकारी का न मिलना
कई महिलाओं के लिए अपने माता-पिता की वोटर सूची में आवश्यक विवरण जैसे भाग संख्या और क्रम संख्या नहीं मिल पा रही। विधानसभा क्षेत्रों के नाम बदल जाने या पुराने रिकॉर्ड न होने के कारण फार्म भरने में अड़चन आ रही है। उदाहरण के लिए मुंबई निवासी पूजा गुप्ता, जिनका विवाह सेवापुरी के कचनार गांव में हुआ।
2. पुरानी मतदाता सूची में नाम गायब होना
2003 की मतदाता सूची में कई लोगों के नाम नहीं होने के कारण सत्यापन प्रक्रिया बाधित हो रही है। उदाहरण : ठटरा गांव के इंद्र कुमार रस्तोगी परिवार का मामला।
3. पति-पत्नी के वोटर विवरण अलग-अलग बूथों/मजरे में होना
कुछ गाँवों में पति और पत्नी का नाम अलग-अलग बूथ या मजरे में दर्ज होने के कारण सही जानकारी जुटाना कठिन हो गया है। उदाहरण : सहनाज बेगम और उनके पति सत्तार अहमद का मामला।
4. नई बहुओं के लिए मायके की जानकारी जुटाना मुश्किल होना
शादी के बाद दूसरे जिले या राज्य में रहने वाली महिलाएँ अपने मायके के माता-पिता का वोटर विवरण लाने में कठिनाई महसूस कर रही हैं। बीएलओ के पास पुराने एपिक नंबर उपलब्ध नहीं होने के कारण सत्यापन रुक जाता है। उदाहरण : प्रीति गुप्ता (हावड़ा सेवापुरी)।
5. बीएलओ के सत्यापन में अड़चनें
घर पर लोग न होना, फॉर्म में पुराने या गलत पते दर्ज होना और परिवार के सभी सदस्यों के फॉर्म न मिलने जैसी समस्याएँ सत्यापन प्रक्रिया को प्रभावित कर रही हैं। उदाहरण : गढ़वासी टोला और नकाश निवासी मोहम्मद वाजिद के मामले।
मुख्य कारण
* पुराने मतदाता रिकॉर्ड का अभाव
* विधानसभा और भाग संख्या में बदलाव
* नाम और पता संबंधी गलत या अधूरी जानकारी
* विवाह के बाद अलग जिले/राज्य में निवास
जिसके कारण एसआईआर फार्म भरने में अड़चन आ रही है। नई बहुओं और पति-पत्नी दोनों के लिए भ्रम की स्थिति बनी हुई है। बीएलओ को अधूरी जानकारी के साथ सत्यापन करना पड़ रहा है।







