विनय संकोची
Health : आलू (Potato) किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यह एक ऐसी सब्जी है, जिसे शायद ही कोई नापसंद करता होगा। आलू तमाम अन्य सब्जियों के साथ पका कर खाया जा सकता है। इसके भांति-भांति के स्वादिष्ट व्यंजन इसकी लोकप्रियता का कारण है। चीन और रूस के बाद भारत में आलू सबसे ज्यादा उगाया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार आलू ठंडा और पचने में भारी होता है। इसे खाने से कम समय में ज्यादा ऊर्जा मिलती है। आलू का इतिहास 8000 वर्ष पुराना है। 8000 साल पहले अमेरिका के एंडीज में आलू की खेती शुरू की गई थी। आज चावल, गेहूं, मक्का के बाद आलू दुनिया की चौथी सबसे महत्वपूर्ण फसल है, गैर अनाजों में तो यह टॉप पर है। विटामिन-ए और डी को छोड़कर आलू में तमाम प्रमुख विटामिन और पोषक तत्व मिलते हैं। आलू में प्रोटीन (Protein), कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) , वसा(Fat ), डाइटरी फाइबर (Dietary Fiber), शर्करा (Sugar), स्टार्च (Starch), कैल्शियम(Calcium), आयरन(Iron) , मैग्नीशियम (Magnesium), फॉस्फोरस(Phosphorus), पोटेशियम(Potassium), सोडियम (Sodium), जिंक(Zinc), कॉपर(Copper), मैग्नीज(Manganese), सेलेनियम(Selenium), विटामिन- सी (Vitamin-C), थियामिन (Thiamin), राइबोफ्लेविन(Riboflavin), नियासिन (Niacin), पैंटोथैनिक एसिड (Pantothenic Acid), विटामिन-बी6 (Vitamin- B6), विटामिन-ए (Vitamin- A) , विटामिन-के (Vitamin-K), फैटी एसिड (Fatty Acids) जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए उपयोगी बनाते हैं।
आइए जानते हैं आलू के गुण- उपयोग के बारे में-
• आलू कोलेस्ट्रॉल फ्री होता है। इसका अर्थ यह है कि आलू के सेवन से दिल को किसी तरह का खतरा नहीं है। इसको खाने से दिल की सेहत के लिए खतरनाक कोलस्ट्रोल के बढ़ने की कोई आशंका नहीं होती है। इस दृष्टि से आलू को दिल का दोस्त कह सकते हैं।
• आलू में पोटेशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो रक्तचाप को कंट्रोल करने में सहायक हो सकता है। आलू के सेवन से तनाव के कारण होने वाले उच्च रक्तचाप को भी कम करने में मदद मिल सकती है। रक्तचाप पर नियंत्रण में आलू का रस विशेष रूप से फायदेमंद माना जाता है।
• बढ़ा कोलेस्ट्रॉल शरीर में कई तरह के कैंसर का कारण भी बन सकता है। आलू में कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है और विटामिन-सी पर्याप्त मात्रा में होता है, जो कैंसर कोशिकाओं को पनपने से रोकने में सहायक हो सकते हैं।
• गुर्दे की पथरी को बाहर निकालने में आलू मददगार हो सकता है। आलू में पर्याप्त मात्रा में मौजूद पोटैशियम और फाइबर किडनी स्टोन को बाहर निकाल सकते हैं।
• आलू सूजन कम करने में भी मदद कर सकता है। इसमें आलू के छिलकों की विशेष भूमिका होती है। आलू और आलू के छिलकों में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन घटाने का काम कर सकते हैं।
• विटामिन सी को इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह एक प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट भी है। आलू विटामिन-सी से भरा पूरा होता है, इसलिए आलू का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायता मिल सकती है।
• आलू में मौजूद कैल्शियम हड्डियों के विकास और मजबूती में अहम भूमिका निभा सकता है। आलू के नियमित सेवन से कैल्शियम की कमी से होने वाले हड्डियों के खतरनाक रोग ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम से बचा जा सकता है।
• आलू पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में सहायता कर सकता है। इसमें मौजूद फाइबर पेट से जुड़ी समस्याओं का निदान कर पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में सहायक है।
• बढ़ती उम्र के साथ झुर्रियों की समस्या होना आम बात है। झुर्रियों से बचाने में आलू सहायता कर सकता है। आलू को छीलकर बनाए गए पेस्ट को चेहरे पर 15 मिनट के लिए लगाने के बाद ठंडे पानी से मुंह धोने से झुर्रियों में फायदा होता है। यह प्रयोग सप्ताह में तीन से चार बार करना होता है।
• आलू बालों के सौंदर्य को भी निखारने का काम कर सकता है। 2 बड़े चम्मच आलू के रस में एलोवेरा और शहद समान मात्रा में मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने और स्कल्प पर हल्की मालिश करने के कुछ घंटों के बाद शैंपू से धोने से बालों को चमकदार और मजबूत बनाया जा सकता है।
जरूरी बात : आलू के अत्यधिक सेवन से मोटापा बढ़ सकता है। ज्यादा आलू खाने से छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, मतली और उल्टी जैसी समस्या हो सकती है। जरूरत से ज्यादा आलू का सेवन टाइप-2 डायबिटीज का कारण बन सकता है। यदि आलू अंकुरित हो गया हो तो उसे नहीं खाना चाहिए। आलू यदि कहीं से हरा है, तो उसे काट कर फेंक देना जरूरी है क्योंकि इसका हरा भाग विषाक्त होता है।
विशेष : यहां आलू के गुण और उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। यह सामान्य जानकारी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं है। इसलिए हम किसी उपाय अथवा जानकारी की सफलता का दावा नहीं करते हैं। रोग विशेष के आलू को औषधि रूप में अपनाने से पूर्व योग्य चिकित्सक/आयुर्वेदाचार्य/आहार विशेषज्ञ से परामर्श अत्यंत आवश्यक है।