Kanpur News: चार युवा इंजीनियरों ने IIT KANPUR के स्टार्टअप इन्क्यूबेशन एवं इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) में एक ऐसी एक्सरे मशीन बनाई है, जिसे हाथ में लेकर कहीं भी जाया जा सकता है। इससे टीबी रोग पीड़ितों का एक्सरे करने के साथ ही यह भी जाना जा सकता है कि उनमें तपेदिक रोग की संभावना कितनी है। आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस से लैस मशीन एक साथ 100 रोगियों का डाटा विश्लेषण करने में भी सक्षम है।
जर्मन फार्मा कंपनी ने किया करार
इस मशीन का जल्द ही मेडिकल ट्रायल किया जाएगा और अगले साल जनवरी में इसको लॉन्च करने की तैयारी है। एक्सरे मशीन से सिर और रीढ़ की हड्डी को छोड़कर बाकी शरीर के सभी हिस्से का एक्सरे किया जा सकता है। खास बात यह भी है कि इसे संचालित करने के लिए बिजली आपूर्ति पर भी आश्रित नहीं रहना होगा। एनआईटी भोपाल के सत्येन्द्र चौधरी, आईआईटी रुड़की के चिराग अग्रवाल और अनीश कौल के साथ आईआइटी धनबाद के सिद्धेश धाकड़ ने इसे लीथियम आयन बैटरी से जोड़ा है।यह बैटरी एक बार चार्ज हो जाने पर 100 से 120 बार एक्सरे करने में सक्षम है। मशीन की विशेषताओं को देखते हुए जर्मन फार्मा कंपनी बोहरिंगा इंगलहाइम ने युवा इंजीनियरों की कंपनी लेनेक टेक्नोलाजीज के साथ पिछले महीने प्रोजेक्ट पर साथ काम करने का करार किया है।
दो से तीन किलोग्राम वजन
बड़ी एक्सरे मशीन का कांपैक्ट वर्जन तैयार करने के दौरान इंजीनियरों ने इस बात का ध्यान रखा है कि वजन ज्यादा न हो। 25 सेमी लंबी 15 सेमी चौड़ी और 10 सेमी ऊंचाई वाली मशीन का बैट्री समेत कुल वजन दो से तीन किग्रा के बीच होगा। भारत की पहली हैंड हेल्ड एक्सरे मशीन की कीमत दो से तीन लाख रुपये के बीच होगी। अब तक केवल दक्षिण कोरिया ही ऐसी मशीन तैयार कर सका है। कोरियाई मशीनों की कीमत भारत में आठ से 25 लाख रुपये के बीच है।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का सपोर्ट
Kanpur News: मशीन को टीबी रोगियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। ग्रामीण व सुदूर क्षेत्रों में जहां एक्सरे और तकनीशियन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव है, वहां मशीन का आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सपोर्ट काम आएगा। मशीन से किए जाने वाले एक्सरे डाटा का आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस की मदद से विश्लेषण किया जा सकेगा। मतलब एक्सरे रिपोर्ट देखने के बाद जिस तरह विशेषज्ञ चिकित्सक बताते हैं कि टीबी रोग का स्तर कितना है और कैसा इलाज करना होगा। उसी तरह यह मशीन भी बता देगी कि मरीज में टीबी रोग का संक्रमण स्तर कितना है।
आईआईटी से इन्क्यूबेटेड है लेनेक टेक्नोलॉजी
आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इन्क्यूबेशन एवं इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) से युवा इंजीनियरों की कंपनी लेनेक टेक्नोलाजीज इन्क्यूबेटेड है। फार्मा कंपनी बोहोरिंगा इंगलहाइम के साथ करार भी एसआईआईसी की ओर से किया गया है। एसआईआईसी के प्रभारी प्रो अंकुश शर्मा ने बताया कि फार्मा कंपनी के साथ मिलकर हैंड हेल्ड एक्सरे मशीन को जल्द ही आम लोगों के उपयोग के लिए तैयार किया जाएगा।
मशीन का तकनीकी पक्ष
कंपनी के सह-संस्थापक सत्येन्द्र चौधरी ने बताया कि यह मशीन 70 किलो वोल्ट्स पर 2-5 मिली एंपियर ट्यूब करंट प्रवाहित करेगी। इसका फोकल प्वाइंट 0.4 मिलीमीटर रखा गया है। तकनीक में किए गए इस बदलाव की वजह से ही छोटे आकार के बावजूद मशीन ज्यादा प्रभावी बन सकी है।
मशीन का प्रोटोटाइप तैयार
Kanpur News: प्रभारी एसआईआईसी प्रोफेसर अंकुश शर्मा ने बताया कि एटामिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन से हैंड एक्स-रे मशीन का प्रमाणीकरण अगले कुछ महीने में मिलने की उम्मीद है। इसके बाद निर्माण की गतिविधियां तेज होंगी।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपयोगी होगी
गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज, कानपुर के रेडियोलाजी विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक वर्मा ने कहा कि सरकार की ओर से गुणवत्ता प्रमाणीकरण मिल जाने के बाद अगर ऐसी हल्की मशीन उपयोग के लिए मिलती है तो ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
सैय्यद अबू साद