Ambedkar: हर साल 14 अप्रैल को देशभर में अंबेडकर जयंती बड़ी श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई जाती है। डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान के निर्माता और सामाजिक न्याय के महान योद्धा के रूप में जाना जाता है। उनकी 135वीं जयंती पर आइए जानते हैं उनसे जुड़ी 10 ऐसी खास बातें, जो शायद ही आप जानते हों।
1. असली उपनाम था ‘अंबावाडेकर’
डॉ. अंबेडकर का मूल उपनाम ‘अंबावाडेकर’ था। उनके एक ब्राह्मण शिक्षक महादेव अंबेडकर ने affection से उनका उपनाम ‘अंबेडकर’ लिखा, जो बाद में स्थायी हो गया। Ambedkar
2. अपने कुत्ते और बागवानी से था खास लगाव
बाबा साहब को जानवरों, विशेष रूप से अपने पालतू कुत्ते से अत्यंत प्रेम था। इसके साथ ही उन्हें बागवानी का भी गहरा शौक था, जो उनके शांत और संतुलित स्वभाव को दर्शाता है। Ambedkar
3. दुनिया की सबसे बड़ी निजी लाइब्रेरी के मालिक
डॉ. अंबेडकर एक गहरे पाठक थे। उनके पास जीवन के अंतिम समय तक लगभग 35,000 किताबों की निजी लाइब्रेरी थी। 1938 में ही उनके पास 8,000 से अधिक किताबें थीं।
4. दलित समुदाय से आने वाले पहले ग्रेजुएट
बाबा साहब ‘महार’ जाति से थे, जिसे उस समय समाज में अछूत माना जाता था। बावजूद इसके, उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लेकर पहले दलित ग्रेजुएट होने का गौरव प्राप्त किया।
5. 14 बच्चों में अकेले पढ़ने वाले
भीमराव अंबेडकर अपने माता-पिता की 14वीं और अंतिम संतान थे। दुर्भाग्य से उनके बाकी भाई-बहनों को पढ़ने का अवसर नहीं मिला, लेकिन बाबा साहब ने शिक्षा के दम पर समाज में बदलाव की नींव रखी।
6. मात्र 15 साल की उम्र में विवाह
बाबा साहब का विवाह केवल 15 वर्ष की उम्र में रमाबाई से हुआ था, जो उस समय मात्र 9 वर्ष की थीं।
7. पीने के पानी के लिए किया पहला आंदोलन
बाबा साहब पहले व्यक्ति थे जिन्होंने छुआछूत के खिलाफ पीने के पानी तक पहुंच के अधिकार के लिए सत्याग्रह किया। यह आंदोलन जल-समानता का प्रतीक बन गया।
8. विदेश से इकॉनोमिक्स में Ph.D. करने वाले पहले भारतीय
डॉ. अंबेडकर पहले भारतीय थे जिन्होंने विदेश से इकॉनोमिक्स में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से शिक्षा प्राप्त की।
9. भारतीय संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष
भारत की आज़ादी के बाद संविधान निर्माण की प्रक्रिया में बाबा साहब को उनकी गहरी समझ और कानून ज्ञान के कारण संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
10. दो बार बने राज्यसभा सांसद
हालांकि बाबा साहब 1952 का आम चुनाव हार गए थे, लेकिन वे दो बार राज्यसभा के सदस्य बने और संसद में वंचितों की आवाज़ को मजबूती से उठाया। Ambedkar:
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