Tahavvur Rana : भारत की प्रसिद्ध जांच एजेंसी एनआईए ने बहुत बड़ा खुलासा किया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए का दावा है कि कुख्यात आतंकवादी तहव्वुर राणा के तार उत्तर प्रदेश के साथ भी जुड़े हुए हैं। उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों को भी दरिंदा तहव्वुर राणा अपना निशाना बनाना चाहता था। कुख्यात आतंकवादी तहव्वुर राणा तथा उसके आकाओं की साजिश पूरी हो जाती तो मुंबई में हुए 26/11 जैसे ही धमाके उत्तर प्रदेश में भी हो सकते थे। एनआईए ने दावा किया है कि तहव्वुर राणा ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में भी रेकी की थी।
उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख शहरों में रेकी की थी आतंकी तहव्वुर राणा ने
राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए भारत की प्रसिद्ध जांच एजेंसी है। कुख्यात आतंकी राणा को एनआईए की टीम अमेरिका से भारत लाई है। भारत में लाने के बाद एनआईए तहव्वुर राणा से लगातार पूछताछ कर रही है। एनआईए की पूछताछ में तहव्वुर राणा के तार उत्तर प्रदेश से जुड़े होने का खुलासा हुआ है। एनआईए के सूत्रों ने बताया कि मुंबई के 26/11 अटैक से पहले आतंकी तहव्वुर राणा ने उत्तर प्रदेश के आगरा तथा हापुड़ शहर में भी रैली की थी। आतंकवादियों की साजिश उत्तर प्रदेश में भी मुंबई के 26/11 जैसा ही बड़ा कांड करने की योजना थी। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने तहव्वुर राणा को 18 दिनों के लिए एनआईए की डिमांड में सौंपा है। रिमाड के दौरान शुरू हुई पूछताछ में पता चला है कि तहव्वुर राणा न्यू उत्तर प्रदेश के आगरा तथा हापुड़ शहरों में अपनी पत्नी समराज अख्तर के साथ मिलकर रेकी की थी। तहव्वुर राणा 13 नवंबर 2008 से लेकर 21 नवंबर 2008 तक उत्तर प्रदेश में रहा था। एनआईए को पूरा शक है कि राणा तथा उसके आका उत्तर प्रदेश को भी अपना निशाना बनाना चाहते थे।
उत्तर प्रदेश में लाकर हो सकती है तहव्वुर राणा से पूछताछ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी तहव्वुर राणा उत्तर प्रदेश में भी लेकर आ सकती है। एनआईए का प्रयास है कि आतंकी तहव्वुर राणा जहां-जहां गया था वहीं पर ले जाकर उसके साथ पूछताछ की जाए। यह स्पष्ट हो चुका है कि तहव्वुर राणा ने उत्तर प्रदेश के आगरा तथा हापुड़ शहरों की रेकी की थी। इसी कारण एनआईए तहव्वुर राणा को उत्तर प्रदेश में लाकर पूछताछ कर सकती हैं। एनआईए बड़े ही गोपनीय ढंग से तहव्वुर राणा के साथ पूछताछ करने का काम कर रही है।
दयान कृष्णन नहीं होते तो शायद भारत में कभी नहीं आ पाता आतंकी तहव्वुर राणा
आपको बता दें कि पाकिस्तानी मूल के आतंकी तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद भारत में लाया गया है। तहव्वुर राणा को भारत लाना बहुत ही मुश्किल कानूनी प्रक्रिया के द्वारा संभव हो पाया है। तहव्वुर राणा को भारत लाने में भारत सरकार की कूटनीति की बड़ी सफलता है किंतु यदि दयान कृष्णन नहीं होते तो शायद इस आतंकी तहव्वुर राणा को कभी भारत नहीं लाया जा सकता था। यदि आप दयान कृष्णन को नहीं जानते तो अभी जान जाएंगे। दरअसल दयान कृष्णन भारत में सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता है। भारत के बड़े से बड़े आपराधिक मामलों की पैरोकारी करने में दयान कृष्णन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आतंकी तहव्वुर राणा के विरुद्ध अमेरिका की अदालत में भारत के इस लाडले बेटे दयान कृष्णन ने ही भारत को जीत दिलाई है।
मेहनत और काबिलियत के बल पर बनाई है अपनी पहचान
सॉलिसिटर जनरल रहे न्यायमूर्ति एन संतोष हेगड़े के संरक्षण में वकालत का ककहरा सीखने वाले दयान कृष्णन देश के उन चुनिंदा वकीलों में से हैं, जिन्होंने मेहनत और काबिलियत के बलबूते अपनी पहचान बनाई है। 2001 में संसद पर हुआ आतंकी हमला हो या फिर 2012 का दिल्ली का निर्भया कांड या ऐसे तमाम अपराध, जिनसे देश और समाज की अस्मिता पर आंच आई, उन मामलों में दुर्दांत अपराधियों को फांसी के तख्त तक पहुंचाने के लिए अदालत में जिस सलीके और तर्क के साथ अपनी दलीलों को दयान कृष्णन ने पेश किया, उससे जाहिर होता है कि वह कानून और न्याय के सच्चे सेवक व मजबूत पैरोकार हैं।
तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में स्थित हिल स्टेशन ऊटी (अब उदगमंडलम) में 17 नवंबर, 1968 को पैदा हुए दयान कृष्णन ने नेशनल लॉ स्कूल आॅफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बंगलूरू से वकालत में 1993 में स्नातक की डिग्री हासिल की। वह इस विश्वविद्यालय के पहले बैच के विद्यार्थी रहे हैं। उनके पिता एन वी कृष्णन ऊटी में ही वकालत करते थे, लेकिन जब दयान कृष्णन को दिल्ली में न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े (तब वकील थे) के मार्गदर्शन में काम करने का मौका मिला, तो उन्होंने ज्यादा सोच-विचार किए तत्काल दिल्ली की ट्रेन पकड़ ली। दयान कृष्णन ने करीब छह वर्ष तक उनके साथ काम किया। वर्ष 1999 में न्यायमूर्ति हेगड़े सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त हो गए, तो दयान कृष्णन ने स्वतंत्र रूप से वकालत शुरू कर दी। वह न्यायमूर्ति हेगड़े को अपना रोल मॉडल मानते हैं। दयान कृष्णन आपराधिक कानून, प्रत्यर्पण कानून और धन-शोधन, जैसे मामलों के विशेषज्ञ हैं। दयान कृष्णन की पत्नी निहारिका कृष्णन कानून की शिक्षिका हैं। उनका एक बेटा है, जो अभी पढ़ाई कर रहा है। बहन प्रिया कृष्णन भी पेशे से वकील हैं। उनकी मां का नाम चंद्रा कृष्णन है।
निर्भया को न्याय दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई है दयान कृष्णन ने
2012 के निर्भया कांड के दोषियों की सजा दिलवाने के लिए दयान कृष्णन को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया जिसमें दरिंदों को फांसी हुई। निर्भया मामले की पैरवी उन्होंने नि:शुल्क की थी। उन्होंने बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड, गौवा बाल शोषण कांड, उपहार सिनेमा त्रासदी, 2जी घोटाले में भी पैरवी की। वह नौसेना के पूर्व अधिकारी रवि शंकरन के ब्रिटेन से प्रत्यर्पण में सीबीआई के विशेष वकील थे। उन्होंने नेवी वार रूम लीक मामले और सत्यम कंप्यूटर घोटाले में भी पैरवी की। दयान ने भ्रष्टाचार के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की जमानत याचिका का भी विरोध किया था।
वर्ष 2010 में दयान कृष्णन 26/11 हमले के मुख्य आरोपी अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली और सरगना तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण हेतु एनआईए (नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी) के साथ जुड़ गए। वह शिकागो जाकर हेडली से पूछताछ करने वाली विशेष टीम का हिस्सा रहे। 2014 में हेडली और राणा के प्रत्यर्पण के लिए उन्हें विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया। भारत आने से बचने के लिए राणा ने अमेरिकी अदालतों में दलीलें दी, जिनमें डबल जेपर्डी यानी एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा नहीं चल सकता, लेकिन दयान कृष्णन अपने ताँ से अदालतों को यह समझाने में सफल रहे कि इस मामले की प्रकृति अलग तरह की है। यहीं से राणा के भारत आने का रास्ता साफ हो गया, हालांकि उसने कई प्रयास किए, लेकिन वह अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में भी मुकदमा हार गया।
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