Sunday, 19 May 2024

धनतेरस पर कलम नहीं उठाएगा कायस्थ समाज, बेहद रोचक है कारण

Dhanteras 2023 : आज पूरे देश में धनतेरस का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पर्व पर लोग…

धनतेरस पर कलम नहीं उठाएगा कायस्थ समाज, बेहद रोचक है कारण

Dhanteras 2023 : आज पूरे देश में धनतेरस का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पर्व पर लोग जहां सोने और चांदी की खरीदारी कर रहे हैं, वहीं बर्तन व अन्य सामान की भी जमकर बिक्री हो रही है। लेकिन हम आपको बताते हैं कि धनतेरस पर्व को लेकर कायस्थ समाज की एक रोचक कथा भी जुड़ी हुई है। कायस्थ समाज के लोग इस​ दिन कलम नहीं उठाते हैं। आइए आपको बताते हैं किस रोचक कारण के बारे में…

Dhanteras 2023

कहा जाता है कि भगवान राम के राजतिलक में आमंत्रण पत्र न मिलने से कायस्थों के पूर्वज भगवान चित्रगुप्त अपने अपमान से नाराज होकर अपनी कलम रख दी थी। बताते हैं कि जब भगवान चित्रगुप्त प्रभु राम के राज्याभिषेक पर आमंत्रण पत्र न मिलने से नाराज होकर अपनी कलम रख दिया था, उस समय परेवा काल शुरू हो चुका था। तभी से परेवा के दिन कायस्थ समाज कलम का प्रयोग नहीं करते हैं, यानी उस दिन कायस्थ समाज के लोग किसी भी तरह का का हिसाब-किताब व लेखा-जोखा नही करते हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम लंकापति रावण को मारकर अयोध्या लौट रहे थे और यह समाचार उनके खडाऊं को राज सिंहासन पर रखकर राज्य चला रहे भरत को मिला तो भरत ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए गुरु वशिष्ठ को भगवान राम के राज्य तिलक के लिए सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित करने के लिए आमंत्रण पत्र भेजने को कहा। गुरु वशिष्ठ ने भगवान राम के राजतिलक के लिए सभी राजाओं और देवी-देवताओं को आमंत्रित करने के लिए पत्री भेजने का काम अपने शिष्यों को सौंप दिया। गुरु वशिष्ठ के शिष्य भूलवश भगवान चित्रगुप्त को आमंत्रित नहीं कर पाए। राजतिलक महोत्सव में जब सभी देवी-देवता आ गए और भगवान राम को सभा मण्डप में भगवान चित्रगुप्त कहीं दिखाई नहीं दिये तो भगवान राम ने भरत से पूछाकि भगवान चित्रगुप्त नहीं दिखाई दे रहे हैं। उसके बाद मालूम हुआ कि गुरु वशिष्ठ के शिष्यों ने भगवान चित्रगुप्त को आमंत्रित नहीं किया गया था, जिसके कारण भगवान चित्रगुप्त नहीं आये।

नाराज हो गए थे चित्रगुप्त

आमंत्रित नहीं किये जाने से नाराज भगवान चित्रगुप्त सब जान चुके थे। उन्होंने गुरु वशिष्ठ की इस भूल को अक्षम्य मानते हुए यमलोक में सभी प्राणियों का लेखा- जोखा लिखने वाली कलम को उठा कर किनारे रख दिया। सभी देवी देवता जैसे ही राजतिलक से लौटे तो पाया कि स्वर्ग और नरक के सारे काम रुक गये थे। प्राणियों का लेखा-जोखा न लिखे जाने के चलते ये तय कर पाना मुश्किल हो रहा था कि किस प्राणी को क्या दण्ड दिया जाए और किस प्राणी को कहां भेजा जाए। तब गुरु वशिष्ठ की इस गलती को समझते हुए भगवान राम ने अयोध्या में भगवान चित्रगुप्त के मंदिर को स्थापित किया गया। अयोध्या महात्मय में भी इसे श्री धर्म हरि मंदिर कहा गया है। धार्मिक मान्यता है कि अयोध्या आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को अनिवार्य रूप से श्रीधर्म-हरि जी के दर्शन करना चाहिये, अन्यथा उसे इस तीर्थयात्रा का पुण्यफल प्राप्त नहीं होता)।

चार पहर के बाद उठाया कलम

भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति की और गुरु वशिष्ठ की गलती के लिए क्षमायाचना की, जिसके बाद चित्रगुप्त ने लगभग चार पहर (24 घंटे ) बाद पुन: कलम- दवात की पूजा करने के पश्चात उसको उठाया और प्राणियों का लेखा-जोखा लिखने का कार्य आरम्भ किया। कहते हैं तभी से कायस्थ दीपावली की पूजा के पश्चात कलम को रख देते हैं और यमदुतिया के दिन भगवान चित्रगुप्त का विधिवत कलम दवात पूजन करके ही कलम को धारण करते हैं।

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