Gangaur Puja 2024 : विवाह के पश्चात शिव जी को ससुराल जाने की सूझी । उन्होंने पार्वती से कहा बहुत दिन हो गये तुम्हें अपने मायके वाले तुम्हारे भाई भावज आदि सभी से मिले । पार्वती जी समझ गईं कि भोले नाथ उनकी परीक्षा ले रहे हैं क्यों कि उनका मायका तो स्वयं हिमालय था जहां कैलाश पर शिवजी स्वयं निवास करते हैं । भाई मैनाक के इन्द्र ने पंख काट दिये थे जिससे वह स्वयं छिपकर समुद्र मे रहता था। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि वह उनके पति की खुशी के लिये ढाई दिन का मायका दे दें । शिवजी और पार्वती नारद जी को भी साथ लेकर चल दिये । पार्वती जी के द्वारा ढाई दिन का मायका मांगने पर घने जंगल में राजमहल बन गया ,जहां उनके भैया भावज ,सखी सहेली ,माता पिता दास दासी सभी थे ।
गणगौर : ढाई दिन का मायका
Gangaur Puja 2024
शिवजी और पार्वती के मायके पहुंचने पर सभी ने उनका स्वागत किया । दो दिन खूब अच्छे से मेहमान दारी करने के बाद पार्वती जी ने शिव जी से कैलाश चलने की बात कही पर शिव जी तो उनकी परीक्षा ले रहे थे । ससुराल से विदा होते समय वह अपने जाप की माला वहीं छोड़ आये। थोड़ी दूर जाकर उन्होंने कहा -पार्वती मैं अपनी माला तो वहीं भूल आया जाता हूं लेने । नारद जी ने कहा आप यहीं रुकिये मैं लेकर आता हूं । जब वह लेने गये तो उस घने बियाबान जंगल में कुछ भी नही था । केवल एक वृक्ष पर शिव जी की माला टंगी हुई थी । माला लेकर आने के बाद उन्होंने शिव जी से कहा -“प्रभू!यह कैसी लीला । तब शिव जी ने कहा कि पार्वती जी ने मेरी इच्छा पूरी करने के लिये ईश्वर से प्रार्थना करके ढाई दिन का मायका मांगा था । इसीलिये वह दो दिन पूरे होते ही जल्दी चलने की जिद कर रही थीं । नारी स्वभाव वह अपने मायके के सम्मान की सदा रक्षा करती है । मैं तो केवल पार्वती की परीक्षा ले रहा था इसी लिये माला को वहां छोड़ कर आया,सती नारी के सतीत्व के आगे ईश्वर को भी झुकना पड़ता है। आज के दिन नवविवाहिता अपनी पहली गणगौर मायके जाकर ही पूजती हैं पति की लम्बी उम्र के लिये ।
Gangaur Puja 2024
उषा सक्सेना