Sawan Special – भगवान शिव की आराधना का महीना शुरू हो चुका है। ऐसा माना जाता है कि सावन (sawan) महीने में भगवान शिव अपनी ससुराल जाने के लिए पृथ्वी पर आए थे। अब वे हर साल इसी महीने में पृथ्वी पर आते हैं। इसीलिए सावन मास में भगवान शिव की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन में तो “ॐ नमः शिवाय” का जप भर करना भी अत्यंत लाभदायक माना गया है।
यद्यपि त्रिदेवों में भगवान शंकर का दायित्व श्रृष्टि के विनाशकर्ता का है, किंतु उनका स्वाभाव बिलकुल सरल और सीधा है। इसीलिए उन्हें भोले बाबा भी कहते हैं। जिनका वर्ण कर्पूर के समान गौर है, वही भगवान शिव तन पर भस्म रमाए रहते हैं। जिनकी जटाओं में गंगा है, उन्ही के कंठ में विष भी है। जिनकी सवारी पूजनीय नंदी हैं, उन्ही के प्रिय मित्र और साथी गण–प्रेत हैं।
तो क्या है भगवन शिव के चरित्र का वास्तविक अभिप्राय?
शिव भस्म रमैय्या भी है और कर्पूर गौरम भी। जो गंगाधर भी हैं और विषधर भी, उनसे मनुष्य कौन-कौनसी अहं सीख ले सकता है? यही कि किसी भी व्यक्ति या वस्तु के प्रति क्षणिक अवधारणा ना बनाएं। दूसरों के बारे में अपनी राय केवल ऊपरी दिखावट पर आधारित ना करें। मनुष्य का जीवन अनेकों घटनाओं और उनमें लिए गए अनेकों निर्णयों का समूह है। ऐसे में किसी एक क्षण या एक प्रसंग या एक ही बात पर उस व्यक्ति के संपूर्ण जीवन का अनुमान लगाना उचित नही।
इस युग में प्रथम प्रभाव को ही अंतिम छाप मान लिया जाता है। ऐसे में मनुष्य की प्रकृति को दोष–रहित दृष्टि से जानने और समझने का सबक देते हैं भगवान शिव। कभी कभी सोशल मीडिया पर दिखाई देने वाली जिंदगी ही असलियत लगने लगती है। तब उथला स्वभाव छोड़, सतह के नीचे की गहराई जानने की प्रेरणा मिलती है भगवान शिव से। भगवान, उनके अवतार और उनकी कथाओं का उद्देश्य मनुष्य को नैतिक जीवन जीने की सीख देना है। अतः समझदार प्राणी वही है जो अपने भले की बात को आत्मसात करले और निरंतर स्वयं का चरित्र निखारता रहे।