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बसौड़ा की पूजा कब है?, जानें बसौड़ा शीतला अष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त आरती मंत्र

Sheetala Ashtami 2024

Sheetala Ashtami 2024

Sheetala Ashtami 2024 : शीतला अष्टमी पूजन जिसे बसौड़ा पूजन के नाम से भी जाना जाता है। वैसे शीतला सप्तमी ओर शीतला अष्टमी दोनों ही समय बसौड़ा को दर्शाते हैं। शीतला माता पूजन लोक जन जीवन के भीतर बेहद विशेश समय माना गया है।

Sheetala Ashtami 2024

इस दिन पर आज भी गांव देहातों में शीतला माता के पूजन की विशेष प्रथा देखी जा सकती है। इस समय पर माता के पूजन जागरण एवं मंत्र जप अनुष्ठान इत्यादि को शुद्ध पवित्र मन के साथ किया जाता है। बसौड़ा एक बेहद ही कठिन और ध्यान पूर्वक किया जाने वाला व्रत पूजन है।

बसौड़ा 2024 पूजा मुहूर्त : शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त

बसौड़ा शीतला अष्टमी 02 अप्रैल 2024 को मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। शीतला अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त समय सुबह 06:10 से आरंभ होकर शाम 06:40 तक रहेगा। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 01 अप्रैल, 2024 को रात्रि 09:09 बजे से होगा। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन 02 अप्रैल, 2024 को रात्रि 08:08 बजे पर होगा

बसौड़ा पूजन : रोगों से करती हैं शीतला माता रक्षा

शीतला माता को चेचक चेचक, खसरा जैसे बीमारियों को नियंत्रित करने वाली देवी के रुप में पूजा जाता है। बच्चों में होने वाले इन रोगों से बचाव के लिए देवी पूजन विशेष होता है। शीतला माता की पूजा द्वारा बच्चे अच्छे स्वास्थ्य को पाते हैं।

शीतला अष्टमी माता पूजा एवं आरती

शीतला अष्टमी के दिन माता के पूजन व्रत एवं उनके मंत्र आरती जाप द्वारा पूजा संपन्न की जाती है। माता शीतला की पूजा में शीतला माता की आरती अवश्य करनी चाहिए। माता की आरती दूर करती है सभी प्रकार के संकट और पूर्ण होती है मनोकामनाएं।

Sheetala Ashtami 2024

शीतला माता की आरती

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता,

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।

जय शीतला माता

रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता,

ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता।

जय शीतला माता

विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता,

वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता ।

जय शीतला माता

इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा,

सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता।

जय शीतला माता

घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता,

करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता।

जय शीतला माता

ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता,

भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता।

जय शीतला माता

जो भी ध्यान लगावें प्रेम भक्ति लाता,

सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता।

जय शीतला माता

रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता,

कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता।

जय शीतला माता

बांझ पुत्र को पावे दारिद्र कट जाता,

ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता।

जय शीतला माता

शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता,

उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता।

जय शीतला माता

दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता,

भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता।

जय शीतला माता

 

(आचार्या राजरानी)

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