Health : तरबूज - है स्वाद के साथ -साथ सेहत की खान

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calendar07 Apr 2022 08:23 PM
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 विनय संकोची Health : अंग्रेजी में वाटरमेलन, संस्कृत में कालिंद, गुजराती में तड़बूज, तमिल में पुल्लुम, बांग्ला में तरमुज, पंजाबी में मतीरा कहे जाने वाले फल को हिंदी भाषी 'तरबूज'(Water Melon)  के नाम से जानते-पहचानते हैं। चिकने हरे आवरण वाले तरबूज के अंदर का गूदा लाल होता है। इसके बीज काले, लाल या सफेद होते हैं। गर्मी के मौसम में तरबूज खूब खाया जाता है। तरबूज में 95.7% पानी के अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट(Carbohydrate), विटामिन-ई(Vitamin-E), नियासिन(Niacin), प्रोटीन(Protein), वसा(Fat), विटामिन बी(Vitamin-B)  और अल्प मात्रा में फास्फोरस(Phosphorus) पाया जाता है। तरबूज सदियों से भारतीयों का मनपसंद फल रहा है। भारत में तरबूज की मौजूदगी के प्रमाण सिंधु घाटी की सभ्यता से भी पहले के मिलते हैं। आयुर्वेद में तरबूज को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। आयुर्वेदाचार्य तरबूज को कफनाशक, प्यास को शांत करने वाला, शीतलक, नेत्र ज्योति वर्द्धक मानते हैं। आयुर्वेद तरबूज के रस को स्फूर्ति दायक, मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करने वाला बताता है। तरबूज का गूदा और रस ही नहीं, इसके बीज भी बहुत उपयोगी और गुणकारी होते हैं। तरबूज के बीजों की सौ ग्राम गिरी में 514 कैलोरी मिलती हैं, जबकि 100 ग्राम गूदे से मात्र 36 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। तरबूज के बीज की गिरी में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, वसा और खनिज लवण होते हैं। आइए जानते हैं तरबूज के गुणों, उपयोग व सेवन से होने वाले लाभ-हानि के बारे में। • बहुत से लोगों को जरूरत से ज्यादा प्यास लगने की समस्या होती है। इस समस्या से निदान में तरबूज का रस लाभ पहुंचा सकता है। यदि तरबूज रस को 20 से 50 मिलीग्राम सेवन करें तो अत्यधिक प्यास लगने की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। • सिरदर्द आज लोगों की आम परेशानी है। तरबूज के रस 40-50 मिलीग्राम में मिश्री मिलाकर पीने से सिर दर्द में आराम मिलता है। दिमाग शांत रहता है और गुस्सा काम आता है। • आधे से एक कप तरबूज का रस दिन में दो बार खाना खाने से पूर्व पीने से अति अम्लता से छुटकारा मिल सकता है। इससे पाचन प्रक्रिया पर पड़ने वाला विपरीत प्रभाव समाप्त हो जाता है। • तरबूज कोलस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित करने का काम करता है, जिसकी वजह से यह दिल से जुड़ी बीमारियों से दूर रहने का माध्यम बन सकता है। • तरबूज के नियंत्रित मात्रा में सेवन से कब्ज की समस्या से छुटकारा पाना संभव है। कब्ज़ से बचने का सीधा सा अर्थ है, उन विकारों से मुक्त रहना जो कब्ज के कारण शरीर में उत्पन्न होते हैं। • तरबूज उच्च रक्तचाप नियंत्रण में भी सहायक होता है। तरबूज के बीज की गिरी के चूर्ण को उबलते हुए पानी में डालकर एक घंटे बाद छानकर पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। • एक्जिमा के उपचार में भी तरबूज सहायता कर सकता है। तरबूज के सुखाए हुए छिलकों को जलाकर बनाई गई भस्म को पानी रिसने वाले एग्जिमा प्रभावित हिस्से पर बुरकने से लाभ हो सकता है। यदि एक्जिमा सूखा है तो भस्म को सरसों के गर्म तेल में मिलाकर लगाने से फायदा होता है। • अपच की समस्या में भी तरबूज का प्रयोग लाभदायक है। तरबूज के रस का सेवन करने से न केवल खाना जल्दी पचता है, बल्कि खून भी बढ़ता है। • मूत्र-अवरोध की शिकायत भी तरबूज दूर करने में सहायक है। पेशाब ठीक से न उतरने या कष्ट के साथ उतरने की समस्या हो तो अच्छी मात्रा में तरबूज का नियमित सेवन लाभकारी हो सकता है। • तरबूज के सेवन से पीलिया रोग में भी आराम मिलता है। • तरबूज के रस का सेवन करने से लू लगने का भय समाप्त हो जाता है। • तरबूज की गिरी 10 ग्राम को पानी के साथ पीसकर उसमें मिश्री मिलाकर पीने से दिल की धड़कन सामान्य हो सकती है। • तरबूज के गूदे के टुकड़ों पर काला नमक डालकर खाने से सूखी खांसी में बहुत आराम मिलता है। • तरबूज के रस का सेवन जोड़ों के दर्द में भी लाभ पहुंचाता है। • तरबूज के बीज को पानी के साथ पीसकर होठों पर मलने से होठ फटना खत्म हो जाता है। • तरबूज के बीजों का रस या जूस पीने से गुर्दे की खराबी के कारण शरीर में होने वाली सूजन समाप्त हो सकती है। • दुष्परिणाम : अधिक मात्रा में सेवन से तरबूज नुकसान भी पहुंचा सकता है। आयुर्वेद के मुताबिक अधिक मात्रा में तरबूज सेवन से पाचन क्रिया कमजोर होने की आशंका रहती है। मधुमेह, निम्न रक्तचाप और गर्भकाल में तरबूज का सेवन नहीं करने की बात आयुर्वेद कहता है। बहुत से लोगों को प्राकृतिक रूप से ही तरबूज से एलर्जी होती है, उन्हें तरबूज से दूर ही रहना चाहिए। {• विशेष : तरबूज एक स्वादिष्ट फल है, जिसे लोग खाना पसंद करते हैं, खाते हैं। तरबूज अनेक रोगों में लाभ पहुंचा सकता है, यह भी मान्यता है लेकिन किस रोग में तरबूज अथवा उसके रस की कितनी मात्रा का, किस प्रकार सेवन किया जाए यह केवल योग्य आयुर्वेदाचार्य ही बता सकते हैं। तरबूज के उपयोग के बारे में या विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है, जिससे उपचार का दावा हम बिल्कुल नहीं करते हैं। सामान्य जानकारी चिकित्सक का विकल्प नहीं हो सकती।}
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World Health Day 2022- इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है ये, जाने इस दिन से जुड़ी और भी खास बातें

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विश्व स्वास्थ्य दिवस 2022 थीम (PC- Current affairs)
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calendar30 Nov 2025 02:43 PM
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World Health Day 2022- कोई भी व्यक्ति तब तक स्वस्थ नहीं होता है जब तक वो शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तीनों रूप से स्वस्थ न हो। इसी को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष 7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे मनाया जाता है। हर साल लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सचेत करने के उद्देश्य से ही इसको मनाया जाता है।

2022 वर्ल्ड हेल्थ डे की थीम-

हर साल वर्ल्ड हेल्थ डे की अलग- अलग थीम भी डिसाइड की जाती है। इस वर्ष यानी 2022 में वर्ल्ड हेल्थ डे (World Health Day 2022 theme) की थीम होगी 'आवर प्लेनेट, आवर हेल्थ'। इसका मतलब है हमारा ग्रह, हमारा स्वास्थ्य। ये हम सभी जानते हैं कि हमारे स्वास्थ्य में हमारी धरती का बहुत बड़ा योगदान होता है। धरती से ही हमें सब कुछ प्राप्त होता है। ऐसे में हमारी सबसे पहली ज़िम्मेदारी है अपनी धरती को स्वस्थ बनाना। जब हमारी धरती स्वस्थ होगी, तो हमारा ग्रह स्वस्थ होगा और जब यह दोनों स्वस्थ होंगे तो ज़ाहिर सी बात है कि हम खुद भी स्वस्थ होंगे।

इस हेल्थ डे पर अच्छी सेहत के लिए करें इन चीजों का प्रयोग-

अगर आप भी अपनी सेहत अच्छी रखना चाहते हैं तो आपको इन चीजों का सेवन आज से ही शुरू करना होगा- 1. ब्रोकोली- ये फूलगोभी की ही एक प्रजाति है। देखने में ये आपको फूलगोभी के जैसे ही लगेगी लेकिन खाने में ये उससे काफी अलग होती है। इसमें कैल्शियम, आयरन, जिंक, प्रोटीन, ग्लूकोसाइड, एंटी कैंसर, एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो आपको स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। 2. हल्दी- भारत में तो आपको हर घर में हल्दी ज़रूर मिलेगी। बिना इसके तो रसोई ही अधूरी है। इसके काफी ज्यादा औषधीय गुण भी होते हैं। सर्दी जुकाम laमें अगर आप कच्ची हल्दी को दूध में मिलाकर पीते हैं तो आपका जुकाम सही हो जाता है। हल्दी चोट, घाव और सूजन को दूर करने में भी मदद करती है। हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल तत्व पाए जाते हैं। 3. पालक- अगर आपको अपनी सेहत का खास ख्याल रखना है तो आपको अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना ही होगा। हरी सब्जियों में से एक है पालक।पालक सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। पालक में कई प्रकार के विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट तत्व मौजूद होते हैं। ये तत्व आपकी शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषण प्रदान करते हैं।
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4. टमाटर- लाल रंग का टमाटर जितना देखने मे अच्छा लगता है, उतना ही ये खाने में भी स्वादिष्ट होता है। टमाटर में आपको भरपूर मात्रा में फॉस्फोरस, कैल्शियम और विटामिन सी मिलता है। इसके सेवन से आप एसिडिटी से भी बच सकते हैं। अगर आपको स्वस्थ रहना है तो आपको टमाटर अवश्य खाना चाहिए।
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Health : 'प्रोटीन का राजा' है चना!

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calendar30 Nov 2025 08:24 PM
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विनय संकोची Health : चना (Gram ) न केवल स्वास्थ्य में लाभकारी है, बल्कि अनेक रोगों की चिकित्सा करने में भी सहायक है। चने में कार्बोहाइड्रेट(Carbohydrate), प्रोटीन(Protein), नमी(Moisture), चिकनाई(Fat), रेशे(Fiber), कैल्शियम(Calcium), आयरन(Iron) व विटामिंस (Vitamins) पाए जाते हैं। रक्ताल्पता(Anemia), कब्ज(Constipation), डायबिटीज (Constipation)और पीलिया(Jaundice) जैसे रोगों में चने का प्रयोग लाभकारी होता है। चना शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है। साथ ही यह दिमाग को तेज और चेहरे को सुंदर बनाता है। चने के सबसे अधिक फायदे इन्हें अंकुरित करके खाने से होते हैं। चना कषाय, रस-युक्त, वातकारक, शीतल एवं रुक्ष, शक्ति एवम् पुष्टि, स्वास्थ्यवर्धक, पित्त, रक्त-विकार कफ तथा ज्वरनाशक है। भीगा हुआ अंकुरित चना कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, शर्करा पर नियंत्रण रखता है, हृदय तथा मधुमेह रोगियों के लिए श्रेष्ठ आहार है। काले चने भुने हुए हों, अंकुरित हों या इसकी सब्जी बनाई हो ये हर तरीके से सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। चना हमारे शरीर में प्रोटीन की आपूर्ति करता है, इसलिए इसे प्रोटीन का राजा भी कहा जा सकता है। आयुर्वेद में यह कहा जाता है कि अगर आप फुर्तीले बने रहना चाहते हैं, तो चने का सेवन नियमित रूप से करना शुरू कर दीजिए। बस एक मुट्ठी चना से आप स्वस्थ और ताकतवर बने रह सकते हैं। चने किसी भी दवा से कम नहीं हैं। चने में लगभग 28% फास्फोरस और आयरन होता है। चने न केवल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करते हैं, बल्कि हीमोग्लोबिन बढ़कर किडनी को अधिकता से साफ करते हैं। • रात भर भिगोए हुए चने से पानी अलग कर उसमें नमक, अदरक और जीरा मिलाकर खाने से कब्ज जैसी समस्या में राहत मिलती है। कब्ज़ दूर करने के लिए चने के छिलके सहित ही खाएं। • शरीर में आयरन की कमी से होने वाली एनीमिया की समस्या को रोजाना चने खाकर दूर किया जा सकता है। चने में शहद मिलाकर खाना जल्द असरकारक होता है। आयरन से भरपूर चना एनीमिया की समस्या को काफी हद तक कम कर देता है। • चना ताकतवर होने के साथ ही शरीर में एक्स्ट्रा ग्लूकोज (Extra Glucose) की मात्रा को कम करता है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन चने का सेवन सुबह खाली पेट करना चाहिए। चने का सत्तू की डायबिटीज से बचाता है। • फाइबर से भरपूर होने के कारण चना वजन घटाने का एक प्रभावी प्राकृतिक उपाय है। चना भूख को नियंत्रित करने में मददगार होता है। चना शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है और यह उचित वजन प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। • चना फीटो-न्यूट्रीएंट का बहुत अच्छा स्रोत है। यह स्तन कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करता है और एस्ट्रोजन हार्मोन में खून के स्तर को बढ़ाकर विपरीत ओस्टियोपोरोसिस से रक्षा करता है। • आजकल शरीर में स्टोन होना एक आम बीमारी हो गई है। चना इससे निजात दिला सकता है। इसके लिए रात भर भिगोए काले चने में थोड़ी सी शहद की मात्रा मिलाकर खाएं। रोजाना इसके सेवन से स्टोन के होने की संभावना काफी कम हो जाती है और अगर स्टोन है तो आसानी से निकल जाता है। • हिचकी की समस्या ज्यादा परेशान कर रही हो तो चने के पौधे के सूखे पत्तों का धुम्रपान करने से शीत के कारण आने वाली हिचकी तथा आमाशय की बीमारियों में लाभ होता है। • गर्म चने रूमाल या किसी साफ कपड़े में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है। • भुने हुए चने रात में सोते समय चबाकर गर्म दूध पीने से सांस नली के अनेक रोग व कफ दूर हो जाते हैं। रात को सोते समय थोड़ी भुने हुए चने खाकर ऊपर से गुड़ खाने से खांसी में लाभ होता है। • रात को चने की दाल भिगो दें और सुबह पीसकर चीनी व पानी मिलाकर पीएं। इससे मानसिक तनाव व उन्माद की स्थिति में राहत मिलती है। • चना केवल बीमारियों के लिए ही फायदेमंद नहीं है बल्कि यह त्वचा के लिए भी काफी लाभदायक है। अगर आप अपने चेहरे में निखार लाना चाहते हैं, तो नहाने से पहले बेसन में दूध या दही मिक्स करें और इसे चेहरे पर 15 मिनट लगा रहने दें। फिर सूखने के बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें। चने के इस्तेमाल से रंगत के साथ ही मुहांसों, दाद, खुजली और त्वचा से जुड़ी कई प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं। • चने से बालों का गिरना भी रुकता है क्योंकि इसमें मौजूद प्रोटीन बालों को मजबूती प्रदान करते हैं। • चने में अंकुरण के सात दिन बाद तक मिनिरल्स और विटामिन भरपूर मात्रा में रहते हैं। अंकुरित चने सलाद के रूप में कच्चे या उबाले हुए दोनों तरीके से खाई जा सकते हैं।  किसी गंभीर बीमारी में चने को औषधि के रूप में इस्तेमाल करने से पूर्व योग्य चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।