Monday, 2 December 2024

नोएडा से निकला यह व्यंग बाण दूर तलक जाएगा, बहुजन के मन की बात आपको भी पढ़नी चाहिए Mann Ki Baat

Mann Ki Baat : नोएडा, ग्रेटर नोएडा व ग़ाज़ियाबाद में लंबे अरसे पर सक्रिय रहने वाले वरिष्ठतम पत्रकार रवि अरोरा…

नोएडा से निकला यह व्यंग बाण दूर तलक जाएगा, बहुजन के मन की बात आपको भी पढ़नी चाहिए Mann Ki Baat

Mann Ki Baat : नोएडा, ग्रेटर नोएडा व ग़ाज़ियाबाद में लंबे अरसे पर सक्रिय रहने वाले वरिष्ठतम पत्रकार रवि अरोरा अपने व्यंग्य लेखन के लिए देशभर में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने एक ताज़ा व्यंग लेख लिखा है। यह लेख हम हूबहू प्रकाशित कर रहे हैं। आशा ही नहीं उम्मीद है कि आपको भी यह लेख ज़रूर पसंद आएगा। एक बार फिर बता दें कि लेख व्यंग के रूप में लिखा गया है तो पढ़ें पूरा लेख…

Mann Ki Baat

स्कूली दिनों की बात है। हमारे हैड मास्टर साहब को मुकेश के गानों का बहुत शौक था। सुबह की प्रार्थना के बाद गाहे बगाहे कोई चमचा मार्का मास्टर उनसे गाने का अनुरोध कर देता और नौकरी की मजबूरी ऐसी कि बाकी मास्टर भी उस अनुरोध का जोर शोर से अनुमोदन कर देते। इस पर पीटी वाले गुरू जी हैड मास्टर के पीछे छुपने का फर्जी अभिनय करते हुए सामने पंक्तियों में खड़े हम बच्चों को इशारा करता कि करतल ध्वनि से इस अनुरोध पर हम प्रसन्नता जाहिर करें। हैड मास्टर साहब बेहद बेसुरे थे और कोढ़ में खाज यह कि मुकेश के गाने भी नाक से गाते थे। एक गाना तो जैसे तैसे हम बच्चे झेल जाते थे मगर जब कोई डेढ़ चमचानुमा मास्टर दूसरे गाने की भी फरमाइश कर देता तो पीटी मास्टर के लाख इशारा करने पर भी हम बच्चे दूसरी बार ताली नहीं बजाते थे। रविवार को नरेंद्र मोदी जी के मन की बात कार्यक्रम पर झूमते हुए भाजपाइयों को देख कर कसम से अपना वो हैड मास्टर और उनके चमचे मास्टर बहुत याद आए ।

उनके मन की बात बोले तो एक तरफा प्यार

समझ नहीं आता कि हमारे हैड मास्टर साहब के गाने जैसा यह कार्यक्रम मोदी जी क्यों करते हैं ? माना उन्हें बातें बनाने का शौक है मगर जनता की सहन शक्ति की भी तो कद्र करनी चाहिए ? चलो भाजपाइयों की तो मजबूरी है। उन्हें तो न केवल समूह में बैठ कर यह कार्यक्रम देखना अथवा सुनना पड़ता है बल्कि उसकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर डालनी पड़ती हैं। बेचारे करें भी क्या ! अनुशासनात्मक कार्रवाई का खौफ ही ऐसा है मगर आम जनता का क्या कसूर है, उसे क्यों हर महीने हैड मास्टर का बेसुरा राग सुनाया जाता है ? पूरे 103 एपिसोड हो गए, आजतक एक बार भी मोदी जी ने जनता के मन की बात नहीं की ।

अपनी कहते हैं और झोला उठा कर चल देते हैं। पिछले नौ सालों में आम आदमी की जिंदगी में कितने बड़े बड़े झंझावत आए, कई कुदरती और कई खुद मोदी जी के लाए हुए मगर मजाल है कि उनका जिक्र भी मन की बात में किया गया हो। मोदी जी हर बार दो चार नई कहानियां सुना कर निकल लेते हैं। पता नहीं मोदी जी के इस शौक पर देश का कितना धन खर्च होता है और कितने संसाधन इसमें झोंके जाते हैं ?

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बताया कुछ भी जाए मगर मुझे तो भाजपाईयों के अतिरिक्त ऐसे लोग कहीं नहीं दिखाई पड़ते जो इस कार्यक्रम को देखते सुनते हों। चलिए पार्टी कार्यकर्ता तक तो फिर भी ठीक है मगर इन हजारों मंत्रियों, संत्रियो, सांसदों, विधायकों और सरकारी पदों पर बैठे लोगों को क्यों बांध कर बैठा लिया जाता है हैड मास्टर जी का गाना सुनने ? क्या उनके पास कोई और काम नहीं होता ? क्या उनसे कोई और काम नहीं लिया जा सकता ? अथवा मोदी जी उन्हें किसी और काम के लायक ही नहीं समझते ?

हैड मास्टर साहब के सामने जैसे अपनी कोई हैसियत नहीं थी वैसे ही मोदी जी के सामने भी नहीं है। उनसे भी अपने मन की बात हम नहीं कह पाते थे और मोदी जी तक भी अपनी बात पहुंचाने की कोई गुंजाइश नहीं है मगर खयाल तो मन में आता ही है। तब ख्याल आता था कि काश कोई बच्चा हैड मास्टर जी को टोक दे और अब दिल करता है कि काश कोई उनका नज़दीकी मोदी जी को बता दे कि आपको झूठे सर्वे दिखाए जा रहे हैं कि पूरा देश आपको सुनता है। कोई उन्हें बताए कि कार्रवाई का डर न हो तो आपके मंत्री संत्रियों में भी आपको सुनने की उतनी रुचि नहीं है जितनी वे दिखाते हैं।

मोदी जी नए नए आइडिया खोज कर लाने में माहिर हैं। काश उन्हें यह आइडिया आ जाए अथवा कोई उन्हें सुझा दे कि अपने मन का बहुत हुआ , अब सामने वाले की सुनने का वक्त आ गया है। नौ साल लोगों ने उनके मन की सुनी है। अब कम से कम नौ महीने तो लोगों के मन की भी सुनो। मोदी जी एक तरफा प्यार भी कोई प्यार होता है भला।

रवि अरोरा
{लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार हैं}

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