Valentine’s Day : पतझड़ का मौसम था और वेलेंटाइन डे का दिन। गली-मोहल्ले से लेकर सड़कों तक बस प्रेमी-प्रेमिका की भीड़ नजर आ रही थी। अक्सर रोड़ के किनारे पड़े पत्ते शहर को गंदा करते थे लेकिन आज सड़कों के पत्ते भी खूबसूरत नजर आ रहे थे। इन जोड़ो ने अपने पाक रिश्ते से आज बेजान पत्तों में जान डाल दी थी। मैं हर रोज की तरह आज भी उस खाली पड़ी बेंच पर बैठकर सभी जोड़ों को उदासी भरी नज़रों से देख रहा था और मेरे जहन में सिर्फ एक ही सवाल था कि मैं इतना अकेला क्यों हूं? क्या मेरी जिन्दगी में भी कोई लड़की है जिससे मैं अपनी दिल की हर बात बता सकूं उसे अपनी इस बेंच का हिस्सा बना सकूं? कमबख्त सड़कों पर सभी जोड़े मेरे दर्द में नमक छिड़कने का काम कर रहे थे । पर इस बार ये घाव भी मुझे सुकून दे रहा था। मेरे दिमाग में तमाम सवाल थे और मेरे चेहरे पर एक सुकून की झलक, जो मेरे अलावा कोई दूसरा शख्स भी साफ-साफ देख सकता था।
मैं सिर्फ प्रेमी-प्रेमिका का जोड़ा देखकर अपना दिल नहीं बहलाना चाहता था इसलिए मैंने बेंच से उठने में ही अपनी भलाई समझी और वहां से उठने को तैयार ही हो रहा था कि अचानक एक अलग खूशबू से घुली हुई बहती हवाएं मेरे चेहरे को चूमती हुई गुजरी। मैं उन हवाओं को अपने जहन में उतारने ही वाला था कि इतने में मुझे एक खूबसूरत लड़की दिखी। लाल रंग की कुर्ती और काली सलवार के साथ सिर पर काला दुपट्टा ओढ़े वो मेरी ही तरफ आ रही थी। बिना देर किए मैं उस बेंच पर फिर से बैठ गया।
थोड़ी देर बाद वो लड़की भी मेरे पास बेंच पर आ बैठी। उसके चेहरे पर एक अलग उदासी थी जो उसके बीते दिनों को बयां कर रही थी। माथे पर एक छोटी सी बिंदी, खुले बिखरे बाल, होठों पर हल्की गुलाबी लिपस्टिक उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे। एक वक्त के लिए मैं एक अलग दुनिया में जा पहुंचा जहां वो अजनबी लड़की मेरे साथ उसी बेंच पर बैठकर मुस्कुराती हुई चाय पी रही थी। अचानक मेरे कानों को एक सुरीली सी आवाज सुनाई दी मैंने जल्दी से अपना ख्वाब तोड़ा और मैंने देखा कि आखिर ये मधुर सी आवाज है किसकी? वो आवाज उसी खूबसूरत लड़की की थी जो थोड़ी देर पहले मेरे करीब आ बैठी थी। आप यहां रोज क्यों आते हैं? लड़की की सवाल भरी आवाज सुन मैं स्तब्ध रह गया और मैंने उससे लड़खड़ाते शब्दों में पूछा आ…आपको कैसे पता? उस लड़की ने हल्की मुस्कान के साथ अपना चेहरा दुपट्टे के पीछे छुपाते हुए कहा मैं आपको रोज देखती हूं क्या आप अकेले हैं? आपका कोई दोस्त नहीं? कानों पर पड़ी उसकी सवाल भरी आवाज ने मेरे दिमाग को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या यही वो लड़की है जो मेरी तंहाई को दूर कर, मेरा हाथ थामे आखिरी सांस तक मेरा साथ देगी? उसका मासूम चेहरा देखते हुए मैंने बिना देर किए उससे पूछ डाला, “विल यू वी माई वेलेंटाइन”?
..असमीना..
दिल्ली के ये रेस्टोरेंट वेलेंटाइन डे डेट में लगा देगें चार चांद
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