Maharashtra News: हर सोमवार को स्कूल यूनिफॉर्म में स्कूल के प्रांगण में इकट्ठा होकर महाराष्ट्र के बीड जिले के सभी छात्र अपने-अपने विद्यालय में मराठी में यह शपथ दोहराते हैं : “हम कभी बाल विवाह का हिस्सा नहीं बनेंगे ना प्रत्यक्ष रूप से ना अप्रत्यक्ष रूप से और ना ही हम बाल विवाह को किसी भी तरह समर्थन या मदद देंगे” महाराष्ट्र के बीड़ जिले में लगभग 4000 विद्यालयों में हर सोमवार को ये शपथ दोहराई जाती है। जहां लगभग 5.50 लाख बच्चे यह शपथ दोहराते हैं । यह अपने आप में अनूठा और पहला प्रयास है जो महाराष्ट्र के बीड़ जिले में कामयाबी के झंडे गाढ़ रहा है। अक्सर सूखे से प्रभावित रहने वाला यह जिला महाराष्ट्र में बाल विवाह के सबसे अधिक मामलों के लिए भी प्रख्यात है ।
बाल विवाह में बीड़ दूसरे स्थान पर
कुछ महीनो से जिला प्रशासन द्वारा चलाया जा रहा यह शपथ कैंपेन अब अपना रंग दिखाने लगा है। बड़ी संख्या में बच्चे इनफॉर्मर और जासूस बनकर कहीं पर भी बाल विवाह की सूचनाओं को पुलिस प्रशासन तक पहुंचा रहे हैं और वह स्वयं ही हेल्पलाइन नंबर 1098 पर फोन करके बाल विवाह की त्वरित जानकारी पुलिस प्रशासन को दे रहे हैं। और उनके प्रयास से पिछले कुछ समय में कई बाल विवाह रोके जा सके है।
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बच्चे इनफॉर्मर और जासूस बनकर रुकवा रहे बाल विवाह
आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां 10 साल की उम्र की लड़कियों का भी विवाह कर दिया जाता है। कुछ दिन पहले ही 14 साल की राधा (काल्पनिक नाम ) ने अपनी ही एक चचेरी बहन का विवाह रुकवाया था। राधा ने कहा मुझे पता था ना तो मेरे माता-पिता और ना ही परिवार के दूसरे लोग मेरे बात सुनेंगे इसलिए मैंने सीधे ही हेल्पलाइन पर फोन कर दिया । राधा ने बताया कि उसकी 13 साल की चचेरी बहन की शादी होने जा रही थी और वह हर हाल में शादी को रुकवाना चाहती थी और उनके फोन कॉल से तुरंत ही प्रशासनिक अमला वहां पहुंच गया और शादी को समय पर रोक लिया गया ।
जिला अधिकारी दीपा मुधोल मुंडे ने चलाई मुहिम
स्कूलों में इस तरह के जागरूकता अभियान चलाने के बाद बीड़ जिले में बाल विवाह की घटनाएं तेजी से प्रकाश में आ रही हैं साथ ही उन पर कार्रवाई भी हो रही है । अब औसतन 1 महीने में लगभग 30 कॉल्स हेल्पलाइन को प्राप्त होती हैं जबकि पिछले साल केवल एक या दो कॉल ही महीने में हेल्पलाइन के पास आती थी । बीड़ जिले में यह बदलाव आया है जिला अधिकारी दीपा मुधोल मुंडे के प्रभार लेने के बाद जो यहां पर फरवरी में जिलाधिकारी बन कर आई हैं । बच्चों को स्कूलों में जो शपथ दिलाई जाती है वह दरअसल महिला और बाल विकास अफसर के लिए बनाई गई थी, लेकिन बाद में इसे बीड़ जिले में बच्चों को दिलाया जाने लगा।
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यौन शोषण से बचाने के लिए कर दिया जाता है लड़कियों का बाल विवाह
अक्सर बीड़ जिले में अक्टूबर महीने में परिवार अपने बच्चों को लेकर गन्ना कटाई के काम के लिए बाहर चले जाते हैं और अक्सर देखा क्या है कि यही वह समय होता है जब जल्दबाजी में बच्चों का बाल विवाह कर दिया जाता है। इस शपथ दिलाने का असर यह हुआ है कि 2016-17 में जहां साल भर में चाइल्ड मैरिज यानी बाल विवाह के केवल 19 कॉल रिसीव किए गए थे वही साल 2022-23 में 132 ऐसे मामले रिपोर्ट किए गए। बीड़ जिले की भौगोलिक स्थिति की बात की जाए तो यह अक्सर सूखाग्रस्त रहता है ऐसे में खेती-बाड़ी की कमी की वजह से यहां की आबादी अच्छी आमदनी के लिए पलायन कर जाती है। कुछ समय के लिए जब गन्ने की फसल काटने का समय आता है और ऐसे में गन्ना फैक्टरियों में अक्सर होने वाले शारीरिक शोषण से बचाने के लिए भी लड़कियों की जल्द शादी कर दी जाती है। अगर बीड़ की ही बात किया जाए तो पूरे महाराष्ट्र में यह जिला बाल विवाह की संख्या में दूसरे नंबर पर आता है नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-20 के मुताबिक परभणी के बाद बीड़ का ही नंबर है, जहां पर बाल विवाह का प्रतिशत 47% है आपको जानकर हैरानी होगी कि बीड़ जिले में लगभग 44% लड़कियों की शादी 18 साल की होने से पहले ही हो जाती है और कई लड़कियों की तो शादी 10 उम्र से कम वय में ही हो जाती है।
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