New Delhi : इन दिनों इंडिया गठबंधन अंदरखाने बहुत कुछ चल रहा है। गठबंधन के नेतृत्व को पाने के लिए कई पार्टी के मुखिया मुखर हो रहे हैं। सबसे ताजी घटना में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ड्रीम का सामने आना है। ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के मुखिया का पद संभालने के साथ इंडिया गठबंधन का प्रबंधन भी संभालना चाहती हैं और उनके इस ड्रीम में सपा भी साथ नजर आ रही है। ममता के हालिया बयान को भाजपा ने लपक लिया है और इंडिया गठबंधन और राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाया है।
इंडिया गठबंधन के नेतृत्व पर सवाल उठाया
इंडिया गठबंधन में नेतृत्व को लेकर हो रही खींचतान का लाभ भाजपा लेना चाहती है। इसी क्रम में भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा, इंडिया गठबंधन का कोई भी नेता राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के नेतृत्व पर भरोसा नहीं करता है। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन के भीतर नेतृत्व को लेकर असमंजस और उहापोह की स्थिति बन गई है। क्योंकि कभी अखिलेश यादव कहते हैं कि वह नेता हैं, कभी ममता बनर्जी कहती हैं कि वह नेता हैं और कभी स्टालिन सामने आ जाते हैं। कुल मिलाकर जो सिनेरियो है वो यही है कि राहुल गांधी को कोई अपना नेता नहीं मानता है। New Delhi
सियासी गलियारों में हलचल तेज
संसद में भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सपा कांग्रेस के साथ नजर नहीं आ रही है। खासकर जबसे ममता बनर्जी ने विपक्षी इंडिया गठबंधन की कमान संभालने की बात छेड़ी है तब से सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई। कांग्रेस ने तो इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया है। साथ ही राजद ने भी साफ कह दिया है कि गठबंधन की पटकथा तो लालू यादव ने लिखी थी फिर ममता कहां से दावेदार हो सकती हैं।
गठबंधन को लेकर कांग्रेस भी सतर्क
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गठबंधन और राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाया है। सपा ममता बनर्जी के साथ नजर आ रही है। भाजपा भी इस मौके का फायदा उठाते हुए मौके पर चौका लगा रही है। और उनके प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने तो राहुल गांधी के नेतृत्व पर ही सवाल उठा दिया है। उनका कहना है कि गठबंधन के भीतर नेतृत्व को लेकर असमंजस बना हुआ है। वे राहुल गांधी को अपना नेता मानने को तैयार नहीं हैं। ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस भी सतर्क है और राजद उनका साथ देने को तैयार दिख रहा है। कांग्रेस भी सपा और ममता के मानमनौव्वल का प्रयास नहीं कर रही है। गठबंधन के अन्य घटक दलों के साथ उसका लगातार संपर्क बना हुआ है। देखना है सपा और ममता का यह ड्रीम इंडिया गठबंधन को तोड़ता है या जोड़ता है। कुछ भी हो कांग्रेस इतनी आसानी से हार मानने वाली नहीं है। New Delhi