Wakf Amendment Bill : लोकसभा में आज वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पेश कर दिया गया। मुस्लिम समाज (Muslim Brotherhood) का एक तबका इसके समर्थन में जबकि दूसरा धड़ा इसके विरोध में है। इस विधेयक को पारित कराने के लिए एनडीए और उसकी सहयोगी पार्टियां एकजुट हैं जबकि INDIA ब्लॉक इसके विरोध में है। आज लोकसभा में दोपहर 12 बजे केन्द्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पेश किया। BJP को विधेयक पर चर्चा के लिए 4 घंटे का समय दिया गया है। एनडीए को कुल 4 घंटे 40 मिनट का समय दिया गया है। बिल पर चर्चा के लिए 8 घंटे आवंटित किए गए हैं। बिल पेश करने के दौरान किरेन रिजिजू ने कहा कि वक्फ संसोधन बिल प्रोपर्टी के मैनेजमेंट का बिल है। किसी धार्मिक प्रबंधन में दखल नहीं। वक्फ बोर्ड में शिया सुन्नी और गैर मुस्लिम एक्सपर्ट होंगे तथा इसमें महिलाओं को भी जगह दी जाएगी। यह बिल किसी की संपत्ति छीनने का बिल नहीं है। इसको लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉॅ बोर्ड ने बिल के खिलाफ देश व्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है। बोर्ड ने आरोप लगाया कि यह बिल मुस्लिमों का हक छीनने का बिल है। बिल मुसलमानों के खिलाफ है।
किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पेश कर दिया है। किरेन रिजिजू ने कहा कि इससे अधिक संख्या में आजतक किसी भी बिल पर लोगों की याचिकाएं नहीं आईं। 284 डेलिगेशन ने अलग-अलग कमेटी के सामने अपनी बात रखी है। 25 राज्यों के वक्फ बोर्ड ने अपना पक्ष रखा। पॉलिसी मेकर्स, विद्वानों ने भी अपनी बात कमेटी के सामने रखी हैं. इस बिल का पॉजिटिव सोच के साथ विरोध करने वाले भी समर्थन करेंगे। यह प्रस्ताव खुले मन से पॉजिटिव नोट के सामने पेश कर रहा हूं. किसी ने असंवैधानिक बताया तो किसी ने नियमविरुद्ध. जब पहली बार ये प्रस्ताव सदन में पेश किया गया था 1913 में, उसके बाद जब दोबारा एक्ट पास किया गया था। 1930 में एक्ट लाया गया था। आजादी के बाद 1954 में वक्फ एक्ट पहली बार आजाद भारत का एक्ट बना और उसी में राज्य के बोर्ड का भी प्रावधान किया गया था. 1995 में व्यापक रूप से एक्ट बना। उस समय किसी ने इसे असंवैधानिक, नियमविरुद्ध नहीं कहा. आज हम जब ये बिल ला रहे तो ये बोलने का विचार कैसे आया। जिसका बिल में कोई लेना-देना नहीं है, उसे लेकर आपने लोगों को गुमराह करने का काम किया. 1995 में ट्रिब्यूनल का इंतजाम किया गया।
किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने कहा कि 2013 में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने पार्लियामेंट की जो बिल्डिंग है, उसे भी वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दिया. यूपीए की सरकार ने इसे डिनोटिफाई भी कर दिया। अगर नरेंद्र मोदी की सरकार नहीं होती, हम संशोधन नहीं लाते तो जिस जगह हम बैठे हैं, वह भी वक्फ की संपत्ति होती। यूपीए की सरकार होती तो पता नहीं कितनी संपत्तियां डिनोटिफाई होतीं। कुछ भी अपने मन से नहीं बोल रहा हूं। ये सब रिकॉर्ड की बात है. किरेन रिजिजू की इस बात पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के जोरदार हंगामे पर किरेन रिजिजू ने कहा कि अगर तर्क नहीं है तो इस तरह से हंगामा करना ठीक बात नहीं है। स्पीकर ने कहा कि आपकी बारी आएगी तो आप अपनी बात रखिएगा।
किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल में किसी भी धार्मिक कार्यकलाप में हस्तक्षेप का कोई प्रावधान नहीं है। हम किसी भी मस्जिद के संचालन में हस्तक्षेप करने नहीं जा रहे। इस पर विपक्ष की ओर से किसी ने टिप्पणी की. स्पीकर ओम बिरला ने टोकते हुए नसीहत दी कि भारत की संसद में बैठे हो, गरिमा का ध्यान रखो। किसी भी व्यक्ति को बैठे-बैठे टिप्पणी का अधिकार नहीं है। किरेन रिजिजू ने कहा कि ये मस्जिद या धार्मिक क्रियाकलापों से जुड़ा मामला नहीं है। ये बस एक संपत्ति के मैनेजमेंट से जुड़ा विषय है। कोई मुसलमान जकात देता है तो उसे पूछने वाले हम कौन होते हैं. हम तो बस उसके मैनेजमेंट से जुड़ी बात कर रहे हैं। इसका धार्मिक व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है।
किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने केरल हाईकोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट की वक्फ को लेकर टिप्पणियों का जिक्र किया और सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ये तर्क ही नहीं बन रहा है कि मुसलमान के अधिकार में गैर मुसलमान कैसे आ रहा है. 2013 में चुनाव आना था, आचार संहिता लगने ही वाली थी, 5 मार्च 2014 को 123 प्राइम प्रॉपर्टीज को सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया. इससे वोट नहीं मिलने वाला। देश के लोग समझदार हैं इसको बदलना जरूरी था। किरेन रिजिजू ने कहा कि 1995 में ऐसा नहीं था, 2013 में आपने बदल दिया कि वक्फ कोई भी क्लियर कर सकता है. हमने पुराना प्रावधान लाते हुए कहा है कि वही क्लियर कर सकता है जिसने कम से कम पांच साल इस्लाम की प्रैक्टिस किया है. इसमें शिया, सुन्नी, महिला, सभी रहेंगे ये हमने किया है. मैं मुस्लिम नहीं हूं लेकिन वक्फ काउंसिल का चेयरमैन हूं. मेरे होने के साथ चार और गैर मुस्लिम इसमें हो सकते हैं।
दो महिला का रहना अनिवार्य है। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में कुल 22 सदस्यों में चार गैर मुस्लिम से ज्यादा नहीं हो सकते हैं। तीन सांसद होंगे. 10 सदस्य मुस्लिम समुदाय से और दो पूर्व जज होंगे. एडिशनल सेक्रेटरी या जॉइंट सेक्रेटरी उसमें रहेंगे। स्टेट बोर्ड में 11 सदस्यों में तीन से ज्यादा गैर मुस्लिम नहीं हो सकते। एक एमपी, एक एमएलए, एक सदस्य बार काउंसिल से और चार सदस्य मुस्लिम समुदाय से होंगे। इनमें एक महिला का होना भी अनिवार्य है। जो प्रावधान जरूरी नहीं थे, उनको मिलाते हुए हमने नया प्रावधान किया है. महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के साथ ही ट्रिब्यूनल में पेंडिंग 10 हजार से अधिक केस सेटल करने और कुछ साल में इनकी संख्या 30 हजार से अधिक हो गई है। वक्फ बोर्ड के पास भारतीय रेलवे, रक्षा के बाद वक्फ के पास तीसरा सबसे बड़ा लैंडबैंक है। ट्रेन का पटरी लगा हुआ है, वो देश की संपत्ति है। Wakf Amendment Bill :
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