Atal Bihari Jayanti आज पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की 99वीं जयंती है। पूरे देश में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की ओर से कार्यक्रमों का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। यहां हम आपको स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक किस्सों की जानकारी देंगे। उन्हीं किस्सों में एक किस्सा ऐसा भी है, जिसमें उन्होंने अपनी शादी की बात पर दहेज में पूरा पाकिस्तान ही मांग लेने की शर्त रख दी थी।
Atal Bihari Jayanti 2023
हम आपको बताते हैं कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे, जहाँ पाकिस्तान से भी कई पत्रकार मौजूद थे। इस दौरान एक पाकिस्तानी महिला पत्रकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सामने उनसे शादी करने का प्रस्ताव रखा औऱ साथ ही मुंह दिखाई पर उनसे कश्मीर मांग लिया। इस पर अटल जी के जवाब ने पूरे भारत को उनका फैन बना दिया। दरअसल, उन्होंने महिला पत्रकार को जवाब देते हुए कहा था कि शादी तो हम कर ले, लेकिन दहेज में हमें पूरा पाकिस्तान चाहिए। अगर आपको मंजूर है तो मेरी तरफ से ‘हाँ’ है। उनका ये जवाब सुनते ही पूरे हॉल में बैठे लोग ठहाके मार के हँसने लगे और महिला पत्रकार भी मुस्कुरा उठी…।
हाजिर जवाब से जीत लेते थे सबका दिल
साल 1924 में आज ही के दिन (25 दिसंबर) मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में एक हिंदू ब्राह्मण के परिवार में जन्में वायपेयी जी, बचपन से ही अपने हाजिर जवाबी से सबका दिल जीत लिया करते थे। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे, उनकी माँ एक ग्रहणी थी। वाजपेयी जी ने अपने स्कूली शिक्षा ग्वालियर के सरस्वती शिशु मंदिर से पूरी की। जिसके बाद उन्होंने 1934 में उज्जैन के एंग्लो-वर्नाक्युलर मिडिल स्कूल से अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की।
इसके कुछ समय बाद ही उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में बीए करने के लिए ग्वालियर के ही विक्टोरिया कॉलेज से पूरा किया। बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कानपुर, यूपी के डीएवी कालेज से राजनीति विज्ञान में एमए के साथ स्नातकोत्तर की पढ़ाई भी पूरी की। बाद में वें कानून की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन साल 1947 में आजादी के बाद हुए विभाजन के दंगों के चलते उन्हें अपना वो सपना बीच में ही छोड़ना पड़ा।
देश के लिए वाजपेयी जी का सपना
अटल जी बचपन से ही देश के लिए कुछ करने का सपना देखते थे, जिसके चलते वे शुरूआत से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का हिस्सा बन गए और हमेशा ही एक सक्रिय सदस्य के तौर पर कार्य करने लगे। जहाँ आगे चल कर वे आम सदस्य से एक विस्तारक के पद तक पहुँचे। इस दौरान उन्होंने एक विस्तारक के तौर पर कई समाचार पत्रों के लिए काम किया, जिसमें राष्ट्र धर्म, स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे कई सामचार पत्र शामिल हैं। उनके जीवन में एख बड़ा बदलाव साल 1942 में आया, जब वे भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा बने और आखिरकार भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन को पूरी तरह से खत्म कर दिया।
उन्होंने एक पत्रकार के तौर पर अपने करियर की शुरूआत की थी, लेकिन वे इसे आगे बरकारार नहीं कर पाएं, क्योंकि वे तत्कालीन भारतीय जनता संघ में शामिल हो गए थे। भारतीय जनता संघ ही अब भाजपा के नाम से जानी जाती है। अपनी शुरूआती दिनों में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया और उत्तरी क्षेत्र का प्रभारी की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपी गई। वहीं जब दीन दयाव उपाध्याय जी का निधन हो गया। और साल 1968 में वे इस भाजपा के अध्यक्ष बन गए। अपने ज्ञान और अनुभवों का उपयोग उन्होंने हमेशा संघ की नीतियों को अच्छे ढंग से लागु करने के लिए ही किया।
तीन बार पीएम बने थे अटल जी
बात जब भारत के प्रधानमंत्री के तौर अटल जी की आती है तो उनका इतिहास काफी प्रशंसाओं से भरा रहा। वे तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। सबसे पहले साल 1996 में उन्होंने देश के 10वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली, हालाँकि उनकी यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चल सकी और सदन में बहुमत हासिल न कर पाने के कारण वाजपेयी जी को इस्तीफा देना पड़ा। वर्ष 1998 में उन्हें दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री के तौर पर चुना गया, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का गठन किया गया। उनके नेतृत्व वाली यह सरकार कुल 13 महीनों तक चल सकी। उनका तीसरा और आखिर कार्यकाल साल 1999 से 2004 तक यानि पूरे 5 साल तक रहा। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद से, वे पहले पीएम थे जो लगातार 2 जनादेशों के साथ भारत के प्रधान मंत्री बनने वाले एकमात्र उम्मीदवार थे।
देश के विकास में पूर्व प्रधानमंत्री का योगदान
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने न सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर बल्कि विदेश मंत्री और संसद की अलग-अलग जरूरी स्थायी समीतियों के अध्यक्ष के रूप में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। वह सामाजिक समानता के सच्चे समर्थक और महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रबल समर्थक भी रहे। श्री अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे भारत में विश्वास करते थे जो 5000 वर्षों के सभ्यतागत इतिहास पर कायम है, लेकिन आने वाले सालों में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को आधुनिक, नवीनीकृत और पुनर्जीवित कर रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी को मुख्य रूप से एक व्यावहारिक व्यक्ति माना जाता था, लेकिन उनकी इन सभी उपलब्धियों में सबसे बड़ी माने जाने वाली उपलब्धि साल 1998 में हुए परमाणु हथियारों के परीक्षण के बाद जुड़ गई। लेकिन इसमें भी उन्हें कई तरह की आलोचना को सुनना पड़ा था।
भारत पाक विवाद को सुझाने में भूमिका
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर क्षेत्र को लेकर पाकिस्तान और भारत के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद को सुलझाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रेरक नेतृत्व को देखते हुए भारत अर्थव्यवस्था में लगातार वृद्धि हासिल करने में सक्षम रहा और जल्द ही देश के लिए सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अग्रणी बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ। देश के प्रति उनके इस योगदान के लिए उन्हें साल 1992 में पद्म विभूषण से और साल 2015 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।
एक सफल राजनेता के तौर पर देश की जनता के दिलों में अपने का सफर चल ही रहा था कि साल 2009 में अटल जी को स्ट्रोक का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी बोलने की क्षमता ख़राब हो गई। जून 2018 में किडनी में संक्रमण के बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया, जहां 16 अगस्त 2018 को अटल जी ने आखिरी सांसे ली और इस तरह देश ने एक महान व्यक्ति को नम आँखों के साथ विदा किया।
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