Saturday, 23 November 2024

डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने दे दिया सबसे बड़ा गुरू मंत्र, जो भी चाहोगे वही पा जाओगे

Dr. Vikas Divyakirti : भारत ही नहीं दुनिया भर में प्रसिद्ध शिक्षक डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने अपना सबसे बड़ा गुरू…

डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने दे दिया सबसे बड़ा गुरू मंत्र, जो भी चाहोगे वही पा जाओगे

Dr. Vikas Divyakirti : भारत ही नहीं दुनिया भर में प्रसिद्ध शिक्षक डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने अपना सबसे बड़ा गुरू मंत्र बता दिया है। सैकड़ों युवक तथा युवतियों को सबसे प्रतिष्ठित UPSC की परीक्षा पास करवाने वाले डॉ. विकास दिव्यकीर्ति का दावा है कि इस गुरू मंत्र को अपनाने से कोई भी व्यक्ति जीवन में वह सब कुछ प्राप्त कर सकता है जो वह चाहता है।

Dr. Vikas Divyakirti

डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने यह गुरू मंत्र एक कहानी के रूप में समझाया है। दृष्टि IAS के नाम से कोचिंग संस्थान चलाने वाले कोचिंग गुरू डॉ. विकास दिव्यकीर्ति विकास सर के नाम से मशहूर हैं।

जो चाहेगे, वो पाओगे

कोचिंग गुरू डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने जो गुरू मंत्र दिया है वह एक छोटी सी कहानी के रूप में है। डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने बताया कि एक साधु नदी के एक घाट पर अपना डेरा डाले हुए था। वहां वह धुनी रमाकर दिन भर बैठा रहता और बीच-बीच में ऊंची आवाज में चिल्लाता, “जो चाहोगे, वो पाओगे !” हालांकि, उस रास्ते से गुजरने वाले लोग उसे पागल समझते रहे थे। वे उसकी बात सुना-अनसुना कर देते और कुछ लोग हंस भी देते। एक दिन एक बेरोजगार युवक उस रास्ते से गुजर रहा था। साधु की चिल्लाने की आवाज उसके कानों में भी पड़ी- “जो चाहोगे, वो पाओगे !” “जो चाहोगे, वो पाओगे !” यह सुनकर वह युवक साधु के पास गया और उससे पूछने लगा, “बाबा! आप बहुत देर से जो चाहोगे, वो पाओगे चिल्ला रहे हो। क्या आप सच में मुझे वो दे सकते हो, जो मैं पाना चाहता हूं? साधु बोला, “हां बेटा, लेकिन पहले तुम मुझे यह बताओ कि तुम पाना क्या चाहते हो?”

युवक ने तुरंत जवाब दिया “बाबा! मैं चाहता हूं कि एक दिन मैं हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनूं। क्या आप मेरी यह इच्छा पूरी कर सकते हैं?” बाबा बोला “बिल्कुल बेटा! मैं तुम्हें एक हीरा और एक मोती देता हूं, उससे तुम जितने चाहे हीरे मोती बना लेना”। साधु की बात सुनकर युवक की आंखों में उम्मीद की किरण जाग उठी। साधु ने उसे अपनी दोनों हथेलियां आगे बढ़ाने को कहा। युवक ने अपनी हथेलियां साधु के सामने कर दीं। साधु ने पहले उसकी एक हथेली पर अपना हाथ रखा और बोला, “बेटा, यह इस दुनिया का सबसे अनमोल हीरा है, इसे ‘समय’ कहते हैं। इसे जोर से अपनी मुट्ठी में जकड़ लो, इसके द्वारा तुम जितने चाहे उतने हीरे बना सकते हो। इसे कभी अपने हाथ से निकलने मत देना।”

फिर साधु ने अपना दूसरा हाथ युवक की दूसरी हथेली पर रखकर कहा, “बेटा, ये दुनिया का सबसे कीमती मोती है, इसे ‘धैर्य’ कहते हैं। जब किसी कार्य में समय लगाने के बाद भी वांछित परिणाम प्राप्त ना हो, तो इस ‘धैर्य’ नामक मोती को धारण कर लेना। यदि यह मोती तुम्हारे पास है, तो तुम दुनिया में जो चाहो, वो हासिल कर सकते हो।” युवक ने ध्यान से साधु की बात सुनी और उन्हें धन्यवाद कहकर वहां से चल पड़ा। अब उसके पास जीवन में बड़ी से बड़ी कामयाबी को पाने के लिए दो गुरुमंत्र थे। उसने निश्चय किया कि वह कभी अपना समय व्यर्थ नहीं गंवाएगा और सदा धैर्य से काम लेगा। कुछ समय बाद उसने हीरे के एक बड़े व्यापारी के यहां काम करना प्रारंभ किया। कुछ वर्षों तक वह दिल लगाकर व्यवसाय का हर गुर सीखता रहा और एक दिन अपनी मेहनत और लगन से अपना सपना साकार करते हुए हीरे का बहुत बड़ा व्यापारी बन गया।

डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि इस कहानी का तात्पर्य यह है कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए सदा ‘समय’ और ‘धैर्य’ नाम के हीरे मोती अपने साथ रखें। अपना समय कभी व्यर्थ ना जाने दें और कठिन समय में धैर्य का दामन ना छोड़ें। सफलता अवश्य प्राप्त होगी।

कौन हैं डॉ. विकास दिव्यकीर्ति

आपको बता दें कि डॉ. विकास दिव्यकीर्ति एक जाने-माने अध्यापक हैं। भारत की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC की परीक्षा है। इस परीक्षा को पास करके ही सबसे बेहतरीन नौकरी मानी जाने वाली UPSC तथा IPS की नौकरी मिलती है। डॉ. विकास दिव्यकीर्ति दृष्टि IAS के नाम से कोचिंग इंस्टीटयूट चलाते हैं। दृष्टि IAS कोचिंग का मुख्यालय दिल्ली के मुखर्जी नगर में है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज तथा राजस्थान के जयपुर में भी डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के दृष्टि IAS कोचिंग इंस्टीटयूट की शाखाएं स्थापित की गई हैं।

Dr. Vikas Divyakirti

अध्यापक बनने से पहले डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने UPSC  की परीक्षा पास की थी। वें IPS अधिकारी बने थे। डॉ. विकास दिव्यकीर्ति दिल्ली में UPSC की परीक्षा देने वाले छात्र तथा छात्राओं के लिए एक आदर्श गुरू हैं। डॉ. विकास दिव्यकीर्ति मूल रूप से हरियाणा प्रदेश के रहने वाले हैं। उनके माता तथा पिता दोनों ही हिन्दी साहित्य के प्रोफेसर रह चुके हैं। डॉ. विकास दिव्यकीर्ति को हिन्दी भाषा में विशेष प्रेम है। डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के बताए हुए मार्ग को अपना कर हर कोई बड़ी से बड़ी सफलता प्राप्त कर सकता है। Dr. Vikas Divyakirti

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