Alok Mehta : RJD नेता और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री आलोक मेहता के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी की है। यह कार्रवाई वैशाली शहरी विकास कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में 85 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड मामले में की गई है। इसमें फर्जी लोन खातों, नकली दस्तावेजों और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं।
400 फर्जी लोन खातों का निर्माण
सूत्रों की मानें तो, इस लोन फ्रॉड के तहत लगभग 400 फर्जी लोन खातों का निर्माण किया गया था। इन खातों के आधार पर नकली वेयरहाउस और LIC रिसीट्स का इस्तेमाल करके फर्जी तरीके से फंड को बांटा गया। आरोप है कि आलोक मेहता ने न केवल बैंक अधिकारियों की मदद की, बल्कि सार्वजनिक धन की हेराफेरी में भी अपनी भूमिका निभाई और बाद में इसे मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए छिपाने का प्रयास किया।
इस धोखाधड़ी में कौन-कौन शामिल?
ED ने बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की है। जिनमें बैंक के तत्कालीन CEO, चेयरमैन, अन्य कर्मचारियों और कई लाभार्थियों के घर शामिल हैं। इस मामले में ED के अधिकारी अब बरामद दस्तावेजों और साक्ष्यों की जांच कर रहे हैं, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि इस धोखाधड़ी में और कौन-कौन लोग शामिल थे और कैसे यह गबन किया गया।
सार्वजनिक धन को किया गबन
बैंक अधिकारियों और उनके सहयोगियों पर आरोप है कि उन्होंने इस लोन फ्रॉड के जरिए सार्वजनिक धन को गबन किया और बाद में उसे मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से छिपाने की कोशिश की। इस मामले में आलोक मेहता के खिलाफ भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उन्हें इस फ्रॉड की साजिश में शामिल बताया गया है और उनकी व्यावसायिक इकाइयों की भूमिका की भी जांच हो रही है। ईडी की यह छापेमारी बड़े पैमाने पर चल रही जांच का हिस्सा है, जिसमें कई उच्च स्तरीय अधिकारियों और व्यवसायिक साझेदारों की संलिप्तता की संभावना जताई जा रही है। ED अब इस मामले में आगे की कार्रवाई कर रही है और यह देखा जाएगा कि इस जांच में और कौन-कौन से बड़े नाम सामने आते हैं।
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