Jammu and Kashmir : श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में श्रीनगर स्थित एसपीएस संग्रहालय में दुर्लभ हस्तलिखित कुरान की प्रदर्शनी की शुरुआत हुई। इसमें कुछ हस्तलिखित कुरान 18वीं सदी के हैं। एक सप्ताह तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का आगाज़ रमज़ान के पहले दिन हुआ है। कश्मीर और केरल में बृहस्पतिवार से रमज़ान का महीना शुरू हो गया जबकि शेष भारत में शुक्रवार से इस्लाम के पवित्र महीने की शुरुआत हुई है।
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संग्रहालय की देखरेख करने वाली राबिया कुरैशी ने कहा कि यह पहली बार है कि हम पांडुलिपी की प्रदर्शनी का आयोजन कर रहे हैं, क्योंकि पांडुलिपी का खंड अब भी बंद है। चूंकि रमज़ान का पाक महीना शुरू हो रहा है, इसलिए हम चाहते हैं कि लोग पांडुलिपियों के बारे में जानें ताकि उनका ज्ञान बढ़ सके।
कुरैशी ने कहा कि संग्रहालय के पास विभिन्न विषयों पर पांडुलिपियां मौजूद हैं लेकिन इस प्रदर्शनी को हस्तलिखित कुरानों तक ही सीमित रखा गया है। उन्होंने बताया कि कुरान की एक पांडुलिपि तो 230 साल से ज्यादा पुरानी है और इसे कश्मीरी कागज़ पर विशुद्ध सुनहरी और काली स्याही से लिखा गया है। इसमें किसी तरह का कोई रसायन इस्तेमाल नहीं किया गया है।
प्रदर्शित की गई पांडुलिपियों में ‘तफ़सीर कबीर’ भी शामिल
प्रदर्शित की गई अन्य पांडुलिपियों में ‘तफ़सीर कबीर’ भी शामिल है जो ‘तफ़सीर राज़ी’ के नाम से मशहूर है और इसे 1029 हिज़री (1795 ई.) में लिखा गया था। वहीं 1316 हिज़री (1905 ई) में लिखित ‘कसीद-ए-बुर्दे शरीफ़’ और इमाम अल बसरी की पांडुलिपि भी प्रदर्शित की जा रही हैं। हिज़री इस्लामी कैलेंडर को कहते हैं। इसकी शुरुआत तबसे हुई थी जब 622 ई. में पैगंबर मोहम्मद ने सऊदी अरब में मक्का से मदनी की ओर प्रस्थान किया था।
कुरैशी ने कहा कि पैगंबर की तारीफ करने वाली ‘दलाइलो खैरात’ भी प्रदर्शित की गई है। हस्तलिपि के छात्र अतहर समून ने कहा कि हफ्ते भर चलने वाली हस्तलिखित कुरान की प्रदर्शनी का आयोजन कर पुरातत्व और अभिलेखागार विभाग ने अच्छा कदम उठाया है। यह विभाग विभिन्न मौकों पर इस प्रकार की प्रदर्शनियां आयोजित करता है जो उत्साहजनक है।
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