Karva Chauth 2024 : चारों तरफ करवा चौथ के पर्व की चर्चा हो रही है। चर्चा क्यों ना हो करवा चौथ (Karva Chauth) का पर्व है ही इतना खास। करवा चौथ का पर्व भारतीय पति-पत्नी का सबसे बड़ा पर्व होता है। करवा चौथ के पर्व पर भारतीय महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत करती हैं। अपने प्यार तथा पत्नी के प्रति समर्पण की भावना से बहुत सारे पति भी अपनी पत्नी के साथ-साथ करवा चौथ (Karva Chauth) का व्रत रखते हैं। करवा चौथ के व्रत जैसी कोई दूसरी मिशाल दुनिया में नहीं मिलती है।
पत्नी से पीड़ित पति
अक्सर पति के द्वारा पत्नी को प्रताड़ित करने की खबरें आती हैं। ऐसा कम ही होता है कि पत्नी से पीड़ित पति की कोई खबर आए। इसका अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है कि पति पीड़ित नहीं होते हैं। यह अलग बात है कि लोक-लाज के डर से ढ़ेर सारे पति अपनी पत्नी से पीड़ित होने के बावजूद उसका कहीं जिक्र नहीं करते है। कुछ भारतीय नागरिकों ने तो बाकायदा एक संगठन भी बना लिया है। इस संगठन का नाम “पत्नी पीड़ित मोर्चा” रखा गया है। यहां यह सवाल उठाया जा सकता है कि करवा चौथ के पावन पर्व पर पत्नी पीड़ित पति की चर्चा क्यों की जा रही है? इस प्रश्न का उत्तर बहुत ही मार्मिक उत्तर है। दरअसल करवा चौथ से पूर्व चेतना मंच ने अपने पति को लिखे गए पत्नी के कुछ प्रेम-पत्र प्रकाशित किए हैं। करवा चौथ के अवसर के लिए लिखे गए प्रेम-पत्र पढ़कर एक पति ने चेतना मंच के सम्पादक को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में करवा चौथ के बहाने पति ने अपनी पूरी वेदना का जिक्र किया है। आप भी पढ़ें करवा चौथ (Karva Chauth) पर लिखा गया एक पति का यह पत्र।
पत्र का शीर्षक है कि “हां मैं उल्लू हूं”
पत्र में लिखा गया है कि अगर मैं अपनी पत्नी को प्रेम पत्र लिखता तो क्या संबोधन लिखता प्रियतमा, प्रणेश्वरी ,मेरी जीवन नैया की खेवईया, मेरे बच्चों की मां, गृह की स्वामिनी आदि लिखने लगूं तो हजार संबोधन लिख दूं पर इस समय मुझे उसे पत्र नहीं लिखना बल्कि आपको अपनी आपबीती बतानी है।
केवल मेरी पत्नी ही नहीं तमाम स्त्रियों को लग रहा है कि करवा चौथ के मौके पर फनी, उपहास उड़ाने वाले मीम्स व वीडियो केवल पत्नियों के ही बन रहे हैं ,पर मैं तो पिछले कई सालों से हर साल करवा चौथ के पहले से सुनता आ रहा हूं कि करवा चौथ के दिन उल्लू पूजन होगा क्योंकि लक्ष्मी जी ने अपने वाहन उल्लू को ऐसा ही वरदान दिया था। सच है! हम पुरुष लोग उल्लू ही है तो है, जिस पर सवार होकर हर महीने लक्ष्मी जी इनके घर आती हैं। जिससे इनका घर चलता है। क्या कहा! घर मेरा भी है। अरे मैं ऐसी गलतफहमी नहीं पालता। मैं कब क्या खाऊंगा, क्या पियूंगा, क्या पहनूंगा, कहां सोऊंगा यह सब तो वही तय करती हैं। वैसे भी इन स्त्रियों ने तो पहले से ही तय कर रखा है कि “घर स्त्री ही बनाती है।” घर मेरा भी होता तो एक गीला तौलिया बिस्तर पर छोड़ देने भर से ही इतना कोहराम थोड़ी मचता। इनकी पड़ोसी शर्माइन, वर्माइन ठकुराइन, मिश्राइन इस घर में आकर कितनी ही किटी पार्टी कर ले कुछ भी खाएं पिए मैं तो कभी कोई हस्तक्षेप नहीं करता, पर क्या मजाल कभी मेरे चार दोस्त आ जाएं और कुछ पीना खाना हो जाए तो मेरी तो लंका ही लग जाती है।
वह कुछ बड़बड़ाने लगती हैं। मैं कहता हूं अच्छा बड़बड़ाओ तो मत साफ-साफ बताओ क्या कह रही हो। वह कहती हैं तो सुनो साफ-साफ ही कह रही हूं कोई तुमसे डरती हूं कि इन्हीं शर्माइन वर्माइन मिश्राइन को देखकर तो तुम्हारी लार टपकती है। कुत्ते की तरह दुम हिलाते उनके आगे पीछे घूमते हो। तुम्हारी सहेलियां है, कभी कोई काम बता देती है तो कर देता हूं तो कुत्ता हो गया। देखा नहीं कैसे हंस-हंस कर आभार जताती हैं। तुम्हारी तो फरमाइशें पूरी करते-करते मेरी जवानी बीती जा रही है क्या मजाल जो कभी मुस्कुरा कर धन्यवाद ही दे दो। तुम खुद को भी तो कभी आईने में देखो, कैसे शर्मा जी से ताजा फल सब्जी मंगवा लेती हो कि भाई साहब आप तो मंडी जा ही रहे हैं। सामने वाले ठाकुर साहब से कभी प्लंबर कभी कारपेंटर कभी सफाई वाला मांगा करती हो कि भाई साहब आप तो नगर निगम में है आपको क्या मुश्किल है। कैसे सबसे हंस हंस के बतिया आती हो मैं तो इसलिए नहीं बोलता तुम्हारा रोना धोना चालू हो जाएगा और बेवजह घर की शांति भंग हो जाएगी। मेरा इतना कहना था कि घर में महाभारत हो गया और देवी जी पर वास्तव में देवी चढ़ आई जिनके एक हाथ में खड्ग और दूसरे में खप्पर है और जो मेरा खून पीने को तत्पर है। मैं जो कह रहा हूं कि हाथ में तलवार है उससे भी खतरनाक बात है कि उसकी तो जिह्वा ही तलवार है। मैं डर कर घर से भाग खड़ा हुआ हूं और बाजार की ओर जाते हुए सोच रहा हूं कि
त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम देवौ न जानाति कुतो मनुष्यः
अब बाजारवाद से मेरा पीछा तो छूटने से रहा। उसे वक्ती तौर पर ही सही प्रसन्न करने का एक ही तरीका है कि मैं उसे हार लाकर दूं। अब इस हार में भले ही मेरी हार हो पर उसकी जीत तो पक्की है। डरता भी हूं कहीं गुस्से में उसने करवा चौथ (Karva Chauth) का व्रत नहीं किया और मेरी राम नाम सत्य हो गई तो यह माया किस काम आएगी। अतः अपनी सारी माया इस मायारुपिणी को भेंट कर देने में ही मेरी भलाई है। आशा है मेरे अनुभव से अन्य पुरुष भी सबक लेंगे और करवा चौथ (Karva Chauth) तक पत्नी से कोई पंगा नहीं लेंगे। Karva Chauth 2024
निवेदक-एक बेचारा भारतीय पति
करवा चौथ के महत्व को खुद चाँद तथा सूरज से समझा
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