Saturday, 6 July 2024

Lal Krishna Advani : 44 साल तक पार्टी की सेवा के बाद, 95 की उम्र में मिला भारत रत्न

Lal Krishna Advani : लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को वर्तमान में पाकिस्तान देश के कराची शहर…

Lal Krishna Advani : 44 साल तक पार्टी की सेवा के बाद, 95 की उम्र में मिला भारत रत्न

Lal Krishna Advani : लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को वर्तमान में पाकिस्तान देश के कराची शहर में हुआ था। उनकी अपनी शुरुआती शिक्षा लाहौर से पूरी की। देश के विभाजन के बाद लाल कृष्ण आडवाणी का परिवार भारत में आकर रहने लग गया। उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से पूरी की जहां पर लाल कृष्ण आडवाणी ने लॉ से स्नातक की डिग्री हासिल की।

लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) जन नायक के रूप में जाने जाते हैं, उन्होंने हिंदू आंदोलन का नेतृत्व किया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार पहली बार बनाई। भारतीय जनता पार्टी को पूरी तरह से अस्तित्व में लाने और राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने का श्रेय जिन लोगों को जाता है, उसमें लालकृष्ण आडवाणी का नाम सबसे आगे रखा जाता है। लाल कृष्ण आडवाणी को भारतीय जनता पार्टी के कर्णधार और लौह पुरुष के नाम से भी जाना जाता है। या यूं कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के इतिहास का एक अहम अध्याय ‘लालकृष्ण आडवाणी’ ही है।

कैसे शुरू हुआ लालकृष्ण आडवाणी का राजनीतिक सफर ?

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सन् 1951 में जनसंघ की स्थापना की, जिसके पार्टी सचिव का कार्यभार संभाला लालकृष्ण आडवाणी ने। साल 1954 से लेकर 1957 तक उन्होंने जनसंघ पार्टी के सचिव का कार्य संभालने के बाद, साल 1973 से 1977 तक उन्होंने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाला। इसके बाद साल 1980 में भारतीय जनता पार्टी के स्थापना की गई, और इसके महासचिव के तौर पर लालकृष्ण आडवाणी को चुना गया। साल 1986 तक भारतीय जनता पार्टी के महासचिव का कार्यभार संभालने के बाद साल 1986 से लेकर 1991 तक वह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे।

इसके बाद साल 1990 में राम मंदिर आंदोलन के लिए सोमनाथ से अयोध्या तक निकाली गई राम रथ यात्रा में लालकृष्ण आडवाणी ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके लिए उन्हें जेल तक जाना पड़ा था, लेकिन इस यात्रा का उनके राजनीतिक जीवन पर गहरा असर पड़ा। रथ यात्रा के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने जनता के दिलों में अपनी जगह बना ली।

प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रह गई अधूरी

तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रह चुके लालकृष्ण आडवाणी, 4 बार राज्यसभा के और 5 बार लोकसभा के सदस्य बने। साल 1977 से लेकर 1979 तक उन्हें केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला। इसके बाद साल 1998 से लेकर 2004 तक अटल बिहारी बाजपेई के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान लाल कृष्ण आडवाणी ने भारत के गृह मंत्री का पदभार संभाला, और साल 2002 से 2004 तक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत के उप प्रधानमंत्री का पदभार भी संभाला। लेकिन उनका भारत के प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा नहीं हो सका। साल 2008 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने लोकसभा चुनाव को आडवाणी के नेतृत्व में लड़ने और जीत होने पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी। लेकिन पार्टी यह चुनाव जीत न सकी और उनका प्रधानमंत्री बनने का सपना अधूरा रह गया। साल 2013 में लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) ने अपने सभी पदों से इस्तीफा देते हुए अपने राजनीतिक सफर को विराम दे दिया।

कई पुरस्कार जीते

लालकृष्ण आडवाणी भारत के एक सफल राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। इनका राजनीतिक कद बहुत ही ऊंचा है। भारतीय संसद में एक अच्छे संसद के रूप में आडवाणी अपनी भूमिका के लिए काफी सराहे गए और उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। लालकृष्ण आडवाणी को भारतीय संसदीय समूह द्वारा वर्ष 1999 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2015 में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

लालकृष्ण आडवाणी की लिखी गई पुस्तकें

वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को लेखन में भी रूचि है। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। 19 मार्च 2008 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति रह चुके वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम ने इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘माई कंट्री माई लाइफ’ रिलीज की थी। इसके अलावा इन्होंने ‘सुरक्षा और विकास के नए दृष्टिकोण’, ‘एक कैदी का कबाड़’ नामक पुस्तकें भी लिखी।

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