प्रसाद भी नहीं ला सकते घर: मेहंदीपुर बालाजी के कुछ खास नियम जो हर किसी को जरूर जानना चाहिए!




Monsoon Session : भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान की सीमा में घुसकर चलाए गए ऑपरेशन सिन्दूर के बाद संसद के विशेष सत्र का आयोजन करने की घोषणा केंद्र सरकार ने कर दी है। विपक्ष के सांसद ऑपरेशन सिन्दूर के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे थे। संसद का आगामी मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा। इसकी आधिकारिक जानकारी केंद्रीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आज बुधवार को दी। सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयकों को सदन के पटल पर रखा जाना प्रस्तावित है, जिनमें बीमा क्षेत्र से जुड़ा अहम संशोधन विधेयक भी शामिल है।
यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब विपक्ष, विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर और हालिया पहलगाम आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए संसद का विशेष सत्र बुलाने की पुरजोर मांग कर रहा है। माना जा रहा है कि मानसून सत्र में इन मुद्दों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिल सकती है।
सरकार की प्राथमिकताओं में बीमा संशोधन विधेयक प्रमुख रहेगा, जिसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% किए जाने का प्रावधान हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया गया है और जल्द ही उसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद वित्त मंत्रालय के अंतर्गत वित्तीय सेवा विभाग इसे संसद में प्रस्तुत करेगा।
गौरतलब है कि इससे पूर्व संसद का बजट सत्र दो चरणों में आयोजित हुआ था। पहला चरण 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चला, जबकि दूसरा चरण 10 मार्च से 4 अप्रैल तक चला। इस दौरान राज्यसभा और लोकसभा—दोनों सदनों की कार्यक्षमता उल्लेखनीय रही। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि तीन अप्रैल को सदन की सबसे लंबी बैठक हुई, जो सुबह 11 बजे से शुरू होकर अगली सुबह 4:02 बजे तक चली। इस दौरान राज्यसभा में कुल 159 घंटे का काम हुआ, जिसमें 4 घंटे आधी रात के बाद भी शामिल थे। कुल उत्पादकता 119 प्रतिशत दर्ज की गई। इस सत्र में रिकॉर्ड 49 निजी विधेयक भी प्रस्तुत किए गए। Monsoon Session
Monsoon Session : भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान की सीमा में घुसकर चलाए गए ऑपरेशन सिन्दूर के बाद संसद के विशेष सत्र का आयोजन करने की घोषणा केंद्र सरकार ने कर दी है। विपक्ष के सांसद ऑपरेशन सिन्दूर के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे थे। संसद का आगामी मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा। इसकी आधिकारिक जानकारी केंद्रीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आज बुधवार को दी। सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयकों को सदन के पटल पर रखा जाना प्रस्तावित है, जिनमें बीमा क्षेत्र से जुड़ा अहम संशोधन विधेयक भी शामिल है।
यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब विपक्ष, विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर और हालिया पहलगाम आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए संसद का विशेष सत्र बुलाने की पुरजोर मांग कर रहा है। माना जा रहा है कि मानसून सत्र में इन मुद्दों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिल सकती है।
सरकार की प्राथमिकताओं में बीमा संशोधन विधेयक प्रमुख रहेगा, जिसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% किए जाने का प्रावधान हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया गया है और जल्द ही उसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद वित्त मंत्रालय के अंतर्गत वित्तीय सेवा विभाग इसे संसद में प्रस्तुत करेगा।
गौरतलब है कि इससे पूर्व संसद का बजट सत्र दो चरणों में आयोजित हुआ था। पहला चरण 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चला, जबकि दूसरा चरण 10 मार्च से 4 अप्रैल तक चला। इस दौरान राज्यसभा और लोकसभा—दोनों सदनों की कार्यक्षमता उल्लेखनीय रही। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि तीन अप्रैल को सदन की सबसे लंबी बैठक हुई, जो सुबह 11 बजे से शुरू होकर अगली सुबह 4:02 बजे तक चली। इस दौरान राज्यसभा में कुल 159 घंटे का काम हुआ, जिसमें 4 घंटे आधी रात के बाद भी शामिल थे। कुल उत्पादकता 119 प्रतिशत दर्ज की गई। इस सत्र में रिकॉर्ड 49 निजी विधेयक भी प्रस्तुत किए गए। Monsoon Session

Covid 19 : जब देश ने महामारी के लंबे साये से उबरने की उम्मीदें संजोनी थीं, तब एक बार फिर कोविड-19 की आहट चिंता बढ़ा रही है। भले ही यह लहर पहले जितनी भयावह न हो, लेकिन आंकड़े इशारा कर रहे हैं कि महामारी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। ऐसे में ज़िम्मेदारी से सूचना देना और सतर्कता बनाए रखना हम सबका दायित्व बनता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या 4,000 के पार पहुंच गई है। 22 मई को जहां देशभर में सिर्फ़ 257 सक्रिय मरीज थे, वहीं 31 मई तक यह संख्या बढ़कर 3,395 हो गई। 3 जून को यह आंकड़ा 4,026 तक पहुंच गया। चिंता की बात यह है कि यह वृद्धि महज दस दिनों में दर्ज हुई है।
राज्यवार स्थिति पर नज़र डालें तो केरल इस समय सबसे अधिक प्रभावित राज्य है, जहां सक्रिय मामलों की संख्या 1,416 तक पहुंच गई है। इसके बाद महाराष्ट्र में 494, गुजरात में 397 और दिल्ली में 393 मरीज सक्रिय हैं। पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण से पांच लोगों की मौत दर्ज की गई है—इनमें से दो महाराष्ट्र से, जबकि केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल से एक-एक मृत्यु हुई है। इस वर्ष जनवरी से अब तक कुल 37 मौतें दर्ज की गई हैं।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने हालात को लेकर स्पष्ट किया है कि घबराने की ज़रूरत नहीं है। उनके अनुसार, मौजूदा मामलों में जिन वेरिएंट्स की पहचान हुई है—LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1—वे सभी ओमिक्रॉन के उपवेरिएंट हैं और इनसे गंभीर बीमारी की संभावना कम है। बावजूद इसके, सरकार और वैज्ञानिक समुदाय हालात पर करीबी निगरानी रख रहे हैं।
डॉ. बहल के शब्दों में, “स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन यह वक्त सतर्कता का है। हमें नज़र रखनी चाहिए, लेकिन डरने की आवश्यकता नहीं है।” कोविड की इस हल्की वापसी को हल्के में लेना ठीक नहीं होगा, लेकिन इससे डर कर अफवाहों और भ्रम फैलाना भी गैर-जिम्मेदाराना होगा। Covid 19
Covid 19 : जब देश ने महामारी के लंबे साये से उबरने की उम्मीदें संजोनी थीं, तब एक बार फिर कोविड-19 की आहट चिंता बढ़ा रही है। भले ही यह लहर पहले जितनी भयावह न हो, लेकिन आंकड़े इशारा कर रहे हैं कि महामारी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। ऐसे में ज़िम्मेदारी से सूचना देना और सतर्कता बनाए रखना हम सबका दायित्व बनता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या 4,000 के पार पहुंच गई है। 22 मई को जहां देशभर में सिर्फ़ 257 सक्रिय मरीज थे, वहीं 31 मई तक यह संख्या बढ़कर 3,395 हो गई। 3 जून को यह आंकड़ा 4,026 तक पहुंच गया। चिंता की बात यह है कि यह वृद्धि महज दस दिनों में दर्ज हुई है।
राज्यवार स्थिति पर नज़र डालें तो केरल इस समय सबसे अधिक प्रभावित राज्य है, जहां सक्रिय मामलों की संख्या 1,416 तक पहुंच गई है। इसके बाद महाराष्ट्र में 494, गुजरात में 397 और दिल्ली में 393 मरीज सक्रिय हैं। पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण से पांच लोगों की मौत दर्ज की गई है—इनमें से दो महाराष्ट्र से, जबकि केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल से एक-एक मृत्यु हुई है। इस वर्ष जनवरी से अब तक कुल 37 मौतें दर्ज की गई हैं।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने हालात को लेकर स्पष्ट किया है कि घबराने की ज़रूरत नहीं है। उनके अनुसार, मौजूदा मामलों में जिन वेरिएंट्स की पहचान हुई है—LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1—वे सभी ओमिक्रॉन के उपवेरिएंट हैं और इनसे गंभीर बीमारी की संभावना कम है। बावजूद इसके, सरकार और वैज्ञानिक समुदाय हालात पर करीबी निगरानी रख रहे हैं।
डॉ. बहल के शब्दों में, “स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन यह वक्त सतर्कता का है। हमें नज़र रखनी चाहिए, लेकिन डरने की आवश्यकता नहीं है।” कोविड की इस हल्की वापसी को हल्के में लेना ठीक नहीं होगा, लेकिन इससे डर कर अफवाहों और भ्रम फैलाना भी गैर-जिम्मेदाराना होगा। Covid 19