प्रसाद भी नहीं ला सकते घर: मेहंदीपुर बालाजी के कुछ खास नियम जो हर किसी को जरूर जानना चाहिए!

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calendar04 Jun 2025 10:56 PM
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राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर एक ऐसा स्थल है जो सिर्फ धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धि का स्रोत भी माना जाता है। यहां हनुमान जी को बालाजी रूप में पूजा जाता है और साथ में भैरव बाबा व प्रेतराज सरकार की भी उपासना होती है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां की पूजा विधियां विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रभावी होती हैं जो किसी ऊपरी बाधा या नेगेटिव एनर्जी से पीड़ित होते हैं।

क्यों नहीं लाना चाहिए मेहंदीपुर बालाजी का प्रसाद घर?

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का सबसे चर्चित और रहस्यमयी नियम यही है कि यहां का प्रसाद या जल कभी भी घर नहीं ले जाना चाहिए। ऐसा इसलिए माना जाता है कि मंदिर में की गई पूजा के दौरान कई बार भक्तों पर से उतारी गई नकारात्मक शक्तियां वहीं मंदिर परिसर में रहती हैं। अगर कोई व्यक्ति प्रसाद या जल अपने साथ ले जाता है, तो वह ऊर्जा अनजाने में घर भी पहुंच सकती है। इससे घर के वातावरण और परिवार के सदस्यों पर विपरीत असर पड़ सकता है।

पीछे मुड़कर देखना मना क्यों है?

मंदिर से बाहर निकलते समय पीछे मुड़कर देखना वर्जित माना गया है। परंपराओं के अनुसार, जो नकारात्मक ऊर्जा या बाधाएं मंदिर में छूट चुकी होती हैं, वे पीछे मुड़कर देखने पर फिर से व्यक्ति के साथ लग सकती हैं। इसलिए बाहर निकलते समय सीधा रास्ता पकड़ना और बिना मुड़े चले जाना अत्यंत आवश्यक होता है।

मंदिर परिसर में मौन क्यों जरूरी है?

जब आप मंदिर में हों, तो मौन रहना और शांतिपूर्वक दर्शन करना एक आवश्यक नियम है। यहां आप कई ऐसे भक्तों को देख सकते हैं जो असामान्य व्यवहार कर रहे होते हैं – ये वे लोग होते हैं जो विशेष पूजा या तांत्रिक प्रक्रिया से गुजर रहे होते हैं। ऐसे में उनका मज़ाक उड़ाना या उनसे बात करना गंभीर रूप से अनुचित और जोखिम भरा हो सकता है। इनसे सुरक्षित दूरी बनाए रखना ही उचित होता है।

दर्शन के बाद राम-सीता के दर्शन क्यों जरूरी हैं?

मेहंदीपुर बालाजी में दर्शन करने के बाद श्रद्धालुओं को श्रीराम और माता सीता के दर्शन भी अवश्य करने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि बालाजी के दर्शन तभी पूर्ण होते हैं जब उनके आराध्य प्रभु श्रीराम और सीता माता के दर्शन भी किए जाएं। यह प्रक्रिया एक आध्यात्मिक संतुलन प्रदान करती है।

बिना जानकारी के अनुष्ठान करना मना है

यह मंदिर खास प्रकार की पूजा पद्धति और मंत्रों पर आधारित है। इसलिए कोई भी व्यक्ति अपने मन से कोई भी अनुष्ठान या तांत्रिक क्रिया शुरू न करे। बिना जानकार पुजारी या मंदिर प्रशासन की अनुमति के किए गए अनुष्ठान उलटा असर कर सकते हैं। केवल प्रशिक्षित ब्राह्मणों द्वारा निर्देशित पूजा ही मान्य होती है।

दर्शन के बाद ज्यादा देर रुकना नहीं चाहिए

यह भी माना जाता है कि दर्शन के बाद व्यक्ति को मंदिर परिसर या उसके आसपास अधिक समय तक रुकना नहीं चाहिए। पूजा पूर्ण होते ही श्रद्धालु को अपने गंतव्य की ओर लौट जाना चाहिए, ताकि अनजाने में किसी बाधा का असर ना हो।

घर लौटने के बाद खानपान में संयम क्यों जरूरी है?

बालाजी मंदिर से लौटने के बाद लहसुन, प्याज और मांसाहार का त्याग कुछ दिनों के लिए अनिवार्य माना जाता है। यह नियम शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखने के लिए अपनाया गया है। इन वस्तुओं से दूरी बनाकर भक्त आध्यात्मिक प्रभाव को लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर केवल धार्मिक आस्था का स्थान नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा शक्ति पीठ है जहां हर नियम, हर परंपरा किसी गहरे अर्थ और अनुभव से जुड़ी हुई है। यदि भक्त इन नियमों का पालन श्रद्धा और समझदारी से करें, तो निश्चित रूप से उन्हें आध्यात्मिक शांति, नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति और आत्मिक संतुलन प्राप्त हो सकता है। दुनिया भर में फैल रही है मेहंदीपुर वाले बालाजी की महिमा, रोज होते हैं चमत्कार
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'ऑपरेशन सिन्दूर ' के बाद 21 जुलाई से संसद का मानसून सत्र, केंद्र और विपक्ष तैयार

Monsoon Session
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calendar29 Nov 2025 12:58 PM
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Monsoon Session :  भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान की सीमा में घुसकर चलाए गए ऑपरेशन सिन्दूर के बाद संसद के विशेष सत्र का आयोजन करने की घोषणा केंद्र सरकार ने कर दी है। विपक्ष के सांसद ऑपरेशन सिन्दूर के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे थे।  संसद का आगामी मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा। इसकी आधिकारिक जानकारी केंद्रीय  कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आज बुधवार को दी। सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयकों को सदन के पटल पर रखा जाना प्रस्तावित है, जिनमें बीमा क्षेत्र से जुड़ा अहम संशोधन विधेयक भी शामिल है।

यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब विपक्ष, विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर और हालिया पहलगाम आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए संसद का विशेष सत्र बुलाने की पुरजोर मांग कर रहा है। माना जा रहा है कि मानसून सत्र में इन मुद्दों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिल सकती है।

बीमा संशोधन विधेयक पर सबकी निगाहें

सरकार की प्राथमिकताओं में बीमा संशोधन विधेयक प्रमुख रहेगा, जिसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% किए जाने का प्रावधान हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया गया है और जल्द ही उसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद वित्त मंत्रालय के अंतर्गत वित्तीय सेवा विभाग इसे संसद में प्रस्तुत करेगा।

कैसा रहा था पिछले सत्र ?

गौरतलब है कि इससे पूर्व संसद का बजट सत्र दो चरणों में आयोजित हुआ था। पहला चरण 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चला, जबकि दूसरा चरण 10 मार्च से 4 अप्रैल तक चला। इस दौरान राज्यसभा और लोकसभा—दोनों सदनों की कार्यक्षमता उल्लेखनीय रही। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि तीन अप्रैल को सदन की सबसे लंबी बैठक हुई, जो सुबह 11 बजे से शुरू होकर अगली सुबह 4:02 बजे तक चली। इस दौरान राज्यसभा में कुल 159 घंटे का काम हुआ, जिसमें 4 घंटे आधी रात के बाद भी शामिल थे। कुल उत्पादकता 119 प्रतिशत दर्ज की गई। इस सत्र में रिकॉर्ड 49 निजी विधेयक भी प्रस्तुत किए गए।    Monsoon Session

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फिर बढ़ा संक्रमण का ग्राफ, देश में 4,000 से ज़्यादा एक्टिव केस, केरल बना हॉटस्पॉट

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Covid 19
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calendar02 Dec 2025 03:01 AM
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Covid 19 :  जब देश ने महामारी के लंबे साये से उबरने की उम्मीदें संजोनी थीं, तब एक बार फिर कोविड-19 की आहट चिंता बढ़ा रही है। भले ही यह लहर पहले जितनी भयावह न हो, लेकिन आंकड़े इशारा कर रहे हैं कि महामारी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। ऐसे में ज़िम्मेदारी से सूचना देना और सतर्कता बनाए रखना हम सबका दायित्व बनता है।

तेज़ी से बढ़ रहे हैं केस, सक्रिय मामले 4,000 के पार

स्वास्थ्य मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या 4,000 के पार पहुंच गई है। 22 मई को जहां देशभर में सिर्फ़ 257 सक्रिय मरीज थे, वहीं 31 मई तक यह संख्या बढ़कर 3,395 हो गई। 3 जून को यह आंकड़ा 4,026 तक पहुंच गया। चिंता की बात यह है कि यह वृद्धि महज दस दिनों में दर्ज हुई है।

केरल बना केंद्र, दिल्ली-महाराष्ट्र भी प्रभावित

राज्यवार स्थिति पर नज़र डालें तो केरल इस समय सबसे अधिक प्रभावित राज्य है, जहां सक्रिय मामलों की संख्या 1,416 तक पहुंच गई है। इसके बाद महाराष्ट्र में 494, गुजरात में 397 और दिल्ली में 393 मरीज सक्रिय हैं। पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण से पांच लोगों की मौत दर्ज की गई है—इनमें से दो महाराष्ट्र से, जबकि केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल से एक-एक मृत्यु हुई है। इस वर्ष जनवरी से अब तक कुल 37 मौतें दर्ज की गई हैं।

विशेषज्ञों ने सतर्क रहने की दी सलाह

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने हालात को लेकर स्पष्ट किया है कि घबराने की ज़रूरत नहीं है। उनके अनुसार, मौजूदा मामलों में जिन वेरिएंट्स की पहचान हुई है—LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1—वे सभी ओमिक्रॉन के उपवेरिएंट हैं और इनसे गंभीर बीमारी की संभावना कम है। बावजूद इसके, सरकार और वैज्ञानिक समुदाय हालात पर करीबी निगरानी रख रहे हैं।

डॉ. बहल के शब्दों में, “स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन यह वक्त सतर्कता का है। हमें नज़र रखनी चाहिए, लेकिन डरने की आवश्यकता नहीं है।” कोविड की इस हल्की वापसी को हल्के में लेना ठीक नहीं होगा, लेकिन इससे डर कर अफवाहों और भ्रम फैलाना भी गैर-जिम्मेदाराना होगा।    Covid 19

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