Diwali 2021 : गाय के गोबर से बने दीयों से जगमगायेगी दीपावली

16sre02
Diwali 2021: Deepawali will be lit with lamps made of cow dung
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:50 AM
bookmark

Saharanpur News : इस बार दीपावली (diwali 2021)  गाय के गोबर से बने दीयों से जगमगायेगी। नगर निगम इसके लिए कान्हा उपवन गौशाला (Gaushala)  में एक लाख दीये तैयार करवा रहा है। जिन्हें नगर निगम परिसर, दिल्ली रोड़ तथा शहर के विभिन्न स्थानों पर स्टॉल लगाकर शहर के लोगों को उपलब्ध कराया जायेगा। नगरायुक्त ज्ञानेन्द्र सिंह ने कान्हा गौशाला में बनाये जा रहे इन दीयों का शनिवार को अवलोकन करते हुए तैयारियों का जायजा लिया। नगरायुक्त ज्ञानेन्द्र सिंह ने बताया कि दीपावली (diwali 2021) पर विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचाव के लिए नगर निगम शहर में इकोफ्रेन्डली दीपावली मनवाने की दिशा में यह प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सचेत करना और स्वस्थ वातावरण तथा प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ गाय और गोबर के महत्व से लोगों को अवगत कराना है। नगरायुक्त ने जानकारी देते हुए बताया कि गाय के गोबर से निर्मित दीयों की लौ से निकले धुएं से कीटाणु और मच्छर दूर भागते हैं और वातावरण शुद्ध होता है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मी पूजन में भी गोबर से निर्मित दीयों के उपयोग का काफी महत्व माना जाता है। नगरायुक्त ने बताया कि नगर निगम द्वारा संचालित कान्हा उपवन गौशाला में इस वर्ष एक लाख दीये गाय के गोबर से निर्मित कराये जा रहे हैं। दीयों को आकर्षक बनाने के लिए उन्हें विभिन्न इकोफ्रेन्डली रंगों से रंगा जा रहा है। आगामी वर्षों में यह संख्या कई गुणा अधिक रहेगी। उन्होंने बताया कि गाय का गोबर मोबाईल के रेडिएशन से भी लोगों को बचा सकता है। ताज़ा गोबर सात दिन तक रेडिएशन से सुरक्षा कर सकता है।

नगरायुक्त ने लोगों से आहवान किया कि वह वातावरण को पवित्र करने और प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने के लिए गाय के गोबर से निर्मित दीयों का उपयोग करें और इकोफ्रेन्डली दीपावली मनायें। उन्होंने बताया कि निगम की गौशाला में गोमूत्र से गोनाईल नाम से बनाये जा रहे फिनाईल, गोबर से निर्मित जैविक खाद आदि भी उक्त स्टॉलों पर बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगा।

अगली खबर पढ़ें

बढ़ गई घरेलू रसोई गैस की कीमत!

Cyinder price hikes
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 08:21 PM
bookmark

नईदिल्ली,राष्ट्रीय ब्यूरो।केंद्र की मोदी सरकार प्रधानमंत्री उज्ज्वला रसोई गैस योजना के तहत भले ही देश भर के गरीबों को मुफ्त गैस सिलेंडर बांटकर अपनी पीठ थपाथपा रही है। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि महज एक साल के भीतर घरेलू रसोई गैस की कीमतों में 300 रुपए से ज्यादा की वृद्धि हो गई। ऊपर से खतम की गई रसोई गैस सब्सिडी की मार अलग से पड़ी। जिससे न केवल उज्ज्वला योजना के लाभार्थी बल्कि आम आदमियों के लिए भी एलपीजी रसोई गैस  का इस्तेमाल करना मुश्किल हो गया है।

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड(आईओसीएल) की वेबसाइट पर दर्ज इंडेन की कीमतें बताती हैं कि पिछले एक साल में रसोई गैस(एलपीजी) के मानक 14.2 किलोग्राम सिलेंडर की कीमत अक्टूबर 2020 से 604.63 रुपए(चार महानगरों के औसत) से बढ़कर अक्टूबर 2021 तक रिकार्ड 906.38 रुपए तक पहुंच गई। 301.75 रुपए की यह बेहद चौकाने वाली बढ़ोत्तरी है। जिसने आम आदमियों का बजट बिगाड़ दिया है। उज्ज्वला लाभार्थी तो गैस चूल्हा उपलब्ध होने के बावजूद लकड़ी पर खाना पकाने के लिए मजबूर हो गए हैं। यही हाल कमोवेश डीजल-पेट्रोल का भी रहा। यहां भी कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई। चार महानगरों के औसत आंकड़े बताते हैं कि पेट्रोल की कीमतों में साल भर में 26 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई तो डीजल की कीमतों में इससे भी ज्यादा 31 फीसदी का उछाल आया। इन दोनों उत्पादों की बढ़ी कीमतों ने उपभोक्ताओं के लिए सब्जी,तेल,खाद्य पदार्थ सहित परिवहन पर आधारित सभी जरूरत की चीजों के दाम बढ़ा दिए।

अगली खबर पढ़ें

विश्व खाद्य दिवस' मनाने भर से नहीं मिटेगी भुखमरी

Unnamed
locationभारत
userचेतना मंच
calendar16 Oct 2021 04:54 AM
bookmark

 विनय संकोची

1980 से प्रत्येक वर्ष 16 अक्टूबर को 'विश्व खाद्य दिवस' मनाया जाता है। इस दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य दुनिया भर में फैली भुखमरी की समस्या के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना और भूख, कुपोषण और निर्धनता के विरुद्ध संघर्ष को मजबूती प्रदान करना है।

'विश्व खाद्य दिवस' हर साल नई थीम के साथ मनाया जाता है। कमोवेश हर साल की थीम के पीछे दुनिया भर में व्याप्त भुखमरी को दूर करने की भावना रहती है। लेकिन कई दशक से इस दिवस को मनाने का कोई बहुत सकारात्मक परिणाम तो सामने आया नहीं है और न ही निकट भविष्य में इस तरह के किसी खुश कर देने वाले परिणाम के आने की उम्मीद है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेज ने विश्व खाद्य दिवस पर अपने संदेश में कहा है कि पृथ्वी पर रहने वाले हर व्यक्ति के लिए न केवल भोजन की महत्ता याद दिलाने का एक मौका है बल्कि यह दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए कार्यवाही करने की एक पुकार भी है।

एंटोनियो गुटेरेज का संदेश और सोच सकारात्मक है लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि दुनिया में फैली भुखमरी अगले कई दशक तक समाप्त हो पाएगी। दुनिया इस समय गंभीर खाद्य असुरक्षा की अभूतपूर्व स्तर वाली स्थितियों का सामना कर रही है और अकाल की चपेट में आने के जोखिम का सामना कर रहे करीब 4 करोड़ 10 लाख लोगों की तत्काल सहायता करने के लिए 6 अरब 60 करोड़ डॉलर की रकम की तुरंत आवश्यकता है।

'विश्व खाद्य दिवस' 41 वर्षों से लगातार मनाया जा रहा है। लेकिन दुनिया भर में भूखे पेट सोने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है और दुर्भाग्य से यह गिनती लगातार तेजी से बढ़ती चली जा रही है।

भुखमरी के मामले में विकसित और विकासशील देशों की स्थिति में कोई खास अंतर नहीं है। सन 2050 तक दुनिया की आबादी 9 अरब होने का अनुमान लगाया गया है। इस 9 अरब की आबादी में से 80% लोग विकासशील देशों में रहेंगे। यदि आजकल जैसे ही हालात बने रहे तो विकासशील देशों की विकास दर निश्चित रूप से प्रभावित होकर घट जाएगी। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बहुत कठिन काम है, क्योंकि एक तरफ तो लोग भुखमरी का शिकार हो रहे हैं और दूसरी तरफ भोजन की हानि और बर्बादी से हर साल 400 अरब डालर का भारी भरकम नुकसान हो रहा है। भोजन को आधा अधूरा खाकर कूड़ेदान में फेंक देने की प्रवृत्ति से भोजन बर्बादी की समस्या गंभीर रूप धारण कर रही है और यह सब ऐसे समय हो रहा है कि जब 80 करोड़ से अधिक लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं।

अगर भारत की बात करें तो यहां खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से सबसे बड़ी समस्या गरीबी है। यह आंकड़ा कम भयावह नहीं है कि आज भारत की एक चौथाई आबादी गरीबी से जूझ रही है। इसके अतिरिक्त गरीबों की उचित पहचान का कोई तंत्र ना होने के चलते वास्तविक गरीब कई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं और खाद्य असुरक्षा की गिरफ्त में आ जाते हैं।

भारत की जनसंख्या 2030 तक डेढ़ अरब तक पहुंचने का अनुमान है। लेकिन इतनी बड़ी जनसंख्या का पेट भरने के लिए खाद्यान्न उत्पादन में अनेक समस्याएं हैं। भारत जलवायु परिवर्तन के खतरों के बीच आने वाले समय में 150 करोड़ आबादी का पेट भरने की चुनौती का सामना करने के लिए फिलहाल तो पूरी तरह से तैयार नहीं दिखाई देता है। भारत के कृषि क्षेत्र के सामने सबसे बड़ी समस्या अब कम उपज की है। हमारे देश में कृषि उपज विकसित देशों की तुलना में 30 से 50% तक कम है। ऊपर से खेती में होने वाली कम आय किसानों को गरीबी की ओर धकेल रही है, जो खाद्य सुरक्षा के लिए एक नया खतरा है।

'विश्व खाद्य दिवस-2021' की थीम है - 'हमारे कार्य हमारा भविष्य हैं। बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर वातावरण और बेहतर जीवन।' थीम अच्छी है। मगर इससे बिगड़ती स्थिति में कितना बदलाव आ पाता है, यह तो आने वाला कल ही बताएगा।