Tuesday, 26 November 2024

चीन ने तरेरी आखें तो भारत ने भी किया करारा पलटवार

नई दिल्ली। भारत के किसी भी राजनेता के अरुणाचल दौरे के बाद न जाने चीन क्यों छटपटाने लगता है। और…

चीन ने तरेरी आखें तो भारत ने भी किया करारा पलटवार

नई दिल्ली। भारत के किसी भी राजनेता के अरुणाचल दौरे के बाद न जाने चीन क्यों छटपटाने लगता है। और उसके बाद उसकी तरफ से जारी बयान शांति वार्ताओं को बाधित करने का ही काम करते हैं। दरअसल उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू बीते 9 अक्टूबर को अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर थे। इस यात्रा के दौरान उन्होंने राज्य विधानसभा के स्पेशल सत्र को भी संबोधित किया था। विशेष सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने अरुणाचल प्रदेश की विरासत पर विस्‍तार से चर्चा की थी और कहा था कि यहां अब हाल के वर्षों में परिवर्तन की दिशा और विकास की गति में तेजी के रूप में नया परिवर्तन देखने को मिल रहा है।

उपराष्ट्रपति के इस दौरे से चीन बुरी तरह तिलमिलाया हुआ है। उपराष्ट्रपति के दौरे पर अपनी आपत्ति जताते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजयान ने कहा कि, ‘सीमा मुद्दे पर चीन की स्थिति सुसंगत और स्पष्ट है। चीनी सरकार कभी भी भारतीय पक्ष द्वारा एकतरफा और अवैध रूप से स्थापित तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देती है, और संबंधित क्षेत्र में भारतीय नेताओं की यात्राओं का कड़ा विरोध करती है। हम भारतीय पक्ष से चीन की प्रमुख चिंताओं का ईमानदारी से सम्मान करने, सीमा मुद्दे को जटिल और विस्तारित करने वाली कोई भी कार्रवाई बंद करने और आपसी विश्वास और द्विपक्षीय संबंधों को कम करने से बचने का आग्रह करते हैं।’चीनी प्रवक्ता ने आगे कहा कि इसके बजाय भारत को चीन-भारत सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए वास्तविक ठोस कार्रवाई करनी चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत और स्थिर विकास को पटरी पर लाने में मदद करनी चाहिए।

चीन के बेतुके बयान पर पलटवार करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘भारत के एक राज्य में देश के एक नेता के जाने पर चीन की आपत्ति बेवजह और भारतीय नागरिकों के समझ से परे है। हमने चीन के आधिकारिक प्रवक्ता की तरफ से आए बयान को देखा है। हम ऐसी बातों को खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है।’ उन्होंने कहा कि जैसा कि हमने पहले उल्लेख किया है कि पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे इलाकों में चीन की ओर से यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयासों के कारण ही दोनों पक्षों में गतिरोध बढ़ा है। बागची ने यह भी कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष असंबंधित मुद्दों को जोड़ने की कोशिश करने के बजाय द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष मुद्दों के जल्द समाधान की दिशा में काम करेगा।

बता दें कि अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन से भारत का विवाद काफी पुराना है। ड्रैगन अरुणाचल प्रदेश को साउथ तिब्बत का हिस्सा मानता है। दोनों देशों के बीच 3,500 किमोलीटर (2,174 मील) लंबी सीमा है। सीमा विवाद के कारण दोनों देश 1962 में युद्ध के मैदान में भी आमने-सामने खड़े हो चुके हैं, लेकिन अभी भी सीमा पर मौजूद कुछ इलाकों को लेकर विवाद है जो कभी-कभी तनाव की वजह बनते हैं।

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